هوشع 11 – NAV & HCV

Ketab El Hayat

هوشع 11:1-12

محبة الله لبني إسرائيل

1عِنْدَمَا كَانَ إِسْرَائِيلُ صَغِيراً أَحْبَبْتُهُ، وَمِنْ مِصْرَ دَعَوْتُ ابْنِي. 2لَكِنْ كُلَّمَا دَعَاهُمُ الأَنْبِيَاءُ لِعِبَادَتِي أَعْرَضُوا عَنِّي، ذَابِحِينَ قَرَابِينَ لِلْبَعْلِ، وَمُصْعِدِينَ بَخُوراً لِلأَوْثَانِ. 3أَنَا الَّذِي دَرَّبْتُ إِسْرَائِيلَ عَلَى الْمَشْيِ، وَحَمَلْتُهُ عَلَى ذِرَاعَيَّ، وَلَكِنَّهُمْ لَمْ يُدْرِكُوا أَنِّي أَنَا الَّذِي أَبْرَأْتُهُمْ. 4قُدْتُهُمْ بِحِبَالِ اللُّطْفِ الْبَشَرِيَّةِ وَبِرُبُطِ الْمَحَبَّةِ، فَكُنْتُ لَهُمْ كَمَنْ يَرْفَعُ النِّيرَ عَنْ أَعْنَاقِهِمْ وَيَنْحَنِي بِنَفْسِهِ لِيُطْعِمَهُمْ.

5وَلَكِنَّهُمْ رَفَضُوا أَنْ يَتَحَوَّلُوا إِلَيَّ تَائِبِينَ، لِذَلِكَ لَنْ يَرْجِعُوا إِلَى مِصْرَ بَلْ يُصْبِحُ أَشُّورُ مَلِكاً عَلَيْهِمْ. 6يَهْجِمُ السَّيْفُ عَلَى مُدُنِهِمْ، وَيَلْتَهِمُ بَوَّابَاتِهَا، وَيُهْلِكُهُمْ لِمَشُورَاتِهِمِ الْخَاطِئَةِ. 7قَدْ وَطَّدَ شَعْبِي الْعَزْمَ عَلَى الاِرْتِدَادِ عَنِّي، لِهَذَا وَلَوِ اسْتَغَاثُوا بِالْعَلِيِّ، فَإِنَّهُمْ لَا يَجِدُونَ مَنْ يَرْفَعُ النِّيرَ عَنْهُمْ.

8كَيْفَ أَتَخَلَّى عَنْكَ يَا أَفْرَايِمُ؟ وَكَيْفَ أُسَلِّمُكَ إِلَى الْعَدُوِّ يَا إِسْرَائِيلُ؟ كَيْفَ أُعَامِلُكَ كَمَا عَامَلْتُ أَدَمَةَ؟ وَكَيْفَ أُجْرِي عَلَيْكَ مَا أَجْرَيْتُهُ عَلَى صَبُوئِيمَ؟ إِنَّ قَلْبِي يَتَلَوَّى أَسىً فِي دَاخِلِي وَتَضْرَمُ فِيَّ مَرَاحِمِي. 9لَنْ أُنَفِّذَ فِيهِمْ قَضَاءَ احْتِدَامِ غَضَبِي، وَلَنْ أُدَمِّرَ أَفْرَايِمَ ثَانِيَةً، لأَنِّيَ اللهُ لَا إِنْسَانٌ، أَنَا الْقُدُّوسُ الَّذِي فِي وَسَطِكَ لَا أُقْبِلُ عَلَيْكُمْ بِسَخَطٍ.

10يَسِيرُونَ وَرَائِي أَنَا الرَّبَّ، فَأَزْأَرُ كَالأَسَدِ، وَعِنْدَئِذٍ يُسْرِعُ أَبْنَائِي قَادِمِينَ مِنَ الْغَرْبِ. 11وَيُهْرَعُونَ كَالطُّيُورِ مِنْ مِصْرَ، وَكَحَمَامٍ مِنْ أَرْضِ أَشُّورَ، وَأَرُدُّهُمْ إِلَى بُيُوتِهِمْ.

