मत्ती 22 – NCA & PCB

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

मत्ती 22:1-46

बिहाव भोज के पटं‍तर

(लूका 14:15-24)

1यीसू ह फेर ओमन ले पटं‍तर म गोठियाय लगिस। ओह कहिस, 2“स्‍वरग के राज ह एक राजा के सहीं अय, जऊन ह अपन बेटा के बिहाव म एक जेवनार करिस। 3ओह अपन सेवकमन ला पठोईस कि ओमन नेवताहारीमन ला बिहाव-भोज बर बलाके लानंय, पर नेवताहारीमन आय बर नइं चाहिन।

4तब ओह कुछू अऊ सेवकमन ला ए कहिके पठोईस, ‘नेवताहारीमन ला कहव कि मेंह भोज तियार कर चुके हवंव। मोर बइला अऊ मोटहा-मोटहा पसु मन मारे गे हवंय, अऊ जम्मो चीज ह तियार हवय। बिहाव के भोज म आवव।’

5पर नेवताहारीमन राजा के नेवता ला धियान नइं दीन अऊ एती-ओती चल दीन – कोनो अपन खेत ला, त कोनो अपन धन्‍धा म। 6बाकि बचे नेवताहारीमन राजा के सेवकमन ला पकड़िन अऊ ओमन के संग गलत बरताव करिन अऊ ओमन ला मार डारिन। 7राज ह बहुंत गुस्सा करिस। ओह अपन सेना ला पठोईस अऊ ओ हतियारामन ला नास कर दीस अऊ ओमन के सहर ला जरा दीस।

8तब राजा ह अपन सेवकमन ला कहिस, ‘बिहाव भोज तो तियार हवय, पर नेवताहारीमन एकर लइक नो हंय। 9एकरसेति गली के चऊक म जावव अऊ तुमन ला जऊन मन घलो मिलथें, ओ जम्मो ला भोज के नेवता देवव।’ 10ओ सेवकमन गली म गीन अऊ ओमन ला बने या खराप जऊन ह घलो मिलिस, ओ जम्मो ला संकेल के ले आईन अऊ बिहाव के मड़वा ह पहुनामन ले भर गीस।

11पर जब राजा ह पहुनामन ला देखे बर भीतर आईस, त ओह उहां एक मनखे ला देखिस, जऊन ह बिहाव के पोसाक नइं पहिरे रहय। 12राजा ह ओकर ले पुछिस, ‘संगी, बिहाव के पोसाक पहिरे बिगर तेंह इहां कइसने आ गे।’ ओ मनखे ह कुछू कहे नइं सकिस।

13तब राजा ह सेवकमन ला कहिस, ‘एकर हांथ-गोड़ ला बांधव अऊ एला बाहिर अंधियार म फटिक दव, जिहां एह रोही अऊ अपन दांत पीसही।’

14काबरकि बलाय गय मनखे तो बहुंत हवंय, पर चुने गय मनखेमन थोरकन हवंय।”

रोमी महाराज ला लगान देवई

(मरकुस 12:13-17; लूका 20:20-26)

15तब फरीसीमन बाहिर जाके योजना बनाईन कि ओमन कइसने यीसू ला ओकरेच गोठ म फंसावंय। 16ओमन अपन चेलामन ला हेरोदीमन के संग यीसू करा ए पुछे बर पठोईन, “हे गुरू, हमन जानथन कि तेंह सच्‍चा अस अऊ तेंह सच्‍चई के संग परमेसर के रसता के सिकछा देथस। तेंह मनखेमन के बहकावा म नइं आवस, काबरकि तेंह मनखे के मुहूं देखके नइं गोठियावस। 17त हमन ला बता, तोर का बिचार हवय? रोमी महाराजा ला लगान देवई ठीक अय या नइं?”

18ओमन के दुस्‍टता ला जानके यीसू ह कहिस, “हे ढोंगी मनखेमन हो! तुमन काबर मोला फंसाय के कोसिस करत हव? 19मोला ओ सिक्‍का ला देखावव, जेकर उपयोग तुमन लगान पटाय बर करथव।” ओमन ओकर करा एक सिक्‍का लानिन। 20यीसू ह ओमन ले पुछिस, “एह काकर फोटो अऊ काकर नांव अय?”

