प्रेरितमन के काम 7 – NCA & JCB

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

प्रेरितमन के काम 7:1-60

धरम-महासभा के आघू म स्तिफनुस

1तब महा पुरोहित ह स्तिफनुस ले पुछिस, “का तोर ऊपर लगाय गे दोसमन सच अंय?” 2स्तिफनुस ह जबाब दीस, “हे भाई अऊ ददा मन हो, सुनव! हमर पुरखा अब्राहम ह हारान देस म रहे के पहिली मिसुपुतामिया म रहत रिहिस, तब महिमामय परमेसर ह ओला दरसन दीस, 3अऊ अब्राहम ला कहिस, ‘तें अपन देस अऊ अपन कुटुम्ब ला छोंड़के ओ देस म चले जा, जऊन ला मेंह तोला देखाहूं।’7:3 उतपत्ती 12:1

4तब ओह कसदीमन के देस ले निकरके हारान म जाके बस गीस। ओकर ददा के मरे के बाद, परमेसर ह ओला उहां ले लानके ए देस म बसाईस, जिहां अब तुमन रहत हव7:4 कसदी के आने नांव मिसुपुतामिया रिहिस।5परमेसर ह इहां अब्राहम ला कुछू जायदाद नइं दीस। इहां तक कि गोड़ मढ़ाय के ठऊर घलो नइं। पर परमेसर ह ओकर ले वायदा करिस, ‘मेंह ए देस ला, तोर अऊ तोर पाछू तोर बंस के अधिकार म कर दूहूं।’ जबकि ओ समय अब्राहम के कोनो लइका नइं रिहिस। 6परमेसर ह ओला ए घलो कहिस, ‘तोर संतानमन आने देस म परदेसी होहीं। ओमन गुलाम बनाय जाहीं अऊ चार सौ साल तक ओमन के ऊपर अतियाचार करे जाही।’ 7फेर परमेसर ह कहिस, ‘जऊन देस के ओमन गुलाम होहीं, ओ देस ला मेंह सजा दूहूं, अऊ एकर बाद ओमन ओ देस ले निकरके इही ठऊर म मोर सेवा करहीं।’7:7 उतपत्ती 15:13-14

8तब परमेसर ह अब्राहम ले खतना कराय के वाचा (करार) बांधिस। अऊ अब्राहम के बेटा इसहाक पैदा होईस। ओकर जनम के आठ दिन के पाछू ओकर खतना करे गीस। इसहाक ले याकूब अऊ याकूब ले बारह कुल के मुखियामन पैदा होईन।

9याकूब के बड़े बेटामन छोटे बेटा यूसुफ ले जलन रखे लगिन अऊ ओला मिसर देस जवइयामन के हांथ म गुलाम के रूप में बेंच दीन। पर परमेसर ह यूसुफ के संग रहय। 10अऊ परमेसर ह ओला, ओकर जम्मो दुःख-तकलीफ ले छुड़ाके, बुद्धि दीस अऊ मिसर के राजा फिरौन के मन जीते के काबिल बनाईस। फिरौन राजा ह ओला मिसर देस अऊ अपन जम्मो महल ऊपर सासन करइया ठहराईस।

11तब जम्मो मिसर अऊ कनान देस म अकाल पड़िस, जेकर खातिर मनखेमन के ऊपर भारी संकट आ गीस, अऊ हमर पुरखामन ला खाय बर अन्न नइं मिलिस। 12जब याकूब ह ए सुनिस कि मिसर देस म अनाज हवय, त ओह हमर पुरखामन ला पहिली बार पठोईस। 13जब ओमन दूसर बार आईन, त यूसुफ ह अपन भाईमन ला बताईस कि ओह कोन ए अऊ फिरौन राजा ह यूसुफ के कुटुम्ब के बारे म जानिस। 14तब यूसुफ ह अपन ददा याकूब अऊ अपन जम्मो कुटुम्ब ला, जऊन मन पचहत्तर मनखे रिहिन, अपन करा मिसर देस म बलाईस। 15तब याकूब ह मिसर देस गीस, जिहां ओह अऊ हमर पुरखामन मर गीन। 16ओमन के लासमन ला सेकेम सहर म वापिस लाने गीस अऊ ओ कबर म रखे गीस, जऊन ला अब्राहम ह सेकेम म हमोर के बेटामन ले पईसा देके बिसोय रिहिस।

