إنجيل يوحنا 18 – NAV & HCV

Ketab El Hayat

إنجيل يوحنا 18:1-40

القبض على يسوع

1بَعْدَمَا انْتَهَى يَسُوعُ مِنْ صَلاتِهِ هذِهِ، خَرَجَ مَعَ تَلامِيذِهِ وَعَبَرُوا وَادِي قِدْرُونَ. وَكَانَ هُنَالِكَ بُسْتَانٌ، فَدَخَلَهُ هُوَ وَتَلامِيذُهُ. 2وَكَانَ يَهُوذَا الَّذِي خَانَهُ يَعْرِفُ ذلِكَ الْمَكَانَ لأَنَّ يَسُوعَ كَانَ يَجْتَمِعُ فِيهِ كَثِيراً مَعَ تَلامِيذِهِ. 3فَذَهَبَ يَهُوذَا إِلَى هُنَاكَ آخِذاً مَعَهُ فِرْقَةَ الْجُنُودِ وَحَرَسَ الْهَيْكَلِ، الَّذِينَ أَرْسَلَهُمْ رُؤَسَاءُ الْكَهَنَةِ وَالْفَرِّيسِيُّونَ، وَهُمْ يَحْمِلُونَ الْمَشَاعِلَ وَالْمَصَابِيحَ وَالسِّلاحَ. 4وَكَانَ يَسُوعُ يَعْرِفُ كُلَّ مَا سَيَحْدُثُ لَهُ، فَتَقَدَّمَ نَحْوَهُمْ وَقَالَ: «مَنْ تُرِيدُونَ؟» 5فَأَجَابُوهُ: «يَسُوعَ النَّاصِرِيَّ». فَقَالَ لَهُمْ: «أَنَا هُوَ». وَكَانَ يَهُوذَا الَّذِي خَانَهُ وَاقِفاً مَعَهُمْ. 6فَلَمَّا قَالَ لَهُمْ: «أَنَا هُوَ»، تَرَاجَعُوا وَسَقَطُوا عَلَى الأَرْضِ! 7فَعَادَ يَسُوعُ يَسْأَلُهُمْ: «مَنْ تُرِيدُونَ؟» أَجَابُوهُ: «يَسُوعَ النَّاصِرِيَّ». 8فَقَالَ: «قُلْتُ لَكُمْ: أَنَا هُوَ، فَإِنْ كُنْتُمْ تُرِيدُونَنِي أَنَا، فَدَعُوا هؤُلاءِ يَذْهَبُونَ». 9وَذلِكَ لِتَتِمَّ الْكَلِمَةُ الَّتِي قَالَهَا: «إِنَّ الَّذِينَ وَهَبْتَهُمْ لِي لَمْ يَهْلِكْ مِنْهُمْ أَحَدٌ!»

10وَكَانَ مَعَ سِمْعَانَ بُطْرُسَ سَيْفٌ فَاسْتَلَّهُ وَضَرَبَ بِهِ عَبْدَ رَئِيسِ الْكَهَنَةِ، فَقَطَعَ أُذُنَهُ الْيُمْنَى. وَكَانَ اسْمُ الْعَبْدِ مَلْخُسَ. 11فَقَالَ يَسُوعُ لِبُطْرُسَ: «أَعِدِ السَّيْفَ إِلَى غِمْدِهِ! الْكَأْسُ الَّتِي أَعْطَانِي الآبُ، أَلا أَشْرَبُهَا؟»

يسوع أمام حنان

12فَقَبَضَتِ الْفِرْقَةُ وَالْقَائِدُ وَحَرَسُ الْهَيْكَلِ عَلَى يَسُوعَ وَقَيَّدُوهُ. 13وَسَاقُوهُ أَوَّلاً إِلَى حَنَّانَ وَهُوَ حَمُو قَيَافَا رَئِيسِ الْكَهَنَةِ فِي تِلْكَ السَّنَةِ. 14وَقَيَافَا هُوَ الَّذِي أَشَارَ عَلَى الْيَهُودِ بِأَنَّهُ مِنَ الأَفْضَلِ أَنْ يَمُوتَ رَجُلٌ وَاحِدٌ فِدَى الأُمَّةِ.

