मत्ती 24 – NCA & NASV

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

मत्ती 24:1-51

जुग के अंत के चिन्हांमन

(मरकुस 13:1-2; लूका 21:5-6)

1जब यीसू ह मंदिर म ले निकरके जावत रिहिस, त ओकर चेलामन ओकर करा आईन अऊ ओला मंदिर के बनावट ला दिखाईन। 2यीसू ह ओमन ला कहिस, “तुमन ए जम्मो चीज ला देखत हवव? मेंह तुमन ला सच कहत हंव, इहां एको ठन पथरा अपन जगह म नइं रहय। जम्मो ला गिरा दिये जाही।”

3जब यीसू ह जैतून पहाड़ ऊपर बईठे रिहिस, त ओकर चेलामन अकेला ओकर करा आईन अऊ पुछिन, “हमन ला बता कि एह कब होही? तोर आय के समय अऊ ए जुग के अंत के का चिन्‍हां होही।”

4यीसू ह ओमन ला जबाब दीस, “सचेत रहव। कोनो तुमन ला धोखा झन देवय। 5कतको झन मोर नांव म आहीं अऊ कहिहीं, ‘मेंह मसीह अंव’, अऊ कतको झन ला धोखा दिहीं। 6तुमन लड़ई के बारे म सुनहू अऊ लड़ई के झूठ-मूठ खबर सुनहू, पर देखव, एकर ले झन घबरावव। अइसने बात के होवई जरूरी अय, पर ओह अंत के समय नो हय। 7एक देस ह दूसर देस ऊपर अऊ एक राज ह दूसर राज ऊपर चढ़ई करहीं। कतको जगह म दुकाल पड़ही अऊ भुइंडोल होही। 8ए जम्मो ह छुवारी होय के पीरा के सुरूआत के सहीं अय।

9तब ओमन तुमन ला सताय बर पकड़वाहीं अऊ तुमन ला मार डारहीं। मोर कारन जम्मो जाति के मनखेमन तुम्‍हर ले घिन करहीं। 10ओ समय कतको झन अपन बिसवास ला छोंड़ दिहीं। ओमन एक-दूसर के संग बिस‍वासघात करहीं अऊ एक – दूसर ले घिन करहीं। 11अऊ कतको लबरा अगमजानीमन आहीं अऊ कतको झन ला धोखा दिहीं। 12अधरम के बढ़े के कारन, बहुंत झन के मया ह कम हो जाही। 13पर जऊन ह आखिरी तक अडिग बने रहिही, ओकरेच उद्धार होही। 14परमेसर के राज के ए सुघर संदेस के परचार जम्मो संसार म करे जाही, ताकि जम्मो जाति के मनखेमन बर एक गवाही होवय, अऊ तब अंत के बेरा आ जाही।

15एकरसेति जब तुमन ‘ओ बिनासकारी घिन चीज’ ला पबितर जगह म ठाढ़े देखव, जेकर बारे म दानिएल ह कहे हवय, त पढ़इया ह समझ जावय। 16तब जऊन मन यहूदिया प्रदेस म हवंय, ओमन पहाड़ ऊपर भाग जावंय। 17जऊन ह अपन घर के छानी ऊपर होवय, ओह अपन घर के चीजमन ला लेय बर खाल्‍हे झन उतरय। 18जऊन ह खेत म होवय, ओह अपन कपड़ा ला लेय बर वापिस झन जावय। 19ओ माईलोगनमन बर कतेक भयंकर बात होही, जऊन मन ओ दिन म देहें म होहीं अऊ जऊन मन लइकामन ला गोरस पीयावत होहीं। 20पराथना करव कि तुमन ला जड़काला म या बिसराम के दिन म भागे ला झन पड़य। 21काबरकि ओ समय अइसने भयंकर तकलीफ होही, जइसने संसार के सुरू ले अभी तक कभू नइं होय हवय अऊ न कभू फेर होही। 22यदि ओ दिनमन ला कम नइं करे जातिस, त कोनो मनखे नइं बांचतिन; पर चुने गय मनखेमन के कारन, परमेसर ह ओ दिनमन ला कम कर दिही। 23ओ समय, यदि कोनो तुमन ला ए कहय, ‘देखव, मसीह ह इहां हवय या ओह उहां हवय।’ त ओकर बात ला बिसवास झन करव। 24काबरकि लबरा मसीह अऊ लबरा अगमजानीमन आहीं अऊ अइसने बड़े-बड़े चिन्‍हां अऊ चमतकार देखाहीं कि यदि हो सकय त चुने गय मनखेमन ला घलो बहका देंय। 25देखव, मेंह तुमन ला पहिली ले बता चुके हवंव।

