Псалтирь 18 – NRT & HCV

New Russian Translation

Псалтирь 18:1-15

Псалом 18

1Дирижеру хора. Псалом Давида.

2Небеса провозглашают Божью славу,

о делах Его рук возвещает их свод;

3изо дня в день вещают они,

каждую ночь открывают знание.

4Хотя они не используют ни речи, ни слов,

и от них не слышно ни звука,

5их голос18:5 Так в некоторых древних переводах; в нормативном еврейском тексте: «черта». проходит по всей земле,

их слова – до краев света.

В небесах Он поставил шатер для солнца,

6и оно выходит, словно жених из спальни своей,

и, как бегун, радуется предстоящему забегу.

7Встает оно на одном краю небес

и совершает свой путь к другому краю,

и ничто от жара его не скрыто.

8Закон Господа совершенен,

обновляет душу.

Предписание Господа непреложно,

умудряет простых.

9Наставления Господа праведны,

радуют сердце.

Повеления Господа лучезарны,

просветляют глаза.

10Страх Господень чист,

пребывает вовеки.

Определения Господа истинны

и все праведны.

11Они желаннее золота,

даже множества золота чистого;

слаще, нежели мед,

нежели капли из сот.

12Слуга Твой ими храним,

в соблюдении их большая награда.

13Кто к ошибкам своим не слеп?

От невольных проступков меня очисти

14и от сознательных грехов удержи Своего слугу,

не дай им власти надо мной.

Тогда я буду непорочен

и чист от большого греха.

15Пусть слова моих уст и раздумья моего сердца

будут угодны Тебе, Господи,

моя Скала и мой Искупитель!

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 18:1-50

स्तोत्र 18

संगीत निर्देशक के लिये. याहवेह के सेवक दावीद की रचना. दावीद ने यह गीत याहवेह के सामने गाया जब याहवेह ने दावीद को उनके शत्रुओं तथा शाऊल के आक्रमण से बचा लिया था. दावीद ने कहा:

1याहवेह, मेरे सामर्थ्य, मैं आपसे प्रेम करता हूं.

2याहवेह मेरी चट्टान, मेरा गढ़ और मेरे छुड़ानेवाले हैं;

मेरे परमेश्वर, मेरे लिए चट्टान हैं, जिनमें मैं आसरा लेता हूं,

वह मेरी ढाल और मेरे उद्धार का सींग, वह मेरा गढ़.

3मैं दोहाई याहवेह की देता हूं, सिर्फ वही स्तुति के योग्य हैं,

और मैं शत्रुओं से छुटकारा पा लेता हूं.

4मृत्यु की लहरों में घिर चुका था;

मुझ पर विध्वंस की तेज धारा का वार हो रहा था.

5अधोलोक के तंतुओं ने मुझे उलझा लिया था;

मैं मृत्यु के जाल के आमने-सामने आ गया था.

6अपनी वेदना में मैंने याहवेह की दोहाई दी;

मैंने अपने ही परमेश्वर को पुकारा.

अपने मंदिर में उन्होंने मेरी आवाज सुन ली,

उनके कानों में मेरा रोना जा पड़ा.

7पृथ्वी झूलकर कांपने लगी,

पहाड़ों की नींव थरथरा उठी;

और कांपने लगी. क्योंकि प्रभु क्रुद्ध थे.

8उनके नथुनों से धुआं उठ रहा था;

उनके मुख की आग चट करती जा रही थी,

उसने कोयलों को दहका रखा था.

9उन्होंने आकाशमंडल को झुकाया और उतर आए;

उनके पैरों के नीचे घना अंधकार था.

10वह करूब पर चढ़कर उड़ गए;

वह हवा के पंखों पर चढ़कर उड़ गये!

11उन्होंने अंधकार ओढ़ लिया, वह उनका छाता बन गया,

घने-काले वर्षा के मेघ में घिरे हुए.

12उनकी उपस्थिति के तेज से मेघ ओलों

और बिजलियां के साथ आगे बढ़ रहे थे.

13स्वर्ग से याहवेह ने गर्जन की

और परम प्रधान ने अपने शब्द सुनाए.

14उन्होंने बाण छोड़े और उन्हें बिखरा दिया,

बिजलियों ने उनके पैर उखाड़ दिए.

15याहवेह की प्रताड़ना से,

नथुनों से उनके सांस के झोंके से

सागर के जलमार्ग दिखाई देने लगे;

संसार की नीवें खुल गईं.

16उन्होंने स्वर्ग से हाथ बढ़ाकर मुझे थाम लिया;

प्रबल जल प्रवाह से उन्होंने मुझे बाहर निकाल लिया.

17उन्होंने मुझे मेरे प्रबल शत्रु से मुक्त किया,

उनसे, जिन्हें मुझसे घृणा थी, वे मुझसे कहीं अधिक शक्तिमान थे.

18संकट के दिन उन्होंने मुझ पर आक्रमण कर दिया था,

किंतु मेरी सहायता याहवेह में मगन थी.

19वह मुझे खुले स्थान पर ले आए;

मुझसे अपनी प्रसन्‍नता के कारण उन्होंने मुझे छुड़ाया है.

20मेरी भलाई के अनुसार ही याहवेह ने मुझे प्रतिफल दिया है;

मेरे हाथों की स्वच्छता के अनुसार उन्होंने मुझे ईनाम दिया है.

21मैं याहवेह की नीतियों का पालन करता रहा हूं;

मैंने परमेश्वर के विरुद्ध कोई दुराचार नहीं किया है.