بطرس ينكر المسيح أولاً

15وَتَبِعَ يَسُوعَ سِمْعَانُ بُطْرُسُ وَتِلْمِيذٌ آخَرُ كَانَ رَئِيسُ الْكَهَنَةِ يَعْرِفُهُ. فَدَخَلَ ذَلِكَ التِّلْمِيذُ مَعَ يَسُوعَ إِلَى دَارِ رَئِيسِ الْكَهَنَةِ. 16أَمَّا بُطْرُسُ فَوَقَفَ بِالْبَابِ خَارِجاً. فَخَرَجَ التِّلْمِيذُ الآخَرُ الَّذِي كَانَ رَئِيسُ الْكَهَنَةِ يَعْرِفُهُ، وَكَلَّمَ الْبَوَّابَةَ فَأَدْخَلَ بُطْرُسَ. 17فَسَأَلَتِ الْخَادِمَةُ الْبَوَّابَةُ بُطْرُسَ: «أَلَسْتَ أَنْتَ أَحَدَ تَلامِيذِ هَذَا الرَّجُلِ؟» أَجَابَهَا: «لا، لَسْتُ مِنْهُمْ!» 18وَكَانَ الطَّقْسُ بَارِداً، وَقَدْ أَوْقَدَ الْعَبِيدُ وَالْحُرَّاسُ نَاراً وَوَقَفُوا يَسْتَدْفِئُونَ حَوْلَهَا، فَوَقَفَ بُطْرُسُ يَسْتَدْفِئُ مَعَهُمْ.

رئيس الكهنة يسأل يسوع

19وَسَأَلَ رَئِيسُ الْكَهَنَةِ يَسُوعَ عَنْ تَلامِيذِهِ، وَعَنْ تَعْلِيمِهِ. 20فَأَجَابَهُ يَسُوعُ: «عَلَناً تَكَلَّمْتُ إِلَى الْعَالَمِ، وَدَائِماً عَلَّمْتُ فِي الْمَجْمَعِ وَالْهَيْكَلِ حَيْثُ يَجْتَمِعُ الْيَهُودُ كُلُّهُمْ، وَلَمْ أَقُلْ شَيْئاً فِي السِّرِّ. 21فَلِمَاذَا تَسْأَلُنِي أَنَا؟ اسْأَلِ الَّذِينَ سَمِعُوا مَا تَكَلَّمْتُ بِهِ إِلَيْهِمْ، فَهُمْ يَعْرِفُونَ مَا قُلْتُهُ!» 22فَلَمَّا قَالَ يَسُوعُ هَذَا لَطَمَهُ أَحَدُ الْحُرَّاسِ وَقَالَ لَهُ: «أَهكَذَا تُجِيبُ رَئِيسَ الْكَهَنَةِ؟» 23أَجَابَهُ يَسُوعُ: «إِنْ كُنْتُ أَسَأْتُ الْكَلامَ فَاشْهَدْ عَلَى الإِسَاءَةِ، أَمَّا إِذَا كُنْتُ أَحْسَنْتُ، فَلِمَاذَا تَضْرِبُنِي؟» 24ثُمَّ أَرْسَلَهُ حَنَّانُ مُقَيَّداً إِلَى قَيَافَا رَئِيسِ الْكَهَنةِ.

بطرس ينكر المسيح ثانياً

25وَكَانَ بُطْرُسُ وَاقِفاً هُنَاكَ يَسْتَدْفِئُ، فَسَأَلُوهُ: «أَلَسْتَ أَنْتَ أَيْضاً مِنْ تَلامِيذِهِ؟» فَأَنْكَرَ وَقَالَ: «لَسْتُ أَنَا». 26فَقَالَ وَاحِدٌ مِنْ عَبِيدِ رَئِيسِ الْكَهَنَةِ، وَهُوَ نَسِيبُ الْعَبْدِ الَّذِي قَطَعَ بُطْرُسُ أُذُنَهُ: «أَمَا رَأَيْتُكَ مَعَهُ فِي الْبُسْتَانِ؟» 27فَأَنْكَرَ بُطْرُسُ مَرَّةً أُخْرَى. وَفِي الْحَالِ صَاحَ الدِّيكُ!