خطيئة إسرائيل

12لَقَدْ حَاصَرَنِي أَفْرَايِمُ بِالْكَذِبِ وَبَيْتُ إِسْرَائِيلَ بِالنِّفَاقِ، وَمَازَالَ يَهُوذَا شَارِداً عَنِّي أَنَا اللهِ الْقُدُّوسِ الأَمِينِ.

Hindi Contemporary Version

होशेआ 11:1-12

इस्राएल के प्रति परमेश्वर का प्रेम

1“जब इस्राएल बालक था, मैंने उससे प्रेम किया,

और मिस्र देश से मैंने अपने पुत्र को बुलाया.

2पर जितना ज्यादा उनको बुलाया गया,

उतना ज्यादा वे मुझसे दूर होते गये.

वे बाल देवताओं के लिये बलि चढ़ाते थे

और उन्होंने मूर्तियों के आगे धूप जलाया है.

3वह मैं ही था, जिसने एफ्राईम को

हाथ पकड़कर चलना सिखाया;

परंतु उन्होंने इस बात को न जाना

कि वह मैं ही था, जिसने उन्हें चंगा किया.

4मैंने मानवीय दया की डोरी,

और प्रेम के बंधन से उनकी अगुवाई की.

उनके लिये मैं वैसा था जैसे

कोई छोटे बच्‍चे को गाल तक उठाता है,

और मैं झुककर उन्हें खाना खिलाता था.

5“क्या वे मिस्र देश नहीं लौटेंगे

और अश्शूर का राजा उन पर शासन नहीं करेगा

क्योंकि वे प्रायश्चित करना नहीं चाहते?

6उनके शहरों में एक तलवार चमकेगी;

वह उनके झूठे भविष्यवक्ताओं को मार डालेगी

और उनकी योजनाओं का अंत कर देगी.

7मेरे लोग मुझसे दूर जाने का ठान लिये हैं.

यद्यपि वे मुझे सर्वोच्च परमेश्वर कहते हैं,

मैं उनकी किसी भी प्रकार से प्रशंसा नहीं करूंगा.

8“हे एफ्राईम, मैं तुम्हें कैसे छोड़ सकता हूं?

हे इस्राएल, मैं तुम्हें किसी और को सौंप दूं?

मैं तुम्हारे साथ अदमाह के जैसे व्यवहार कैसे कर सकता हूं?

मैं तुम्हें ज़ेबोईम के समान कैसे बना सकता हूं?

मेरा हृदय मेरे भीतर बदल गया है;

मेरी सारी करुणा जागृत होती है.

9मैं अपने भयंकर क्रोध के अनुसार नहीं करूंगा,

न ही मैं एफ्राईम को फिर से नाश करूंगा.

क्योंकि मैं परमेश्वर हूं, मनुष्य नहीं—

तुम्हारे बीच एक पवित्र जन.

मैं उनके शहरों के विरुद्ध नहीं आऊंगा.

10वे याहवेह के पीछे चलेंगे;

याहवेह एक-एक सिंह के समान गरजेंगे.

जब वह गरजेंगे,

तो उनकी संतान कांपती हुई पश्चिम दिशा से आएंगी.

11वे मिस्र देश से,

गौरेया पक्षी की तरह कांपती हुई,

और अश्शूर देश से पंड़की की तरह पंख फड़फड़ाते हुए आएंगी.

मैं उन्हें उनके घरों में बसाऊंगा,”

याहवेह घोषणा करते हैं.

इस्राएल का पाप

12एफ्राईम ने मेरे चारों ओर झूठ का,

और इस्राएल ने छल का ढेर लगा दिया है.

और यहूदाह उद्दंडता से परमेश्वर के विरुद्ध है,

और तो और वह विश्वासयोग्य पवित्र जन के विरुद्ध है.