21ओमन कहिन, “रोमी महाराजा के।” तब यीसू ह ओमन ला कहिस, “जऊन ह रोमी महाराजा के अय, ओला रोमी महाराजा ला देवव अऊ जऊन ह परमेसर के अय, ओला परमेसर ला देवव।”

22एला सुनके, ओमन अचम्भो म पड़ गीन अऊ यीसू ला छोंड़के चल दीन।

पुनरजीवन अऊ सादी-बिहाव

(मरकुस 12:18-27; लूका 20:27-40)

23ओहीच दिन सदूकीमन यीसू करा आईन, जऊन मन ए कहिथंय कि मरे के बाद मनखे ह फेर नइं जी उठय। ओमन यीसू ले एक सवाल पुछिन, 24“हे गुरू, मूसा ह कहे हवय कि यदि कोनो मनखे ह बिगर संतान के मर जावय, त ओकर भाई ह ओ बिधवा ले बिहाव करय अऊ अपन भाई खातिर संतान पैदा करय22:24 ब्यवस्था 25:5-625हमर बीच म सात झन भाई रिहिन। पहिला ह बिहाव करिस, पर ओह बिगर संतान के मर गीस अऊ अपन घरवाली ला अपन भाई बर छोंड़ गीस। 26दूसरा अऊ तीसरा भाई ले लेके जम्मो सातों भाई के संग अइसनेच होईस। सातों के सातों भाई मर गीन। 27आखिरी म, ओ माईलोगन घलो मर गीस। 28तब मरे म ले जी उठे के बाद, ओह ओ सातों भाई म के काकर घरवाली होही? काबरकि ओ सातों झन ओकर ले बिहाव करे रिहिन।”

29यीसू ह ओमन ला जबाब दीस, “तुमन गलत समझत हव, काबरकि तुमन परमेसर के बचन या परमेसर के सामरथ ला नइं जानत हव। 30मरे म ले जी उठे के बाद, मनखेमन न तो बिहाव करहीं अऊ न ही ओमन ला बिहाव म दिये जाही। ओमन स्‍वरग म स्वरगदूतमन सहीं होहीं। 31मरे म ले जी उठे के बारे म परमेसर ह तुमन ला का कहे हवय – का तुमन नइं पढ़े हवव: 32‘मेंह अब्राहम के परमेसर, इसहाक के परमेसर अऊ याकूब के परमेसर अंव।’ ओह मरे मन के नइं, पर जीयत मन के परमेसर अय।”

33एला सुनके, भीड़ के मनखेमन यीसू के उपदेस ले चकित होईन।

सबले बड़े हुकूम

(मरकुस 12:28-34; लूका 10:25-28)

34जब फरीसीमन सुनिन कि यीसू ह सदूकीमन के मुहूं बंद कर दे हवय, त ओमन ह जुरिन। 35ओम ले एक झन, जऊन ह एक वकील रिहिस, यीसू ला परखे बर ए सवाल करिस, 36“हे गुरू, मूसा के कानून के मुताबिक सबले बड़े हुकूम कते ह अय?”

37यीसू ह ओला कहिस, “ ‘तेंह अपन परभू परमेसर ला अपन जम्मो हिरदय, अपन जम्मो परान अऊ अपन पूरा मन सहित मया कर।’22:37 ब्यवस्था 6:5 38एह पहिली अऊ सबले बड़े हुकूम अय। 39अऊ दूसरा हुकूम ए किसम ले अय, ‘तेंह अपन पड़ोसी ले अपन सहीं मया कर।’22:39 लैब्यवस्था 19:18 40ए दूनों हुकूम जम्मो कानून अऊ अगमजानीमन के सिकछा के सार अंय।”

मसीह ह काकर बेटा अय?

(मरकुस 12:35-37; लूका 20:41-44)

41जब फरीसीमन उहां जुरे रिहिन, त यीसू ह ओमन ले पुछिस, 42“मसीह के बारे म, तुमन का सोचथव? ओह काकर बेटा अय?”