يسوع أمام بيلاطس

28ثُمَّ أَخَذُوا يَسُوعَ مِنْ دَارِ قَيَافَا إِلَى قَصْرِ الْحَاكِمِ الرُّومَانِيِّ، وَكَانَ ذلِكَ فِي الصَّبَاحِ الْبَاكِرِ. وَلَمْ يَدْخُلِ الْيَهُودُ إِلَى الْقَصْرِ لِئَلّا يَتَنَجَّسُوا فَلا يَتَمَكَّنُوا مِنَ الأَكْلِ مِنْ خَرُوفِ الْفِصْحِ. 29فَخَرَجَ بِيلاطُسُ إِلَيْهِمْ وَسَأَلَهُمْ: «بِمَاذَا تَتَّهِمُونَ هَذَا الرَّجُلَ؟» 30أَجَابُوهُ: «لَوْ لَمْ يَكُنْ مُذْنِباً، لَمَا سَلَّمْنَاهُ إِلَيْكَ!» 31فَقَالَ بِيلاطُسُ: «خُذُوهُ أَنْتُمْ وَحَاكِمُوهُ حَسَبَ شَرِيعَتِكُمْ». فَأَجَابُوهُ: «لا يَحِقُّ لَنَا أَنْ نَقْتُلَ أَحَداً!» 32وَقَدْ حَدَثَ هَذَا لِتَتِمَّ الْكَلِمَةُ الَّتِي قَالَهَا يَسُوعُ إِشَارَةً إِلَى الْمِيتَةِ الَّتِي سَيَمُوتُهَا.

33فَدَخَلَ بِيلاطُسُ قَصْرَهُ وَاسْتَدْعَى يَسُوعَ وَسَأَلَهُ: «أَأَنْتَ مَلِكُ الْيَهُودِ؟» 34فَرَدَّ يَسُوعُ: «أَتَقُولُ لِي هَذَا مِنْ عِنْدِكَ، أَمْ قَالَهُ لَكَ عَنِّي آخَرُونَ؟» 35فَقَالَ بِيلاطُسُ: «وَهَلْ أَنَا يَهُودِيٌّ؟ إِنَّ أُمَّتَكَ وَرُؤَسَاءَ الْكَهَنَةِ سَلَّمُوكَ إِلَيَّ. مَاذَا فَعَلْتَ؟» 36أَجَابَ يَسُوعُ: «لَيْسَتْ مَمْلَكَتِي مِنْ هَذَا الْعَالَمِ. وَلَوْ كَانَتْ مَمْلَكَتِي مِنْ هَذَا الْعَالَمِ، لَكَانَ حُرَّاسِي يُجَاهِدُونَ لِكَيْ لَا أُسَلَّمَ إِلَى الْيَهُودِ. أَمَّا الآنَ فَمَمْلَكَتِي لَيْسَتْ مِنْ هُنَا». 37فَسَأَلَهُ بِيلاطُسُ: «فَهَلْ أَنْتَ مَلِكٌ إِذَنْ؟» أَجَابَهُ: «أَنْتَ قُلْتَ، إِنِّي مَلِكٌ. وَلِهَذَا وُلِدْتُ وَجِئْتُ إِلَى الْعَالَمِ: لأَشْهَدَ لِلْحَقِّ، وَكُلُّ مَنْ هُوَ مِنَ الْحَقِّ يُصْغِي لِصَوْتِي». 38فَقَالَ لَهُ بِيلاطُسُ: «مَا هُوَ الْحَقُّ!» ثُمَّ خَرَجَ إِلَى الْيَهُودِ وَقَالَ: «إِنِّي لَا أَجِدُ فِيهِ ذَنْباً! 39وَقَدْ جَرَتِ الْعَادَةُ عِنْدَكُمْ أَنْ أُطْلِقَ لَكُمْ أَحَدَ السُّجَنَاءِ فِي عِيدِ الْفِصْحِ. فَهَلْ تُرِيدُونَ أَنْ أُطْلِقَ لَكُمْ مَلِكَ الْيَهُودِ؟» 40فَصَرَخُوا جَمِيعاً قَائِلِينَ: «لا تُطْلِقْ هَذَا، بَلْ بَارَابَاسَ». وَكَانَ بَارَابَاسُ لِصّاً!

Hindi Contemporary Version

योहन 18:1-40

मसीह येशु का बंदी बनाया जाना

1इन बातों के कहने के बाद मसीह येशु अपने शिष्यों के साथ किद्रोन घाटी पार कर एक बगीचे में गए.

