ملوك الثاني 5 – NAV & HCV

Ketab El Hayat

ملوك الثاني 5:1-27

شفاء نعمان من البرص

1وَكَانَ نُعْمَانُ قَائِدُ جَيْشِ مَلِكِ أَرَامَ يَتَمَتَّعُ بِمَكَانَةٍ سَامِيَةٍ عِنْدَ سَيِّدِهِ لأَنَّ الرَّبَّ حَقَّقَ لأَرَامَ النَّصْرَ عَلَى يَدِهِ. وَكَانَ نُعْمَانُ بَطَلاً صِنْدِيداً، إِلّا أَنَّهُ كَانَ مُصَاباً بِالْبَرَصِ. 2وَسَبَى الأَرَامِيُّونَ فِي إِحْدَى غَزَوَاتِهِمِ الَّتِي أَغَارُوا فِيهَا عَلَى أَرْضِ إِسْرَائِيلَ فَتَاةً صَغِيرَةً، صَارَتْ خَادِمَةً لِزَوْجَةِ نُعْمَانَ. 3فَقَالَتْ لِمَوْلاتِهَا: «يَا لَيْتَ سَيِّدِي يَمْثُلُ أَمَامَ النَّبِيِّ الَّذِي فِي السَّامِرَةِ، فَيَنَالَ الشِّفَاءَ مِنْ بَرَصِهِ». 4فَمَثَلَ نُعْمَانُ أَمَامَ الْمَلِكِ وَأَبْلَغَهُ حَدِيثَ الْجَارِيَةِ الإِسْرَائِيلِيَّةِ.

5فَقَالَ مَلِكُ أَرَامَ: «انْطَلِقْ، وَسَأَبْعَثُ رِسَالَةً إِلَى مَلِكِ إِسْرَائِيلَ». فَتَوَجَّهَ نُعْمَانُ إِلَى أَرْضِ إِسْرَائِيلَ حَامِلاً مَعَهُ وَعَشَرَ وَزَنَاتٍ مِنَ الْفِضَّةِ (نَحْوَ سِتَّةٍ وَثَلاثِينَ كِيلُو جِرَاماً) وَسِتَّةَ آلافِ شَاقِلٍ مِنَ الذَّهَبِ (نَحْوَ اثْنَيْنِ وَسَبْعِينَ كِيلُو جِرَاماً)، وَعَشَرَ حُلَلٍ مِنَ الثِّيَابِ، 6وَسَلَّمَ الرِّسَالَةَ إِلَى مَلِكِ إِسْرَائِيلَ، وَقَدْ وَرَدَ فِيهَا: «وَحَالَ تَسَلُّمِكَ لِهَذِهِ الرِّسَالَةِ اشْفِ نُعْمَانَ خَادِمِي الَّذِي أَرْسَلْتُهُ إِلَيْكَ مِنْ بَرَصِهِ». 7فَلَمَّا اطَّلَعَ مَلِكُ إِسْرَائِيلَ عَلَى الرِّسَالَةِ مَزَّقَ ثِيَابَهُ وَقَالَ: «هَلْ أَنَا اللهُ حَتَّى أُمِيتَ وَأُحْيِيَ، فَيُرْسِلَ إِلَيَّ هَذَا لِكَيْ أَشْفِيَ رَجُلاً مِنْ بَرَصِهِ؟ اعْلَمُوا أَنَّهُ يُحَاوِلُ أَنْ يَجِدَ مُبَرِّراً لِمُحَارَبَتِنَا».

