मत्ती 4 – NCA & CARS

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

मत्ती 4:1-25

यीसू के परिछा

(मरकुस 1:12-13; लूका 4:1-13)

1तब पबितर आतमा ह यीसू ला सुनसान जगह म ले गीस कि सैतान के दुवारा ओकर परिछा होवय। 2यीसू ह चालीस दिन अऊ चालीस रात उपास रिहिस, ओकर पाछू ओला भूख लगिस। 3तब सैतान ह ओकर करा आईस अऊ कहिस, “यदि तेंह परमेसर के बेटा अस, त कहि दे कि ए पथरामन रोटी बन जावंय।”4:1-17 इबरानीमन 2:17-18; 4:15

4यीसू ह जबाब दीस, “परमेसर के बचन म लिखे हवय, ‘मनखे ह सिरिप रोटी ले ही नइं, फेर हर ओ बचन के दुवारा जीथे, जऊन ह परमेसर के मुहूं ले निकरथे।’4:4 ब्यवस्था 8:3

5तब सैतान ह यीसू ला पबितर सहर म ले गीस अऊ ओला मंदिर के टीप म ठाढ़ करके कहिस4:5 इहां “पबितर सहर” के मतलब “यरूसलेम सहर” अय।, 6“कहूं तेंह परमेसर के बेटा अस, त उहां ले खाल्‍हे कूद जा, काबरकि परमेसर के बचन म ए लिखे हवय,

‘परमेसर ह तोर बारे म अपन स्वरगदूतमन ला हुकूम दिही,

अऊ ओमन तोला अपन हाथों हांथ उठा लिहीं,

ताकि तोर गोड़ म पथरा ले चोट झन लगय।’4:6 भजन-संहिता 91:11-12

7यीसू ह ओला कहिस, “परमेसर के बचन म ए घलो लिखे हवय, ‘परभू अपन परमेसर के परिछा झन कर।’4:7 ब्यवस्था 6:16; निरगमन 17:2-7

8तब सैतान ह यीसू ला एक ठन बहुंत ऊंच पहाड़ ऊपर ले गीस अऊ ओला संसार के जम्मो राजपाट अऊ ओकर सोभा ला देखाके कहिस, 9“यदि तेंह माड़ी के भार गिरके मोर अराधना करबे, त मेंह तोला ए जम्मो ला दे दूहूं।”

10यीसू ह ओला कहिस, “हे सैतान! मोर ले दूरिहा हट; काबरकि परमेसर के बचन म लिखे हवय, ‘परभू अपन परमेसर के अराधना कर अऊ सिरिप ओकरेच सेवा कर।’4:10 ब्यवस्था 6:13

11तब सैतान ह ओकर करा ले चले गीस, अऊ स्वरगदूतमन आके ओकर सेवा करन लगिन।

यीसू ह परचार करे के सुरू करथे

(मरकुस 1:14-15; लूका 4:14-15, 31)

12जब यीसू ह ए सुनिस कि यूहन्ना ला जेल म डार दे गे हवय, त ओह गलील प्रदेस ला चल दीस। 13ओह नासरत ला छोंड़ दीस अऊ कफरनहूम सहर म जाके रहन लगिस, ए सहर ह जबूलून अऊ नपताली के सीमना म झील के तीर म हवय। 14एह एकर खातिर होईस ताकि यसायाह अगमजानी के दुवारा कहे गय ए बात ह पूरा होवय:

15“जबूलून के प्रदेस अऊ नपताली के प्रदेस,

समुंदर के तरफ जाय के रसता म,

यरदन नदी के ओ पार, आनजातमन के गलील प्रदेस,

16जऊन मनखेमन अंधियार म रहत रिहिन,

ओमन एक बड़े अंजोर ला देखिन;

अऊ जऊन मन मिरतू के छइहां के प्रदेस म रहत रिहिन,

ओमन के ऊपर एक अंजोर चमकिस।”4:16 यसायाह 9:1-2

17ओ समय ले यीसू ह परचार करन लगिस अऊ कहिस, “अपन पाप ले पछताप करव, काबरकि स्‍वरग के राज ह लकठा आ गे हवय।”

यीसू के पहिली चेलामन

(मरकुस 1:16-20; लूका 5:1-11; यूहन्ना 1:35-42)

18जब यीसू ह गलील झील के तीर म रेंगत रिहिस, त ओह दू झन भाईमन ला देखिस; ओमन के नांव सिमोन जऊन ला पतरस कहे जाथे अऊ ओकर भाई अन्द्रियास रिहिस। ए दूनों भाई झील म जाल डारत रिहिन, काबरकि ओमन मछुआर रिहिन। 19यीसू ह ओमन ला कहिस, “मोर पाछू आवव; मेंह तुमन ला मनखे पकड़वइया मछुआर बनाहूं।” 20ओमन तुरते अपन जाल ला छोंड़के ओकर पाछू हो लीन।

21उहां ले आघू जाय के बाद, यीसू ह दू झन अऊ भाईमन ला देखिस – याकूब अऊ ओकर भाई यूहन्ना ला, जऊन मन जबदी के बेटा रिहिन। ओमन अपन ददा जबदी के संग एक ठन डोंगा म रहंय अऊ अपन जाल ला तियार करत रहंय। यीसू ह ओमन ला बलाईस, 22अऊ ओमन तुरते डोंगा अऊ अपन ददा ला छोंड़के यीसू के पाछू हो लीन।

