تسالونيكي الأولى 4 – NAV & HCV

Ketab El Hayat

تسالونيكي الأولى 4:1-18

حياة ترضي الله

1وَبَعْدُ، أَيُّهَا الإِخْوَةُ، فَمِثْلَمَا تَلَقَّيْتُمْ مِنَّا كَيْفَ يَجِبُ أَنْ تَسْلُكُوا سُلُوكاً يُرْضِي اللهَ، وَكَمَا أَنْتُم فَاعِلُونَ، نَرْجُو مِنْكُمْ وَنُحَرِّضُكُمْ فِي الرَّبِّ يَسُوعَ أَنْ تُضَاعِفُوا تَقَدُّمَكُمْ فِي ذَلِكَ أَكْثَرَ فَأَكْثَرَ. 2فَإِنَّكُمْ تَعْرِفُونَ الْوَصَايَا الَّتِي لَقَّنَّاكُمْ إِيَّاهَا مِنْ قِبَلِ الرَّبِّ يَسُوعَ. 3فَإِنَّ مَشِيئَةَ اللهِ هِيَ هذِهِ: قَدَاسَتُكُمْ. وَذَلِكَ بِأَنْ تَمْتَنِعُوا عَنِ الزِّنَى، 4وَأَنْ يَعْرِفَ كُلُّ وَاحِدٍ مِنْكُمْ كَيْفَ يَحْفَظُ جَسَدَهُ فِي الطَّهَارَةِ وَالْكَرَامَةِ 5غَيْرَ مُنْسَاقٍ لِلشَّهْوَةِ الْجَامِحَةِ كَالْوَثَنِيِّينَ الَّذِينَ لَا يَعْرِفُونَ اللهَ، 6وَأَلَّا يَتَعَدَّى حُقُوقَ أَخِيهِ وَيُسِيءَ إِلَيْهِ فِي هَذَا الأَمْرِ، لأَنَّ الرَّبَّ هُوَ الْمُنْتَقِمُ لِجَمِيعِ هَذِهِ الإِسَاءَاتِ، كَمَا أَنْذَرْنَاكُمْ قَبْلاً وَشَهِدْنَا لَكُمْ بِحَقٍّ. 7فَإِنَّ اللهَ دَعَانَا لَا إِلَى النَّجَاسَةِ بَلْ (إِلَى الْعَيْشِ) فِي الْقَدَاسَةِ. 8إِذَنْ، مَنِ اسْتَخَفَّ بِأَخِيهِ فِي هَذَا الأَمْرِ، يَسْتَخِفُّ لَا بِإِنْسَانٍ بَلْ بِاللهِ، بِذَاكَ الَّذِي وَهَبَكُمْ فِعْلاً رُوحَهُ الْقُدُّوسَ.

9أَمَّا الْمَحَبَّةُ الأَخَوِيَّةُ، فَلَسْتُمْ فِي حَاجَةٍ لأَنْ أَكْتُبَ إِلَيْكُمْ عَنْهَا، لأَنَّكُمْ بِأَنْفُسِكُمْ قَدْ تَعَلَّمْتُمْ مِنَ اللهِ أَنْ تُحِبُّوا بَعْضُكُمْ بَعْضاً، 10وَلأَنَّكُمْ أَيْضاً هكَذَا تُعَامِلُونَ جَمِيعَ الإِخْوَةِ فِي مُقَاطَعَةِ مَقِدُونِيَّةَ كُلِّهَا. وَإِنَّمَا نُحَرِّضُكُمْ، أَيُّهَا الإِخْوَةُ، أَنْ تُضَاعِفُوا ذَلِكَ أَكْثَرَ فَأَكْثَرَ، 11وَأَنْ تَسْعَوْا بِجِدٍّ إِلَى الْعَيْشِ بِهُدُوءٍ، مُهْتَمِّينَ بِمُمَارَسَةِ شُؤُونِكُمُ الْخَاصَّةِ، وَمُحَصِّلِينَ مَعِيشَتَكُمْ بِعَمَلِ أَيْدِيكُمْ، كَمَا أَوْصَيْنَاكُمْ. 12عِنْدَئِذٍ تَكُونُ سِيرَتُكُمْ حَسَنَةَ السُّمْعَةِ تُجَاهَ الَّذِينَ مِنْ خَارِجِ الْكَنِيسَةِ، وَلا تَكُونُونَ فِي حَاجَةٍ إِلَى شَيْءٍ.

المؤمنون الذين رقدوا

13عَلَى أَنَّنَا نُرِيدُ، أَيُّهَا الإِخْوَةُ، أَلَّا يَخْفَى عَلَيْكُمْ أَمْرُ الرَّاقِدِينَ، حَتَّى لَا يُصِيبَكُمُ الْحُزْنُ كَغَيْرِكُمْ مِنَ النَّاسِ الَّذِينَ لَا رَجَاءَ لَهُمْ. 14فَمَادُمْنَا نُؤْمِنُ أَنَّ يَسُوعَ مَاتَ ثُمَّ قَامَ، فَمَعَهُ كَذَلِكَ سَيُحْضِرُ اللهُ أَيْضاً الرَّاقِدِينَ بِيَسُوعَ. 15فَهَذَا نَقُولُهُ لَكُمْ بِكَلِمَةٍ مِنْ عِنْدِ الرَّبِّ: إِنَّنَا نَحْنُ الْبَاقِينَ أَحْيَاءَ إِلَى حِينِ عَوْدَةِ الرَّبِّ، لَنْ نَسْبِقَ الرَّاقِدِينَ. 16لأَنَّ الرَّبَّ نَفْسَهُ سَيَنْزِلُ مِنَ السَّمَاءِ حَالَمَا يُدَوِّي أَمْرٌ بِالتَّجَمُّعِ، وَيُنَادِي رَئِيسُ مَلائِكَةٍ، وَيُبَوَّقُ فِي بُوقٍ إِلهِيٍّ، عِنْدَئِذٍ يَقُومُ الأَمْوَاتُ فِي الْمَسِيحِ أَوَّلاً. 17ثُمَّ إِنَّنَا، نَحْنُ الْبَاقِينَ أَحْيَاءَ، نُخْتَطَفُ جَمِيعاً فِي السُّحُبِ لِلاِجْتِمَاعِ بِالرَّبِّ فِي الْهَوَاءِ. وَهكَذَا نَبْقَى مَعَ الرَّبِّ عَلَى الدَّوَامِ. 18لِذلِكَ عَزُّوا بَعْضُكُمْ بَعْضاً بِهَذَا الْكَلام!