8وَلَمَّا سَمِعَ أَلِيشَعُ رَجُلُ اللهِ أَنَّ مَلِكَ إِسْرَائِيلَ قَدْ مَزَّقَ ثِيَابَهُ، بَعَثَ إِلَيْهِ يَقُولُ: «لِمَاذَا مَزَّقْتَ ثِيَابَكَ؟ دَعْهُ يَأْتِي إِلَيَّ فَيَعْلَمَ أَنَّهُ يُوْجَدُ حَقّاً نَبِيٌّ فِي إِسْرَائِيلَ». 9فَأَقْبَلَ نُعْمَانُ بِخَيْلِهِ وَمَرْكَبَاتِهِ وَوَقَفَ عِنْدَ بَابِ بَيْتِ أَلِيْشَعَ، 10فَوَجَّهَ إِلَيْهِ أَلِيشَعُ رَسُولاً يَقُولُ: «اذْهَبْ وَاغْتَسِلْ سَبْعَ مَرَّاتٍ فِي نَهْرِ الأُرْدُنِّ، فَتَنَالَ الشِّفَاءَ». 11فَغَضِبَ نُعْمَانُ وَانْصَرَفَ قَائِلاً: «ظَنَنْتُ أَنَّهُ يَخْرُجُ لِلِقَائِي وَيَقِفُ أَمَامِي، وَيَدْعُو بِاسْمِ الرَّبِّ إِلَهِهِ، وَيَمُرُّ بِيَدِهِ فَوْقَ مَوْضِعِ الْبَرَصِ، فَأَبْرَأُ. 12أَلَيْسَ أَبَانَةُ وَفَرْفَرُ نَهْرَا دِمَشْقَ أَفْضَلَ مِنْ جَمِيعِ مِيَاهِ إِسْرَائِيلَ؟ أَلَمْ يَكُنْ فِي إِمْكَانِي الاغْتِسَالُ فِيهِمَا فَأَطْهُرَ؟» فَانْصَرَفَ وَقَدِ اعْتَرَاهُ الْغَيْظُ. 13فَتَقَدَّمَ مِنْهُ رِجَالُهُ وَقَالُوا: «يَا أَبَانَا، لَوْ طَلَبَ النَّبِيُّ مِنْكَ الْقِيَامَ بِأَمْرٍ عَظِيمٍ، أَمَا كُنْتَ تَصْنَعُهُ؟ فَكَمْ بِالأَحْرَى إِنْ قَالَ لَكَ اغْتَسِلْ وَاطْهُرْ؟»

14فَنَزَلَ نُعْمَانُ إِلَى نَهْرِ الأُرْدُنِّ وَغَطَسَ فِيهِ سَبْعَ مَرَّاتٍ، كَمَا أَمَرَ رَجُلُ اللهِ، فَرَجَعَ لَحْمُهُ كَلَحْمِ صَبِيٍّ صَغِيرٍ، وَطَهُرَ مِنْ بَرَصِهِ. 15فَرَجَعَ إِلَى رَجُلِ اللهِ مَعَ سَائِرِ جَيْشِهِ وَدَخَلَ وَوَقَفَ أَمَامَهُ قَائِلاً: «لَقَدْ أَدْرَكْتُ أَنَّهُ لَا يُوْجَدُ إِلَهٌ فِي كُلِّ الأَرْضِ إِلّا فِي إِسْرَائِيلَ، فَأَرْجُوكَ أَنْ تَقْبَلَ الآنَ هَدِيَّةً مِنْ عَبْدِكَ». 16فَأَجَابَ أَلِيشَعُ: «حَيٌّ هُوَ الرَّبُّ الَّذِي أَنَا وَاقِفٌ فِي حَضْرَتِهِ، إِنِّي لَا أَقْبَلُ مِنْكَ هَدِيَّةً». فَأَلَحَّ عَلَيْهِ أَنْ يَقْبَلَ مِنْهُ الْهَدِيَّةَ، فَأَبَى أَلِيشَعُ. 17عِنْدَئِذٍ قَالَ نُعْمَانُ: «إِذاً، أَرْجُو أَنْ يُعْطَى عَبْدُكَ حِمْلَ بَغْلَيْنِ مِنَ التُّرَابِ، لأَنَّهُ لَنْ يُقَرِّبَ بَعْدَ الْيَوْمِ مُحْرَقَةً وَلا ذَبِيحَةً لِآلِهَةٍ أُخْرَى، بَلْ لِلرَّبِّ وَحْدَهُ. 18وَلَكِنْ لِيَصْفَحِ الرَّبُّ عَنْ عَبْدِكَ عِنْدَمَا يَدْخُلُ مَعَ سَيِّدِهِ الْمَلِكِ إِلَى بَيْتِ الإِلَهِ رِمُّونَ، حَيْثُ يَذْهَبُ الْمَلِكُ مُسْتَنِداً عَلَى ذِرَاعِي لِيَسْجُدَ هُنَاكَ. فَعَلَيَّ آنَئِذٍ أَنْ أَسْجُدَ أَيْضاً. لِهَذَا لِيَصْفَحِ الرَّبُّ لِعَبْدِكَ عَنْ هَذَا الأَمْرِ».

