التثنية 8 – NAV & HCV

Ketab El Hayat

التثنية 8:1-20

لا تنسوا الرب

1فَاحْفَظُوا جَمِيعَ الْوَصَايَا الَّتِي أُوصِيكُمْ بِها الْيَوْمَ لِتُمَارِسُوهَا، فَتَحْيَوْا وَتَتَكَاثَرُوا وَتَدْخُلُوا لامْتِلاكِ الأَرْضِ الَّتِي أَقْسَمَ الرَّبُّ عَلَيْهَا لِآبَائِكُمْ. 2وَتَذَكَّرُوا كَيْفَ قَادَكُمُ الرَّبُّ إِلَهُكُمْ فِي كُلِّ طَرِيقِ الصَّحْرَاءِ هَذِهِ الأَرْبَعِينَ سَنَةً لِيُذِلَّكُمْ وَيَمْتَحِنَكُمْ، فَيَعْرِفَ مَا فِي قُلُوبِكُمْ: إِنْ كُنْتُمْ تَحْفَظُونَ أَوَامِرَهُ أَمْ تَعْصَوْنَهُ. 3فَأَذَلَّكُمْ ثُمَّ أَجَاعَكُمْ وَأَطْعَمَكُمُ الْمَنَّ الَّذِي لَمْ تَكُونُوا تَعْرِفُونَهُ، لَا أَنْتُمْ وَلا آبَاؤُكُمْ لِيُعَلِّمَكُمْ أَنَّهُ لَيْسَ بِالْخُبْزِ وَحْدَهُ يَحْيَا الإِنْسَانُ، بَلْ بِكُلِّ كَلِمَةٍ يَنْطِقُ بِها فَمُ الرَّبِّ. 4وَفِي غُضُونِ الأَرْبَعِينَ سَنَةً لَمْ تَبْلَ ثِيَابُكُمْ عَلَيْكُمْ، وَلَمْ تَتَوَرَّمْ أَقْدَامُكُمْ. 5فَاعْلَمُوا إِذاً فِي قُلُوبِكُمْ أَنَّ الرَّبَّ إِلَهَكُمْ قَدْ أَدَّبَكُمْ كَمَا يُؤَدِّبُ الْمَرْءُ ابْنَهُ. 6فَأَطِيعُوا وَصَايَا الرَّبِّ إِلَهِكُمْ لِتَسْلُكُوا فِي سُبُلِهِ وَاتَّقُوهُ.

7لأَنَّ الرَّبَّ إِلَهَكُمْ آتٍ بِكُمْ إِلَى أَرْضٍ خَصِيبَةٍ، تَكْثُرُ فِيهَا الأَنْهَارُ وَالآبَارُ، وَعُيُونُ مَاءٍ تَتَدَفَّقُ فِي الْوِدْيَانِ وَالْجِبَالِ. 8إِلَى أَرْضِ قَمْحٍ وَشَعِيرٍ وَكُرُومٍ وَتِينٍ وَرُمَّانٍ وَزَيْتُونٍ وَعَسَلٍ. 9إِلَى أَرْضٍ لَا تَأْكُلُونَ بِالذُّلِّ خُبْزَكُمْ وَلا يُعْوِزُكُمْ فِيهَا شَيْءٌ. هِيَ أَرْضٌ يَتَوَافَرُ فِي حِجَارَتِهَا الْحَدِيدُ، وَمِنْ جِبَالِهَا تَسْتَخْرِجُونَ النُّحَاسَ. 10فَمَتَى أَكَلْتُمْ وَشَبِعْتُمْ بَارِكُوا الرَّبَّ إِلَهَكُمُ الَّذِي وَهَبَكُمْ هَذِهِ الأَرْضَ الْخَصِيبَةَ.

