إنجيل لوقا 20 – NAV & NCA

Ketab El Hayat

إنجيل لوقا 20:1-47

سلطة يسوع

1وَفِيمَا كَانَ يُعَلِّمُ الشَّعْبَ فِي الْهَيْكَلِ ذَاتَ يَوْمٍ، وَيُبَشِّرُ، تَصَدَّى لَهُ رُؤَسَاءُ الْكَهَنَةِ وَالْكَتَبَةُ مَعَ الشُّيُوخِ، 2وَخَاطَبُوهُ قَائِلِينَ: «قُلْ لَنَا بِأَيَّةِ سُلْطَةٍ تَفْعَلُ مَا فَعَلْتَ؟ أَوْ مَنْ مَنَحَكَ هذِهِ السُّلْطَةَ؟» 3فَأَجَابَهُمْ يَسُوعُ قَائِلاً: «وَأَنَا أَيْضاً أَسْأَلُكُمْ أَمْراً وَاحِداً، فَأَجِيبُونِي عَنْهُ: 4أَمِنَ السَّمَاءِ كَانَتْ مَعْمُودِيَّةُ يُوحَنَّا أَمْ مِنَ النَّاسِ؟» 5فَتَشَاوَرُوا فِيمَا بَيْنَهُمْ قَائِلِينَ: «إِنْ قُلْنَا: مِنَ السَّمَاءِ، يَقُولُ: وَلِمَاذَا لَمْ تُؤْمِنُوا بِهِ؟ 6وَإِنْ قُلْنَا: مِنَ النَّاسِ، يَرْجُمُنَا الشَّعْبُ كُلُّهُ، لأَنَّهُمْ مُقْتَنِعُونَ أَنَّ يُوحَنَّا كَانَ نَبِيًّا». 7فَأَجَابُوا أَنَّهُمْ لَا يَعْرِفُونَ مِنْ أَيْنَ هِيَ. 8فَقَالَ لَهُمْ يَسُوعُ: «وَأَنَا لَا أَقُولُ لَكُمْ بِأَيَّةِ سُلْطَةٍ أَفْعَلُ مَا فَعَلْتُ!»

مَثل المزارعين

9وَأَخَذَ يُكَلِّمُ الشَّعْبَ بِهَذَا الْمَثَلِ: «غَرَسَ إِنْسَانٌ كَرْماً وَسَلَّمَهُ إِلَى مُزَارِعِينَ، وَسَافَرَ مُدَّةً طَوِيلَةً. 10وَفِي مَوْسِمِ الْحَصَادِ أَرْسَلَ إِلَى الْمُزَارِعِينَ عَبْداً، لِكَيْ يُعْطُوهُ مِنْ ثَمَرِ الْكَرْمِ. وَلكِنَّ الْمُزَارِعِينَ ضَرَبُوهُ وَرَدُّوهُ فَارِغَ الْيَدَيْنِ. 11فَعَادَ وَأَرْسَلَ عَبْداً آخَرَ. إِلّا أَنَّهُمْ ضَرَبُوهُ أَيْضاً وَأَهَانُوهُ وَرَدُّوهُ فَارِغَ الْيَدَيْنِ. 12ثُمَّ عَادَ وَأَرْسَلَ عَبْداً ثَالِثاً، فَجَرَّحُوهُ وَطَرَحُوهُ خَارِجَ الْكَرْمِ. 13فَقَالَ رَبُّ الْكَرْمِ: مَاذَا أَفْعَلُ؟ سَأُرْسِلُ ابْنِي الْحَبِيبَ، لَعَلَّهُمْ يَهَابُونَهُ! 14وَلكِنْ مَا إِنْ رَآهُ الْمُزَارِعُونَ، حَتَّى تَشَاوَرُوا فِيمَا بَيْنَهُمْ قَائِلِينَ: هَذَا هُوَ الْوَرِيثُ، فَلْنَقْتُلْهُ لِيَصِيرَ الْمِيرَاثُ لَنَا. 15فَطَرَحُوهُ خَارِجَ الْكَرْمِ وَقَتَلُوهُ. فَمَاذَا إِذَنْ يَفْعَلُ رَبُّ الْكَرْمِ بِهِمْ؟ 16إِنَّهُ يَأْتِي وَيُهْلِكُ أُولئِكَ الْمُزَارِعِينَ، وَيُسَلِّمُ الْكَرْمَ إِلَى غَيْرِهِمْ».