19فَقَالَ لَهُ أَلِيشَعُ: «امْضِ بِسَلامٍ».

وَمَا إِنْ ابْتَعَدَ مَسَافَةً 20حَتَّى حَدَّثَ جِيحَزِي خَادِمُ أَلِيشَعَ نَفْسَهُ: «سَيِّدِي امْتَنَعَ عَنْ قُبُولِ مَا أَحْضَرَهُ نُعْمَانُ مِنْ هَدَايَا. حَيٌّ هُوَ الرَّبُّ لأُسْرِعَنَّ وَرَاءَهُ وَآخُذُ مِنْهُ شَيْئاً». 21فَلَحِقَ جِيحَزِي بِنُعْمَانَ. وَلَمَّا أَبْصَرَهُ نُعْمَانُ رَاكِضاً نَحْوَهُ، تَرَجَّلَ عَنِ الْمَرْكَبَةِ لِلِقَائِهِ سَائِلاً: «أَلِلْخَيْرِ جِئْتَ؟» 22فَأَجَابَ: «لِلْخَيْرِ. إِنَّ سَيِّدِي قَدْ أَرْسَلَنِي قَائِلاً: جَاءَه رَجُلَانِ مِنْ جَبَلِ أَفْرَايِمَ مِنْ بَنِي الأَنْبِيَاءِ، فَأَرْجُوكَ أَنْ تُعْطِيَهُمَا وَزْنَةً مِنَ الْفِضَّةِ وَحُلَّتَيْ ثِيَابٍ». 23فَقَالَ نُعْمَانُ: «أَرْجُوكَ أَنْ تَأْخُذَ وَزْنَتَيْنِ» وَأَلَحَّ عَلَيْهِ، وَصَرَّهُمَا فِي كِيسَيْنِ وَحُلَّتَيْ ثِيَابٍ، وَأَعْطَاهُمَا لِرَجُلَيْنِ مِنْ رِجَالِهِ، فَحَمَلاهُمَا وَانْطَلَقَا أَمَامَ جِيحَزِي. 24وَعِنْدَمَا وَصَلَ إِلَى الأَكَمَةِ حَيْثُ يُقِيمُ أَلِيشَعُ أَخَذَهَا مِنْهُمَا وَأَخْفَاهَا فِي الْبَيْتِ، وَصَرَفَ الرَّجُلَيْنِ. 25ثُمَّ دَخَلَ إِلَى أَلِيشَعَ، فَسَأَلَهُ: «مِنْ أَيْنَ جِئْتَ يَا جِيحَزِي؟» فَأَجَابَ: «لَمْ يَذْهَبْ عَبْدُكَ إِلَى أَيِّ مَكَانٍ». 26فَقَالَ لَهُ: «أَلا تَعْرِفُ أَنَّ قَلْبِي كَانَ حَاضِراً هُنَاكَ حِينَ تَرَجَّلَ الرَّجُلُ مِنْ مَرْكَبَتِهِ لِلِقَائِكَ؟ أَهَذَا وَقْتُ الْحُصُولِ عَلَى فِضَّةٍ أَوْ أَخْذِ ثِيَابٍ وَزَيْتُونٍ وَكُرُومٍ وَغَنَمٍ وَبَقَرٍ وَعَبِيدٍ وَجَوَارٍ؟ 27فَلْيَحُلَّ بَرَصُ نُعْمَانَ بِكَ وَبِنَسْلِكَ إِلَى الأَبَدِ». فَخَرَجَ مِنْ أَمَامِهِ وَجِلْدُهُ أَبْرَصُ فِي لَوْنِ الثَّلْجِ.

Hindi Contemporary Version

2 राजा 5:1-27

नामान की शुद्धि

1अराम के राजा की सेना का सेनापति नामान, एक अद्भुत प्रतिभा का व्यक्ति था. वह राजा का प्रियजन और आदर के योग्य व्यक्ति था, क्योंकि उसके द्वारा याहवेह ने अराम को विजय दिलाई थी. वह पराक्रमी, वीर योद्धा था, मगर उसे कुष्ठ रोग था.

