إنجيل مرقس 5 – NAV & NCA

Ketab El Hayat

إنجيل مرقس 5:1-43

شفاء رجل به شيطان

1ثُمَّ وَصَلُوا إِلَى الضَّفَّةِ الْمُقَابِلَةِ مِنَ الْبُحَيْرَةِ، إِلَى بَلْدَةِ الْجِرَاسِيِّينَ. 2وَحَالَمَا نَزَلَ مِنَ الْقَارِبِ، لاقَاهُ مِنْ بَيْنِ الْقُبُورِ إِنْسَانٌ يَسْكُنُهُ رُوحٌ نَجِسٌ، 3كَانَ يُقِيمُ فِي الْقُبُورِ. وَلَمْ يَكُنْ أَحَدٌ يَقْدِرُ أَنْ يُقَيِّدَهُ وَلَوْ بِالسَّلاسِلِ. 4فَإِنَّهُ كَثِيراً مَا رُبِطَ بِالْقُيُودِ وَالسَّلاسِلِ، فَكَانَ يُقَطِّعُ السَّلاسِلَ وَيُحَطِّمُ الْقُيُودَ، وَلَمْ يَقْدِرْ أَحَدٌ أَنْ يُخْضِعَهُ. 5وَكَانَ فِي الْقُبُورِ وَفِي الْجِبَالِ دَائِماً، لَيْلاً وَنَهَاراً، يَصِيحُ وَيُجَرِّحُ جِسْمَهُ بِالْحِجَارَةِ. 6وَلَكِنَّهُ لَمَّا رَأَى يَسُوعَ مِنْ بَعِيدٍ، رَكَضَ وَسَجَدَ لَهُ، 7وَصَرَخَ بِأَعْلَى صَوْتِهِ: «مَا شَأْنُكَ بِي يَا يَسُوعُ ابْنَ اللهِ الْعَلِيِّ؟ أَسْتَحْلِفُكَ بِاللهِ أَلّا تُعَذِّبَنِي!» 8فَإِنَّ يَسُوعَ كَانَ قَدْ قَالَ لَهُ: «أَيُّهَا الرُّوحُ النَّجِسُ، اخْرُجْ مِنَ الإِنْسَانِ!» 9وَسَأَلَهُ يَسُوعُ: «مَا اسْمُكَ؟» فَأَجَابَ: «اسْمِي لَجِيُونُ لأَنَّنَا جَيْشٌ كَبِيرٌ!» 10وَتَوَسَّلَ إِلَيْهِ بِإِلْحَاحٍ أَلّا يَطْرُدَ الأَرْوَاحَ النَّجِسَةَ إِلَى خَارِجِ تِلْكَ الْمِنْطَقَةِ. 11وَكَانَ هُنَاكَ قَطِيعٌ كَبِيرٌ مِنَ الْخَنَازِيرِ يَرْعَى عِنْدَ الْجَبَلِ، 12فَتَوَسَّلَتِ الأَرْوَاحُ النَّجِسَةُ إِلَى يَسُوعَ قَائِلَةً: «أَرْسِلْنَا إِلَى الْخَنَازِيرِ لِنَدْخُلَ فِيهَا!» 13فَأَذِنَ لَهَا بِذَلِكَ. فَخَرَجَتِ الأَرْوَاحُ النَّجِسَةُ وَدَخَلَتْ فِي الْخَنَازِيرِ، فَانْدَفَعَ قَطِيعُ الْخَنَازِيرِ مِنْ عَلَى حَافَةِ الْجَبَلِ إِلَى الْبُحَيْرَةِ، فَغَرِقَ فِيهَا. وَكَانَ عَدَدُهُ نَحْوَ أَلْفَيْنِ. 14أَمَّا رُعَاةُ الْخَنَازِيرِ فَهَرَبُوا وَأَذَاعُوا الْخَبَرَ فِي الْمَدِينَةِ وَفِي الْمَزَارِعِ. فَخَرَجَ النَّاسُ لِيَرَوْا مَا قَدْ جَرَى، 15وَجَاءُوا إِلَى يَسُوعَ، فَرَأَوْا الَّذِي كَانَ مَسْكُوناً بِالشَّيَاطِينِ جَالِساً وَلابِساً وَصَحِيحَ الْعَقْلِ، فَاسْتَوْلَى عَلَيْهِمِ الْخَوْفُ. 16فَحَدَّثَهُمُ الَّذِينَ رَأَوْا مَا جَرَى بِمَا حَدَثَ لِلْمَجْنُونِ وَلِلْخَنَازِيرِ 17فَأَخَذُوا يَرْجُونَ مِنْ يَسُوعَ أَنْ يَرْحَلَ عَنْ دِيَارِهِمْ. 18وَفِيمَا كَانَ يَرْكَبُ الْقَارِبَ، تَوَسَّلَ إِلَيْهِ الإِنْسَانُ الَّذِي كَانَتِ الشَّيَاطِينُ تَسْكُنُهُ أَنْ يُرَافِقَهُ. 19فَلَمْ يَسْمَحْ لَهُ، بَلْ قَالَ لَهُ: «اذْهَبْ إِلَى بَيْتِكَ، وَإِلَى أَهْلِكَ، وَأَخْبِرْهُمْ بِمَا عَمِلَهُ الرَّبُّ بِكَ وَرَحِمَكَ». 20فَانْطَلَقَ وَأَخَذَ يُنَادِي فِي الْمُدُنِ الْعَشْرِ بِمَا عَمِلَهُ يَسُوعُ بِهِ. فَتَعَجَّبَ الْجَمِيعُ.

