إنجيل مرقس 3 – NAV & HCV

Ketab El Hayat

إنجيل مرقس 3:1-35

يسوع يشفي في السبت

1وَدَخَلَ يَسُوعُ الْمَجْمَعَ مَرَّةً أُخْرَى. وَكَانَ هُنَالِكَ رَجُلٌ يَدُهُ يَابِسَةٌ. 2فَأَخَذُوا يُرَاقِبُونَهُ لِيَرَوْا هَلْ يَشْفِي ذَلِكَ الرَّجُلَ فِي السَّبْتِ، فَيَتَمَكَّنُوا مِنْ أَنْ يَتَّهِمُوهُ. 3فَقَالَ لِلرَّجُلِ الَّذِي يَدُهُ يَابِسَةٌ: «قُمْ وَقِفْ فِي الْوَسَطِ!» 4ثُمَّ سَأَلَهُمْ: «هَلْ يَحِلُّ فِي السَّبْتِ فِعْلُ الْخَيْرِ أَمْ فِعْلُ الشَّرِّ؟ تَخْلِيصُ نَفْسٍ أَوْ قَتْلُهَا؟» فَظَلُّوا صَامِتِينَ. 5فَأَدَارَ يَسُوعُ نَظَرَهُ فِيهِمْ غَاضِباً وَقَدْ تَضَايَقَ مِنْ صَلابَةِ قُلُوبِهِمْ، وَقَالَ لِلرَّجُلِ: «مُدَّ يَدَكَ!» فَمَدَّهَا، فَإِذَا هِيَ قَدْ عَادَتْ صَحِيحَةً. 6وَفِي الْحَالِ خَرَجَ الفَرِّيسِيُّونَ مِنَ الْمَجْمَعِ، وَمَعَهُمْ أَعْضَاءُ حِزْبِ هِيرُودُسَ، وَتَآمَرُوا عَلَيْهِ لِيَقْتُلُوهُ.

الجموع تتبع يسوع

7فَانْسَحَبَ يَسُوعُ وَتَلامِيذُهُ نَحْوَ الْبُحَيْرَةِ. وَتَبِعَهُ جَمْعٌ كَبِيرٌ مِنْ مَنَاطِقِ الْجَلِيلِ وَمِنَ الْيَهُودِيَّةِ 8وَأُورُشَلِيمَ وَأَدُومِيَّةَ وَمَا وَرَاءَ الأُرْدُنِّ، وَجَمْعٌ كَبِيرٌ مِنْ نَوَاحِي صُورَ وَصَيْدَا، جَاءُوا إِلَيْهِ إِذْ كَانُوا قَدْ سَمِعُوا بِمَا فَعَلَ. 9فَأَمَرَ يَسُوعُ تَلامِيذَهُ أَنْ يُعِدُّوا لَهُ قَارِباً صَغِيراً يُلازِمُهُ، لِئَلّا يَزْحَمَهُ الْجَمْعُ، 10لأَنَّهُ كَانَ قَدْ شَفَى كَثِيرِينَ، فَصَارَ كُلُّ مَنْ بِهِ مَرَضٌ يُسَارِعُ إِلَيْهِ لِيَلْمِسَهُ. 11وَكَانَتِ الأَرْوَاحُ النَّجِسَةُ حِينَ تَرَاهُ تَخُرُّ سَاجِدَةً لَهُ، صَارِخَةً: «أَنْتَ ابْنُ اللهِ!» 12فَكَانَ يُحَذِّرُهَا بِشِّدَةٍ مِنْ أَنْ تُذِيعَ أَمْرَهُ.