22उनकी सारी नियम संहिता मेरे सामने बनी रही;

उनके नियमों से मैं कभी भी विचलित नहीं हुआ.

23मैं उनके सामने निर्दोष बना रहा,

दोष भाव मुझसे दूर ही दूर रहा.

24इसलिये याहवेह ने मुझे मेरी भलाई के अनुसार ही प्रतिफल दिया है,

उनकी नज़रों में मेरे हाथों की शुद्धता के अनुसार.

25सच्चे लोगों के प्रति आप स्वयं विश्वासयोग्य साबित होते हैं,

निर्दोष व्यक्ति पर आप स्वयं को निर्दोष ही प्रकट करते हैं.

26वह, जो निर्मल है, उस पर अपनी निर्मलता प्रकट करते हैं,

कुटिल व्यक्ति पर आप अपनी चतुरता प्रगट करते हैं.

27आप विनम्र को सुरक्षा प्रदान करते हैं,

किंतु आप नीचा उनको कर देते हैं, जिनकी आंखें अहंकार से चढ़ी होती हैं.

28याहवेह, आप मेरे दीपक को जलाते रहिये,

मेरे परमेश्वर, आप मेरे अंधकार को ज्योतिर्मय कर देते हैं.

29जब आप मेरी ओर हैं, तो मैं सेना से टक्कर ले सकता हूं;

मेरे परमेश्वर के कारण मैं दीवार तक फांद सकता हूं.

30यह वह परमेश्वर हैं, जिनकी नीतियां खरी हैं:

ताया हुआ है याहवेह का वचन;

अपने सभी शरणागतों के लिए वह ढाल बन जाते हैं.

31क्योंकि याहवेह के अलावा कोई परमेश्वर है?

और हमारे परमेश्वर के अलावा कोई चट्टान है?

32वही परमेश्वर मेरे मजबूत आसरा हैं;

वह निर्दोष व्यक्ति को अपने मार्ग पर चलाते हैं.

33उन्हीं ने मेरे पांवों को हिरण के पांवों के समान बना दिया है;

ऊंचे स्थानों पर वह मुझे सुरक्षा देते हैं.

34वह मेरे हाथों को युद्ध के लिए

प्रशिक्षित करते हैं;

अब मेरी बांहें कांसे के धनुष को भी इस्तेमाल कर लेती हैं.

35आपने मुझे उद्धार की ढाल प्रदान की है,

आपका दायां हाथ मुझे थामे हुए है;

आपकी सौम्यता ने मुझे महिमा प्रदान की है.

36मेरे पांवों के लिए आपने चौड़ा रास्ता दिया है,

इसमें मेरे पगों के लिए कोई फिसलन नहीं है.

37मैंने अपने शत्रुओं का पीछा कर उन्हें नाश कर दिया है;

जब तक वे पूरी तरह नाश न हो गए मैं लौटकर नहीं आया.

38मैंने उन्हें ऐसा कुचल दिया कि वे पुनः सिर न उठा सकें;

वे तो मेरे पैरों में आ गिरे.

39आपने मुझे युद्ध के लिए आवश्यक शक्ति से भर दिया;

आपने उन्हें, जो मेरे विरुद्ध उठ खड़े हुए थे, मेरे सामने झुका दिया.

40आपने मेरे शत्रुओं को पीठ दिखाकर भागने पर विवश कर दिया, वे मेरे विरोधी थे.

मैंने उन्हें नष्ट कर दिया.

41उन्होंने मदद के लिए पुकारा, मगर उनकी रक्षा के लिए कोई भी न आया.

उन्होंने याहवेह की भी दोहाई दी, मगर उन्होंने भी उन्हें उत्तर न दिया.

42मैंने उन्हें ऐसा कुचला कि वे पवन में उड़ती धूल से हो गए;

मैंने उन्हें मार्ग के कीचड़ के समान अपने पैरों से रौंद डाला.

43आपने मुझे मेरे सजातियों के द्वारा उठाए कलह से छुटकारा दिया है;

आपने मुझे सारे राष्ट्रों पर सबसे ऊपर बनाए रखा;

अब वे लोग मेरी सेवा कर रहे हैं, जिनसे मैं पूरी तरह अपरिचित हूं.

44विदेशी मेरी उपस्थिति में दास की तरह व्यवहार करते आए;

जैसे ही उन्हें मेरे विषय में मालूम हुआ, वे मेरे प्रति आज्ञाकारी हो गए.

45विदेशियों का मनोबल जाता रहा;

वे कांपते हुए अपने गढ़ों से बाहर आ गए.

46जीवित हैं याहवेह! धन्य हैं मेरी चट्टान!

मेरे छुटकारे की चट्टान, मेरे परमेश्वर प्रतिष्ठित हों!

47परमेश्वर, जिन्होंने मुझे प्रतिफल दिया मेरा बदला लिया,

और जनताओं को मेरे अधीन कर दिया.

48जो मुझे मेरे शत्रुओं से मुक्त करते हैं,

आप ही ने मुझे मेरे शत्रुओं के ऊपर ऊंचा किया है;

आप ही ने हिंसक पुरुषों से मेरी रक्षा की है.

49इसलिये, याहवेह, मैं राष्ट्रों के सामने आपकी स्तुति करूंगा;

आपके नाम का गुणगान करूंगा.

50“अपने राजा के लिए वही हैं छुटकारे का खंभा;

अपने अभिषिक्त पर दावीद और उनके वंशजों पर,

वह हमेशा अपार प्रेम प्रकट करते रहते हैं.”