رؤيا يوحنا 15 – NAV & HCV

Ketab El Hayat

رؤيا يوحنا 15:1-8

سبعة ملائكة وسبع بلايا

1ثُمَّ رَأَيْتُ فِي السَّمَاءِ آيَةً أُخْرَى عَظِيمَةً وَعَجِيبَةً: سَبْعَةُ مَلائِكَةٍ مُكَلَّفِينَ أَنْ يُنْزِلُوا بِالأَرْضِ الْبَلايَا السَّبْعَ الأَخِيرَةَ الَّتِي بِها يَكْتَمِلُ غَضَبُ اللهِ. 2وَرَأَيْتُ أَيْضاً مَا يُشْبِهُ بَحْراً مِنْ زُجَاجٍ تَخْتَلِطُ بِهِ النَّارُ، وَقَدْ وَقَفَ عَلَيْهِ جَمِيعُ الَّذِينَ انْتَصَرُوا عَلَى الْوَحْشِ وَتِمْثَالِهِ وَرَقْمِ اسْمِهِ، وَهُمْ يَحْمِلُونَ قِيثَارَاتِ اللهِ، 3وَيُنْشِدُونَ تَرْتِيلَةَ مُوسَى، عَبْدِ اللهِ وَتَرْتِيلَةَ الْحَمَلِ قَائِلِينَ: «عَظِيمَةٌ وَعَجِيبَةٌ أَعْمَالُكَ أَيُّهَا الرَّبُّ الإِلهُ الْقَادِرُ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ، عَادِلَةٌ وَمُسْتَقِيمَةٌ طُرُقُكَ يَا مَلِكَ الدُّهُورِ. 4مَنْ لَا يَخَافُكَ يَا رَبُّ وَلا يُمَجِّدُ اسْمَكَ؟ فَأَنْتَ وَحْدَكَ قُدُّوسٌ! وَالأُمَمُ جَمِيعاً سَيَأْتُونَ وَيَسْجُدُونَ لَكَ، لأَنَّ أَحْكَامَكَ قَدْ ظَهَرَتْ جَلِيَّةً».

5وَبَعْدَ ذَلِكَ نَظَرْتُ، فَرَأَيْتُ هَيْكَلَ خَيْمَةِ الشَّهَادَةِ فِي السَّمَاءِ وَقَدِ انْفَتَحَ، 6وَخَرَجَ مِنْهُ الْمَلائِكَةُ السَّبْعَةُ الْمُكَلَّفُونَ بِإِنْزَالِ الْبَلايَا السَّبْعِ الأَخِيرَةِ بِالأَرْضِ، وَهُمْ يَرْتَدُونَ ثِيَاباً مِنْ كَتَّانٍ خَالِصٍ بَرَّاقٍ، وَيَشُدُّونَ صُدُورَهُمْ بِأَحْزِمَةٍ مِنْ ذَهَبٍ. 7وَسَلَّمَ وَاحِدٌ مِنَ الْكَائِنَاتِ الْحَيَّةِ الأَرْبَعَةِ هَؤُلاءِ الْمَلائِكَةَ السَّبْعَةَ سَبْعَ كُؤُوسٍ مِنْ ذَهَبٍ مَمْلُوءَةٍ بِغَضَبِ اللهِ الْحَيِّ إِلَى أَبَدِ الآبِدِينَ. 8وَامْتَلأَ الْهَيْكَلُ دُخَاناً مِنْ مَجْدِ اللهِ وَقُدْرَتِهِ، فَلَمْ يَسْتَطِعْ أَحَدٌ أَنْ يَدْخُلَ الْهَيْكَلَ، حَتَّى يَنْتَهِيَ الْمَلائِكَةُ السَّبْعَةُ مِنْ إِنْزَالِ الْبَلايَا السَّبْعِ بِالأَرْضِ.

Hindi Contemporary Version

प्रकाशन 15:1-8

सात विपत्तियां लिए हुए सात स्वर्गदूत

1तब मैंने स्वर्ग में एक अद्भुत और आश्चर्यजनक दृश्य देखा: सात स्वर्गदूत सात अंतिम विपत्तियां लिए हुए थे—अंतिम इसलिये कि इनके साथ परमेश्वर के क्रोध का अंत हो जाता है. 2तब मुझे ऐसा अहसास हुआ मानो मैं एक कांच की झील को देख रहा हूं, जिसमें आग मिला दी गई हो. मैंने इस झील के तट पर उन्हें खड़े हुए देखा, जिन्होंने उस हिंसक पशु, उसकी मूर्ति तथा उसके नाम की संख्या पर विजय प्राप्‍त की थी. इनके हाथों में परमेश्वर द्वारा दी हुई वीणा थी. 3वे परमेश्वर के दास मोशेह तथा मेमने का गीत गा रहे थे:

“अद्भुत और असाधारण काम हैं आपके,

प्रभु सर्वशक्तिमान परमेश्वर.

धर्मी और सच्चे हैं उद्देश्य आपके,

राष्ट्रों के राजन.

4कौन है, प्रभु, जिसमें आपके प्रति श्रद्धा न होगी,

कौन है, जो आपकी महिमा न करेगा?

मात्र आप ही हैं पवित्र.

सभी राष्ट्र आकर

आपका धन्यवाद करेंगे,

क्योंकि आपके न्याय के कार्य प्रकट हो चुके हैं.”15:4 स्तोत्र 111:2, 3; व्यव 32:4; येरे 10:7; स्तोत्र 86:9; 98:2

5इसके बाद मैंने देखा कि स्वर्ग में मंदिर, जो साक्ष्यों का तंबू है, खोल दिया गया. 6मंदिर में से वे सातों स्वर्गदूत, जो सात विपत्तियां लिए हुए थे, बाहर निकले. वे मलमल के स्वच्छ उज्जवल वस्त्र धारण किए हुए थे तथा उनकी छाती पर सोने की कमरबंध थी. 7तब चार जीवित प्राणियों में से एक ने उन सात स्वर्गदूतों को सनातन परमेश्वर के क्रोध से भरे सात सोने के कटोरे दे दिए. 8मंदिर परमेश्वर की आभा तथा सामर्थ्य के धुएं से भर गया और उस समय तक मंदिर में कोई भी प्रवेश न कर सका, जब तक उन सातों स्वर्गदूतों द्वारा उंडेली गई सातों विपत्तियां समाप्‍त न हो गईं.