17जब ओ परतिगियां के पूरा होय के समय लकठा आईस, जऊन ला परमेसर ह अब्राहम ले करे रिहिस, त ओ समय मिसर देस म हमर मनखेमन के संख्‍या बहुंत बढ़ गे रहय। 18तब मिसर देस म एक आने झन राजा होईस, जऊन ह यूसुफ के बारे म कुछू नइं जानत रिहिस। 19ओह हमर मनखेमन ले छल-कपट करिस अऊ हमर पुरखामन के ऊपर बहुंत अतियाचार करिस अऊ दबाव डालिस कि ओमन अपन नवां जनमे लइकामन ला मरे बर बाहिर फटिक देवंय।

20ओही समय म मूसा के जनम होईस अऊ ओह बहुंत सुघर रिहिस। ओह तीन महिना तक ले अपन ददा के घर म पाले-पोसे गीस। 21पर जब ओह फटिक दिये गीस, त फिरौन के बेटी ह ओला ले लीस, अऊ अपन बेटा बनाके ओला पालिस-पोसिस। 22मूसा ला मिसर देस के जम्मो गियान सिखाय-पढ़ाय गीस। ओह बात अऊ काम करे म सामरथी रिहिस।

23जब मूसा ह चालीस साल के होईस, त अपन मन म कहिस कि मेंह अपन इसरायली भाईमन ले मुलाकात करंव। 24मूसा ह अपन एक जाति-भाई के ऊपर अनियाय होवत देखके ओला बंचाईस अऊ ओ मिसरी मनखे ला मारके बदला लीस, जऊन ह अनियाय करत रहय। 25मूसा ह सोचिस कि मोर जाति-भाईमन समझहीं कि परमेसर ह मोर दुवारा ओमन के जान बंचाही, पर ओमन नइं समझिन। 26दूसर दिन जब दू झन इसरायलीमन आपस म लड़त रिहिन, त मूसा ह उहां आईस अऊ ए कहिके ओमन म मेल कराय के कोसिस करिस, ‘ए मनखेमन! तुमन त भाई-भाई अव; एक दूसर के संग काबर लड़त हवव?’

27पर जऊन इसरायली ह दूसर ऊपर अनियाय करत रिहिस, ओह ए कहिके मूसा ला हटा दीस कि तोला कोन ह हमर ऊपर हाकिम अऊ नियाय करइया ठहराय हवय। 28का तेंह जइसने कल एक झन मिसरी मनखे ला मार डारे, वइसने मोला घलो मार डारे चाहत हवस। 29ए बात ला सुनके मूसा ह उहां ले भाग गीस अऊ मिदयान देस म आके परदेसी सहीं रहे लगिस। उहां ओकर दू झन बेटा पैदा होईन।

30जब चालीस साल बीत गे, तब एक स्‍वरगदूत ह सीनै पहाड़ के लकठा म निरजन प्रदेस म मूसा ला बरत झाड़ी के आगी म दरसन दीस। 31मूसा ह ओ दरसन ला देखके अचम्भो करिस। जब ओह ओला देखे बर अऊ लकठा म गीस, तब ओह परभू के ए अवाज सुनिस, 32‘मेंह तोर पुरखा – अब्राहम, इसहाक अऊ याकूब के परमेसर अंव।’7:32 निरगमन 3:6 एला सुनके मूसा ह डर के मारे कांपे लगिस, अऊ ओह ऊपर देखे के घलो हिम्मत नइं करिस।

33तब परभू ह मूसा ला कहिस, ‘अपन पांव के पनही ला उतार, काबरकि जऊन ठऊर म तेंह ठाढ़े हवस, ओह पबितर भुइयां ए। 34मेंह सही म मिसर देस म अपन मनखेमन के दुरदसा ला देखे हवंव। मेंह ओमन के दुःख अऊ रोवई सुने हवंव। एकरसेति, मेंह ओमन ला छोंड़ाय बर उतरे हवंव। अब तेंह आ, मेंह तोला मिसर देस वापिस पठोहूं।’7:34 निरगमन 3:5, 7, 8, 10

