اللاويين 2 – NAV & HCV

Ketab El Hayat

اللاويين 2:1-16

تقدمة الدقيق

1وَإذَا قَدَّمَ أَحَدٌ لِلرَّبِّ تَقْدِمَةً مِنْ حِنْطَةٍ، فَلْتَكُنْ مِنْ دَقِيقٍ يَسْكُبُ عَلَيْهَا زَيْتاً وَيَضَعُ عَلَيْهَا لُبَاناً، 2ثُمَّ يُحْضِرُهَا إِلَى أَبْنَاءِ هَرُونَ الْكَهَنَةِ، فَيَمْلأُ الْكَاهِنُ قَبْضَتَهُ مِنْ دَقِيقِ التَّقْدِمَةِ وَزَيْتِهَا مَعَ كُلِّ لُبَانِهَا وَيُوْقِدُهَا الْكَاهِنُ تَذْكَاراً عَلَى الْمَذْبَحِ، فَتَكُونُ وَقُودَ مُحْرَقَةِ رِضًى تَسُرُّ الرَّبَّ. 3أَمَّا بَقِيَّةُ التَّقْدِمَةِ فَتَكُونُ مِنْ نَصِيبِ هَرُونَ وَأَبْنَائِهِ، فَهِيَ تَقْدِمَةُ مُحْرَقَةٍ مُقَدَّسَةٍ لِلرَّبِّ.

4إِنْ كَانَ الْقُرْبَانُ تَقْدِمَةً مَخْبُوزَةً فِي تَنُّورٍ، فَلْتَكُنْ أَقْرَاصاً مِنْ دَقِيقٍ، فَطِيراً مَلْتُوتَةً أَوْ مَدْهُونَةً بِزَيْتٍ. 5وَإِنْ كَانَ قُرْبَانُكَ مَخْبُوزاً عَلَى الصَّاجِ، فَلْتَكُنْ مِنْ دَقِيقٍ فَطِيراً مَلْتُوتَةً بِزَيْتٍ. 6قَطِّعْهَا إِلَى فُتَاتٍ وَصُبَّ عَلَيْهَا زَيْتاً؛ إِنَّهَا تَقْدِمَةٌ.

7وَإِنْ كَانَتْ تَقْدِمَتُكَ مَخْبُوزَةً فِي مِقْلَاةٍ، فَلْتَكُنْ مِنْ دَقِيقٍ مَعْجُونٍ بِزَيْتٍ. 8فَتُحْضِرُ التَّقْدِمَةَ، سَوَاءٌ أَكَانَتْ مَخْبُوزَةً فِي فُرْنٍ أَمْ عَلَى الصَّاجِ أَمْ فِي مِقْلَاةٍ، إِلَى الْكَاهِنِ وَهُوَ يَقْتَرِبُ بِها إِلَى الْمَذْبَحِ. 9وَيَتَنَاوَلُ مِنَ التَّقْدِمَةِ جُزْءاً تَذْكَارِيًّا وَيُحْرِقُهُ عَلَى الْمَذْبَحِ، فَيَكُونُ وَقُودَ مُحْرَقَةِ رِضًى تَسُرُّ الرَّبَّ. 10أَمَّا بَقِيَّةُ التَّقْدِمَةِ فَتَكُونُ مِنْ نَصِيبِ هَرُونَ وَأَبْنَائِهِ، فَهِيَ تَقْدِمَةُ مُحْرَقَةٍ مُقَدَّسَةٍ لِلرَّبِّ.

من الخبز المملح

11لَا تَضَعُوا خَمِيراً فِي كُلِّ تَقْدِمَةِ دَقِيقٍ تُقَدِّمُونَهَا لِلرَّبِّ. كُلُّ قُرْبَانٍ فِيهِ خَمِيرٌ أَوْ عَسَلٌ لَا تُقَدِّمُوهُ مُحْرَقَةً لِلرَّبِّ. 12يُمْكِنُ أَنْ تُقَدِّمُوا لِلرَّبِّ خُبْزاً مُخْتَمِراً وَعَسَلاً كَقَرَابِينِ بَوَاكِيرِ الْحَصَادِ، وَلَكِنَّهَا لَا تُصْعَدُ عَلَى الْمَذْبَحِ كَمُحْرَقَاتِ رِضًى وَسُرُورٍ. 13عَلَيْكَ أَنْ تُمَلِّحَ تَقْدِمَاتِكَ. إِيَّاكَ أَنْ تُخْلِيَ تَقْدِمَتَكَ مِنْ مِلْحِ عَهْدِ إِلَهِكَ. مَعَ جَمِيعِ تَقْدِمَاتِكَ قَرِّبْ مِلْحاً.