Hindi Contemporary Version

1 थेस्सलोनि 4:1-18

प्रेम तथा अलग की हुई जीवनशैली

1अंततः प्रिय भाई बहनो, तुमने हमसे अपने स्वभाव तथा परमेश्वर को प्रसन्‍न करने के विषय में जिस प्रकार के निर्देश प्राप्‍त किए थे—ठीक जैसा तुम्हारा स्वभाव है भी—प्रभु येशु मसीह में तुमसे हमारी विनती और समझाना है कि तुम इनमें और भी अधिक उन्‍नत होते चले जाओ. 2तुम्हें वे आज्ञाएं मालूम ही हैं, जो हमने तुम्हें प्रभु येशु मसीह की ओर से दिए थे.

3परमेश्वर की इच्छा है कि तुम पवित्रता की स्थिति में रहो—तुम वेश्यागामी से अलग रहो; 4कि तुममें से हर एक को अपने-अपने शरीर को पवित्रता तथा सम्मानपूर्वक संयमित रखने का ज्ञान हो, 5कामुकता की अभिलाषा में अन्यजातियों के समान नहीं, जो परमेश्वर से अनजान हैं; 6इस विषय में कोई भी सीमा उल्लंघन कर अपने साथी विश्वासी का शोषण न करे क्योंकि इन सब विषयों में स्वयं प्रभु बदला लेते हैं, जैसे हमने पहले ही यह स्पष्ट करते हुए तुम्हें गंभीर चेतावनी भी दी थी. 7परमेश्वर ने हमारा बुलावा अपवित्रता के लिए नहीं परंतु पवित्र होने के लिए किया है. 8परिणामस्वरूप वह, जो इन निर्देशों को नहीं मानता है, किसी मनुष्य को नहीं परंतु परमेश्वर ही को अस्वीकार करता है, जो अपना पवित्र आत्मा तुम्हें देते हैं.

9भाईचारे के विषय में मुझे कुछ भी लिखने की ज़रूरत नहीं क्योंकि स्वयं परमेश्वर द्वारा तुम्हें शिक्षा दी गई है कि तुममें आपस में प्रेम हो. 10वस्तुतः मकेदोनिया प्रदेश के विश्वासियों के प्रति तुम्हारी यही इच्छा है. प्रिय भाई बहनो, हमारी तुमसे यही विनती है कि तुम इसी में और अधिक बढ़ते जाओ, 11शांत जीवनशैली तुम्हारी बड़ी इच्छा बन जाए. सिर्फ अपने ही कार्य में मगन रहो. अपने हाथों से परिश्रम करते रहो, जैसा हमने तुम्हें आज्ञा दी है, 12कि तुम्हारी जीवनशैली अन्य लोगों की दृष्टि में तुम्हें सम्माननीय बना दे तथा स्वयं तुम्हें किसी प्रकार का अभाव न हो.

दोबारा आगमन के अवसर पर जीवित और मृतक

13प्रिय भाई बहनो, हम नहीं चाहते कि तुम उनके विषय में अनजान रहो, जो मृत्यु में सो गए हैं. कहीं ऐसा न हो कि तुम उन लोगों के समान शोक करने लगो, जिनके सामने कोई आशा नहीं. 14हमारा विश्वास यह है कि जिस प्रकार मसीह येशु की मृत्यु हुई और वह जीवित हुए, उसी प्रकार परमेश्वर उनके साथ उन सभी को पुनर्जीवित कर देंगे, जो मसीह येशु में सोए हुए हैं. 15यह हम तुमसे स्वयं प्रभु के वचन के आधार पर कह रहे हैं कि प्रभु के दोबारा आगमन के अवसर पर हम, जो जीवित पाए जाएंगे, निश्चित ही उनसे पहले प्रभु से भेंट नहीं करेंगे, जो मृत्यु में सो गए हैं. 16स्वयं प्रभु स्वर्ग से प्रधान स्वर्गदूत के शब्द, परमेश्वर की तुरही के शब्द तथा एक ऊंची ललकार के साथ उतरेंगे. तब सबसे पहले वे, जो मसीह में मरे हुए हैं, जीवित हो जाएंगे. 17उसके बाद शेष हम, जो उस अवसर पर जीवित पाए जाएंगे, बादलों में उन सबके साथ वायुमंडल में प्रभु से मिलने के लिए झपटकर उठा लिए जाएंगे. तब हम हमेशा प्रभु के साथ में रहेंगे. 18इस बात के द्वारा आपस में धीरज और शांति दिया करो.