2यहूदाह, जो उनके साथ धोखा कर रहा था, उस स्थान को जानता था क्योंकि मसीह येशु वहां अक्सर अपने शिष्यों से भेंट किया करते थे. 3तब यहूदाह रोमी सैनिकों का दल, प्रधान पुरोहितों तथा फ़रीसियों के सेवकों के साथ वहां आ पहुंचा. उनके पास लालटेनें, मशालें और शस्त्र थे.

4मसीह येशु ने यह जानते हुए कि उनके साथ क्या-क्या होने पर है, आगे बढ़कर उनसे पूछा, “तुम किसे खोज रहे हो?”

5“नाज़रेथवासी येशु को,” उन्होंने उत्तर दिया.

मसीह येशु ने कहा, “वह मैं ही हूं.” विश्वासघाती यहूदाह भी उनके साथ था. 6जैसे ही मसीह येशु ने कहा “वह मैं ही हूं,” वे पीछे हटे और गिर पड़े.

7मसीह येशु ने दोबारा पूछा, “तुम किसे खोज रहे हो?”

वे बोले, “नाज़रेथवासी येशु को.”

8मसीह येशु ने कहा, “मैं तुमसे कह चुका हूं कि वह मैं ही हूं. इसलिये यदि तुम मुझे ही खोज रहे हो तो इन्हें जाने दो.” 9यह इसलिये कि स्वयं उनके द्वारा कहा गया-यह वचन पूरा हो “आपके द्वारा सौंपे हुओं में से मैंने किसी एक को भी न खोया.”18:9 योह 6:39

10शिमओन पेतरॉस ने, जिनके पास तलवार थी, उसे म्यान से खींचकर महापुरोहित के एक सेवक पर वार कर दिया जिससे उसका दाहिना कान कट गया. (उस सेवक का नाम मालखॉस था.)

11यह देख मसीह येशु ने पेतरॉस को आज्ञा दी, “तलवार म्यान में रखो! क्या मैं वह प्याला न पिऊं जो पिता ने मुझे दिया है?”

12तब सैनिकों के दल, सेनापति और यहूदियों के अधिकारियों ने मसीह येशु को बंदी बना लिया. 13पहले वे उन्हें हन्‍ना के पास ले गए, जो उस वर्ष के महापुरोहित कायाफ़स का ससुर था. 14कायाफ़स ने ही यहूदी अगुओं को विचार दिया था कि राष्ट्र के हित में एक व्यक्ति का प्राण त्याग करना सही है.

पेतरॉस का पहला नकारना

15शिमओन पेतरॉस और एक अन्य शिष्य मसीह येशु के पीछे-पीछे गए. यह शिष्य महापुरोहित की जान पहचान का था. इसलिये वह भी मसीह येशु के साथ महापुरोहित के घर के परिसर में चला गया 16परंतु पेतरॉस द्वार पर बाहर ही खड़े रहे. तब वह शिष्य, जो महापुरोहित की जान पहचान का था, बाहर आया और द्वार पर नियुक्त दासी से कहकर पेतरॉस को भीतर ले गया.

17द्वार पर निधर्मी उस दासी ने पेतरॉस से पूछा, “कहीं तुम भी तो इस व्यक्ति के शिष्यों में से नहीं हो?”

“नहीं, नहीं,” उन्होंने उत्तर दिया.

18ठंड के कारण सेवकों और सैनिकों ने आग जला रखी थी और खड़े हुए आग ताप रहे थे. पेतरॉस भी उनके साथ खड़े हुए आग ताप रहे थे.

महापुरोहित के सामने मसीह येशु

19महापुरोहित ने मसीह येशु से उनके शिष्यों और उनके द्वारा दी जा रही शिक्षा के विषय में पूछताछ की.

20मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मैंने संसार से खुलकर बातें की हैं. मैंने हमेशा सभागृहों और मंदिर में शिक्षा दी है, जहां सभी यहूदी इकट्ठा होते हैं. गुप्‍त में मैंने कभी भी कुछ नहीं कहा. 21आप मुझसे प्रश्न क्यों कर रहे हैं? प्रश्न उनसे कीजिए जिन्होंने मेरे प्रवचन सुने हैं. वे जानते हैं कि मैंने क्या-क्या कहा है.”

22यह सुनते ही वहां खड़े एक अधिकारी ने मसीह येशु पर वार करते हुए कहा, “क्या महापुरोहित को उत्तर देने का यही ढंग है तुम्हारा?”