26एकरसेति, यदि ओमन तुमन ला ए कहंय, ‘देखव, मसीह ह उहां सुनसान जगह म हवय।’ त उहां झन जावव; या यदि ओमन कहंय, ‘मसीह ह इहां भीतर के खोली म हवय।’ त ओमन के बात ला बिसवास झन करव। 27काबरकि जइसने बिजली ह पूरब ले निकरथे अऊ पछिम तक चमकथे, वइसने मनखे के बेटा के अवई होही। 28जिहां लास होथे, उहां गिधवामन जुरथें।

29ओ दिनमन म, तकलीफ के तुरते बाद, सूरज ह अंधियार हो जाही, अऊ चंदा ह अपन अंजोर नइं दिही, तारामन अकास ले गिर जाहीं, अऊ अकास के सक्तिमन हलाय जाहीं।24:29 यसायाह 13:10; 34:4; हाग्गै 2:21

30तब ओ समय, मनखे के बेटा के चिन्‍हां ह अकास म दिखही अऊ धरती के जम्मो जाति के मनखेमन सोक मनाहीं। ओमन मनखे के बेटा ला सामरथ अऊ बड़े महिमा के संग अकास के बादर म आवत देखहीं। 31अऊ ओह तुरही के बड़े अवाज के संग अपन स्वरगदूतमन ला पठोही, अऊ ओमन अकास के एक छोर ले लेके दूसर छोर तक, चारों दिग ले ओकर चुने मनखेमन ला संकेलहीं।

32अंजीर के रूख ले ए बात ला सिखव: जब एकर छोटे डारामन कोंवर बन जाथें अऊ ओम पान निकरे लगथें, त तुमन जान लेथव कि घाम के महिना ह अवइया हवय। 33ओहीच किसम ले, जब तुमन ए जम्मो घटनामन ला देखव, त जान लेवव कि ओ समय ह लकठा म हवय, पर दुवारी म आ गे हवय। 34मेंह तुमन ला सच कहत हंव कि जब तक ए जम्मो बातमन पूरा नइं हो जाहीं, तब तक ए पीढ़ी के अंत नइं होवय। 35अकास अऊ धरती ह टर जाही, पर मोर बचन ह कभू नइं टरय।”

दिन अऊ समय के जानकारी नइं अय

(मरकुस 13:32-37; लूका 17:26-30, 34-36)

36“ओ दिन या समय के बारे म कोनो नइं जानंय; न तो स्‍वरग के दूत अऊ न ही बेटा, पर सिरिप ददा ह एला जानथे। 37जइसने नूह के समय म होय रिहिस, वइसनेच मनखे के बेटा के अवई होही। 38ओ समय जल परलय होय के पहिली, नूह के पानी जहाज म चघे के दिन तक, मनखेमन खावत-पीयत रिहिन अऊ ओमन के बीच म सादी-बिहाव होवत रिहिस; 39जब तक जल परलय नइं आईस अऊ ओ जम्मो ला बोहाके नइं ले गीस, तब तक ओमन कुछू नइं जानत रिहिन। वइसनेच मनखे के बेटा के अवई ह घलो होही। 40ओ बखत दू झन मनखे खेत म होहीं; एक झन ला ले लिये जाही, अऊ दूसर ला छोंड़ देय जाही। 41दू झन माईलोगनमन चक्‍की म आंटा पीसत होहीं; एक झन ला ले लिये जाही, अऊ दूसर ला छोंड़ देय जाही।