11إِيَّاكُمْ نِسْيَانَ الرَّبِّ إِلَهِكُمْ وَإِهْمَالَ وَصَايَاهُ وَأَحْكَامِهِ وَفَرَائِضِهِ الَّتِي أُوصِيكُمُ الْيَوْمَ بِها، 12لِئَلّا إِذَا أَكَلْتُمْ وَشَبِعْتُمْ وَبَنَيْتُمْ بُيُوتاً جَمِيلَةً سَكَنْتُمُوهَا، 13وَتَكَاثَرَتْ أَبْقَارُكُمْ وَغَنَمُكُمْ وَذَهَبُكُمْ وَجَمِيعُ مَا لَكُمْ. 14تَتَكَبَّرُ قُلُوبُكُمْ وَتَنْسَوْنَ الرَّبَّ إِلَهَكُمُ الَّذِي أَطْلَقَكُمْ مِنْ نِيرِ عُبُودِيَّةِ دِيَارِ مِصْرَ، 15وَقَادَكُمْ فِي الصَّحْرَاءِ الشَّاسِعَةِ الْمَهُولَةِ، حَيْثُ تَكْمُنُ أَفَاعٍ سَامَّةٌ وَعَقَارِبُ وَعَطَشٌ لِخُلُوِّهَا مِنَ الْمَاءِ، فَفَجَّرَ لَكُمْ مَاءً مِنْ صَخْرَةِ الصَّوَّانِ. 16الَّذِي أَطْعَمَكُمْ فِي الصَّحْرَاءِ الْمَنَّ الَّذِي لَمْ يَعْرِفْهُ آبَاؤُكُمْ لِيُذِلَّكُمْ وَيَمْتَحِنَكُمْ، فَيُحْسِنَ إِلَيْكُمْ فِي آخِرَتِكُمْ، 17خَوْفاً مِنْ أَنْ تَقُولُوا فِي قُلُوبِكُمْ: لَقَدْ أَحْرَزْنَا هَذَا الثَّرَاءَ بِفَضْلِ قُوَّتِنَا وَقُدْرَةِ أَيْدِينَا. 18وَلَكِنِ اذْكُرُوا أَنَّ الرَّبَّ إِلَهَكُمْ هُوَ الَّذِي يَمْنَحُكُمُ الْقُوَّةَ لإِحْرَازِ الثَّرْوَةِ، وَفَاءً بِوَعْدِهِ الَّذِي أَقْسَمَ عَلَيْهِ لِآبَائِكُمْ كَمَا فِي هَذَا الْيَوْمِ. 19أَمَّا إِنْ نَسِيتُمُ الرَّبَّ إِلَهَكُمْ، وَغَوَيْتُمْ وَرَاءَ آلِهَةٍ أُخْرَى وَعَبَدْتُمُوهَا وَسَجَدْتُمْ لَهَا، فَإِنَّنِي أُشْهِدُ عَلَيْكُمْ أَنَّكُمْ لَا مَحَالَةَ هَالِكُونَ. 20كَالأُمَمِ الَّتِي يُبِيدُهَا الرَّبُّ مِنْ أَمَامِكُمْ هَكَذَا أَنْتُمْ أَيْضاً تَبِيدُونَ، لأَنَّكُمْ لَمْ تُطِيعُوا أَمْرَ الرَّبِّ إِلَهِكُمْ.

Hindi Contemporary Version

व्यवस्था 8:1-20

परमेश्वर की कृपालुता

1वे सभी आदेश, जो आज मैं तुम्हें दे रहा हूं, यह ज़रूरी है कि तुम सावधानीपूर्वक उनका पालन करोगे, कि तुम जीवित रह सको, गिनती में बढ़ते जाओ और जाकर उस देश पर अधिकार कर लो, जिसे देने की शपथपूर्वक प्रतिज्ञा याहवेह ने तुम्हारे पूर्वजों से की थी. 2उस पूरे मार्ग को कभी न भुलाना, जिस पर तुम्हें याहवेह तुम्हारे परमेश्वर इन चालीस सालों में निर्जन प्रदेश से होते हुए लेकर आए हैं, कि वह इसके द्वारा तुम्हें नम्र बना सकें. वह तुम्हें परखते रहे, कि तुम्हारे हृदय की थाह ले सकें. कि तुम उनके आदेशों का पालन करोगे भी या नहीं. 3याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें नम्र बना दिया, उन्होंने तुम्हें भूखा ही रहने दिया और तुम्हें खाने के लिए मन्‍ना प्रदान किया जो तुम्हारे लिए एकदम नई वस्तु थी, तुम्हारे लिए और तुम्हारे पूर्वजों के लिए भी. इसका उद्देश्य यह था कि तुम यह पहचान लो कि मनुष्य का जीवन सिर्फ भोजन पर नहीं, बल्कि याहवेह के मुख से निकले हुए हर एक शब्द पर भी निर्भर है. 4इन चालीस सालों में तुम्हारे द्वारा पहने गए वस्त्र न तो जर्जर हुए, और न तुम्हारे पांवों में कभी सूजन आई. 5तब अपने हृदय में यह सच्चाई अच्छी तरह से बैठा लो, कि याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम पर उसी प्रकार अनुशासन कर रहे थे, जिस प्रकार पिता अपने पुत्र पर.

