اللاويين 5 – NAV & HCV

Ketab El Hayat

اللاويين 5:1-19

1إِذَا أَخْطَأَ أَحَدٌ لأَنَّهُ صَمَتَ عِنْدَمَا اسْتُحْلِفَ، وَلَمْ يُدْلِ بِشَهَادَتِهِ حَوْلَ جَرِيمَةٍ رَآهَا أَوْ عَلِمَ بِها، فَإِنَّهُ يَكُونُ شَرِيكاً فِي الذَّنْبِ. 2كُلُّ مَنْ يَلْمِسُ شَيْئاً نَجِساً، سَوَاءٌ أَكَانَ جُثَّةَ حَيَوَانٍ مُحَرَّمٍ أَكْلُهُ، أَمْ جُثَّةَ وَحْشٍ أَوْ حَشَرَةٍ مُحَرَّمَةٍ، يَكُونُ مُذْنِباً وَنَجِساً، حَتَّى لَوْ لَمْ يَعْلَمْ أَنَّهُ لَمَسَهَا. 3كُلُّ مَنْ يَمَسُّ إِحْدَى نَجَاسَاتِ الإِنْسَانِ الَّتِي يَتَنَجَّسُ بِها، عَنْ غَيْرِ عِلْمٍ مِنْهُ، ثُمَّ نُبِّهَ إِلَى الأَمْرِ، يُصْبِحُ مُذْنِباً. 4كُلُّ مَنْ يَحْلِفْ بِشَفَتَيْهِ دُونَ أَنْ يَتَفَكَّرَ، سَوَاءٌ لِلإِحْسَانِ أَوْ لِلإِسَاءَةِ مِنْ جَمِيعِ الأَحْلافِ الَّتِي يَفْرُطُ بِها اللِّسَانُ، مِنْ غَيْرِ عِلْمٍ مِنْهُ، ثُمَّ نُبِّهَ إِلَى الأَمْرِ، يُصْبِحْ مُذْنِباً فِي كِلا الْحَالَيْنِ. 5فَكُلُّ مَنْ يَكُونُ مُذْنِباً فِي أَحَدِ هَذِهِ الأُمُورِ، عَلَيْهِ الإِقْرَارُ بِمَا أَخْطَأَ بِهِ، 6ثُمَّ يُحْضِرُ إِلَى الرَّبِّ ذَبِيحَةَ إِثْمٍ عَنْ خَطِيئَتِهِ الَّتِي اقْتَرَفَهَا: نَعْجَةً أَوْ عَنْزَةً، فَيُكَفِّرُ الْكَاهِنُ عَنْ خَطِيئَتِهِ. 7وَإِنْ كَانَ فَقِيراً، غَيْرَ قَادِرٍ عَلَى إِحْضَارِ شَاةٍ، فَلْيُقَدِّمْ إِلَى الرَّبِّ ذَبِيحَةً عَنْ إِثْمِهِ الَّذِي ارْتَكَبَهُ يَمَامَتَيْنِ أَوْ فَرْخَيْ حَمَامٍ، فَيَكُونُ أَحَدُهَا ذَبِيحَةَ خَطِيئَةٍ وَالآخَرُ مُحْرَقَةً، 8فَيَأْخُذُ الْكَاهِنُ ذَبِيحَةَ الْخَطِيئَةِ أَوَّلاً، وَيُقَرِّبُهَا بِأَنْ يَحُزَّ رَأْسَهَا مِنَ الْخَلْفِ وَلا يَفْصِلَهُ، 9وَيَرُشُّ بَعْضَ دَمِهَا عَلَى حَائِطِ الْمَذْبَحِ، وَيُصَفِّي بَقِيَّةَ الدَّمِ عِنْدَ قَاعِدَةِ الْمَذْبَحِ. إِنَّهَا ذَبِيحَةُ خَطِيئَةٍ. 10ثُمَّ يُقَدِّمُ الثَّانِي مُحْرَقَةً وَفْقاً لِلنِّظَامِ الْمُتَّبَعِ، وَهَكَذَا يُكَفِّرُ الْكَاهِنُ عَنْ خَطِيئَةِ الْمُذْنِبِ وَيَغْفِرُ الرَّبُّ لَهُ. 11وَإِنْ كَانَ الْمُذْنِبُ أَفْقَرَ مِنْ أَنْ يُقَدِّمَ يَمَامَتَيْنِ أَوْ فَرْخَيْ حَمَامٍ، فَلْيُحْضِرْ قُرْبَاناً عَنْ خَطِيئَتِهِ. عُشْرَ الإِيفَةِ (نَحْوَ لِتْرَيْنِ وَنِصْفِ اللِّتْرِ) مِنْ دَقِيقٍ نَاعِمٍ، لَا يَضَعُ عَلَيْهِ زَيْتاً أَوْ لُبَاناً، لأَنَّهُ قُرْبَانُ خَطِيئَةٍ، 12وَيُقَدِّمْهُ إِلَى الْكَاهِنِ، فَيَمْلأُ مِنْهُ قَبْضَتَهُ لِلتَّذْكَارِ، وَيُحْرِقُهُ عَلَى الْمَذْبَحِ، عَلَى وَقَائِدِ الرَّبِّ. إِنَّهُ قُرْبَانُ خَطِيئَةٍ. 13فَيُكَفِّرُ الْكَاهِنُ بِذَلِكَ عَنْ أَيِّ خَطِيئَةٍ مِنَ الْخَطَايَا السَّالِفَةِ الَّتِي ارْتَكَبَهَا، فَيَغْفِرُ الرَّبُّ لَهُ. أَمَّا بَقِيَّةُ التَّقْدِمَةِ فَتَكُونُ مِنْ نَصِيبِ الْكَاهِنِ عَلَى غِرَارِ تَقْدِمَةِ الدَّقِيقِ».