طفلة ماتت وامرأة مريضة

21وَلَمَّا عَادَ يَسُوعُ وَعَبَرَ فِي الْقَارِبِ إِلَى الضَّفَّةِ الْمُقَابِلَةِ مِنَ الْبُحَيْرَةِ، اجْتَمَعَ إِلَيْهِ وَهُوَ عِنْدَ الشَّاطِئِ جَمْعٌ كَبِيرٌ. 22وَإذَا وَاحِدٌ مِنْ رُؤَسَاءِ الْمَجْمَعِ، وَاسْمُهُ يَايِرُسُ، قَدْ جَاءَ إِلَيْهِ. وَمَا إِنْ رَآهُ، حَتَّى ارْتَمَى عِنْدَ قَدَمَيْهِ، 23وَتَوَسَّلَ إِلَيْهِ بِإِلْحَاحٍ، قَائِلاً: «ابْنَتِي الصَّغِيرَةُ مُشْرِفَةٌ عَلَى الْمَوْتِ. فَتَعَالَ وَالْمِسْهَا بِيَدِكَ لِتُشْفَى فَتَحْيَا!» 24فَذَهَبَ مَعَهُ، يَتْبَعُهُ جَمْعٌ كَبِيرٌ وَهُمْ يَزْحَمُونَهُ.

25وَكَانَتْ هُنَاكَ امْرَأَةٌ مُصَابَةٌ بِنَزِيفٍ دَمَوِيٍّ مُنْذُ اثْنَتَيْ عَشْرَةَ سَنَةً، 26وَقَدْ عَانَتِ الْكَثِيرَ مِنَ الأَلَمِ عَلَى أَيْدِي أَطِبَّاءَ كَثِيرِينَ، وَأَنْفَقَتْ فِي سَبِيلِ عِلاجِهَا كُلَّ مَا تَمْلِكُ، فَلَمْ تَجْنِ أَيَّةَ فَائِدَةٍ، بَلْ بِالأَحْرَى ازْدَادَتْ حَالَتُهَا سُوءاً. 27فَإِذْ كَانَتْ قَدْ سَمِعَتْ عَنْ يَسُوعَ، جَاءَتْ فِي زَحْمَةِ الْجَمْعِ مِنْ خَلْفِهِ وَلَمَسَتْ رِدَاءَهُ، 28لأَنَّهَا قَالَتْ: «يَكْفِي أَنْ أَلْمِسَ ثِيَابَهُ لأُشْفَى». 29وَفِي الْحَالِ انْقَطَعَ نَزِيفُ دَمِهَا وَأَحَسَّتْ فِي جِسْمِهَا أَنَّهَا شُفِيَتْ مِنْ عِلَّتِهَا. 30وَحَالَمَا شَعَرَ يَسُوعُ فِي نَفْسِهِ بِالْقُوَّةِ الَّتِي خَرَجَتْ مِنْهُ، أَدَارَ نَظَرَهُ فِي الْجَمْعِ وَسَأَلَ: «مَنْ لَمَسَ ثِيَابِي؟» 31فَقَالَ لَهُ تَلامِيذُهُ: «أَنْتَ تَرَى الْجَمْعَ يَزْحَمُونَكَ، وَتَسْأَلُ: مَنْ لَمَسَنِي؟» 32وَلَكِنَّهُ ظَلَّ يَتَطَلَّعُ حَوْلَهُ لِيَرَى الَّتِي فَعَلَتْ ذَلِكَ. 33فَمَا كَانَ مِنَ الْمَرْأَةِ، وَقَدْ عَلِمَتْ بِمَا حَدَثَ لَهَا، إِلّا أَنْ جَاءَتْ وَهِيَ خَائِفَةٌ تَرْتَجِفُ، وَارْتَمَتْ أَمَامَهُ وَأَخْبَرَتْهُ بِالْحَقِيقَةِ كُلِّهَا. 34فَقَالَ لَهَا: «يَا ابْنَةُ، إِيمَانُكِ قَدْ شَفَاكِ. فَاذْهَبِي بِسَلامٍ وَتَعَافَيْ مِنْ عِلَّتِكِ!»