2एक मौके पर, जब अराम के सैनिकों ने छापा मारा, वे इस्राएल देश से एक कम उम्र की लड़की अपने साथ ले गए. यह लड़की नामान की पत्नी की सेविका के रूप में काम करती थी. 3इस लड़की ने अपनी स्वामिनी से कहा, “भला होता कि स्वामी उस भविष्यद्वक्ता से मिल सकते, जो शमरिया में रहते हैं. वह स्वामी के कुष्ठ रोग को शुद्ध कर सकते हैं.”

4नामान ने अपने स्वामी, राजा के सामने इस तरह इसका ब्यौरा किया, “इस्राएल से लाई गई एक लड़की ने मुझे ऐसा-ऐसा बताया है.” 5अराम के राजा ने नामान से कहा, “तुम इसी समय वहां चले जाओ. मैं तुम्हें इस्राएल के राजा के लिए एक पत्र दिए देता हूं.” तब नामान ने प्रस्थान किया. उसने अपने साथ भेंट में देने के लिए लगभग साढ़े तीन सौ किलो चांदी, सत्तर किलो सोना और दस जोड़ी कीमती वस्त्र रख लिए थे. 6वह अपने साथ इस्राएल के राजा को अराम के राजा द्वारा लिखा गया पत्र ले गया था जिसमें इस प्रकार लिखा गया था, “जब यह पत्र आपके हाथों में पहुंचेगा, आप यह समझ लें, कि मैं अपने सेवक नामान को आपके पास भेज रहा हूं, कि आप इसे इसके कुष्ठ रोग से शुद्ध कर दें.”

7जब इस्राएल के राजा ने यह पत्र पढ़ा, उसने अपने कपड़े फाड़ते हुए कहा, “क्या मैं परमेश्वर हूं, जो किसी के प्राण लूं या किसी को दोबारा जीवित करूं, कि यह व्यक्ति कुष्ठरोगी की शुद्धि के लिए मुझसे विनती कर रहा है? ज़रा रुक कर विचार तो करो, और देख लो कि यह मुझसे झगड़ने का बहाना ढूंढ़ रहा है!”

8मगर जब परमेश्वर के जन एलीशा को राजा द्वारा अपने कपड़े फाड़े जाने की घटना के बारे में मालूम हुआ, उन्होंने राजा को यह संदेश भेजा, “आपने क्यों अपने कपड़े फाड़ दिए हैं? अब आप उससे कहिए कि नामान आकर मुझसे भेंट करे, कि उसे यह मालूम हो जाए कि इस्राएल देश में एक भविष्यद्वक्ता है.” 9तब नामान अपने घोड़ों और रथों सहित एलीशा के दरवाजे पर जा खड़ा हुआ. 10एलीशा ने दूत द्वारा नामान को यह संदेश दिया, “जाकर यरदन नदी में सात बार नहा लो. तुम्हारा शरीर पहले के समान स्वस्थ हो जाएगा और तुम शुद्ध हो जाओगे.”

11यह सुन नामान बहुत ही क्रोधित हो वहां से लौट गया. वह मन में सोच रहा था: “देखो तो, मैं विचार कर रहा था, भविष्यद्वक्ता ज़रूर बाहर आएंगे, मेरे पास आ खड़े होकर याहवेह, अपने परमेश्वर के नाम की दोहाई देंगे, मेरी रोगी देह पर अपना हाथ लहराएंगे और इस प्रकार मेरे कुष्ठ रोग को ठीक कर देंगे. 12अरे, क्या दमेशेक की अबाना और फारपर नदियां इस्राएल के जल से कहीं ज्यादा अच्छी नहीं हैं? क्या मैं उनमें नहाकर शुद्ध न हो सकता था?” तब नामान वहां से बड़े ही क्रोध में भरकर लौटने लगा.

13यह देख उसके सेवक उसके पास आ उससे कहने लगे, “पिताश्री! यदि भविष्यद्वक्ता ने आपको कोई भारी काम करने का आदेश दिया होता, तो क्या आप वह न करते? उन्होंने तो सिर्फ यह कहा है, ‘जाकर स्‍नान करो और शुद्ध हो जाओ.’ ” 14यह सुन नामान गया, यरदन नदी में सात बार डुबकी लगाई—जैसा परमेश्वर के जन ने आदेश दिया था—उसकी देह छोटे बालक के समान हो चुकी थी; वह शुद्ध हो गई थी.