35जऊन मूसा ला ओमन ए कहिके नकारे रिहिन कि तोला कोन ह हमर ऊपर हाकिम अऊ नियाय करइया ठहराय हवय? ओही मूसा ला परमेसर ह हाकिम अऊ उबार करइया ठहराके, ओ स्‍वरगदूत के दुवारा ओला पठोईस, जऊन ह ओला झाड़ी म दरसन दे रिहिस, 36एही मनखे मूसा ह मिसर देस म अऊ लाल समुंदर अऊ निरजन प्रदेस म चालीस साल तक अचरज के काम अऊ चमतकार के चिन्‍हां देखा-देखाके ओमन ला गुलामी ले निकारके ले आईस। 37एह ओही मूसा ए, जऊन ह इसरायलीमन ले कहे रिहिस, ‘परमेसर ह तुम्‍हर मनखे म ले तुम्‍हर खातिर मोर सहीं एक अगमजानी ला पठोही।’7:37 ब्यवस्था 18:15 38एह ओही मूसा ए, जऊन ह निरजन प्रदेस म सभा के बीच म ओ स्‍वरगदूत के संग सीनै पहाड़ ऊपर ओकर ले गोठियाईस। ओह हमर पुरखामन के संग रिहिस। ओही मूसा ला परमेसर के जीयत बचन मिलिस कि ओह ओ जीयत बचन ला हमर करा पहुंचावय।

39पर हमर पुरखामन मूसा के बात ला नइं मानिन। ओमन मूसा ला नकारके अपन हिरदय ला फेर मिसर देस कोति लगाईन। 40ओमन हारून ला कहिन, ‘हमर बर कुछू देवता बना, जऊन ह हमर आघू-आघू चलय, काबरकि ए मूसा जऊन ह हमन ला मिसर देस ले निकारके लानिस, हमन नइं जानन कि ओला का होईस?’7:40 निरगमन 32:1 41ओ दिन म ओमन एक ठन बछवा के मूरती बनाईन अऊ ओ मूरती के आघू म बलि चघाईन। अइसने किसम ले ओमन अपन हांथ के काम म खुस होय लगिन। 42तब परमेसर ह मुहूं मोड़के ओमन ला छोंड़ दीस कि ओमन अकास के तारामन के पूजा करंय, जइसने कि अगमजानीमन के किताब म लिखे हवय:

‘हे इसरायल के मनखेमन, का तुमन निरजन प्रदेस म चालीस साल तक बलिदान

अऊ दान मोला ही चघावत रहेव?

43नइं, तुमन ह मोलेक के तम्‍बू

अऊ अपन रिफान देवता के तारा ला लेके फिरत रहेव,

याने कि ओ मूरतीमन जऊन ला तुमन पूजा करे बर बनाय रहेव।

एकरसेति, मेंह तुमन ला बाबूल के बाहिर ले जाके बहुंत दूरिहा म बसाहूं।’

44गवाही के तम्‍बू ह निरजन प्रदेस म हमर पुरखामन के संग रिहिस। परमेसर ह मूसा ला कहे रिहिस, ‘जऊन नमूना ला तेंह देखे हवस, ओकरे मुताबिक ओला बना7:44 परमेसर ह दस हुकूम ला पथरा के दू ठन पटिया म लिखिस अऊ एला मूसा ला दे दीस ताकि इसरायली मनखेमन ए हुकूममन मानंय। ए पथरा के पटियामन ला “गवाही” कहे जावय (देखव – निरगमन 25:16, 21)। ए पटियामन तम्‍बू म संदूक के भीतर रखाय रिहिन।।’ 45ओह ओही नमूना के मुताबिक बनाय गीस। ओहीच तम्‍बू ला हमर पुरखामन पाछू यहोसू के संग ए ठऊर म लानिन जब ओमन आनजातमन के देस म अधिकार पाईन, जऊन मन ला परमेसर ह हमर पुरखामन के आघू ले निकार दीस। अऊ ओह दाऊद के समय तक रिहिस। 46दाऊद के ऊपर परमेसर के दया रिहिस अऊ दाऊद ह बिनती करिस, ‘मेंह याकूब के परमेसर बर रहे के ठऊर बनाहूं।’ 47पर सुलेमान ह परमेसर खातिर घर बनाईस। 48पर परम परधान परमेसर ह मनखे के बनाय घरमन म नइं रहय, जइसने कि अगमजानी ह कहिथे:

49‘परभू ह कहिथे – स्‍वरग ह मोर सिंघासन अऊ धरती ह मोर गोड़ रखे के चौकी अय।

मोर बर तुमन कइसने घर बनाहू?

