فيلبي 2 – NAV & HCV

Ketab El Hayat

فيلبي 2:1-30

التشبه باتضاع المسيح

1فَمَادَامَ لَنَا التَّشْجِيعُ فِي الْمَسِيحِ، وَالتَّعْزِيَةُ فِي الْمَحَبَّةِ، وَالشَّرِكَةُ فِي الرُّوحِ، وَلَنَا الْمَرَاحِمُ وَالْحُنُوُّ، 2فَتَمِّمُوا فَرَحِي بِأَنْ يَكُونَ لَكُمْ رَأْيٌ وَاحِدٌ وَمَحَبَّةٌ وَاحِدَةٌ وَنَفْسٌ وَاحِدَةٌ وَفِكْرٌ وَاحِدٌ. 3لَا يَكُنْ بَيْنَكُمْ شَيْءٌ بِرُوحِ التَّحَزُّبِ وَالاِفْتِخَارِ الْبَاطِلِ، بَلْ بِالتَّوَاضُعِ لِيَعْتَبِرْ كُلُّ وَاحِدٍ مِنْكُمْ غَيْرَهُ أَفْضَلَ كَثِيراً مِنْ نَفْسِهِ، 4مُهْتَمّاً لَا بِمَصْلَحَتِهِ الْخَاصَّةِ بَلْ بِمَصَالِحِ الآخَرِينَ أَيْضاً. 5فَلْيَكُنْ فِيكُمْ هَذَا الْفِكْرُ الَّذِي فِي الْمَسِيحِ يَسُوعَ. 6إِذْ إِنَّهُ، وَهُوَ الْكَائِنُ فِي هَيْئَةِ اللهِ، لَمْ يَعْتَبِرْ مُسَاوَاتَهُ لِلهِ خُلْسَةً، أَوْ غَنِيمَةً يُتَمَسَّكُ بِها؛ 7بَلْ أَخْلَى نَفْسَهُ، مُتَّخِذاً صُورَةَ عَبْدٍ، صَائِراً شَبِيهاً بِالْبَشَرِ؛ 8وَإِذْ ظَهَرَ بِهَيْئَةِ إِنْسَانٍ، أَمْعَنَ فِي الاِتِّضَاعِ، وَكَانَ طَائِعاً حَتَّى الْمَوْتِ، مَوْتِ الصَّلِيبِ. 9لِذَلِكَ أَيْضاً رَفَّعَهُ اللهُ عَالِياً، وَأَعْطَاهُ الاِسْمَ الَّذِي يَفُوقُ كُلَّ اسْمٍ، 10لِكَيْ تَنْحَنِيَ سُجُوداً لاِسْمِ يَسُوعَ كُلُّ رُكْبَةٍ، سَوَاءٌ فِي السَّمَاءِ أَمْ عَلَى الأَرْضِ أَمْ تَحْتَ الأَرْضِ، 11وَلِكَيْ يَعْتَرِفَ كُلُّ لِسَانٍ بِأَنَّ يَسُوعَ الْمَسِيحَ هُوَ الرَّبُّ، لِمَجْدِ اللهِ الآبِ.

افعلوا كل شيء دون تذمر

12إِذَنْ، يَا أَحِبَّائِي، كَمَا كُنْتُمْ تُطِيعُونَ دَائِماً، لَا كَمَا لَوْ أَنَّنِي حَاضِرٌ وَحَسْبُ، بَلْ بِالأَحْرَى كَثِيراً الآنَ وَأَنَا غَائِبٌ، كَذَلِكَ اسْعَوْا لِتَتْمِيمِ خَلاصِكُمْ بِخَوْفٍ وَارْتِعَادٍ، 13لأَنَّ اللهَ هُوَ الَّذِي يُنْشِئُ فِيكُمُ الإِرَادَةَ وَالْعَمَلَ لأَجْلِ مَرْضَاتِهِ. 14فَافْعَلُوا كُلَّ شَيْءٍ دُونَ تَذَمُّرٍ أَوْ جِدَالٍ، 15لِتَكُونُوا بِلا أَذىً وَبُسَطَاءَ، أَوْلاداً لِلهِ لَا يُعَابُونَ بِشَيْءٍ فِي وَسَطِ جِيلٍ مُنْحَرِفٍ فَاسِدٍ، تُضِيئُونَ بَيْنَهُمْ كَأَنْوَارٍ فِي الْعَالَمِ، 16حَامِليِنَ كَلِمَةَ الْحَيَاةِ، لِتَكُونُوا فِي يَوْمِ الْمَسِيحِ مَوْضِعَ فَخْرٍ بِأَنِّي مَا سَعَيْتُ بَاطِلاً وَلا اجْتَهَدْتُ عَبَثاً. 17حَتَّى لَوْ سُفِكَ دَمِي سَكِيباً فَوْقَ ذَبِيحَةِ إِيمَانِكُمْ وَخِدْمَتِهِ، فَإِنِّي أَفْرَحُ وَأَبْتَهِجُ مَعَكُمْ جَمِيعاً. 18هكَذَا أَيْضاً افْرَحُوا أَنْتُمْ، وَابْتَهِجُوا مَعِي.