15तब नामान अपने सारे झुण्ड़ के साथ लौटकर परमेश्वर के जन के घर पर गया और घर के सामने खड़ा हो भविष्यद्वक्ता को संबोधित कर कहने लगा, “सुनिए, अब मैं जान गया हूं कि सारी पृथ्वी पर इस्राएल के परमेश्वर के अलावा कोई दूसरा परमेश्वर नहीं है. तब अपने सेवक की ओर से यह भेंट स्वीकार कीजिए.”

16मगर एलीशा ने उत्तर दिया, “जीवित याहवेह की शपथ, मैं जिनका सेवक हूं, मैं कुछ भी स्वीकार नहीं करूंगा.” नामान विनती करता रहा मगर एलीशा इनकार करते रहे.

17अंत में नामान ने कहा, “अच्छा, अगर और कुछ नहीं तो आपके सेवक को दो खच्चरों के बोझ के बराबर की यहां की मिट्टी ले जाने दी जाए, क्योंकि अब इसके बाद आपका सेवक याहवेह के अलावा किसी भी पराए देवता को न होमबलि चढ़ाएगा और न ही बलि. 18इस विषय में याहवेह मुझे, आपके सेवक को क्षमा करें, जब मेरे स्वामी आराधना के लिए रिम्मोन में आराधना भवन को जाते हैं, उन्हें मेरी बांह के सहारे की ज़रूरत होती है. मुझे भी रिम्मोन के भवन में सिर झुकाना पड़ जाता है. इस बारे में याहवेह अपने सेवक को क्षमा प्रदान करें.”

19एलीशा ने नामान से कहा, “आप याहवेह की शांति में यहां से विदा हो जाइए.”

नामान वहां से कुछ ही दूर गया था, 20परमेश्वर के जन एलीशा के सेवक गेहज़ी ने मन में विचार किया, “मेरे स्वामी ने तो भेंट स्वीकार न करके अरामवासी नामान को यों ही छोड़ दिया है. जीवित याहवेह की शपथ, मैं दौड़कर उसके पीछे जाऊंगा और उससे कुछ तो ले ही लूंगा.”

21तब गेहज़ी नामान के पीछे दौड़ा. जब नामान को लगा कि कोई उसके पीछे दौड़ा आ रहा है, वह अपने रथ से उतर पड़ा, कि उससे भेंट करे. नामान ने गेहज़ी से पूछा, “सब कुशल तो है न?”

22गेहज़ी ने उत्तर दिया, “हां, सब कुशल है. स्वामी ने मुझे आपसे यह विनती करने भेजा है: ‘एफ्राईम के पहाड़ी इलाके से भविष्यवक्ताओं के दो युवक यहां आ गए हैं. कृपया मुझे उन्हें भेंट में देने के लिए एक तालन्त5:22 एक तालन्त लगभग 34 किलोग्राम चांदी और दो जोड़ी अच्छे कपड़े दे दीजिए.’ ”

23नामान ने उत्तर दिया, “एक ही क्यों? आप खुशी से दो तालन्त चांदी ले जाइए.” और नामान ने साग्रह दो थैलों में दो तालन्त चांदी और दो जोड़े वस्त्र बांध दिए और यह सब अपने दो सेवकों को दिया, जिसे लेकर वे गेहज़ी के आगे-आगे चले गए. 24जब वे पहाड़ी तक पहुंचे, गेहज़ी ने थैले उनसे लेकर अपने घर में रख लिए और उन दोनों को विदा कर दिया, और वे वहां से चले गए.

25गेहज़ी जाकर अपने स्वामी के सामने खड़ा हो गया. एलीशा ने गेहज़ी से पूछा, “कहां गया था, गेहज़ी?”

उसने उत्तर दिया, “आपका सेवक कहीं नहीं गया था.”

26मगर एलीशा ने उससे कहा, “क्या मेरी आत्मा वहां न थी, जब वह व्यक्ति तुमसे भेंटकरने लौटकर तुम्हारी ओर आया था? क्या धन और वस्त्र लेने के लिए सही मौका यही था, कि जैतून के बगीचे, अंगूर के बगीचे, भेड़ें, बैल, दास-दासियां पाई जाएं? 27नामान का कुष्ठ रोग तुम पर और तुम्हारे वंशजों पर स्थायी रूप से आ जाएगा.” तब वह एलीशा के सामने हिम के समान सफेद, घोर कुष्ठरोगी होकर बाहर चला गया.