الرُسل الاثنا عشر

13ثُمَّ صَعِدَ إِلَى الْجَبَلِ، وَدَعَا الَّذِينَ أَرَادَهُمْ، فَأَقْبَلُوا إِلَيْهِ. 14فَعَيَّنَ اثْنَيْ عَشَرَ لِيُلازِمُوهُ وَيُرْسِلَهُمْ لِيُبَشِّرُوا، 15وَتَكُونَ لَهُمْ سُلْطَةٌ عَلَى طَرْدِ الشَّيَاطِينِ. 16وَالاِثْنَا عَشَرَ الَّذِينَ عَيَّنَهُمْ، هُمْ: سِمْعَانُ، وَقَدْ سَمَّاهُ بُطْرُسَ، 17وَيَعْقُوبُ بْنُ زَبَدِي، وَيُوحَنَّا أَخُوهُ، وَقَدْ سَمَّاهُمَا بُوَانَرْجِسَ، أَيْ ابْنَيِ الرَّعْدِ، 18وَأَنْدَرَاوُسُ، وَفِيلِبُّسُ، وَبَرْثُلَمَاوُسُ، وَمَتَّى وَتُومَا، وَيَعْقُوبُ بْنُ حَلْفَى، وَتَدَّاوُسَ، وَسِمْعَانُ الْقَانَوِيُّ، 19وَيَهُوذَا الإِسْخَرْيُوطِيُّ الَّذِي خَانَهُ.

يسوع متهماً من عائلته ومن الكتبة

20ثُمَّ رَجَعُوا إِلَى الْبَيْتِ، فَاحْتَشَدَ الْجَمْعُ أَيْضاً، وَلَمْ يَقْدِرْ يَسُوعُ وَتَلامِيذُهُ حَتَّى عَلَى أَكْلِ الطَّعَام. 21فَلَمَّا سَمِعَ أَقْرِبَاؤُهُ، جَاءُوا لِيَأْخُذُوهُ، إِذْ كَانَ أُشِيعَ أَنَّهُ فَقَدَ صَوَابَهُ. 22وَأَمَّا الْكَتَبَةُ الَّذِينَ نَزَلُوا مِنْ أُورُشَلِيمَ، فَقَالُوا: «إِنَّ بَعْلَزَبُولَ يَسْكُنُهُ، وَإِنَّهُ بِرَئِيسِ الشَّيَاطِينِ يَطْرُدُ الشَّيَاطِينَ!» 23فَدَعَاهُمْ إِلَيْهِ وَكَلَّمَهُمْ بِالأَمْثَالِ، قَالَ: «كَيْفَ يَقْدِرُ شَيْطَانٌ أَنْ يَطْرُدَ شَيْطَاناً؟ 24فَإِذَا انْقَسَمَتْ مَمْلَكَةٌ مَّا عَلَى ذَاتِهَا، فَإِنَّهَا لَا تَقْدِرُ أَنْ تَصْمُدَ. 25وَإذَا انْقَسَمَ بَيْتٌ مَا عَلَى ذَاتِهِ، فَإِنَّهُ لَا يَقْدِرُ أَنْ يَصْمُدَ. 26فَإِذَا انْقَلَبَ الشَّيْطَانُ عَلَى نَفْسِهِ وَانْقَسَمَ، فَإِنَّهُ لَا يَقْدِرُ أَنْ يَصْمُدَ، بَلَ يَنْتَهِيَ أَمْرُهُ! 27لَا يَقْدِرُ أَحَدٌ أَنْ يَدْخُلَ بَيْتَ قَوِيٍّ وَيَنْهَبَ أَمْتِعَتَهُ إِلّا إِذَا قَيَّدَ الْقَوِيَّ أَوَّلاً. وَبَعْدَئِذٍ يَنْهَبُ بَيْتَهُ. 28الْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّ جَمِيعَ الْخَطَايَا تُغْفَرُ لِبَنِي الْبَشَرِ، حَتَّى كَلامِ الْكُفْرِ الَّذِي يَقُولُونَهُ. 29وَلَكِنْ مَنْ يَزْدَرِ بالرُّوحِ الْقُدُسِ، فَلا غُفْرَانَ لَهُ أَبَداً، بَلْ إِنَّهُ يَقَعُ تَحْتَ عِقَابِ خَطِيئَةٍ أَبَدِيَّةٍ». 30ذَلِكَ لأَنَّهُمْ قَالُوا: «إِنَّ رُوحاً نَجِساً يَسْكُنُهُ!»