42एकरसेति, सचेत रहव, काबरकि तुमन नइं जानव कि तुम्‍हर परभू ह कोन दिन आही। 43पर ए बात ला समझ लव: यदि घर के मालिक ला मालूम होतिस कि चोर ह रात के कतेक बेरा आही, त ओह सचेत रहितिस अऊ अपन घर म सेंध नइं लगन देतिस। 44एकरसेति तुमन घलो तियार रहव, काबरकि मनखे के बेटा ह ओ समय आ जाही, जब तुमन ओकर आय के आसा नइं करत होहू।

45तब कोन ह बिसवास के काबिल अऊ बुद्धिमान सेवक अय, जऊन ला मालिक ह अपन घर के आने सेवकमन ऊपर मुखिया ठहराय हवय ताकि ओह ओमन ला सही समय म खाना देवय। 46धइन अय ओ सेवक, जऊन ला ओकर मालिक ह लहुंटके आय के पाछू, अइसने करत पाथे। 47मेंह तुमन ला सच कहत हंव कि ओह ओ सेवक ला अपन जम्मो संपत्ति के मुखिया ठहराही। 48पर यदि ओ सेवक ह दुस्‍ट अय अऊ अपन मन म ए कहय, ‘मोर मालिक के अवई म देरी हवय’, 49अऊ तब ओह अपन संगी सेवकमन ला मारन-पीटन लगय अऊ मतवालमन के संग खावय-पीयय, 50तब ओ सेवक के मालिक ह अइसने दिन म आ जाही, जब ओह ओकर आय के आसा नइं करत होही अऊ अइसने समय, जऊन ला ओह नइं जानत होही। 51तब मालिक ह ओला सजा दिही, अऊ ओला ढोंगीमन के संग ठऊर दिही, जिहां ओह रोही अऊ अपन दांत पीसही।”

New Amharic Standard Version

ማቴዎስ 24:1-51

የዓለም መጨረሻ ምልክቶች

24፥1-51 ተጓ ምብ – ማር 13፥1-37ሉቃ 21፥5-36

1ኢየሱስ ከቤተ መቅደስ ወጥቶ ሲሄድ፣ ደቀ መዛሙርቱ የቤተ መቅደሱን ሕንጻ ሊያሳዩት ወደ እርሱ ቀረቡ። 2እርሱ ግን፣ “ይህን ሁሉ ታያላችሁ? እውነት እላችኋለሁ፤ ድንጋይ በድንጋይ ላይ ተክቦ የምታዩት፣ ሳይፈርስ እንዲሁ እንዳለ የሚቀር አንድ ድንጋይ እንኳ አይኖርም” አላቸው።

3በደብረ ዘይት ተራራ ላይ ተቀምጦ ሳለ፣ ደቀ መዛሙርቱ ለብቻቸው ወደ እርሱ ቀርበው “እስቲ ንገረን፤ የምትለው ሁሉ መቼ ይሆናል? የመምጣትህና የዓለም መጨረሻ ምልክትስ ምንድን ነው?” አሉት።

4ኢየሱስም መልሶ እንዲህ አላቸው፤ “ማንም እንዳያስታችሁ ተጠንቀቁ፤ 5ብዙዎች፣ ‘እኔ ክርስቶስ24፥5 ወይም መሲሕ፤ 23 ይመ ነኝ’ በማለት በስሜ ይመጣሉና፤ ብዙዎችንም ያስታሉ። 6ስለ ጦርነትና ጦርነትን የሚያናፍስ ወሬ ትሰማላችሁ፤ እነዚህ ነገሮች የግድ መፈጸም አለባቸው፤ ሆኖም መጨረሻው ገና ስለሆነ በዚህ እንዳትደናገጡ ተጠንቀቁ። 7ሕዝብ በሕዝብ ላይ፣ መንግሥትም በመንግሥት ላይ ይነሣል፤ በተለያየ ስፍራም ራብና የመሬት መንቀጥቀጥ ይሆናል፤ 8ይህ ሁሉ ግን የምጡ መጀመሪያ ነው።

