مزمور 138 – NAV & HCV

Ketab El Hayat

مزمور 138:1-8

الْمَزْمُورُ الْمِئَةُ وَالثَّامِنُ وَالثَّلاثُونَ

لِدَاوُدَ

1أُسَبِّحُكَ مِنْ كُلِّ قَلْبِي، وَأَشْدُو لَكَ أَمَامَ الْمَلائِكَةِ. 2أَسْجُدُ فِي هَيْكَلِ قُدْسِكَ، وَأَحْمَدُ اسْمَكَ مِنْ أَجْلِ رَحْمَتِكَ وَحَقِّكَ، لأَنَّكَ عَظَّمْتَ كَلِمَتَكَ وَاسْمَكَ فَوْقَ كُلِّ شَيْءٍ 3يَوْمَ دَعَوْتُكَ اسْتَجَبْتَ لِي، وَشَجَّعْتَنِي إِذْ زِدْتَنِي قُوَّةً فِي دَاخِلِي.

4يَحْمَدُكَ جَمِيعُ مُلُوكِ الأَرْضِ يَا رَبُّ، مَتَى سَمِعُوا وُعُودَكَ. 5وَيُشِيدُونَ بِكُلِّ أَعْمَالِكَ لأَنَّ مَجْدَكَ عَظِيمٌ. 6فَمَعَ تَعَالِيكَ، تَلْتَفِتُ إِلَى الْمُتَوَاضِعِينَ، أَمَّا الْمُتَكَبِّرُ فَتَعْرِفُهُ مِنْ بَعِيدٍ. 7وَلَوْ سَلَكْتُ فِي وَسَطِ الضِّيقِ فَإِنَّكَ تُحْيِينِي، إذْ بِيَدِكَ تَدْفَعُ عَنِّي غَضَبَ أَعْدَائِي وَيَمِينُكَ تُخَلِّصُنِي. 8الرَّبُّ يُنْجِزُ مَقَاصِدَهُ لِي. رَحْمَتُكَ يَا رَبُّ إِلَى الأَبَدِ تَدُومُ، فَلَا تَتَخَلَّ عَنِّي لأَنِّي صُنْعُ يَدَيْكَ.

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 138:1-8

स्तोत्र 138

दावीद की रचना.

1याहवेह, मैं हृदय की गहराई से आपका स्तवन करूंगा;

मैं “देवताओं” के सामने आपका स्तवन करूंगा.

2आपके पवित्र मंदिर की ओर मुख कर मैं नतमस्तक हूं,

आपके करुणा-प्रेम के लिए; आपकी सच्चाई के लिए मैं

आपके नाम का आभार मानता हूं;

आपने अपने वचन को अपनी महिमा

के भी ऊपर ऊंचा किया है.

3जिस समय मैंने आपको पुकारा, आपने प्रत्युत्तर दिया;

आपने मेरे प्राणों में बल के संचार से धैर्य दिया.

4पृथ्वी के समस्त राजा, याहवेह, आपके कृतज्ञ होंगे,

क्योंकि उन्होंने आपके मुख से निकले वचन सुने हैं,

5वे याहवेह की नीतियों का गुणगान करेंगे,

क्योंकि याहवेह का तेज बड़ा है.

6यद्यपि याहवेह स्वयं महान हैं, वह नगण्यों का ध्यान रखते हैं;

किंतु अहंकारी को वह दूर से ही पहचान लेते हैं.

7यद्यपि इस समय मेरा विषम समय चल रहा है,

आप मेरे जीवन के रक्षक हैं.

आप ही अपना हाथ बढ़ाकर मेरे शत्रुओं के प्रकोप से मेरी रक्षा करते हैं;

आपका दायां हाथ मेरा उद्धार करता है.

8याहवेह मेरे लिए निर्धारित उद्देश्य को पूरा करेंगे;

याहवेह, सर्वदा है आपका करुणा-प्रेम.

अपनी ही हस्तकृति का परित्याग न कीजिए.