प्रेरितमन के काम 17 – New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी) NCA

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

प्रेरितमन के काम 17:1-34

थिस्‍सलुनीके सहर म

1पौलुस अऊ सीलास अमफिपुलिस अऊ अपुलोनिया सहर ले होवत थिस्‍सलुनीके सहर म आईन, जिहां यहूदीमन के एक सभा घर रिहिस। 2जइसने कि पौलुस के आदत रिहिस, ओह सभा घर म गीस अऊ तीन बिसराम के दिन तक ओमन के संग परमेसर के बचन म ले तर्क देके बताईस। 3ओह ए साबित करत ओमन ला समझाईस कि मसीह ला दुःख उठाना अऊ मरे म ले जी उठना जरूरी रिहिस। एहीच यीसू जेकर बारे, मेंह तुमन ला बतावत हंव, मसीह अय। 4तब उहां के कुछू यहूदी अऊ परमेसर के भय मनइया कतको यूनानी मनखे अऊ नामी माईलोगन मन ओकर बात ला मान लीन अऊ ओमन पौलुस अऊ सीलास के संग मिल गीन।

5पर यहूदीमन जलन ले भर गीन। एकरसेति ओमन बजार ले कुछू खराप मनखेमन ला अपन संग मिला लीन अऊ भीड़ लगाके सहर म हो-हल्‍ला मचाय लगिन। पौलुस अऊ सीलास के खोज म ओमन यासोन के घर आईन ताकि ओमन ला भीड़ के आघू म लानय। 6पर जब ओमन ला पौलुस अऊ सीलास उहां नइं मिलिन, त यासोन अऊ कुछू आने भाईमन ला घसीटत सहर के अधिकारीमन करा लानिन अऊ चिचियाके कहिन, “ए मनखे जऊन मन जम्मो ठऊर म समस्या खड़े करे हवंय, अब इहां आय हवंय। 7अऊ यासोन ह ओमन ला अपन घर म रखे हवय अऊ ए जम्मो झन महाराजा के हुकूम के बिरोध करके कहत हवंय कि यीसू नांव के एक आने राजा हवय।” 8जब भीड़ के मनखे अऊ सहर के अधिकारीमन ए बात ला सुनिन, त ओमन म कोलाहल मच गीस। 9तब ओमन यासोन अऊ बाकि भाईमन ले जमानत लेके ओमन ला छोंड़ दीन।

बिरिया सहर म

10रतिहा होतेच ही, भाईमन पौलुस अऊ सीलास ला बिरिया सहर पठो दीन। उहां हबरके ओमन यहूदीमन के सभा घर म गीन। 11बिरिया के मनखेमन थिस्‍सलुनीके सहर के मनखेमन ले जादा बने सुभाव के रिहिन, काबरकि ओमन बड़े उत्साह के संग परमेसर के बचन ला गरहन करिन अऊ हर एक दिन ए जाने बर परमेसर के बचन म ले खोजंय कि पौलुस जऊन बात कहत हवय, ओह सच ए कि नइं। 12उहां के बहुंते यहूदीमन बिसवास करिन अऊ बहुंत संख्‍या म नामी यूनानी माईलोगन अऊ यूनानी मनखेमन घलो बिसवास करिन। 13जब थिस्‍सलुनीके के यहूदीमन ला ए पता चलिस कि पौलुस ह बिरिया म परमेसर के बचन के परचार करत हवय, त ओमन उहां घलो पहुंच गीन अऊ मनखे के भीड़ ला भड़काईन अऊ हो-हल्‍ला मचाय लगिन। 14तब भाईमन तुरते पौलुस ला समुंदर तीर म पठो दीन, पर सीलास अऊ तीमुथियुस बिरिया म रूक गीन। 15ओ मनखे जऊन मन पौलुस ला पहुंचाय गे रिहिन, ओमन ओला अथेने सहर म ले आईन अऊ सीलास अऊ तीमुथियुस बर पौलुस के ए संदेस लेके लहुंटिन कि ओमन जतकी जल्दी हो सके, पौलुस करा आ जावंय।