या मोर बिसराम के ठऊर कहां होही?

50का ए जम्मो चीजमन मोर हांथ के बनाय नो हंय?’7:50 यसायाह 66:1-2

51हे ढीठ मनखेमन! तुमन परमेसर के संदेस ला सुने नइं चाहत हव। तुमन हमेसा पबितर आतमा के बिरोध करथव, जइसने तुम्‍हर पुरखामन करत रिहिन। 52अगमजानीमन ले कोन ला तुम्‍हर पुरखामन नइं सताय हवंय? ओमन ओ संदेसियामन ला मार डारिन, जऊन मन ओ धरमी जन के आय के खबर बहुंत पहिली दे रिहिन। अऊ अब तुमन घलो ओला धोखा दे हवव अऊ मार डारे हवव। 53तुमन स्‍वरगदूत के दुवारा लाने कानून ला त पाय हवव, पर ओकर पालन नइं करेव।”

स्तिफनुस के ऊपर पत्थरवाह

54ए बात ला सुनके ओमन अब्‍बड़ गुस्सा करिन अऊ ओकर ऊपर दांत पिसन लगिन। 55पर स्तिफनुस ह पबितर आतमा ले भरके, स्‍वरग कोति देखिस अऊ ओह परमेसर के महिमा अऊ यीसू ला परमेसर के जेवनी कोति ठाढ़े देखिस। 56अऊ ओह कहिस, “देखव! मेंह स्‍वरग ला खुला, अऊ मनखे के बेटा ला परमेसर के जेवनी कोति ठाढ़े देखत हवंव।” 57तब ओमन अब्‍बड़ चिचियाके अपन कान ला बंद कर लीन, अऊ ओ जम्मो झन ओकर ऊपर लपकिन, 58अऊ ओला घसीटत नगर के बाहिर ले गीन, अऊ उहां ओला पत्थरवाह करे लगिन। अऊ गवाहमन अपन-अपन ओन्ढा ला साऊल नांव के एक जवान के जिम्मा म उतारके रख दीन।

59जब ओमन स्तिफनुस ला पत्थरवाह करत रहंय, त ओह ए कहिके पराथना करिस, “हे परभू यीसू! मोर आतमा ला गरहन कर।” 60तब ओह माड़ी टेकके चिचियाके कहिस, “हे परभू! ए पाप ला ओमन ऊपर झन लगा।” ए कहिके ओह मर गीस अऊ साऊल के ओकर हतिया म सहमती रिहिस।

Japanese Contemporary Bible

使徒の働き 7:1-60

7

1大祭司はステパノに、「この訴えのとおりか」と問いただしました。

2ステパノは、答弁を始めました。「お聞きください、皆さん。先祖アブラハムがまだメソポタミヤに住んでいたころ、栄光に輝く神様が彼に現れました。 3そして、故郷を離れ、親族とも別れて、神様の命じる国へ行くように、とおっしゃいました。 4そこでアブラハムはカルデヤ人の地を離れ、シリヤのハランに移り、父親が死ぬまでそこに住みました。そのあと神様は、彼をこの地に連れて来られたのです。 5ところがそこには、彼の土地はたったの一坪もなく、その上、子どももいませんでした。にもかかわらず、神様は、やがてこの地が全部、アブラハムとその子孫のものになると約束されたのです。 6同時に、子孫たちがこの地を去って外国に住み、四百年のあいだ奴隷になるとも言われました。 7ただ、『わたしは、彼らを奴隷とした国民を必ず罰する。その後、あなたの子孫はこの地に戻り、ここでわたしを礼拝するようになる』創世15・13-14との約束を添えて……。

