إنجيل يوحنا 2 – NAV & HCV

Ketab El Hayat

إنجيل يوحنا 2:1-25

يسوع يحول الماء لخمر

1وَفِي الْيَوْمِ الثَّالِثِ كَانَ عُرْسٌ فِي قَانَا بِمِنْطَقَةِ الْجَلِيلِ، وَكَانَتْ هُنَاكَ أُمُّ يَسُوعَ. 2وَدُعِيَ إِلَى الْعُرْسِ أَيْضاً يَسُوعُ وَتَلامِيذُهُ. 3فَلَمَّا نَفَدَتِ الْخَمْرُ، قَالَتْ أُمُّ يَسُوعَ لَهُ: «لَمْ يَبْقَ عِنْدَهُمْ خَمْرٌ!» 4فَأَجَابَهَا: «مَا شَأْنُكِ بِي يَا امْرَأَةُ؟ سَاعَتِي لَمْ تَأْتِ بَعْدُ!» 5فَقَالَتْ أُمُّهُ لِلْخَدَمِ: «افْعَلُوا كُلَّ مَا يَأْمُرُكُمْ بِهِ». 6وَكَانَتْ هُنَاكَ سِتَّةُ أَجْرَانٍ حَجَرِيَّةٍ، يَسْتَعْمِلُ الْيَهُودُ مَاءَهَا لِلتَّطَهُّرِ، يَسَعُ الْوَاحِدُ مِنْهَا مَا بَيْنَ مِكْيَالَيْنِ أَوْ ثَلاثَةٍ (أَيْ مَا بَيْنَ ثَمَانِينَ إِلَى مِئَةٍ وَعِشْرِينَ لِتْراً). 7فَقَالَ يَسُوعُ لِلْخَدَمِ: «امْلأُوا الأَجْرَانَ مَاءً». فَمَلأُوهَا حَتَّى كَادَتْ تَفِيضُ. 8ثُمَّ قَالَ لَهُمْ: «وَالآنَ اغْرِفُوا مِنْهَا وَقَدِّمُوا إِلَى رَئِيسِ الْوَلِيمَةِ!» فَفَعَلُوا. 9وَلَمَّا ذَاقَ رَئِيسُ الْوَلِيمَةِ الْمَاءَ الَّذِي كَانَ قَدْ تَحَوَّلَ إِلَى خَمْرٍ، وَلَمْ يَكُنْ يَعْرِفُ مَصْدَرَهُ، أَمَّا الْخَدَمُ الَّذِينَ قَدَّمُوهُ فَكَانُوا يَعْرِفُونَ، اسْتَدْعَى الْعَرِيسَ، 10وَقَالَ لَهُ: «النَّاسُ جَمِيعاً يُقَدِّمُونَ الْخَمْرَ الْجَيِّدَةَ أَوَّلاً، وَبَعْدَ أَنْ يَسْكَرَ الضُّيُوفُ يُقَدِّمُونَ لَهُمْ مَا كَانَ دُونَهَا جَوْدَةً. أَمَّا أَنْتَ فَقَدْ أَبْقَيْتَ الْخَمْرَ الْجَيِّدَةَ حَتَّى الآنَ!»

11هَذِهِ الْمُعْجِزَةُ هِيَ الآيَةُ الأُولَى الَّتِي أَجْرَاهَا يَسُوعُ فِي قَانَا بِالْجَلِيلِ، وَأَظْهَرَ مَجْدَهُ، فَآمَنَ بِهِ تَلامِيذُهُ.

12وَبَعْدَ هَذَا، نَزَلَ يَسُوعُ وَأُمُّهُ وَإخْوَتُهُ وَتَلامِيذُهُ إِلَى مَدِينَةِ كَفْرَنَاحُومَ، حَيْثُ أَقَامُوا بِضْعَةَ أَيَّامٍ.

