1هَذِهِ كَلِمَاتُ عَامُوسَ الَّذِي كَانَ رَاعِياً مِنْ رُعَاةِ تَقُوعَ، يُنْبِئُ فِيهَا بِمَا رَآهُ بِشَأْنِ إِسْرَائِيلَ فِي أَيَّامِ عُزِّيَّا مَلِكِ يَهُوذَا، وَفِي أَيَّامِ يَرُبْعَامَ بْنِ يُوآشَ مَلِكِ إِسْرَائِيلَ، قَبْلَ وُقُوعِ الزَّلْزَلَةِ بِسَنَتَيْنِ.
2قَالَ: «يَزْأَرُ الرَّبُّ مِنْ صِهْيَوْنَ وَيُدَوِّي بِصَوْتِهِ مِنْ أُورُشَلِيمَ، فَتَنْتَحِبُ مَرَاعِي الرُّعَاةِ، وَتَذْوِي قِمَّةُ الْكَرْمَلِ.
قضاء الله على جيران إسرائيل
3هَذَا مَا يَقُولُهُ الرَّبُّ: مِنْ أَجْلِ مَعَاصِي دِمَشْقَ الثَّلاثِ وَالأَرْبَعِ لَنْ أَرُدَّ عَنْهَا سَخَطِي، لأَنَّ أَهْلَهَا قَدْ دَاسُوا شَعْبِي فِي جِلْعَادَ بِنَوَارِجَ مِنْ حَدِيدٍ. 4لِذَلِكَ أُرْسِلُ نَاراً عَلَى بَيْتِ حَزَائِيلَ فَتَلْتَهِمُ حُصُونَ بَنْهَدَدَ. 5وَأُحَطِّمُ مِزْلاجَ دِمَشْقَ وَأَسْتَأْصِلُ أَهْلَ وَادِي آوَنَ، وَأُهْلِكُ حَامِلَ صَوْلَجَانِ مُلْكِ بَيْتِ عَدْنٍ، وَيُسَاقُ شَعْبُ أَرَامَ إِلَى السَّبْيِ إِلَى أَرْضِ قِيرَ.
6هَذَا مَا يَقُولُهُ الرَّبُّ: مِنْ أَجْلِ مَعَاصِي غَزَّةَ الثَّلاثِ وَالأَرْبَعِ لَنْ أَرُدَّ عَنْهَا سَخَطِي، لأَنَّ أَهْلَهَا نَفَوْا شَعْباً عَنْ آخِرِهِ لِيُسَلِّمُوهُ إِلَى أَدُومَ. 7لِذَلِكَ سَأُرْسِلُ نَاراً عَلَى أَسْوَارِ غَزَّةَ تَلْتَهِمُ حُصُونَهَا. 8وَأَسْتَأْصِلُ أَهْلَ أَشْدُودَ، وَأُهْلِكُ حَامِلَ صَوْلَجَانِ مُلْكِ أَشْقَلُونَ، وَأُوَجِّهُ ضَرَبَاتِي ضِدَّ عَقْرُونَ فَيَفْنَى مَنْ بَقِيَ مِنَ الْفِلِسْطِينِيِّينَ.
نبوءة عن صور
9هَذَا مَا يَقُولُهُ الرَّبُّ: مِنْ أَجْلِ مَعَاصِي صُورَ الثَّلاثِ وَالأَرْبَعِ لَنْ أَرُدَّ عَنْهَا سَخَطِي، لأَنَّ أَهْلَهَا سَلَّمُوا شَعْباً بِكَامِلِهِ إِلَى أَدُومَ، وَنَقَضُوا عَهْدَ الإِخْوَةِ. 10لِهَذَا أُرْسِلُ نَاراً عَلَى أَسْوَارِ صُورَ فَتَلْتَهِمُ حُصُونَهَا.
11وَهَذَا مَا يَقُولُهُ الرَّبُّ: مِنْ أَجْلِ مَعَاصِي أَدُومَ الثَّلاثِ وَالأَرْبَعِ لَنْ أَرُدَّ عَنْهُمْ سَخَطِي، لأَنَّهُمْ تَعَقَّبُوا إِخْوَتَهُمْ بِالسَّيْفِ، وَتَغَاضَوْا عَنْ كُلِّ رَحْمَةٍ، وَجَعَلُوا غَضَبَهُمْ يَتَأَجَّجُ مُلْتَهِماً بِاسْتِمْرَارٍ، وَظَلُّوا حَاقِدِينَ عَلَى الدَّوَامِ. 12فَأُرْسِلُ نَاراً عَلَى تَيْمَانَ، فَتَلْتَهِمُ حُصُونَ بُصْرَةَ.