31وَجَاءَ إِخْوَتُهُ وَأُمُّهُ، فَوَقَفُوا خَارِجَ الْبَيْتِ وَأَرْسَلُوا إِلَيْهِ يَدْعُونَهُ. 32وَكَانَ قَدْ جَلَسَ حَوْلَهُ جَمْعٌ كَبِيرٌ، فَقَالُوا لَهُ: «هَا إِنَّ أُمَّكَ وَإِخْوَتَكَ فِي الْخَارِجِ يَطْلُبُونَكَ!» 33فَأَجَابَهُمْ: «مَنْ أُمِّي وَإِخْوَتِي؟» 34ثُمَّ أَدَارَ نَظَرَهُ فِي الْجَالِسِينَ حَوْلَهُ وَقَالَ: «هؤُلاءِ هُمْ أُمِّي وَإِخْوَتِي، 35لأَنَّ مَنْ يَعْمَلُ بِإِرَادَةِ اللهِ هُوَ أَخِي وَأُخْتِي وَأُمِّي!»

Hindi Contemporary Version

मार्कास 3:1-35

सूखे हाथ के व्यक्ति को स्वास्थ्यदान

1मसीह येशु एक यहूदी सभागृह में थे, जहां एक व्यक्ति था, जिसका हाथ लक़वा मारा हुआ था. 2कुछ व्यक्ति इस अवसर की ताक में थे कि शब्बाथ पर मसीह येशु उस व्यक्ति को स्वस्थ करें और वे उन पर दोष लगा सकें. 3मसीह येशु ने उस व्यक्ति को, जिसका हाथ सूख गया था, आज्ञा दी, “उठो! सबके सामने खड़े हो जाओ!”

4तब अन्यों को संबोधित करते हुए मसीह येशु ने पूछा, “शब्बाथ3:4 शब्बाथ यहूदियों का पवित्र विश्राम दिन पर क्या करना व्यवस्था के अनुसार है—भला या बुरा? जीवन की रक्षा या विनाश?” वे सब मौन बने रहे.

5तब उन सब पर गुस्से से भरी दृष्टि डालते हुए, उनके मन की कठोरता पर व्यथित होकर मसीह येशु ने उस व्यक्ति से कहा, “अपना हाथ आगे बढ़ाओ.” उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया—उसका हाथ पुनःस्वस्थ हो गया था. 6इसलिये फ़रीसी बाहर चले गए तथा राजा हेरोदेस के समर्थकों के साथ येशु की हत्या का षड़्‍यंत्र रचने लगे.

मसीह येशु में विशाल भीड़ की रुचि

7मसीह येशु अपने शिष्यों के साथ झील के पास चले गए. एक विशाल भीड़, जो गलील तथा यहूदिया प्रदेश से आकर इकट्ठी हुई थी, उनके पीछे-पीछे चल रही थी. 8मसीह येशु के बड़े-बड़े कामों का वर्णन सुनकर येरूशलेम नगर, इदूमिया प्रदेश, यरदन नदी के पार के क्षेत्र तथा सोर और सीदोन से भी अनेकों अनेक इस भीड़ में सम्मिलित हो गए थे. 9इस विशाल भीड़ के दबाव से बचने के उद्देश्य से मसीह येशु ने शिष्यों को एक नाव तैयार रखने की आज्ञा दी. 10मसीह येशु ने अनेकों को स्वास्थ्यदान दिया था इसलिये वे सभी, जो रोगी थे, मात्र उन्हें छू लेने के उद्देश्य से उन पर गिरे पड़ते थे. 11जब कभी दुष्टात्मा उनके सामने आती थी, वे उनके सामने गिरकर चिल्ला-चिल्लाकर कहती थी, “आप परमेश्वर के पुत्र हैं!” 12किंतु मसीह येशु ने उन्हें चेतावनी दी कि वे यह किसी से न कहें.

बारह शिष्यों का चयन

13इसके बाद मसीह येशु पर्वत पर चले गए. वहां उन्होंने उन्हें अपने पास बुलाया, जिन्हें उन्होंने सही समझा और वे उनके पास आए. 14मसीह येशु ने बारह को चुना कि वे उनके साथ रहें, वह उन्हें प्रचार के लिए निकाल सकें 15और उन्हें दुष्टात्मा निकालने का अधिकार हो.