8神様はまた、その時、割礼の儀式(男子が生まれて八日目に、その性器の包皮を切り取る儀式)を定め、それを神とアブラハムの子孫との契約の証拠となさいました。それで、アブラハムの息子イサクは、生後八日目に割礼を受けたのです。このイサクの息子がヤコブで、ヤコブからユダヤ民族の十二部族の長が生まれました。 9その一人ヨセフは、ほかの兄弟たちのねたみを買い、エジプトに奴隷として売られました。しかし神様は、ヨセフと共にいて、 10あらゆる苦境から彼を救い出し、エジプトの王パロの前で彼に恵みを与えられたのです。神様がヨセフにすばらしい知恵を与えたので、パロはヨセフを、エジプト全土を治める大臣に取り立て、宮中の管理もいっさい任せました。

11やがてエジプトとカナンの全土に大ききんが起こり、先祖たちは、たいへんな苦境に陥りました。食料がなくなったのです。 12話に聞くと、エジプトにはまだ穀物があるそうです。ヤコブはさっそく息子たちを差し向けて、食料を買わせました。 13彼らが二度目に買いに来た時、ヨセフは自分のことを兄弟たちに打ち明け、パロもヨセフの家族のことを知りました。それで、 14ヨセフは人を遣わして、父ヤコブと兄弟たちの一族、総勢七十五人をエジプトに招きました。 15こうして、ヤコブと息子たちはエジプトに住み、そこで死にました。 16遺体はみなシケムに持ち帰られ、アブラハムがシケムのハモルの子から買った墓地に葬られました。

17神様がアブラハムに立てた、彼の子孫を奴隷から解放するという約束の時が近づくにつれ、ユダヤ人の人口は、エジプトでどんどんふくれ上がっていきました。 18そのうち、ヨセフのことを知らない王が即位し、 19ユダヤ人に悪巧みをはかり、親たちに子どもを捨てさせたのです。

20モーセが生まれたのは、ちょうどこのような時でした。彼は神の目にかなった、かわいらしい子どもでした。両親は、三か月の間、家の中に隠しておきましたが、 21とうとう隠しきれなくなり、しかたなく捨てることにしました。ところが、エジプト王パロの娘がその子を見つけ、養子として育てることになったのです。 22こうして、モーセはエジプトの最高の教育を受け、たくましく、雄弁な王子に成長しました。

23四十歳の誕生日が近づいたある日、モーセは、同胞のイスラエル人のところへ行ってみよう、と思い立ちました。 24ところが、行ってみると、どうでしょう。一人のエジプト人が、イスラエル人を虐待しているではありませんか。モーセはイスラエル人をかばおうとの一心から、相手のエジプト人を殺してしまいました。 25モーセは、イスラエル人を助けるために神が自分を遣わされていることを、みなが認めてくれるものと思い込んでいましたが、現実はそうではありませんでした。

26翌日、もう一度出かけて行くと、今度はイスラエル人同士で争っているのにぶつかりました。モーセは間に割って入り、『兄弟同士じゃないか。けんかなんかやめなさい』と押しとどめました。

27すると、相手を痛めつけていたほうの男がモーセを押しのけて言いました。『だれがあんたを、おれたちの支配者や裁判官にしたんだ。 28昨日、あのエジプト人を殺したみたいに、おれまでも殺そうとするのか。』

29これを聞いて、モーセはまずいことになったと、エジプトを逃げ出し、ミデアンの地に身を寄せました。そこで、二人の子どもをもうけたのです。

30それから四十年の歳月が流れました。ある日のことです。シナイ山に近い荒野で、モーセの前に天使が柴の燃える炎の中に現れました。 31彼はその光景に驚き、何事かと近寄ってみると、主の声が聞こえてきました。 32『わたしはあなたの先祖、アブラハム、イサク、ヤコブの神である。』モーセはすっかり震え上がり、顔を上げる勇気もありませんでした。

33主は続けて語られました。『くつを脱ぎなさい。あなたの立っている所は聖なる地だから。 34わたしは、エジプトで苦しめられているわたしの民の姿を見、またその叫びを聞いた。わたしは彼らを救い出そうと下って来たのだ。行け。わたしが、あなたをエジプトに遣わす。』 35こうして神様は、『だれがあなたを、おれたちの支配者や裁判官にしたのか』とユダヤ人たちに退けられたモーセを、もう一度、エジプトに帰らせたのです。モーセは初めて、イスラエル人の支配者、また解放者となったのです。 36モーセは、数々の驚くべき奇跡によって、人々をエジプトから連れ出し、紅海を横断して、四十年にわたる荒野での生活を導きました。