9“በዚያን ጊዜ ለመከራ አሳልፈው ይሰጧችኋል፤ ይገድሏችኋል፤ በስሜ ምክንያት በሕዝብ ሁሉ ዘንድ የተጠላችሁ ትሆናላችሁ። 10በዚያን ጊዜ ብዙዎች ይሰናከላሉ፤ እርስ በርስ አሳልፈው ይሰጣጣሉ፤ ይጠላላሉም። 11ብዙዎች ሐሰተኛ ነቢያት ይነሣሉ፤ ብዙዎችን ያስታሉ። 12ክፋት ስለሚገንን የብዙ ሰዎች ፍቅር ይቀዘቅዛል፤ 13እስከ መጨረሻ የሚጸና ግን እርሱ ይድናል። 14ለሕዝብ ሁሉ ምስክር እንዲሆን፣ ይህ የመንግሥት ወንጌል በዓለም ሁሉ ይሰበካል፤ ከዚያም መጨረሻው ይመጣል።

15“እንግዲህ በነቢዩ በዳንኤል የተነገረው፣ ‘የጥፋት ርኩሰት’ በተቀደሰው ስፍራ ቆሞ ስታዩ፣ አንባቢው ያስተውል። 16በዚያን ጊዜ በይሁዳ የሚገኙ ወደ ተራራዎች ይሽሹ፤ 17በቤቱ ጣራ ላይ የሚገኝ ማንም ሰው ዕቃውን ከቤቱ ለማውጣት አይውረድ፤ 18በዕርሻ ቦታው የሚገኝ ማንም ሰው ልብሱን ለመውሰድ አይመለስ። 19በእነዚያ ቀናት ለነፍሰ ጡሮችና ለሚያጠቡ ወዮላቸው! 20እንግዲህ ሽሽታችሁ በክረምት ወይም በሰንበት ቀን እንዳይሆን ጸልዩ፤ 21በዚያን ጊዜ፣ ዓለም ከተፈጠረ ጀምሮ እስከ ዛሬ ድረስ ሆኖ የማያውቅ፣ ከዚያም በኋላ የሚስተካከለው የሌለ፣ ታላቅ መከራ ይሆናል። 22ቀኖቹ ባያጥሩ ኖሮ ሥጋ ለባሽ ሁሉ ባልተረፈ ነበረ፤ ስለተመረጡት ሲባል ግን እነዚያ ቀኖች ያጥራሉ። 23በዚያን ጊዜ ማንም፣ ‘ይኸውላችሁ ክርስቶስ እዚህ አለ’ ወይም ‘እዚያ አለ’ ቢላችሁ አትመኑ፤ 24ሐሰተኛ ክርስቶሶችና ሐሰተኛ ነቢያት ይነሣሉና፤ ቢቻል የተመረጡትን ለማሳት ሲሉ ታላላቅ ምልክቶችንና ታምራትን ያደርጋሉ። 25እነሆ፤ አስቀድሜ ነግሬአችኋለሁ።

26“ስለዚህ፣ ‘ያውላችሁ በረሓው ውስጥ አለላችሁ’ ቢሏችሁ ወደዚያ አትውጡ፤ ‘ይኸውላችሁ እልፍኝ ውስጥ አለላችሁ’ ቢሏችሁ አትመኑ፤ 27መብረቅ ከምሥራቅ ወጥቶ ምዕራብ ድረስ እንደሚያበራ፣ የሰው ልጅ አመጣጥም እንደዚሁ ይሆናል። 28በድን ባለበት ስፍራ ሁሉ አሞሮች ይሰበሰባሉ።

29“ወዲያውኑ ከእነዚያ ከመከራው ቀናት በኋላ፣

“ ‘ፀሓይ ትጨልማለች፤

ጨረቃ ብርሃኗን ትከለክላለች፤

ከዋክብት ከሰማይ ይረግፋሉ፤

የሰማይ ኅይላትም ይናጋሉ።’

30“በዚህ ጊዜ የሰው ልጅ ምልክት በሰማይ ላይ ይታያል፤ የምድር ወገኖች ሁሉ ያለቅሳሉ፤ የሰው ልጅም በሰማይ ደመና ሆኖ በኀይልና በታላቅ ክብር ሲመጣ ያዩታል፤ 31መላእክቱንም ከታላቅ የመለከት ድምፅ ጋር ይልካቸዋል፤ እነርሱም ምርጦቹን ከአራቱም ነፋሳት፣ ከሰማያት ከአንዱ ዳርቻ ወደ ሌላው ዳርቻ ይሰበስባሉ።