فَلَمَّا سَمِعُوا ذلِكَ، قَالُوا «حَاشَا!» 17وَلكِنَّهُ نَظَرَ إِلَيْهِمْ وَقَالَ: «إِذَنْ مَا مَعْنَى هذِهِ الآيَةِ الْمَكْتُوبَةِ: الْحَجَرُ الَّذِي رَفَضَهُ الْبُنَاةُ، هُوَ نَفْسُهُ صَارَ حَجَرَ الزَّاوِيَةِ؟ 18مَنْ يَقَعُ عَلَى هَذَا الْحَجَرِ يَتَكَسَّرُ، وَمَنْ يَقَعُ الْحَجَرُ عَلَيْهِ يَسْحَقُهُ سَحْقاً؟» 19فَسَعَى رُؤَسَاءُ الْكَهَنَةِ وَالْكَتَبَةُ إِلَى إلْقَاءِ الْقَبْضِ عَلَيْهِ فِي تِلْكَ السَّاعَةِ عَيْنِهَا، وَلكِنَّهُمْ خَافُوا الشَّعْبَ، فَقَدْ أَدْرَكُوا أَنَّهُ عَنَاهُمْ بِهَذَا الْمَثَلِ.

دفع الجزية للقيصر

20فَجَعَلُوا يُرَاقِبُونَهُ، وَبَثُّوا حَوْلَهُ جَوَاسِيسَ يَتَظَاهَرُونَ أَنَّهُمْ أَبْرَارٌ، لِكَيْ يُمْسِكُوهُ بِكَلِمَةٍ يَقُولُهَا، فَيُسَلِّمُوهُ إِلَى قَضَاءِ الْحَاكِمِ وَسُلْطَتِهِ. 21فَقَالُوا يَسْأَلُونَهُ: «يَا مُعَلِّمُ، نَعْلَمُ أَنَّكَ تَتَكَلَّمُ وَتُعَلِّمُ بِالصِّدْقِ، فَلا تُرَاعِي مَقَامَاتِ النَّاسِ، بَلْ تُعَلِّمُ طَرِيقَ اللهِ بِالْحَقِّ: 22أَفَيَحِلُّ لَنَا أَنْ نَدْفَعَ الْجِزْيَةَ لِلْقَيْصَرِ، أَمْ لا؟» 23فَأَدْرَكَ مَكْرَهُمْ، وَقَالَ لَهُمْ: 24«أَرُونِي دِينَاراً: لِمَنِ الصُّورَةُ وَالنَّقْشُ عَلَيْهِ؟» فَأَجَابُوا: «لِلْقَيْصَرِ!» 25فَقَالَ لَهُمْ: «إِذَنْ، أَعْطُوا مَا لِلْقَيْصَرِ لِلْقَيْصَرِ، وَمَا لِلهِ لِلهِ». 26فَلَمْ يَتَمَكَّنُوا مِنَ الإِيقَاعِ بِهِ أَمَامَ الشَّعْبِ بِكَلِمَةٍ يَقُولُهَا، فَسَكَتُوا مَدْهُوشِينَ مِمَّا سَمِعُوا.

القيامة والزواج

27وَتَصَدَّى لَهُ بَعْضُ الصَّدُّوقِيِّينَ الَّذِينَ يُنْكِرُونَ أَمْرَ الْقِيَامَةِ، وَسَأَلُوهُ قَائِلِينَ: 28«يَا مُعَلِّمُ، كَتَبَ لَنَا مُوسَى: إِنْ مَاتَ لأَحَدٍ أَخٌ مُتَزَوِّجٌ وَلَيْسَ لَهُ وَلَدٌ، فَعَلَى أَخِيهِ أَنْ يَتَزَوَّجَ بِأَرْمَلَتِهِ وَيُقِيمَ نَسْلاً عَلَى اسْمِ أَخِيهِ. 29فَقَدْ كَانَ هُنَاكَ سَبْعَةُ إِخْوَةٍ، اتَّخَذَ أَوَّلُهُمْ زَوْجَةً ثُمَّ مَاتَ دُونَ وَلَدٍ، 30فَتَزَوَّجَ الثَّانِي بِالأَرْمَلَةِ، 31ثُمَّ اتَّخَذَهَا الثَّالِثُ، حَتَّى تَزَوَّجَ بِها السَّبْعَةُ وَمَاتُوا دُونَ أَنْ يُخَلِّفُوا وَلَداً. 32وَمِنْ بَعْدِهِمْ جَمِيعاً مَاتَتِ الْمَرْأَةُ أَيْضاً. 33فَفِي الْقِيَامَةِ لِمَنْ مِنْهُمْ تَكُونُ الْمَرْأَةُ زَوْجَةً، فَقَدْ كَانَتْ زَوْجَةً لِكُلٍّ مِنَ السَّبْعَةِ».

