زكريا 2 – NAV & HCV

Ketab El Hayat

زكريا 2:1-13

رجل وخيط قياس

1ثُمَّ رَفَعْتُ عَيْنِي (فِي الرُّؤْيَا) وَإذَا بِي أَرَى رَجُلاً حَامِلاً بِيَدِهِ حَبْلَ قِيَاسٍ، 2فَسَأَلْتُهُ: «إِلَى أَيْنَ أَنْتَ ذَاهِبٌ؟» فَأَجَابَنِي: «لِأَمْسَحَ أَرْضَ أُورُشَلِيمَ، فَأَرَى مِقْدَارَ طُولِهَا وَعَرْضِهَا». 3ثُمَّ خَرَجَ الْمَلاكُ الَّذِي كَلَّمَنِي لِلِقَاءِ مَلاكٍ آخَرَ أَقْبَلَ إِلَيْهِ، 4فَقَالَ لَهُ: «أَسْرِعْ وَقُلْ لِهَذَا الشَّابِّ: سَتَكُونُ أُورُشَلِيمُ كَسَهْلٍ مَكْشُوفٍ آهِلَةً بِالنَّاسِ وَالْبَهَائِمِ الْمُطْمَئِنِّينَ فِيهَا 5لأَنِّي سَأَكُونُ لَهَا سُوراً مُحِيطاً مِنْ نَارٍ، يَقُولُ الرَّبُّ، وَمَجْداً فِي دَاخِلِهَا».

6هَيَّا أَسْرِعُوا، اهْرُبُوا مِنْ أَرْضِ الشِّمَالِ، فَقَدْ شَتَّتُّكُمْ فِي أَرْبَعَةِ أَرْجَاءِ الأَرْضِ، يَقُولُ الرَّبُّ. 7أَمَّا الآنَ، فَهَيَّا اهْرُبُوا إِلَى صِهْيَوْنَ يَا مَنْ أَقَمْتُمْ فِي أَرْضِ بَابِلَ. 8فَإِنَّ الرَّبَّ الْقَدِيرَ يَقُولُ إِنَّهُ أَرْسَلَنِي إِلَى الأُمَمِ الَّتِي سَلَبَتْكُمْ إِعْلاءً لِمَجْدِهِ، لأَنَّ مَنْ يَمَسُّكُمْ يَمَسُّ حَدَقَةَ عَيْنِهِ. 9هَا أَنَا أَضْرِبُهُمْ بِيَدِي فَيَصِيرُونَ نَهْباً لِعَبِيدِهِمْ، فَتُدْرِكُونَ أَنَّ الرَّبَّ الْقَدِيرَ قَدْ أَرْسَلَنِي حَقّاً.

10رَنِّمِي وَابْتَهِجِي يَا أُورُشَلِيمُ، لأَنِّي قَادِمٌ لأُقِيمَ فِي وَسَطِكِ، يَقُولُ الرَّبُّ. 11فَتَنْضَمُّ أُمَمٌ كَثِيرَةٌ فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ إِلَى الرَّبِّ وَيَكُونُونَ لِي شَعْباً، فَأُقِيمُ فِي وَسَطِكِ، فَتُدْرِكِينَ أَنَّ الرَّبَّ الْقَدِيرَ قَدْ أَرْسَلَنِي إِلَيْكِ. 12وَيَرِثُ الرَّبُّ يَهُوذَا نَصِيباً لَهُ فِي الأَرْضِ الْمُقَدَّسَةِ، وَيَرْجِعُ فَيَصْطَفِي لِنَفْسِهِ أُورُشَلِيمَ. 13لِيَصْمُتْ كُلُّ بَشَرٍ فِي حَضْرَةِ الرَّبِّ لأَنَّهُ قَدْ هَبَّ مِنْ مَسْكَنِ قُدْسِهِ.

Hindi Contemporary Version

ज़करयाह 2:1-13

नापनेवाली रस्सी के साथ एक व्यक्ति

1तब मैं अपने सामने एक व्यक्ति को अपने हाथ में नापनेवाली रस्सी लिये हुए देखा. 2मैंने उससे पूछा, “तुम कहां जा रहे हो?”

उसने उत्तर दिया, “मैं येरूशलेम शहर को नापने जा रहा हूं ताकि पता चल सके कि उसकी लंबाई और चौड़ाई कितनी है.”

3जब मुझसे बातें करनेवाला स्वर्गदूत जा रहा था, तब एक दूसरा स्वर्गदूत उससे मिलने आया 4और उससे कहा: “दौड़कर जाओ, और उस जवान से कहो, ‘मनुष्यों और पशुओं के बहुतायत के कारण येरूशलेम बिना दीवारों का शहर हो जाएगा. 5और मैं स्वयं, इसके चारों ओर आग की दीवार बन जाऊंगा,’ याहवेह की घोषणा है, ‘और उसके भीतर मैं उसकी महिमा बनूंगा.’

6“आओ! आओ! उत्तर के देश से भाग जाओ,” याहवेह की घोषणा है, “क्योंकि मैंने तुम्हें आकाश के चारों दिशाओं के हवा के समान तितर-बितर कर दिया है,” याहवेह की घोषणा है.

7“हे ज़ियोन! आओ, तुम जो बाबेलवासियों के बीच रहते हो, बचकर भाग निकलो!” 8क्योंकि सर्वशक्तिमान याहवेह का यह कहना है: “उन्होंने अपने महिमा के निमित्त ही मुझे उन जातियों के विरुद्ध भेजा है, जिन्होंने तुम्हें लूट लिया हे—क्योंकि यदि कोई तुम्हें छूता है, तो वह उसकी (याहवेह की) आंख की पुतली को छूता है, 9मैं निश्चित रूप से उनके विरुद्ध अपना हाथ उठाऊंगा ताकि उनके गुलाम उन्हें लूटें. तब तुम जान जाओगे कि सर्वशक्तिमान याहवेह ने मुझे भेजा है.

10“हे मेरी बेटी, ज़ियोन, ऊंचे स्वरों में गा और आनंदित हो. क्योंकि मैं आकर तुम्हारे बीच निवास करूंगा,” याहवेह की घोषणा है. 11“उस दिन बहुत सी जातियां याहवेह के साथ मिल जाएंगी और वे मेरे लोग बन जाएंगे. मैं तुम्हारे बीच निवास करूंगा और तुम जान जाओगे कि सर्वशक्तिमान याहवेह ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है. 12याहवेह पवित्र देश में यहूदिया को अपने भाग के रूप में ले लेंगे और येरूशलेम को फिर चुन लेंगे. 13हे सब लोगों, याहवेह के सामने शांत रहो, क्योंकि उन्होंने अपने पवित्र निवास से अपने आपको खड़ा किया है.”