ذبيحة الإِثم

14قَالَ الرَّبُّ لِمُوسَى: 15«إِنْ سَهَا أَحَدٌ وَتَعَدَّى عَلَى وَاحِدٍ مِنْ أَقْدَاسِ الرَّبِّ، يُحْضِرُ إِلَى الرَّبِّ ذَبِيحَةَ إِثْمٍ: كَبْشاً سَلِيماً، يُقَدِّرُ الْكَاهِنُ قِيمَتَهُ مِنَ الْفِضَّةِ وَفْقاً لِلْمَعَايِيرِ الْمُسْتَعْمَلَةِ فِي الْقُدْسِ، 16فَيُعَوِّضُ عَمَّا أَخْطَأَ بِهِ مِنَ الْقُدْسِ، بَعْدَ أَنْ يُضِيفَ عَلَيْهِ مَا يُعَادِلُ خُمْسَهُ غَرَامَةً، وَيُؤَدِّيَهُ لِلْكَاهِنِ. فَيُكَفِّرُ الْكَاهِنُ عَنْهُ بِكَبْشِ الإِثْمِ، وَيَغْفِرُ الرَّبُّ لَهُ.

17إِنْ أَخْطَأَ أَحَدٌ سَهْواً وَارْتَكَبَ إِحْدَى نَوَاهِي الرَّبِّ الَّتِي يَنْبَغِي أَلّا يَرْتَكِبَهَا، يَكُونُ مُذْنِباً وَمَسْؤولاً عَنْ إِثْمِهِ. 18وَعَلَيْهِ أَنْ يُحْضِرَ إِلَى الْكَاهِنِ ذَبِيحَةَ إِثْمٍ كَبْشاً سَلِيماً تُقَدِّرُ أَنْتَ ثَمَنَهُ، فَيُكَفِّرُ الْكَاهِنُ عَمَّا ارْتَكَبَهُ الْمُخْطِئُ مِنْ سَهْوٍ عَلَى غَيْرِ عِلْمٍ مِنْهُ، فَيَغْفِرُ الرَّبُّ لَهُ. 19إِنَّهُ ذَبِيحَةُ إِثْمٍ، إِذْ قَدِ ارْتَكَبَ ذَنْباً فِي حَقِّ الرَّبِّ».

Hindi Contemporary Version

लेवी 5:1-19

1“ ‘यदि कोई व्यक्ति किसी पाप का गवाह है, जिसे उसने होते हुए देखा है, अथवा उसे इसका अहसास है और सार्वजनिक रूप से शपथ दिए जाने के बाद भी वह इसके विषय में मौन रहता है, तो वह उस अपराध का भार स्वयं उठाएगा.

2“ ‘यदि कोई व्यक्ति किसी अशुद्ध वस्तु का स्पर्श करे, चाहे वह किसी अशुद्ध जंगली पशु का शव हो, अथवा किसी अन्य पालतू पशु का शव अथवा किसी ऐसे अशुद्ध जीव का शव हो जो रेंगता हो, और यदि वह इससे अनजान है कि वह अशुद्ध हो चुका है, किंतु इसके बाद उसे इसका अहसास हो जाता है, तो वह दोषी हो जाएगा. 3यदि वह किसी मानव मलिनता का स्पर्श करे, चाहे वह किसी भी प्रकार की मलिनता हो और वह इससे अशुद्ध हो जाता है और वह इससे अनजान है, किंतु इसके बाद उसे इसका अहसास हो जाता है, तो वह दोषी हो जाएगा. 4अथवा यदि कोई व्यक्ति बिना सोचे विचारे, भले अथवा बुरे की शपथ लेता है, चाहे कोई भी विषय हो, कोई व्यक्ति बिना सोचे विचारे, शपथ लेता है तथा यह उसे मालूम नहीं है, और इसके बाद यह उस पर प्रकट हो जाता है, तो इसमें से किसी एक विषय में वह दोषी हो जाएगा. 5जब इसमें से किसी भी विषय के दोष का उसे अहसास होता है, और वह उस पाप को स्वीकार करे, जो उसने किया है, 6तो जो पाप उसने किया है, उसके लिए वह याहवेह के सामने अपनी दोष बलि लेकर आए. वह भेड़-बकरियों से एक मादा मेमना, अथवा एक बकरी पापबलि5:6 या पाप निवारण का अर्पण के लिए लेकर आए कि पुरोहित उसके द्वारा उसके पाप के लिए प्रायश्चित करे.