35وَبَيْنَمَا يَسُوعُ يَتَكَلَّمُ، جَاءَ بَعْضُهُمْ مِنْ بَيْتِ رَئِيسِ الْمَجْمَعِ قَائِلِينَ: «ابْنَتُكَ قَدْ مَاتَتْ. فَلِمَاذَا تُكَلِّفُ الْمُعَلِّمَ بَعْدُ؟» 36وَلَكِنَّ يَسُوعَ، مَا إِنْ سَمِعَ بِذَلِكَ الْخَبَرِ، حَتَّى قَالَ لِرَئِيسِ الْمَجْمَعِ: «لا تَخَفْ؛ آمِنْ فَقَطْ!» 37وَلَمْ يَدَعْ أَحَداً يُرَافِقُهُ إِلّا بُطْرُسَ وَيَعْقُوبَ وَيُوحَنَّا أَخَا يَعْقُوبَ. 38وَوَصَلَ إِلَى بَيْتِ رَئِيسِ الْمَجْمَعِ، فَرَأَى الضَّجِيجَ وَالنَّاسَ يَبْكُونَ وَيُوَلْوِلُونَ كَثِيراً. 39فَلَمَّا دَخَلَ، قَالَ لَهُمْ: «لِمَاذَا تَضِجُّونَ وَتَبْكُونَ؟ لَمْ تَمُتِ الصَّبِيَّةُ، بَلْ هِيَ نَائِمَةٌ». 40فَضَحِكُوا مِنْهُ. أَمَّا هُوَ، فَأَخْرَجَهُمْ جَمِيعاً، ثُمَّ أَخَذَ مَعَهُ أَبَا الصَّبِيَّةِ وَأُمَّهَا وَالَّذِينَ كَانُوا يُرَافِقُونَهُ، وَدَخَلَ حَيْثُ كَانَتِ الصَّبِيَّةُ. 41وَإِذْ أَمْسَكَ بِيَدِهَا قَالَ: «طَلِيثَا قُومِي!» أَيْ: «يَا صَبِيَّةُ، لَكِ أَقُولُ: قُومِي». 42فَنَهَضَتِ الصَّبِيَّةُ حَالاً وَأَخَذَتْ تَمْشِي، إِذْ كَانَ عُمْرُهَا اثْنَتَيْ عَشْرَةَ سَنَةً. فَدُهِشَ الْجَمِيعُ دَهْشَةً عَظِيمَةً. 43فَأَمَرَهُمْ بِشِدَّةٍ أَنْ لَا يَعْلَمَ أَحَدٌ بِذَلِكَ، وَطَلَبَ أَنْ تُعْطَى طَعَاماً لِتَأْكُلَ.