يسوع يطهر الهيكل

13وَإِذِ اقْتَرَبَ عِيدُ الْفِصْحِ الْيَهُودِيُّ، صَعِدَ يَسُوعُ إِلَى أُورُشَلِيمَ، 14فَوَجَدَ فِي الْهَيْكَلِ بَاعَةَ الْبَقَرِ وَالْغَنَمِ وَالْحَمَامِ، وَالصَّيَارِفَةَ جَالِسِينَ إِلَى مَوَائِدِهِمْ، 15فَجَدَلَ سَوْطاً مِنْ حِبَالٍ، وَطَرَدَهُمْ جَمِيعاً مِنَ الْهَيْكَلِ، مَعَ الْغَنَمِ وَالْبَقَرِ، وَبَعْثَرَ نُقُودَ الصَّيَارِفَةِ وَقَلَبَ مَنَاضِدَهُمْ، 16وَقَالَ لِبَائِعِي الْحَمَامِ: «أَخْرِجُوا هذِهِ مِنْ هُنَا. لَا تَجْعَلُوا بَيْتَ أَبِي بَيْتاً لِلتِّجَارَةِ!» 17فَتَذَكَّرَ تَلامِيذُهُ أَنَّهُ جَاءَ فِي الْكِتَابِ: «الْغَيْرَةُ عَلَى بَيْتِكَ تَأْكُلُنِي».

18فَتَصَدَّى الْيَهُودُ لِيَسُوعَ وَقَالُوا لَهُ: «هَاتِ آيَةً تُثْبِتُ سُلْطَتَكَ لِفِعْلِ مَا فَعَلْتَ!» 19أَجَابَهُمْ يَسُوعُ: «اهْدِمُوا هَذَا الْهَيْكَلَ، وَفِي ثَلاثَةِ أَيَّامٍ أُقِيمُهُ». 20فَقَالَ لَهُ الْيَهُودُ: «اقْتَضَى بِنَاءُ هَذَا الْهَيْكَلِ سِتَّةً وَأَرْبَعِينَ عَاماً، فَهَلْ تُقِيمُهُ أَنْتَ فِي ثَلاثَةِ أَيَّامٍ؟» 21وَلكِنَّهُ كَانَ يُشِيرُ إِلَى هَيْكَلِ جَسَدِهِ. 22فَلَمَّا قَامَ مِنْ بَيْنِ الأَمْوَاتِ فِيمَا بَعْدُ تَذَكَّرَ تَلامِيذُهُ قَوْلَهُ هَذَا، فَآمَنُوا بِالْكِتَابِ وَبِالْكَلامِ الَّذِي قَالَهُ يَسُوعُ.

23وَبَيْنَمَا كَانَ فِي أُورُشَلِيمَ فِي عِيدِ الْفِصْحِ، آمَنَ بِاسْمِهِ كَثِيرُونَ إِذْ شَهِدُوا الآيَاتِ الَّتِي أَجْرَاهَا. 24وَلَكِنَّهُ هُوَ لَمْ يَأْتَمِنْهُمْ عَلَى نَفْسِهِ، لأَنَّهُ كَانَ يَعْرِفُ الْجَمِيعَ 25وَلَمْ يَكُنْ بِحَاجَةٍ إِلَى مَنْ يَشْهَدُ لَهُ عَنِ الإِنْسَانِ، لأَنَّهُ يَعْرِفُ دَخِيلَةَ الإِنْسَانِ.

Hindi Contemporary Version

योहन 2:1-25

पानी को दाखरस में बदलना

1तीसरे दिन गलील प्रदेश के काना नगर में एक विवाहोत्सव था. मसीह येशु की माता वहां उपस्थित थी. 2मसीह येशु और उनके शिष्य भी वहां आमंत्रित थे. 3जब वहां दाखरस कम पड़ने लगा तो मसीह येशु की माता ने उनसे कहा, “उनका दाखरस समाप्‍त हो गया है.”

4इस पर मसीह येशु ने उनसे कहा, “हे स्त्री, इससे आपका और मेरा क्या संबंध? मेरा समय अभी नहीं आया है.”

5उनकी माता ने सेवकों से कहा, “जो कुछ वह तुमसे कहें, वही करो.”

6वहां यहूदी परंपरा के अनुसार शुद्ध करने के लिए जल के छः पत्थर के बर्तन रखे हुए थे. हर एक में लगभग सौ सवा सौ लीटर जल समाता था.