37このモーセが、『神様はあなたがたの中から、私のような預言者をお立てになる』と、イスラエルの人々に宣言したのです。 38モーセは荒野では、神と人との仲介者でした。すなわち、シナイ山で、神のいのちのことばを天使から受け、それをイスラエルの人々に与える役を果たしたのです。

39しかし私の先祖たちは、モーセの言うことに従おうとせず、しきりにエジプトに帰りたがりました。 40そしてアロンに、『私たちをエジプトに連れ帰ってくれる神々の像を造ってください。私たちをエジプトから連れ出したモーセは、どうなったかわからないから』と迫りました。 41彼らは子牛の像を造って、供え物をささげ、自分たちが造った物で楽しんでいました。

42-43このため、神様は彼らに背を向け、彼らが日や月や星を神と思って仕えるのを放っておかれました。神である主は、預言者アモスの書の中で、こう語っておられます。

『イスラエルよ。あなたがたは

四十年の荒野の生活で、

わたしに、いけにえをささげたことがあるか。

いや、あなたがたのほんとうの関心は、

異教徒の偶像にあったのだ。

モロクの神や星の神ロンパ、

そのほか自分たちで造った偶像に。

だから、わたしはあなたがたを、

バビロンのかなたへ捕らわれの身とする。』アモス5・25-27

44荒野の旅で、先祖たちは、神殿の代わりに持ち運びのできる幕屋を携えていました。その中には、神様が下さった十戒を彫った、石の板が二枚ありました。この幕屋は、神様がモーセに指示なさったとおり、寸分の狂いもなく造ってありました。 45先祖たちは代々、この幕屋を受け継ぎ、ヨシュアの指揮のもとに外国と戦って得た新しい領土に運び込み、ダビデ王の時代までありました。

46さて、神様はダビデ王をたいへん祝福なさいました。ダビデ王は、ヤコブの神のために永久に残る神殿を建てさせてくださいと熱心に願いましたが、 47実際に建てたのは、息子のソロモン王でした。 48-50しかし神様は、人間が造った神殿にはお住みにならないのです。主は預言者の口を通して、次のように語っておられます。

『主は言われる。

天はわたしの王座、

地はわたしの足台。

いったいどのような家を

わたしのために建てようというのか。

わたしが、そのような所にとどまるだろうか。

わたしが、天と地とを造ったのではないか。』イザヤ66・1-2

51あなたがたはほんとうに強情な異教徒です。いつまで聖霊にそむき続けるのですか、かつての先祖たちのように。 52あなたがたの先祖が迫害しなかった預言者の名をあげることができたら、一人でもいいから言ってごらんなさい。もっとも、先祖たちは、正しい方がおいでになると預言した人たちを殺したのですが、あなたがたは、当のメシヤ(救い主)を裏切り、殺したのです。 53あなたがたは、天使たちを通して受けた律法を破ったのです。」

ステパノの死

54この告発に、ユダヤ人の指導者たちの怒りは爆発しました。彼らは歯ぎしりしてくやしがりました。 55しかし、ステパノは聖霊に満たされ、ぐっと頭をもたげて天を見上げました。その目には、神の栄光と神の右に立っておられるイエスの姿が見えました。 56「ごらんなさい。天が開けて、メシヤであるイエス様が、神の右に立っておられます。」

57しかし、そのとき人々は耳をおおい、割れんばかりの大声をあげ、ステパノ目がけて殺到したので、彼の声はほとんど聞き取れないほどでした。 58人々はステパノを石で打ち殺そうと、町の外に引きずり出しました。証人たち〔死刑執行人たち〕は上着を脱ぎ、パウロという青年の足もとに置きました。

59石が雨あられと飛んで来る中で、ステパノは祈りました。「主イエスよ。私の霊を迎え入れてください。」 60そして、ひざまずき、「主よ。どうぞこの罪の責任を、この人たちに負わせないでください!」と大声で叫んだかと思うと、ついに息絶えました。