7“ ‘किंतु यदि उसके लिए एक मेमना भेंट करना संभव नहीं है, तो जो पाप उसने किया है, उसके लिए वह याहवेह के सामने अपनी दोष बलि के लिए दो कपोत अथवा दो कबूतर के बच्‍चे लेकर आए; एक पापबलि के लिए और दूसरा होमबलि के लिए. 8वह इसे पुरोहित के पास लाए, वह सर्वप्रथम उसे भेंट करे, जो पापबलि के लिए निर्धारित है. वह इसका सिर इसके गर्दन के पास से मरोड़ दे, किंतु पूरी तरह अलग न करे. 9वह पापबलि का कुछ रक्त वेदी के दूसरे सिरे पर छिड़क दे, जबकि बचा हुआ रक्त वेदी के आधार पर बहा दिया जाए. यह एक पापबलि है. 10फिर वह विधि के अनुसार होमबलि के रूप में दूसरे पक्षी को तैयार करे, कि पुरोहित उसके द्वारा उसके पाप के लिए, जो उस व्यक्ति ने किया है, प्रायश्चित करे, और उसका यह पाप क्षमा कर दिया जाएगा.

11“ ‘किंतु यदि उसके लिए दो कपोत अथवा दो कबूतर के बच्‍चे भी भेंट करने के लिए पर्याप्‍त साधन नहीं हैं, तो जो पाप उसने किया है, उसकी बलि के लिए वह डेढ़ किलो5:11 डेढ़ किलो मूल में एफाह का दसवां भाग महीन आटा पापबलि के लिए लेकर आए. किंतु इस पर तेल न लगाए और न ही इस पर लोबान रखे, क्योंकि यह एक पापबलि है. 12वह इसे पुरोहित के पास लेकर आए और पुरोहित इसमें से मुट्ठी भर महीन आटे को इसके स्मरण दिलाने वाले भाग के रूप में लेकर याहवेह की अन्य अग्निबलियों के साथ वेदी पर जलाए. यह एक पापबलि है. 13इस प्रकार पुरोहित इनमें से किसी भी पाप के लिए, जो उस व्यक्ति ने किया है, प्रायश्चित करे, और उसका यह पाप क्षमा कर दिया जाएगा. इसका शेष भाग अन्‍नबलि के समान पुरोहित का होगा.’ ”

दोष बलि

14फिर याहवेह ने मोशेह को यह आदेश दिया: 15“यदि कोई व्यक्ति विश्वासघात करे तथा अनजाने में याहवेह की पवित्र वस्तुओं के संदर्भ में पाप करे, तो वह अपने द्वारा किए गए विश्वासघात के लिए याहवेह के सामने दोष बलि के रूप में भेड़-बकरियों में से एक निर्दोष मेढ़े भेंट करे, जिसका मूल्य पवित्र स्थान के शेकेल के अनुसार चांदी का एक शेकेल हो; यह दोष बलि है. 16उसने जिस पवित्र वस्तु के संदर्भ में पाप किया है, उसके लिए वह नुकसान की भरपाई करे. वह इसमें इसके पांचवें भाग को जोड़कर पुरोहित को सौंप दे. पुरोहित दोष बलि के मेढ़े के साथ उसके लिए प्रायश्चित करे, और उसका यह पाप क्षमा कर दिया जाएगा.

17“यदि कोई व्यक्ति पाप करता है, और कोई भी वह कार्य करता है, जो याहवेह की ओर से मना किया गया है, यद्यपि वह इससे अनजान है, तो भी वह दोषी है और अपने दंड का भार उठाएगा. 18फिर वह दोष बलि के लिए भेड़-बकरियों में से उपयुक्त मूल्य का एक निर्दोष मेंढ़ा ले आए कि पुरोहित उस व्यक्ति द्वारा किए गए उस विश्वासघात के लिए, जो उसने अनजाने में किया है, प्रायश्चित करे, और उसका यह विश्वासघात क्षमा कर दिया जाएगा. 19यह एक दोष बलि है; निःसंदेह वह याहवेह की दृष्टि में दोषी था.”