23मसीह येशु ने कहा, “यदि मेरा कहना गलत है तो साबित करो मगर यदि मैंने जो कहा है वह सही है तो फिर तुम मुझे क्यों मार रहे हो?” 24इसलिये मसीह येशु को, जो अभी भी बंधे हुए ही थे, हन्‍ना ने महापुरोहित कायाफ़स के पास भेज दिया.

पेतरॉस द्वारा मसीह येशु का दूसरी तथा तीसरी बार नकारना

25इसी बीच लोगों ने शिमओन पेतरॉस से, जो वहां खड़े हुए आग ताप रहे थे, पूछा, “कहीं तुम भी तो इसके शिष्यों में से नहीं हो?”

पेतरॉस ने नकारते हुए कहा, “मैं नहीं हूं.”

26तब महापुरोहित के सेवकों में से एक ने, जो उस व्यक्ति का संबंधी था, जिसका कान पेतरॉस ने काट डाला था, उनसे पूछा, “क्या तुम वही नहीं, जिसे मैंने उसके साथ उपवन में देखा था?” 27पेतरॉस ने फिर अस्वीकार किया और तत्काल मुर्ग ने बांग दी.

मसीह येशु पिलातॉस के सामने

28पौ फटते ही यहूदी अगुएं मसीह येशु को कायाफ़स के पास से राजमहल ले गए; किंतु उन्होंने स्वयं भवन में प्रवेश नहीं किया कि कहीं वे फ़सह भोज के पूर्व सांस्कारिक रूप से अशुद्ध न हो जाएं. 29इसलिये पिलातॉस ने बाहर आकर उनसे प्रश्न किया, “क्या आरोप है तुम्हारा इस व्यक्ति पर?”

30उन्होंने उत्तर दिया, “यदि यह व्यक्ति अपराधी न होता तो हम इसे आपके पास क्यों लाते?”

31पिलातॉस ने उनसे कहा, “तो इसे ले जाओ और अपने ही नियम के अनुसार स्वयं इसका न्याय करो.”

इस पर यहूदियों ने कहा, “किसी के प्राण लेना हमारे अधिकार में नहीं है.” 32ऐसा इसलिये हुआ कि मसीह येशु के वे वचन पूरे हों, जिनके द्वारा उन्होंने संकेत दिया था कि उनकी मृत्यु किस प्रकार की होगी.

33इसलिये भवन में लौटकर पिलातॉस ने मसीह येशु को बुलवाया और प्रश्न किया, “क्या तुम यहूदियों के राजा हो?”

34इस पर मसीह येशु ने उससे प्रश्न किया, “यह आपका अपना विचार है या अन्य लोगों ने मेरे विषय में आपको ऐसा बताया है?”

35पिलातॉस ने उत्तर दिया, “क्या मैं यहूदी हूं? तुम्हारे अपने ही लोगों और प्रधान पुरोहितों ने तुम्हें मेरे हाथ सौंपा है. बताओ, ऐसा क्या किया है तुमने?”

36मसीह येशु ने उत्तर दिया, “मेरा राज्य इस संसार का नहीं है. यदि इस संसार का होता तो मेरे सेवक मुझे यहूदी अगुओं के हाथ सौंपे जाने के विरुद्ध लड़ते; किंतु सच्चाई तो यह है कि मेरा राज्य यहां का है ही नहीं.”

37इस पर पिलातॉस ने उनसे कहा, “तो तुम राजा हो?”

मसीह येशु ने उत्तर दिया, “आप ठीक कहते हैं कि मैं राजा हूं. मेरा जन्म ही इसलिये हुआ है. संसार में मेरे आने का उद्देश्य यही है कि मैं सच की गवाही दूं. हर एक व्यक्ति, जो सच्चा है, मेरी सुनता है.”

38“क्या है सच?” पिलातॉस ने प्रश्न किया. तब पिलातॉस ने दोबारा बाहर जाकर यहूदियों को सूचित किया, “मुझे उसमें कोई दोष नहीं मिला 39किंतु तुम्हारी एक परंपरा है कि फ़सह के अवसर पर मैं तुम्हारे लिए किसी एक कैदी को रिहा करूं. इसलिये क्या तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिए यहूदियों का राजा रिहा कर दूं?”

40इस पर वे चिल्लाकर बोले, “इसे नहीं! बार-अब्बास को!” जबकि बार-अब्बास विद्रोही था.