यीसू ह बेमरहा ला बने करथे

(लूका 6:17-19)

23यीसू ह जम्मो गलील प्रदेस म जाके, यहूदीमन के सभा घर म उपदेस दीस, अऊ परमेसर के राज के सुघर संदेस के परचार करिस, अऊ मनखेमन के हर किसम के रोग अऊ बेमारी ला बने करिस। 24यीसू के खबर ह जम्मो सीरिया देस म फइल गीस, अऊ मनखेमन ओ जम्मो झन ला ओकर करा लाने लगिन, जऊन मन कतको किसम के रोग ले बेमार रहंय, जऊन मन असहनीय पीरा म रहंय, जऊन मन ला परेत आतमा धरे रहय, जऊन मन ला मिरगी के बेमारी रहय, अऊ जऊन मन ला लकवा मारे रहय; यीसू ह ओ जम्मो झन ला चंगा करिस। 25गलील प्रदेस, दस सहर (दिकापुलिस), यरूसलेम, यहूदिया, अऊ यरदन नदी के ओ पार के मनखेमन के एक बड़े भीड़ ह ओकर पाछू हो लीस।

Священное Писание

Матай 4:1-25

Искушение в пустыне

(Мк. 1:12-13; Лк. 4:1-13)

1Затем Дух повёл Ису в пустыню для того, чтобы Ему пройти искушение от дьявола. 2После сорока дней и сорока ночей, проведённых в посте, Иса почувствовал сильный голод. 3Тогда искуситель подошёл и сказал Ему:

– Если Ты Сын Всевышнего (Царственный Спаситель), то прикажи этим камням стать хлебом.

4Но Иса ответил:

– Написано: «Не одним хлебом живёт человек, но и каждым словом, исходящим из уст Всевышнего»4:4 Втор. 8:3..

5Затем дьявол привёл Ису в святой город и поставил Его на самый верх Иерусалимского храма.

6– Если Ты Сын Всевышнего, – сказал он Ему, – то бросься вниз. Ведь написано же:

«Своим ангелам повелит о Тебе,

и они понесут Тебя на руках,

чтобы ноги Твои не ударились о камень»4:6 Заб. 90:11-12..

7Иса сказал ему:

– Написано также: «Не испытывай Вечного, Бога твоего»4:7 Втор. 6:16..

8Тогда дьявол взял Его на очень высокую гору и показал Ему все царства мира во всём их блеске.

9И он сказал Ему:

– Всё это я передам Тебе, если Ты падёшь и поклонишься мне!

10Тогда Иса сказал ему:

– Прочь от Меня, сатана! Ведь написано: «Поклоняйся Вечному, Богу твоему, и служи Ему одному»4:10 Втор. 6:13..

11Тогда дьявол оставил Его, а к Исе приступили ангелы и служили Ему.

Иса Масих начинает Своё служение

(Мк. 1:14-15; Лк. 4:14-15)

12Когда Иса услышал о том, что Яхия заключён в темницу, Он возвратился в Галилею. 13Покинув Назарет, Он поселился в Капернауме, который расположен на берегу озера, в земле, принадлежавшей родам Завулона и Неффалима. 14Так исполнилось пророчество Исаии:

15«Земля Завулона и земля Неффалима,

где приморский путь, ведущий за Иордан,

Галилея языческая!

16Народ, живущий во тьме,

увидел великий свет.

У живущих в стране, объятой тенью смерти,

свет воссиял»4:15-16 Ис. 9:1-2..

17С этого времени Иса начал возвещать:

– Покайтесь, потому что Всевышний уже устанавливает Своё Царство!

Четыре рыбака следуют за Исой Масихом

(Мк. 1:16-20; Лк. 5:2-11)

18Однажды, проходя вдоль Галилейского озера, Иса увидел двух братьев: Шимона, прозванного Петиром, и его брата Андера. Они забрасывали в озеро сети, так как были рыбаками.

19– Идите за Мной, – сказал Он им, – и Я сделаю вас ловцами людей.

20Братья сразу же оставили сети и пошли за Ним. 21Пройдя дальше, Иса увидел двух других братьев: Якуба и Иохана, сыновей Завдая. Они были в лодке со своим отцом и чинили сети. Иса позвал и их. 22Они сразу же, оставив лодку и отца, пошли за Ним.

Иса Масих возвещает Радостную Весть в Галилее

(Мк. 3:7-12; Лк. 6:17-19)

23Иса ходил по всей Галилее, уча в молитвенных домах, возвещая Радостную Весть о Царстве и исцеляя людей от всех болезней и недугов. 24Слух о Нём распространился по всей Сирии, и к Нему приносили страдающих от самых различных болезней, испытывающих сильные боли, одержимых демонами, больных эпилепсией, парализованных, и Он их исцелял. 25За Ним следовали большие толпы людей из Галилеи, области Десяти городов, Иерусалима, Иудеи и из-за реки Иордан.