16मसीह येशु द्वारा चुने हुए बारह के नाम इस प्रकार हैं:

शिमओन (जिन्हें उन्होंने पेतरॉस नाम दिया),

17ज़ेबेदियॉस के पुत्र याकोब तथा उनके भाई योहन, (जिनको उन्होंने उपनाम दिया था, बोएनेरगेस, जिसका अर्थ होता है “गर्जन के पुत्र”),

18आन्द्रेयास,

फ़िलिप्पॉस,

बारथोलोमेयॉस,

मत्तियाह,

थोमॉस,

हलफ़ेयॉस के पुत्र याकोब,

थद्देइयॉस,

शिमओन कनानी3:18 कनानी यहूदी देशभक्तों का एक गुट

19तथा कारियोतवासी यहूदाह, जिसने मसीह येशु के साथ धोखा किया.

मसीह येशु पर शैतान का दूत होने का आरोप

20जब मसीह येशु किसी के घर में थे तो दोबारा एक बड़ी भीड़ वहां इकट्ठी हो गयी—यहां तक कि उनके लिए भोजन करना भी असंभव हो गया. 21जब मसीह येशु के परिवार जनों को इसका समाचार मिला तो वे मसीह येशु को अपने संरक्षण में अपने साथ ले जाने के लिए वहां आ गए—उनका विचार था कि मसीह येशु अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं.

22येरूशलेम नगर से वहां आए हुए शास्त्रियों का मत था कि मसीह येशु में बेलज़बूल3:22 बेलज़बूल दुष्टात्माओं का प्रधान समाया हुआ है तथा वह दुष्टात्माओं के नायक की सहायता से दुष्टात्मा निकाला करते हैं.

23इस पर मसीह येशु ने उन्हें अपने पास बुलाकर उनसे दृष्टान्तों में कहना प्रारंभ किया, “भला शैतान ही शैतान को कैसे निकाल सकता है? 24यदि किसी राज्य में फूट पड़ चुकी है तो उसका अस्तित्व बना नहीं रह सकता. 25वैसे ही यदि किसी परिवार में फूट पड़ जाए तो वह स्थायी नहीं रह सकता. 26यदि शैतान अपने ही विरुद्ध उठ खड़ा हुआ है और वह बंट चुका है तो उसका अस्तित्व बना रहना असंभव है—वह तो नाश हो चुका है! 27कोई भी किसी बलवान व्यक्ति के यहां ज़बरदस्ती प्रवेश कर उसकी संपत्ति उस समय तक लूट नहीं सकता जब तक वह उस बलवान व्यक्ति को बांध न ले. तभी उसके लिए उस बलवान व्यक्ति की संपत्ति लूटना संभव होगा. 28मैं तुम पर एक अटूट सच प्रकट कर रहा हूं: मनुष्य द्वारा किए गए सभी पाप और निंदा क्षमा योग्य हैं. 29किंतु पवित्र आत्मा के विरुद्ध की गई निंदा किसी भी प्रकार क्षमा योग्य नहीं है. वह व्यक्ति अनंत पाप का दोषी है.”

30मसीह येशु ने यह सब इसलिये कहा था कि शास्त्रियों ने उन पर दोष लगाया था कि मसीह येशु में दुष्टात्मा समाया हुआ है.

31तभी मसीह येशु की माता और उनके भाई वहां आ गए. वे बाहर ही खड़े रहे. उन्होंने संदेश भेजकर उन्हें बाहर बुलवाया. 32भीड़ उन्हें घेरे हुए बैठी थी. उन्होंने मसीह येशु को बताया, “वह देखिए! आपकी माता तथा आपके भाई और बहिन बाहर आपकी तलाश कर खड़े हैं.”

33“कौन हैं मेरी माता और कौन हैं मेरे भाई?” मसीह येशु ने पूछा.

34तब अपनी दृष्टि अपने आस-पास बैठे भीड़ पर डालते हुए उन्होंने कहा, “ये हैं मेरी माता तथा मेरे भाई! 35जो कोई परमेश्वर की इच्छा को पूरी करता है, वही है मेरा भाई, मेरी बहन तथा मेरी माता.”