अथेने सहर म

16जब पौलुस ह अथेने म सीलास अऊ तीमुथियुस के बाट जोहत रिहिस, तब सहर ला मूरतीमन ले भरे देखके ओह बहुंत उदास होईस। 17एकरसेति ओह सभा घर म यहूदीमन ले अऊ परमेसर के भक्त यूनानीमन ले अऊ बजार म जऊन कोनो मिलंय, ओमन ले हर दिन बहस करय। 18कुछू इपिकूरी अऊ इस्तोईकी पंडितमन ओकर ले बिवाद करन लगिन। ओम ले कुछू झन कहिन, “ए बकवादी ह का कहे चाहत हवय?” अऊ आने मन कहिन, “अइसने जान पड़थे कि ओह बिदेसी देवतामन के बारे म गोठियावत हवय।” काबरकि पौलुस ह यीसू के अऊ ओकर मरे म ले जी उठे के परचार करत रहय। 19तब ओमन पौलुस ला ले गीन अऊ ओला अरियुपगुस के सभा म लानिन अऊ ओकर ले पुछिन, “का हमन जान सकथन कि ए जो नवां बात तेंह बतावत हवस, एह का ए17:19 अरियुपगुस, मार्स पहाड़ी अऊ अथेने सहर के खास अदालत ला दरसाथे अऊ ए अदालत के काम ह ओ पहाड़ी ऊपर होवय।? 20तेंह हमन ला भाला रकम के बात बतावत हस। हमन जाने बर चाहथन कि एमन के का मतलब होथे?” 21(अथेने सहर के जम्मो रहइया अऊ परदेसी जऊन मन उहां रहत रिहिन, ओमन नवां – नवां बात कहे अऊ सुने के छोंड़ अऊ कोनो काम म समय नइं बितावत रिहिन)।

22तब पौलुस ह अरियुपगुस के सभा म ठाढ़ होके कहिस, “हे अथेने सहर के मनखेमन, मेंह देखत हंव कि तुमन हर बात म बहुंत धारमिक अव। 23जइसने कि मेंह घूमत-घूमत तुम्‍हर पूजा-पाठ के चीजमन ला देखत रहेंव, त मोला एक ठन अइसने बेदी दिखिस, जऊन म ए लिखाय रहय – ‘एक अनजान ईसवर खातिर’। जऊन ला तुमन बिगर जाने पूजा करत हव, मेंह ओकरेच सुघर संदेस तुमन ला सुनाय चाहत हवंव।

24जऊन परमेसर ह संसार अऊ ओम के जम्मो चीजमन ला बनाईस, ओह स्‍वरग अऊ धरती के परभू ए अऊ ओह मनखे के बनाय मंदिरमन म नइं रहय। 25अऊ न तो ओला कोनो चीज के घटी हवय कि मनखे ह काम करके ओकर पूरती कर सकय, काबरकि ओह खुद जम्मो झन ला जिनगी अऊ परान अऊ जम्मो कुछू देथे। 26ओह एकेच मनखे ले जम्मो जात के मनखेमन ला बनाईस कि ओमन जम्मो धरती म रहंय। ओह ओमन बर समय अऊ रहे-बसे के जगह ठहराईस। 27परमेसर ह अइसने करिस ताकि ओमन परमेसर के खोज म रहंय अऊ ओकर करा पहुंचके ओला पा जावंय। तभो ले, ओह हमन ले कोनो ले दूरिहा नइं ए। 28काबरकि ओही म हमन जीयत अऊ चलत-फिरत हवन अऊ हमर जिनगी हवय। जइसने कि तुम्‍हर कुछू कबिमन कहे हवंय, ‘हमन ओकर संतान अन।’

29एकरसेति जब हमन परमेसर के संतान अन, त हमन ला ए नइं सोचना चाही कि ईसवर ह सोना या चांदी या पथरा के मूरती सहीं ए, जऊन ह मनखे के कारीगरी अऊ सोच ले बनाय जाथे। 30पहिली समय म, परमेसर ह ए किसम के मनखे के अगियानता ला धियान नइं दीस, पर अब ओह हर जगह जम्मो मनखेमन ला पाप ले मन फिराय के हुकूम देवत हवय। 31काबरकि ओह एक ठन दिन ठहराय हवय, जब ओह अपन ठहराय मनखे के दुवारा संसार के नियाय सही-सही करही। परमेसर ह ओ मनखे ला मरे म ले जियाके ए बात के सबूत जम्मो मनखेमन ला दे हवय।”

32जब ओमन मरे मनखेमन के फेर जी उठे के बात ला सुनिन, त कुछू मनखेमन पौलुस के हंसी उड़ाईन, पर आने मन कहिन, “एकर बारे म हमन तोर ले फेर कभू सुनबो।” 33एकरसेति पौलुस ह सभा ले निकरके चले गीस। 34तभो ले कुछू मनखेमन पौलुस के बात ला मानिन अऊ बिसवास करिन। ओमन म दियुनुसियुस जऊन ह अरियुपगुस सभा के सदस्य रिहिस अऊ दमरिस नांव के एक माईलोगन घलो रिहिस। ओमन के संग कुछू अऊ मनखेमन घलो रिहिन।