6तब तुम याहवेह अपने परमेश्वर के आदेशों का पालन करोगे, कि तुम उनकी नीतियों का पालन करो और उनके प्रति श्रद्धा और भय बनाए रखो. 7क्योंकि याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें एक उत्तम देश में ले जा रहे हैं. वह देश, जो नदियों, झरनों और जल-स्रोतों का देश है, जिनका बहाव घाटियों और पहाड़ियों के बीच है; 8इस देश में गेहूं, जौ उत्पन्‍न होते हैं; यह अंगूर की लताओं, अंजीर, अनार, जैतून और शहद का देश है; 9इस देश में तुम्हें भोजन का कोई अभाव न होगा; तुम्हें किसी भी वस्तु का अभाव न होगा. यह ऐसा देश है, जिसकी चट्टानों में लौह के भंडार हैं, इसकी पहाड़ियों में से तांबा प्राप्‍त किया जा सकता है.

10जब तुम भोजन के बाद तृप्‍त हो जाओ, तो तुम याहवेह तुम्हारे परमेश्वर की स्तुति करोगे, कि उन्होंने तुम्हें यह उत्तम देश प्रदान किया है. 11यह ध्यान रहे कि तुम आज मेरे द्वारा प्रस्तुत उनके आदेशों, अध्यादेशों और नियमों का पालन न करने के द्वारा तुम याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर को भुला न दो; 12नहीं तो तृप्‍त हो जाने के बाद और जब तुमने अपने घरों का उत्तम निर्माण कर लिया है, जब तुम उनमें निवास करने लगो, 13जब तुम्हारे पशु और भेड़-बकरी बढ़ने लगें, तुम्हारे सोने और चांदी में वृद्धि होने लगे और तुम्हारी पूरी संपत्ति में ही वृद्धि हो जाए, 14तब तो तुम्हारे हृदय में घमण्ड़ का आना स्वाभाविक ही होगा और तुम याहवेह अपने परमेश्वर को, जिन्होंने तुम्हें मिस्र देश से, उस दासत्व के जीवन से निकाल लिया है, भुला दो. 15जिन्होंने तुम्हें उस बड़े और भयानक निर्जन प्रदेश से यहां लाया है, जहां विषैले सांप और बिच्छू थे, भूमि सूखी थी, जहां जल नहीं मिलता था, वहां याहवेह तुम्हारे परमेश्वर ने ही उस चकमक की चट्टान में से जल निकाला. 16निर्जन प्रदेश में उन्होंने तुम्हें मन्‍ना का भोजन दिया, जो तुम्हारे पूर्वज जानते भी न थे, कि वे तुम्हें नम्र बना दें, कि वह तुम्हारी जांच करें, कि इससे अंततः तुम्हारा ही भला हो. 17नहीं तो यह संभव है कि तुम मन में यह मान लो, “यह तो मेरी ही शक्ति और मेरी ही क्षमता से कमाई मेरी संपत्ति है.” 18मगर तुम याहवेह, अपने परमेश्वर को नहीं भुलाओगे, क्योंकि यह उन्हीं का दिया हुआ है, जिससे तुमने इस संपत्ति को इकट्ठा किया है, कि जैसा आज तुम्हारे सामने साफ़ ही है, उन्होंने यह तुम्हारे पूर्वजों से शपथपूर्वक की गई प्रतिज्ञा पूरी करने के लिया किया है.

19यदि भविष्य में तुम पराए देवताओं का अनुगमन कर उनकी उपासना और वंदना करने लगो और याहवेह अपने परमेश्वर को भुला दो, तो आज मैं तुम्हारे विषय में यह घोषणा कर रहा हूं: तुम निःसंदेह नाश हो जाओगे. 20जैसे उन जनताओं को याहवेह ने तुम्हारे सामने से खदेड़ कर नाश किया था, वैसी ही होगी तुम्हारी स्थिति, क्योंकि तुमने याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के आदेशों की उपेक्षा की.