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

मरकुस 5:1-43

परेत आतमा ले बाधित मनखे के चंगई

(मत्ती 8:28-34; लूका 8:26-39)

1ओमन झील के ओ पार गीन, जिहां गिरासेनीमन रहत रिहिन। 2जब यीसू ह डोंगा ले उतरिस, तब एक झन मनखे जऊन म परेत आतमा रहय, मसानघाट ले निकरके ओकर करा आईस। 3ए मनखे ह मसानघाट म रहत रहय अऊ ओम अतकी ताकत रहय कि कोनो ओला सांकर म घलो नइं बांधे सकत रिहिन। 4कतको बार ले ओकर हांथ ला सांकर म बांधके गोड़ म बेड़ी पहिराय गे रिहिस, पर हर बार ओह सांकर अऊ बेड़ी ला टोर देवय; कोनो ओला काबू म नइं कर सकत रिहिन। 5रात अऊ दिन, ओह मसानघाट अऊ पहाड़ीमन म चिचियावय अऊ अपन-आप ला चोक पथरा म घायल करत रहय।

6ओह दूरिहाच ले यीसू ला देखके ओकर अंग दऊड़िस अऊ ओकर गोड़ खाल्‍हे म गिरिस, 7अऊ अब्‍बड़ चिचियाके कहिस, “हे यीसू, सबले बड़े मालिक परमेसर के बेटा, मोर ले तोला का काम? परमेसर के कसम, तेंह मोला पीरा झन दे।” 8काबरकि यीसू ह ओला कहत रहय, “हे परेत आतमा, ए मनखे म ले निकर आ।”

9तब यीसू ह ओकर ले पुछिस, “तोर का नांव ए?”

ओह कहिस, “मोर नांव सेना ए, काबरकि हमन अब्‍बड़ झन हवन।” 10अऊ ओह यीसू ले बार-बार बिनती करिस कि ओमन ला ओ इलाका ले बाहिर झन पठोवय।

11उहां लकठा म पहाड़ी कोति सुरामन के एक बड़े झुंड ह चरत रहय। 12परेत आतमामन यीसू ले बिनती करके कहिन कि हमन ला ओ सुरामन म पठो दे कि हमन ओमन म हमा जाई। 13ओह ओमन ला हुकूम दीस अऊ परेत आतमामन निकरके सुरामन म हमा गीन। अऊ सुरामन के झुंड ह जेम करीब दू हजार सुरा रिहिन, कगार ऊपर ले झपटके झील म गिरिन अऊ बुड़ मरिन।

14सुरामन के चरवाहामन भाग के ए बात ला सहर अऊ गांव मन म बताईन अऊ ओला सुनके, जऊन बात होय रिहिस, ओला देखे बर मनखेमन आईन। 15जब ओमन यीसू करा आईन, त ओला जऊन म परेत आतमामन रिहिन, कपड़ा पहिरे अऊ सचेत बईठे देखिन अऊ ओमन डर्रा गीन। 16जऊन मन एला अपन आंखी ले देखे रिहिन, ओमन मनखेमन ला ओ मनखे जऊन म परेत आतमामन रिहिन, ओकर बारे अऊ सुरामन के बारे म जम्मो बात बताईन। 17तब मनखेमन ह यीसू ले बिनती करिन कि ओह ओमन के इलाका ले चले जावय।

18जब यीसू ह डोंगा ऊपर चघन लगिस, तब ओ मनखे जऊन म पहिली परेत आतमामन रिहिन, ओकर ले बिनती करन लगिस, “मोला तोर संग जावन दे।” 19पर यीसू ह इनकार करके ओला कहिस, “अपन घर जाके अपन मनखेमन ला बता कि दया करके परभू ह तोर बर कइसने बड़े काम करे हवय।” 20ओ मनखे ह उहां ले चल दीस अऊ ओ इलाका के दस सहर म बताय लगिस कि यीसू ह ओकर बर कइसने बड़े काम करे हवय। एला सुनके जम्मो मनखेमन अचम्भो करिन।

एक मरे टूरी अऊ एक बेमार माईलोगन

(मत्ती 9:18-26; लूका 8:40-56)