32“ከበለስ ዛፍ ይህን ትምህርት ተማሩ፤ ቅርንጫፏ ሲለመልም፣ ቅጠሏ ሲያቈጠቍጥ፣ ያን ጊዜ በጋ እንደ ተቃረበ ታውቃላችሁ። 33እንደዚሁም እነዚህን ሁሉ ስታዩ፣ እርሱ በደጅ እንደ ቀረበ ታውቃላችሁ። 34እውነት እላችኋለሁ፤ ይህ ሁሉ እስኪፈጸም ድረስ ይህ ትውልድ24፥34 ወይም ዘር አያልፍም። 35ሰማይና ምድር ያልፋሉ፤ ቃሌ ግን ፈጽሞ አያልፍም።

የሚመጣበት ቀንና ሰዓት አለመታወቁ

24፥37-39 ተጓ ምብ – ሉቃ 17፥2627

24፥45-51 ተጓ ምብ – ሉቃ 12፥42-46

36“ያን ቀንና ሰዓት ግን ከአብ በስተቀር የሰማይ መላእክትም ቢሆኑ፣ ወልድም ቢሆን24፥36 አንዳንድ ቅጆች ወልድም ቢሆን የሚለው የላቸውም። ማንም አያውቅም። 37ልክ በኖኅ ዘመን እንደ ሆነው የሰው ልጅ መምጣትም እንደዚሁ ይሆናል፤ 38ከጥፋት ውሃ በፊት ኖኅ ወደ መርከቡ እስከ ገባበት ቀን ድረስ ሰዎች ሲበሉና ሲጠጡ፣ ሲያገቡና ሲጋቡ እንደ ነበሩ፣ 39እስከዚያ ጊዜ ድረስም ምን እንደሚመጣ ሳያውቁ ድንገት የጥፋት ውሃ እንዳጥለቀለቃቸው፣ የሰው ልጅ ሲመጣም እንደዚሁ ይሆናል። 40በዚያን ጊዜ ሁለት ሰዎች በዕርሻ ላይ ይውላሉ፤ አንዱ ይወሰዳል፤ ሌላው ይቀራል። 41ሁለት ሴቶች በወፍጮ ይፈጫሉ፤ አንዷ ትወሰዳለች፣ ሌላዋ ትቀራለች።

42“እንግዲህ ጌታችሁ የሚመጣበትን ቀን ስለማታውቁ ነቅታችሁ ጠብቁ። 43ይህን ልብ በሉ፤ ባለቤት ሌሊት ሌባ በየትኛው ሰዓት እንደሚመጣ ቢያውቅ ኖሮ፣ በነቃ፣ ቤቱም እንዳይደፈር በተጠባበቀ ነበር። 44የሰው ልጅም ባላሰባችሁት ሰዓት ይመጣልና እናንተም እንደዚሁ ዝግጁ ሁኑ።

45“በተገቢው ጊዜ ምግባቸውን እንዲሰጣቸው ባለቤቱ በቤተ ሰዎቹ ላይ የሾመው ታማኝና ብልኅ አገልጋይ እንግዲህ ማነው? 46ባለቤቱ ተመልሶ በሚመጣበት ጊዜ የተጣለበትን ዐደራ እየፈጸመ የሚያገኘው ያ አገልጋይ የተባረከ ነው፤ 47እውነት እላችኋለሁ፤ በንብረቱ ሁሉ ላይ ይሾመዋል። 48ነገር ግን ያ አገልጋይ ክፉ ቢሆንና ለራሱ፣ ‘ጌታዬ ይዘገያል’ በማለት፣ 49ተነሥቶ ሌሎች አገልጋይ ባልንጀሮቹን መምታት ቢጀምር፣ ከሰካራሞችም ጋር ቢበላና ቢጠጣ፣ 50እርሱ ባልጠበቀው ቀንና ባላሰበው ሰዓት ጌታው መጥቶ፣ 51ይቈራርጠዋል፤ ዕድል ፈንታውንም ከግብዞች ጋር ያደርግበታል፤ በዚያም ልቅሶና ጥርስ ማፋጨት ይሆናል።