13هَذَا مَا يَقُولُهُ الرَّبُّ: مِنْ أَجْلِ مَعَاصِي الْعَمُّونِيِّينَ الثَّلاثِ وَالأَرْبَعِ لَنْ أَرُدَّ عَنْهُمْ سَخَطِي، لأَنَّهُمْ شَقُّوا بُطُونَ الْحَوَامِلِ فِي جِلْعَادَ لِيُوَسِّعُوا تُخُمَهُمْ. 14لِهَذَا أُضْرِمُ نَاراً فِي سُورِ رَبَّةَ فَتَلْتَهِمُ حُصُونَهَا فِي مُعْتَرَكِ جَلَبَةِ يَوْمِ الْحَرْبِ، وَفِي وَسَطِ عَاصِفَةٍ فِي يَوْمِ الزَّوْبَعَةِ. 15وَيُسَاقُ مَلِكُهُمْ إِلَى السَّبْيِ مَعَ سَائِرِ رُؤَسَائِهِ يَقُولُ الرَّبُّ.
1ये आमोस द्वारा कहे गये वचन हैं, जो उसने भूकंप के दो वर्ष पहले इस्राएल के संबंध में एक दर्शन देखकर उस समय में कहे थे, जब यहूदिया पर राजा उज्जियाह का तथा इस्राएल पर यहोआश के पुत्र यरोबोअम का शासन था. आमोस तकोआ नगर के चरवाहों में से एक था.
2आमोस ने कहा:
“ज़ियोन से याहवेह का स्वर गर्जन करता है
और येरूशलेम से उनका शब्द गूंजता है;
चरवाहों के चरागाह मुरझा गए हैं,
तथा कर्मेल पर्वत का शिखर झुलस गया है.”
इस्राएल के पड़ोसियों का न्याय
3यह याहवेह का कहना है:
“दमेशेक नगर के तीन,
नहीं वरन चार अपराधों के कारण, मैं उसे दंड देने से पीछे नहीं हटूंगा.
क्योंकि उसने गिलआद पर
लोहे के तीक्ष्ण शस्त्रों से प्रहार किया है,
4तब मैं हाज़ाएल के परिवार पर आग बरसाऊंगा
और वह बेन-हदद के गढ़ को नष्ट कर देगी.
5दमेशेक नगर के प्रवेश द्वार को मैं तोड़ डालूंगा;
और आवेन1:5 आवेन अर्थ दुष्टता घाटी के राजा को,
और बेथ-एदेन में राजदंड धरनेवाले को, मैं नाश कर दूंगा.
अरामवासी कीर में बंधुआई में चले जाएंगे,”
यह याहवेह का कहना है.
6याहवेह का यह कहना है:
“अज्जाह1:6 अज्जाह या गाज़ा नगर के तीन,
नहीं वरन चार अपराधों के कारण, मैं दंड देने से पीछे नहीं हटूंगा.
क्योंकि उसने पूरे प्रजा को बंधुआई में ले गया
और उन्हें एदोम को बेच दिया है,
7तब मैं अज्जाह नगर की दीवारों पर आग बरसाऊंगा
जो उसके राजमहलों को जलाकर नष्ट कर देगी.
8मैं अशदोद के राजा को,
और अश्कलोन में राजदंड धरनेवाले को नाश कर दूंगा.
एक्रोन पर मैं अपने हाथों से तब तक वार करूंगा,
जब तक कि आखिरी फिलिस्तीनी भी मार न डाला जाए,”
यह प्रभु याहवेह का कहना है.
9याहवेह का यह कहना है:
“सोर नगर के तीन,
नहीं वरन चार अपराधों के कारण, मैं दंड देने से पीछे नहीं हटूंगा.
क्योंकि उसने संपूर्ण बंधुआई के समूह को एदोम को बेच दिया है,
और भाईचारे की वाचा का अनादर किया है,
10तब मैं सोर की दीवारों पर आग बरसाऊंगा
जो उसके राजमहलों को जलाकर नष्ट कर देगी.”
11याहवेह का यह कहना है:
“एदोम के तीन पापों के कारण,
तीन नहीं वरन चार पापों के कारण, मैं दंड देने से पीछे नहीं हटूंगा.
क्योंकि उसने तलवार लेकर अपने भाई को खदेड़ा
और देश की महिलाओं को घात किया,
क्रोध में वह निरंतर उनका संहार करता गया
उसका रोष सदा बना रहा,
12मैं तेमान पर आग बरसाऊंगा
जो बोज़राह के राजमहलों को जलाकर भस्म कर देगी.”
13याहवेह का यह कहना है:
“अम्मोनवासियों के तीन,
नहीं वरन चार अपराधों के कारण, मैं उसे दंड देने से पीछे न हटूंगा.
क्योंकि उसने गिलआद की गर्भवती स्त्रियों के पेट इसलिये चीर दिए
ताकि वह अपनी सीमा का विस्तार कर सके,
14तब युद्ध के उस दिन जब शोरगुल हो रहा होगा,
जब उग्र आंधी और उपद्रव हो रहा होगा
तब मैं रब्बाह नगर की दीवारों पर आग लगा दूंगा,
जो उसके राजमहलों को जलाकर नष्ट कर देगी.
15अम्मोन के राजा
और उसके कर्मचारी एक साथ बंधुआई में चले जाएंगे,”
यह याहवेह का कहना है.