21जब यीसू ह फेर डोंगा म झील के ओ पार गीस, त बहुंते मनखेमन ओकर चारों खूंट जुर गीन। जब ओह झील के तीरेच म रिहिस, 22तभे याईर नांव के सभा घर के अधिकारी उहां आईस अऊ यीसू ला देखके ओकर गोड़ तरी गिरिस, 23अऊ ओकर ले बिनती करके कहिस, “मोर नानकून बेटी ह मरइया हवय, तेंह आके ओकर ऊपर अपन हांथ ला रख कि ओह बने होके जीयत रहय।” 24तब यीसू ह ओकर संग गीस अऊ एक बड़े भीड़ ह ओकर पाछू हो लीस। भीड़ के कारन मनखेमन ओकर ऊपर गिरे परत रिहिन। 25ओ भीड़ म एक माईलोगन रहय, जऊन ला बारह बछर ले लहू बहे के बेमारी रहय। 26ओह बहुंत डाक्‍टरमन के इलाज ले भारी दुःख झेले रिहिस। इहां तक कि अपन जम्मो पूंजी ला खरचा कर डारे रिहिस, पर ओला कुछू फायदा नइं होईस, बल्कि ओकर बेमारी ह अऊ बढ़ गे रहय। 27यीसू के चरचा ला सुनके, ओह भीड़ म ओकर पाछू आईस अऊ ओकर कपड़ा ला छुईस। 28काबरकि ओह सोचत रहय कि कहूं मेंह ओकर कपड़ाच ला छू लेवंव, त बने हो जाहूं। 29जतका जल्दी ओह यीसू के कपड़ा ला छुईस, ओकर लहू बहे के बंद हो गीस अऊ ओह अपन देहें म जान डारिस कि ओह बने हो गे हवय।

30यीसू ह तुरते जान डारिस कि ओकर म ले सामरथ निकरे हवय। ओह भीड़ म पाछू मुड़के पुछिस, “मोर कपड़ा ला कोन छुईस?”

31ओकर चेलामन कहिन, “तेंह देखत हवस कि भीड़ ह तोर ऊपर गिरे परत हवय, तभो ले पुछत हवस कि कोन ह तोला छुईस?”

32पर यीसू ह ए जाने खातिर कि कोन ह अइसने करे हवय, चारों कोति देखे लगिस। 33तब ओ माईलोगन ह ए जानके कि ओकर कइसने भलई होय हवय, आईस अऊ यीसू के गोड़ तरी गिरके डरत अऊ कांपत ओला जम्मो बात ला सही-सही बता दीस। 34यीसू ह ओला कहिस, “बेटी! तोर बिसवास ह तोला बने करे हवय। सांति म जा अऊ अपन दुःख ले बांचे रह।”

35जब यीसू ह ए बात कहत रहय, तभे सभा घर के अधिकारी याईर के घर ले कुछू मनखेमन आईन अऊ कहिन, “तोर बेटी ह तो मर गीस; अब गुरू ला काबर तकलीफ देबो।” 36ओमन के गोठ ला धियान नइं देवत, यीसू ह सभा घर के अधिकारी ला कहिस, “झन डर्रा, सिरिप बिसवास रख।”

37ओह पतरस, याकूब अऊ याकूब के भाई यूहन्ना ला छोंड़के अऊ कोनो ला अपन संग नइं आवन दीस। 38जब ओमन सभा घर के अधिकारी के घर आईन, त यीसू ह देखिस कि उहां हल्‍ला मचे हवय अऊ मनखेमन उहां बहुंत रोवत अऊ गोहारत रहंय। 39ओह भीतर जाके ओमन ला कहिस, “तुमन काबर रोवत अऊ हल्‍ला मचावत हवव? लइका ह मरे नइं, सुतत हवय।” 40पर ओमन ओकर हंसी उड़ाय लगिन।

तब ओह जम्मो झन ला बाहिर निकारके, अपन संग म टूरी के दाई-ददा अऊ अपन चेलामन ला लेके भीतर गीस, जिहां लइका ह रहय। 41ओह छोकरी के हांथ ला धरके ओला कहिस, “तलिता कुमी।” जेकर मतलब होथे – “ए छोकरी, मेंह तोला कहत हंव, उठ।” 42अऊ ओ छोकरी ह तुरते उठके चले-फिरे लगिस; (ओ छोकरी ह बारह बछर के रिहिस)। एला देखके ओमन बहुंत अचरज करिन। 43यीसू ह ओमन ला चेताके कहिस कि ए बात कोनो ला झन बतावव; अऊ ओमन ला कहिस कि ओला कुछू खाय बर देवव।