ओमन कहिन, “दाऊद के बेटा!”

43यीसू ह ओमन ला कहिस, “त फेर दाऊद ह पबितर आतमा म होके ओला ‘परभू’ काबर कहिथे? दाऊद ह कहिथे, 44‘परभू ह मोर परभू ले कहिस: मोर जेवनी हांथ अंग बईठ, जब तक कि मेंह तोर बईरीमन ला तोर गोड़ खाल्‍हे नइं कर देवंव।’ 45जब दाऊद ह ओला ‘परभू’ कहिथे, त फेर ओह दाऊद के बेटा कइसने हो सकथे?” 46कोनो ओला कुछू जबाब नइं दे सकिन, अऊ ओ दिन ले, कोनो ओकर ले अऊ कुछू सवाल पुछे के हिम्मत नइं करिन।

Persian Contemporary Bible

متی‌ٰ 22:1‏-46

نبايد نسبت به ملكوت خداوند بی‌اعتنا بود

1‏-2عيسی برای تشريح ملكوت آسمان، حكايت ديگری بيان كرده، گفت:

«پادشاهی برای عروسی پسرش جشن مفصلی ترتيب داد 3و عدهٔ بسياری را نيز به اين جشن دعوت كرد. وقتی همه چيز آماده شد، افراد خود را به دنبال دعوت‌شدگان فرستاد تا آنان را به جشن بياورند. اما هيچكس نيامد! 4پس بار ديگر افرادی فرستاد تا بگويند: ”عجله كنيد! به عروسی بياييد! زيرا گاوهای پرواری خود را سر بريده‌ام و همه چيز آماده است!“

5«ولی مهمانان با بی‌اعتنايی، پوزخندی زدند و هر يک به سر كار خود رفتند، يكی به مزرعه‌اش و ديگری به محل كسب خود! 6حتی بعضی، فرستاده‌های پادشاه را زدند و چند نفرشان را نيز كشتند.

7«وقتی خبر به گوش پادشاه رسيد، به خشم آمد و فوری سپاهی فرستاده، همهٔ آنان را كشت و شهرشان را به آتش كشيد. 8سپس به افراد خود گفت: جشن عروسی سرجای خود باقی است، اما مهمانانی كه من دعوت كرده بودم، لياقت آن را نداشتند. 9حال، به كوچه و بازار برويد و هر كه را ديديد به عروسی دعوت كنيد.

10«پس ايشان رفته، هر كه را يافتند، خوب و بد، با خود آوردند، به طوری که تالار عروسی از مهمانان پر شد. 11ولی وقتی پادشاه وارد شد تا به مهمانان خوش آمد گويد، متوجه شد يكی از آنان لباس مخصوص عروسی را كه برايش آماده كرده بودند، به تن ندارد.

12«پادشاه از او پرسيد: رفيق، چرا بدون لباس عروسی به اينجا آمدی؟ ولی او جوابی نداشت بدهد.

13«پس پادشاه دستور داد: دست و پايش را ببنديد و بيرون در تاريكی رهايش كنيد تا در آنجا گريه و زاری كند.

14«پس ملاحظه می‌كنيد كه دعوت‌شدگان بسيارند، اما برگزيدگان كم!»

جواب دندان‌شكن

15فريسيان با هم مشورت كردند تا راهی بيابند كه عيسی را به هنگام بحث به دام بيندازند و مدركی از سخنانش عليه او به دست آورند و دستگيرش كنند. 16پس تصميم گرفتند چند نفر از پيروان خود را با عده‌ای از هواداران هيروديس پادشاه، نزد عيسی بفرستند و اين سؤال را از او بكنند: «استاد، می‌دانيم كه شما درستكاريد و هر چه می‌گوييد به آن عمل می‌كنيد؛ و بدون اين كه از كسی باكی داشته باشيد و يا به آن چه مردم می‌گويند توجه كنيد، حقيقت را می‌گوييد. 17حال بفرماييد آيا بايد به دولت روم باج و خراج داد يا خير؟»

18عيسی كه می‌دانست آنها چه نقشه‌ای در سر دارند، جواب داد: «ای رياكاران، با اين سؤالها می‌خواهيد مرا غافلگير كنيد؟ 19يكی از سكه‌هايی را كه با آن باج و خراج می‌دهيد، به من نشان دهيد.» به او سكه‌ای دادند.