تيموثاوس وأبفروديتس

19غَيْرَ أَنِّي أَرْجُو فِي الرَّبِّ يَسُوعَ أَنْ أُرْسِلَ إِلَيْكُمْ تِيمُوثَاوُسَ عَنْ قَرِيبٍ، لِكَيْ تَطِيبَ نَفْسِي بِمَعْرِفَةِ أَحْوَالِكُمْ. 20فَلَيْسَ عِنْدِي أَحَدٌ غَيْرَهُ يَهْتَمُّ مِثْلِي بِأَحْوَالِكُمْ بِإِخْلاصٍ. 21فَإِنَّ الْجَمِيعَ يَسْعَوْنَ وَرَاءَ مَصَالِحِهِمِ الْخَاصَّةِ، لَا لأَجْلِ الْمَسِيحِ يَسُوعَ. 22أَمَّا تِيمُوثَاوُسُ، فَأَنْتُمْ تَعْرِفُونَ أَنَّهُ مُخْتَبَرٌ، إِذْ خَدَمَ مَعِي فِي التَّبْشِيرِ بِالإِنْجِيلِ كَأَنَّهُ وَلَدٌ يُعَاوِنُ أَبَاهُ. 23فَإِيَّاهُ أَرْجُو أَنْ أُرْسِلَ حَالَمَا يَتَبَيَّنُ لِي كَيْفَ سَتَجْرِي أَحْوَالِي. 24وَلَكِنَّ لِي ثِقَةً فِي الرَّبِّ بِأَنِّي، أَنَا نَفْسِي، سَآتِي إِلَيْكُمْ عَنْ قَرِيبٍ. 25إِلّا أَنِّي رَأَيْتُ مِنَ الضَّرُورِيِّ أَنْ أُرْسِلَ إِلَيْكُمْ أَبَفْرُودِيتُسَ، أَخِي وَمُعَاوِنِي وَرَفِيقِي فِي الْكِفَاحِ، وَالْمُرْسَلَ مِنْ قِبَلِكُمْ عَامِلاً عَلَى سَدِّ حَاجَتِي، 26إِذْ كَانَ مُشْتَاقاً إِلَيْكُمْ جَمِيعاً، وَمُكْتَئِباً لِسَمَاعِكُمْ بِمَرَضِهِ. 27فَقَدْ مَرِضَ حَتَّى أَشْرَفَ عَلَى الْمَوْتِ، وَلَكِنَّ اللهَ أَشْفَقَ عَلَيْهِ، وَلَيْسَ عَلَيْهِ وَحْدَهُ، بَلْ عَلَيَّ أَنَا أَيْضاً، لِئَلّا يُصِيبَنِي حُزْنٌ عَلَى حُزْنٍ. 28لِذَلِكَ عَجَّلْتُ كَثِيراً فِي إِرْسَالِهِ إِلَيْكُمْ، حَتَّى إِذَا رَأَيْتُمُوهُ مِنْ جَدِيدٍ تَفْرَحُونَ أَنْتُمْ وَأَكُونُ أَنَا أَقَلَّ حُزْناً. 29فَاقْبَلُوهُ إِذَنْ فِي الرَّبِّ بِكُلِّ فَرَحٍ، وَعَامِلُوا أَمْثَالَهُ بِالإِكْرَامِ. 30فَإِنَّهُ مِنْ أَجْلِ عَمَلِ الْمَسِيحِ أَشْرَفَ عَلَى الْمَوْتِ، مُخَاطِراً بِحَيَاتِهِ لِيَسُدَّ مَا نَقَصَ مِنْ خِدْمَتِكُمْ لِي.

Hindi Contemporary Version

फ़िलिप्पॉय 2:1-30

मसीह की विनम्रता का अनुकरण

1इसलिये यदि मसीह में ज़रा सा भी प्रोत्साहन, प्रेम से उत्पन्‍न धीरज, आत्मा की सहभागिता तथा करुणा और कृपा है, 2तो एक मन, एक सा प्रेम, एक ही चित्त तथा एक लक्ष्य के लिए ठान कर मेरा आनंद पूरा कर दो. 3स्वार्थ और झूठी बड़ाई से कुछ भी न करो, परंतु विनम्रता के साथ तुममें से प्रत्येक अपनी बजाय दूसरे को श्रेष्ठ समझे. 4तुममें से हर एक सिर्फ अपनी ही भलाई का नहीं परंतु दूसरों की भलाई का भी ध्यान रखे.

5तुम्हारा स्वभाव वैसा ही हो, जैसा मसीह येशु का था:

6जिन्होंने परमेश्वर के स्वरूप में होते हुए भी,

परमेश्वर से अपनी तुलना पर अपना अधिकार बनाए रखना सही न समझा;

7परंतु अपने आपको शून्य कर,

दास का स्वरूप धारण करते हुए,

और मनुष्य की समानता में हो गया.