7मसीह येशु ने सेवकों से कहा, “बर्तनों को जल से भर दो.” उन्होंने उन्हें मुंह तक भर दिया.

8इसके बाद मसीह येशु ने उनसे कहा, “अब इसमें से थोड़ा निकालकर समारोह के संचालक के पास ले जाओ.”

उन्होंने वैसा ही किया. 9जब समारोह के प्रधान ने उस जल को चखा—जो वास्तव में दाखरस में बदल गया था और उसे मालूम नहीं था कि वह कहां से आया था, किंतु जिन्होंने उसे निकाला था, वे जानते थे—तब समारोह के प्रधान ने दुल्हे को बुलवाया 10और उससे कहा, “हर एक व्यक्ति पहले उत्तम दाखरस परोसता है और जब लोग पीकर तृप्‍त हो जाते हैं, तब सस्ता, परंतु तुमने तो उत्तम दाखरस अब तक रख छोड़ा है!”

11यह मसीह येशु के अद्भुत चिह्नों के करने की शुरुआत थी, जो गलील प्रदेश के काना नगर में हुआ, जिसके द्वारा उन्होंने अपना प्रताप प्रकट किया तथा उनके शिष्यों ने उनमें विश्वास किया.

12इसके बाद मसीह येशु, उनकी माता, उनके भाई तथा उनके शिष्य कुछ दिनों के लिए कफ़रनहूम नगर चले गए.

येरूशलेम मंदिर की शुद्धि

13जब यहूदियों का फ़सह2:13 फ़सह यहूदियों का सबसे बड़ा त्योहार जब मिस्र में उनकी 430 साल की ग़ुलामी से उनके छुटकारे को वे स्मरण करते हैं उत्सव पास आया तो मसीह येशु अपने शिष्यों के साथ येरूशलेम गए. 14उन्होंने मंदिर में बैल, भेड़ और कबूतर बेचने वालों तथा साहूकारों को व्यापार करते हुए पाया. 15इसलिये उन्होंने रस्सियों का एक कोड़ा बनाया और उन सबको बैलों और भेड़ों सहित मंदिर से बाहर निकाल दिया और साहूकारों के सिक्‍के बिखेर दिए, उनकी चौकियों को उलट दिया 16और कबूतर बेचने वालों से कहा, “इन्हें यहां से ले जाओ. मेरे पिता के भवन को व्यापारिक केंद्र मत बनाओ.” 17यह सुन शिष्यों को पवित्र शास्त्र का यह लेख याद आया: “आपके भवन की धुन में जलते जलते मैं भस्म हुआ.”2:17 स्तोत्र 69:9

18तब यहूदी अगुओं ने मसीह येशु से कहा, “इन कामों पर अपना अधिकार प्रमाणित करने के लिए तुम हमें क्या चिह्न दिखा सकते हो?”

19मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “इस मंदिर को ढाह दो, इसे मैं तीन दिन में दोबारा खड़ा कर दूंगा.”

20इस पर यहूदी अगुओं ने कहा, “इस मंदिर के निर्माण में छियालीस वर्ष लगे हैं, क्या तुम इसे तीन दिन में खड़ा कर सकते हो?” 21परंतु मसीह येशु यहां अपने शरीर रूपी मंदिर का वर्णन कर रहे थे. 22इसलिये मरे हुओं में से जी उठने के बाद शिष्यों को उनका यह कथन याद आया और उन्होंने पवित्र शास्त्र और मसीह येशु द्वारा कहे गए वचन में विश्वास किया.

23फ़सह उत्सव के समय जब मसीह येशु येरूशलेम में थे, तो उनके द्वारा किए गए अद्भुत चिन्हों को देखकर अनेक लोगों ने उनमें विश्वास किया, 24किंतु मसीह येशु उनके प्रति आश्वस्त नहीं थे क्योंकि वह मनुष्य के स्वभाव से परिचित थे. 25उन्हें मनुष्य के विषय में मनुष्य की गवाही की ज़रूरत नहीं थी. वह जानते थे कि मनुष्य क्या है.