20از ايشان پرسيد: «عكس و نام چه كسی روی سكه نقش شده است؟»

21جواب دادند: «امپراتور روم.»

فرمود: «بسيار خوب، مال امپراتور را به امپراتور بدهيد، و مال خدا را به خدا.»

22جواب عيسی ايشان را مات و مبهوت ساخت؛ پس او را رها كرده، رفتند.

آيا قيامتی در كار هست؟

23در همان روز، يک دسته از صدوقی‌ها كه معتقد بودند مرگ پايان زندگی است و قيامتی در كار نيست، نزد عيسی آمدند و پرسيدند: 24«استاد، موسی فرموده است كه اگر مردی بی‌اولاد فوت شود، برادر آن مرد بايد زن او را بگيرد و فرزندان ايشان وارث تمام دارايی آن متوفی خواهند شد و نسل او به حساب خواهند آمد. 25ما خانواده‌ای را می‌شناختيم كه هفت برادر بودند. اولی، زنی گرفت و بی‌اولاد فوت كرد. بنابراين همسر او، زن برادر دومی شد. 26اين يكی هم بی‌اولاد مرد، و آن زن به عقد برادر سومی درآمد؛ و به همين ترتيب ادامه يافت و او زن هر هفت برادر شد. 27در آخر، آن زن نيز درگذشت. 28حال در روز قيامت، آن زن، همسر كدام يک از اين برادران خواهد بود؟ چون او در واقع زن همهٔ ايشان بوده است.»

29عيسی جواب داد: «سؤال شما نشان می‌دهد كه چقدر در اشتباهيد. نه از كلام خدا چيزی می‌دانيد، نه از قدرت خدا. 30زيرا در روز قيامت، انسانها ديگر ازدواج نمی‌كنند بلكه مثل فرشتگان آسمان خواهند بود. 31اما دربارهٔ روز قيامت، مگر در كتاب آسمانی نخوانده‌ايد كه خدا می‌فرمايد: 32من هستم خدای ابراهيم، اسحاق و يعقوب؟ پس خدا، خدای مردگان نيست، بلكه خدای زندگان می‌باشد.»

بزرگترين دستور خدا

33مردم از جواب عيسی بسيار حيرت كردند و تحت تأثير قرار گرفتند. 34‏-35اما فريسيان وقتی شنيدند كه عيسی چه جواب دندان‌شكنی به صدوقيان داده است، تصميم گرفتند خودشان او را در بحث گرفتار سازند.

از این رو، يكی از فريسی‌ها كه از علمای دينی بود، پرسيد: 36«استاد، در ميان دستورهای مذهبی كدام يک از همه مهمتر است؟»

37عيسی جواب داد: «خداوند را كه خدای توست، با تمام قلب و جان و عقل خود دوست داشته باش. 38‏-39اين اولين و مهمترین دستور خداست. دومين دستور مهم نيز مانند اولی است: همسايهٔ خود را دوست بدار، به همان اندازه كه خود را دوست می‌داری. 40تمام احكام خدا و گفتار انبیا در اين دو حكم خلاصه می‌شود و اگر شما اين دو را انجام دهيد، در واقع همه را انجام داده‌ايد.»

مسيح پسر کيست؟

41در همان حال كه فريسيان دور عيسی را گرفته بودند، از ايشان پرسيد: 42«دربارهٔ مسيح چه فكر می‌كنيد؟ او پسر كيست؟» جواب دادند: «پسر داوود پيغمبر.»

43عيسی پرسيد: «پس چرا داوود با الهام خدا، مسيح را خداوند می‌خواند؟ زيرا او در كتاب زبور گفته است: 44خدا به خداوند من گفت: به دست راست من بنشين، تا دشمنانت را زير پايهايت بيفكنم. 45چگونه ممكن است داوود پسر خود را خداوند خود بخواند؟» 46ايشان جوابی نداشتند؛ و پس از آن ديگر كسی جرأت نكرد از او سؤالی بكند.