8और मनुष्य के शरीर में प्रकट होकर,

अपने आपको दीन करके मृत्यु—

क्रूस की मृत्यु तक,

आज्ञाकारी रहकर स्वयं को शून्य बनाया.

9इसलिये परमेश्वर ने उन्हें सबसे ऊंचे पद पर आसीन किया,

तथा उनके नाम को महिमा दी कि वह हर एक नाम से ऊंचा हो,

10कि हर एक घुटना येशु नाम की वंदना में झुक जाए,

स्वर्ग में, पृथ्वी में और पृथ्वी के नीचे,

11और हर एक जीभ पिता परमेश्वर के प्रताप के लिए स्वीकार करे,

कि मसीह येशु ही प्रभु हैं.

मसीह के लिए चमकना

12इसलिये, मेरे प्रिय भाई बहनो, जिस प्रकार तुम हमेशा आज्ञाकारी रहे हो—न केवल मेरी उपस्थिति में परंतु उससे भी अधिक मेरी अनुपस्थिति में—अपने उद्धार के कार्य को पूरा करने की ओर डरते और कांपते हुए बढ़ते जाओ, 13क्योंकि परमेश्वर ही हैं, जिन्होंने अपनी सुइच्छा के लिए तुममें अभिलाषा और कार्य करने दोनो बातों के लिये प्रभाव डाला है.

14सब काम बिना कुड़कुड़ाए और बिना वाद-विवाद के किया करो, 15कि तुम इस बुरी और भ्रष्‍ट पीढ़ी में, “परमेश्वर की निष्कलंक संतान के रूप में स्वयं को निष्कपट तथा निष्पाप साबित कर सको.”2:15 व्यव 32:5 कि तुम इस पीढ़ी के बीच जलते हुए दीपों के समान चमको 16तुमने जीवन का वचन मजबूती से थामा हुआ है. तब यह मसीह के दिन में मेरे गर्व का कारण होगा, कि न तो मेरी दौड़-धूप व्यर्थ गई और न ही मेरा परिश्रम. 17यदि तुम्हारे विश्वास की सेवा और बलि पर मैं अर्घ (लहू) के समान उंडेला भी जा रहा हूं, तौभी तुम सबके साथ यह मेरा आनंद है. 18मेरी विनती है कि तुम भी इसी प्रकार आनंदित रहो तथा मेरे आनंद में शामिल हो जाओ.

तिमोथियॉस तथा इपाफ़्रोदितॉस का लक्ष्य

19प्रभु येशु मसीह में मुझे आशा है कि मैं शीघ्र ही तिमोथियॉस को तुम्हारे पास भेजूंगा कि तुम्हारा समाचार जानकर मेरे उत्साह में भी बढ़ोतरी हो. 20मेरी नज़र में उसके समान ऐसा दूसरा कोई व्यक्ति नहीं है जिसे मेरे जैसे वास्तव में तुम्हारी चिंता हो. 21अन्य सभी येशु मसीह की आशाओं की नहीं परंतु अपनी ही भलाई करने में लीन हैं. 22तुम तिमोथियॉस की योग्यता से परिचित हो कि ईश्वरीय सुसमाचार के प्रचार में उसने मेरा साथ इस प्रकार दिया, जिस प्रकार एक पुत्र अपने पिता का साथ देता है. 23इसलिये मैं आशा करता हूं कि अपनी स्थिति स्पष्ट होते ही मैं उसे तुम्हारे पास भेज सकूंगा. 24मुझे प्रभु में पूरा भरोसा है कि मैं स्वयं भी जल्द वहां आऊंगा.

25इस समय मुझे आवश्यक यह लगा कि मैं इपाफ़्रोदितॉस को तुम्हारे पास भेजूं, जो मेरा भाई, सहकर्मी तथा सहयोद्धा है, जो मेरी ज़रूरतों में सहायता के लिए तुम्हारी ओर से भेजा गया दूत है. 26वह तुम सबसे मिलने के लिए लालायित है और व्याकुल भी. तुमने उसकी बीमारी के विषय में सुना था. 27बीमारी! वह तो मरने पर था, किंतु उस पर परमेश्वर की दया हुई, न केवल उस पर परंतु मुझ पर भी, कि मुझे और अधिक दुःखी न होना पड़े. 28इस कारण उसे भेजने के लिए मैं और भी अधिक उत्सुक हूं कि उसे दोबारा देखकर तुम आनंदित हो जाओ और तुम्हारे विषय में मेरी चिंता भी कम हो जाए. 29प्रभु में आनंदपूर्वक उसका स्वागत-सत्कार करना, उसके जैसे व्यक्तियों का आदर किया करो, 30क्योंकि मसीह के काम के लिए उसने अपने प्राण जोखिम में डाल दिए थे कि तुम्हारे द्वारा मेरे प्रति की गई शेष सेवा वह पूरी कर सके.