حزقيال 2 – NAV & HCV

Ketab El Hayat

حزقيال 2:1-10

دعوة حزقيال

1ثُمَّ قَالَ لِي: «يَا ابْنَ آدَمَ، قِفْ عَلَى قَدَمَيْكَ فَأُخَاطِبَكَ». 2وَحَالَمَا تَكَلَّمَ دَخَلَ فِيَّ الرُّوحُ وَأَنْهَضَنِي عَلَى قَدَمَيَّ وَسَمِعْتُهُ يُخَاطِبُنِي: 3«يَا ابْنَ آدَمَ، هَا أَنَا بَاعِثُكَ إِلَى بَنِي إِسْرَائِيلَ، إِلَى أُمَّةٍ مُتَمَرِّدَةٍ عَصَتْنِي، إِذْ تَعَدَّوْا هُمْ وَآبَاؤُهُمْ عَلَيَّ إِلَى هَذَا الْيَوْمِ. 4أَنَا بَاعِثُكَ إِلَى الأَبْنَاءِ الْمُتَصَلِّبِينَ الْقُسَاةِ، فَتَقُولُ لَهُمْ: هَذَا مَا يُعْلِنُهُ الرَّبُّ. 5فَإِنْ سَمِعُوا، أَوْ أَبَوْا لأَنَّهُمْ شَعْبٌ عَاصٍ فَإِنَّهُمْ يَعْلَمُونَ عَلَى الأَقَلِّ أَنَّ نَبِيًّا بَيْنَهُمْ. 6أَمَّا أَنْتَ، يَا ابْنَ آدَمَ، فَلا تَرْهَبْهُمْ وَلا تَخْشَ كَلامَهُمْ، وَإِنْ كَانُوا لَكَ قَرِيساً وَشَوْكاً. وَأَنْتَ سَاكِنٌ بَيْنَ عَقَارِبَ، فَلا تَرْهَبْ كَلامَهُمْ، وَلا تَفْزَعْ مِنْ مَحْضَرِهِمْ لأَنَّهُمْ شَعْبٌ مُتَمَرِّدٌ. 7إِنَّمَا عَلَيْكَ أَنْ تُبَلِّغَهُمْ كَلامِي سَوَاءٌ سَمِعُوا أَوْ أَبَوْا، لأَنَّهُمْ شَعْبٌ مُتَمَرِّدٌ.

8وَالآنَ يَا ابْنَ آدَمَ، أَصْغِ لِمَا أُخَاطِبُكَ بِهِ. لَا تَكُنْ مُتَمَرِّداً مِثْلَ ذَلِكَ الشَّعْبِ الْمُتَمَرِّدِ. افْتَحْ فَمَكَ وَكُلْ مَا أُطْعِمُكَ». 9فَنَظَرْتُ وَإذَا بِيَدٍ مُمْتَدَّةٍ إِلَيَّ، وَفِيهَا دَرْجُ كِتَابٍ. 10وَعِنْدَمَا نَشَرَهُ أَمَامِي رَأَيْتُ الْكِتَابَةَ تَمْلَؤُهُ مِنَ الدَّاخِلِ وَالْخَارِجِ وَقَدْ دُوِّنَتْ فِيهِ مَرَاثٍ وَمَنَاحَاتٌ وَوَيْلاتٌ.

Hindi Contemporary Version

यहेजकेल 2:1-10

एक भविष्यवक्ता के रूप में यहेजकेल की बुलाहट

1उसने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, अपने पैरों पर खड़े हो जाओ, मैं तुमसे बात करूंगा.” 2जैसे ही उसने मुझसे बात की, आत्मा मुझमें समा गया और मुझे अपने पैरों पर खड़ा कर दिया, और मैंने उसे मुझसे बातें करते सुना.

3उसने कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, मैं तुम्हें इस्राएलियों के पास भेज रहा हूं, जो एक विद्रोही जाति है; और जिन्होंने मेरे विरुद्ध विद्रोह किया है; वे और उनके पूर्वज आज तक मेरे विरुद्ध विद्रोह करते आ रहे हैं. 4जिन लोगों के पास मैं तुम्हें भेज रहा हूं, वे ढीठ और हठी हैं. तुम उनसे कहो, ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है.’ 5और चाहे वे सुनें या न सुनें—क्योंकि वे तो विद्रोही लोग हैं ही—तौभी वे जान जाएं कि उनके बीच एक भविष्यवक्ता है. 6और हे मनुष्य के पुत्र, तुम, उनसे या उनकी बातों से न डरना. डरना मत, यद्यपि कंटीली झाड़ियां और कांटे तुम्हारे चारों तरफ हैं और तुम बिच्छुओं के बीच रहते हो. वे क्या कहते हैं, उन बातों से न डरना या उनसे भयभीत न होना, यद्यपि वे एक विद्रोही लोग हैं. 7तुम उन्हें मेरी बातें अवश्य बताओ, चाहे वे सुनें या न सुनें, क्योंकि वे तो विद्रोही हैं. 8पर हे मनुष्य के पुत्र, मैं तुमसे जो कहता हूं, उसे सुनो. इन विद्रोही लोगों की तरह विद्रोह न करना; अपना मुख खोलो और मैं तुम्हें जो दे रहा हूं, उसे खाओ.”

9तब मैंने देखा कि मेरी ओर एक हाथ बढ़ा. उस हाथ में एक पुस्तक थी, 10जिसे उसने मेरे सामने खोली. उस पुस्तक के दोनों तरफ विलाप, शोक और दुःख की बातें लिखी हुई थी.