14وَإِنْ قَدَّمْتَ قُرْبَاناً مِنْ بَوَاكِيرِ حَصَادِكَ، فَلْيَكُنْ فَرِيكاً مَشْوِيًّا بِنَارٍ، تَنْزِعُ حَبَّهُ مِنْ رُؤُوسِ سَنَابِلِهِ الطَّرِيَّةِ وَتَجْرِشُهُ وَتَشْوِيهِ، ثُمَّ تُقَدِّمُهُ بَاكُورَةَ حَصَادِكَ، 15بَعْدَ أَنْ تَصُبَّ عَلَيْهِ زَيْتاً وَتَضَعَ فَوْقَهُ لُبَاناً. إِنَّهُ تَقْدِمَةٌ. 16ثُمَّ يُحْرِقُ الْكَاهِنُ مِنْهُ جُزْءاً تَذْكَارِيًّا مَعَ زَيْتِهِ وَجَمِيعِ لُبَانِهِ، فَيَكُونُ مُحْرَقَةً لِلرَّبِّ.

Hindi Contemporary Version

लेवी 2:1-16

अन्‍नबलि के लिए विधान

1“ ‘जब याहवेह के लिए बलि के रूप में कोई अन्‍नबलि लेकर आए, तो यह भेंट महीन आटे की हो. वह इस पर तेल उण्डेले और लोबान रखे. 2फिर वह इसे अहरोन के पुत्रों के पास, जो पुरोहित हैं, लाए. वह उसमें से एक मुट्ठी भर महीन आटा, तेल एवं लोबान ले. पुरोहित उसको स्मरण दिलाने वाले भाग के रूप में वेदी पर जलाए. यह अग्निबलि याहवेह के लिए सुखद-सुगंध होगी. 3अन्‍नबलि का बचा हुआ भाग अहरोन व उनके पुत्रों के लिए निर्धारित है; यह याहवेह के लिए अग्निबलियों का परम पवित्र भाग है.

4“ ‘यदि तुम्हारी बलि भट्टी में पकी हुई अन्‍नबलि हो, तो यह सबसे अच्छे आटे से बनी हो. यह तेल में गूंधी हुई, खमीर रहित रोटी या तेल से चुपड़ी हुई खमीर रहित पपड़ी हो. 5यदि तुम्हारी बलि तवे पर पकी हुई अन्‍नबलि है, तो यह तेल में गूंधे हुए खमीर रहित, महीन आटे की हो. 6तुम इसे टुकड़े-टुकड़े कर इस पर तेल उण्डेलना. यह एक अन्‍नबलि है. 7यदि तुम्हारी बलि कड़ाही में पकी हुई अन्‍नबलि है, तो यह तेल में गूंधे हुए महीन आटे की हो. 8जब तुम याहवेह के सामने इन वस्तुओं से बनी अन्‍नबलि लेकर आओ, तो यह पुरोहित के पास लाया जाए और वह इसे वेदी पर लेकर आए. 9फिर पुरोहित इस अन्‍नबलि से इसका स्मरण दिलाने वाला भाग लेकर वेदी पर अग्निबलि के रूप में जलाए. यह याहवेह के लिए सुखद-सुगंध की अग्निबलि होगी. 10अन्‍नबलि का बचा हुआ भाग अहरोन व उनके पुत्रों के लिए निर्धारित है; यह याहवेह के लिए अग्निबलियों का परम पवित्र भाग है.

11“ ‘कोई भी अन्‍नबलि, जो तुम याहवेह के सामने लेकर आओ, वह खमीर के साथ न बनाई जाये, क्योंकि तुम याहवेह को न तो खमीर की और न ही मधु की अग्निबलि भेंट करना. 12तुम इन्हें याहवेह के सामने पहली उपज की बलि के रूप में भेंट करना. किंतु ये वेदी पर याहवेह को सुखद-सुगंध के लिए भेंट न की जाएं. 13तुम अपनी सब अन्‍न बलियों में नमक चढ़ाना. तुम्हारी अन्‍नबलि से तुम्हारे परमेश्वर की वाचा का नमक अलग न रहे, अपनी सब बलियों के साथ तुम नमक भेंट करना.

14“ ‘यदि तुम याहवेह को पहले फल की बलि भेंट करो, तो अपनी पहले फल बलि में अग्निबलि के लिए अग्नि में भुने गए नए अन्‍न की बालें लेकर आना. 15तुम इस पर तेल लगाना और लोबान रखना; यह एक अन्‍नबलि है. 16पुरोहित इसके स्मरण के लिए निर्धारित अंश, छिलका निकाला गया अन्‍न, तेल और इसके सारे लोबान के साथ जलाकर अग्निबलि के रूप में याहवेह को भेंट कर दे.