34فَرَدَّ عَلَيْهِمْ يَسُوعُ قَائِلاً: «أَبْنَاءُ الزَّمَانِ الْحَاضِرِ يُزَوِّجُونَ وَيَتَزَوَّجُونَ. 35أَمَّا الَّذِينَ حُسِبُوا أَهْلاً لِلْمُشَارَكَةِ فِي الزَّمَانِ الآتِي وَالْقِيَامَةِ مِنْ بَيْنِ الأَمْوَاتِ، فَلا يُزَوِّجُونَ وَلا يَتَزَوَّجُونَ. 36إِذْ لَا يُمْكِنُ أَنْ يَمُوتُوا أَيْضاً بَعْدَ ذَلِكَ، لأَنَّهُمْ يَكُونُونَ مِثْلَ الْمَلائِكَةِ، وَهُمْ أَبْنَاءُ اللهِ لِكَوْنِهِمْ أَبْنَاءَ الْقِيَامَةِ. 37وَأَمَّا أَنَّ الْمَوْتَى يَقُومُونَ، فَحَتَّى مُوسَى أَشَارَ إِلَى ذَلِكَ فِي الْحَدِيثِ عَنِ الْعُلَّيْقَةِ، حَيْثُ يَدْعُو الرَّبَّ إِلهَ إِبْرَاهِيمَ وَإِلَهَ إِسْحَاقَ وَإِلَهَ يَعْقُوبَ. 38وَلكِنَّ اللهَ لَيْسَ إِلهَ أَمْوَاتٍ بَلْ هُوَ إِلهُ أَحْيَاءَ، فَإِنَّ الْجَمِيعَ يَحْيَوْنَ لَدَيْهِ!» 39فَقَالَ بَعْضُ الْكَتَبَةِ: «يَا مُعَلِّمُ، أَحْسَنْتَ الْكَلامَ!» 40وَلَمْ يَجْرُؤْ أَحَدٌ بَعْدَ ذَلِكَ أَنْ يَسْأَلَهُ شَيْئاً.

المسيح وداود

41وَقَالَ لَهُمْ: «كَيْفَ يُقَالُ إِنَّ الْمَسِيحَ هُوَ ابْنُ دَاوُدَ، 42فِيمَا يَقُولُ دَاوُدُ نَفْسُهُ فِي كِتَابِ الْمَزَامِيرِ: قَالَ الرَّبُّ لِرَبِّي: اجْلِسْ عَنْ يَمِينِي 43حَتَّى أَضَعَ أَعْدَاءَكَ مَوْطِئاً لِقَدَمَيْكَ؟ 44إِذَنْ، دَاوُدُ يَدْعُوهُ رَبّاً، فَكَيْفَ يَكُونُ ابْنَهُ؟»

التحذير من الكتبة

45وَفِيمَا كَانَ جَمِيعُ الشَّعْبِ يُصْغُونَ، قَالَ لِتَلامِيذِهِ: 46«احْذَرُوا مِنَ الْكَتَبَةِ الَّذِينَ يَرْغَبُونَ التَّجَوُّلَ بِالأَثْوَابِ الْفَضْفَاضَةِ، وَيُحِبُّونَ تَلَقِّي التَّحِيَّاتِ فِي السَّاحَاتِ الْعَامَّةِ، وَصُدُورَ الْمَجَالِسِ فِي الْمَجَامِعِ، وَأَمَاكِنَ الصَّدَارَةِ فِي الْوَلائِمِ؛ 47يَلْتَهِمُونَ بُيُوتَ الأَرَامِلِ وَيَتَبَاهُونَ بِإِطَالَةِ الصَّلَوَاتِ. هؤُلاءِ سَتَنْزِلُ بِهِمْ دَيْنُونَةٌ أَقْسَى!»

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

लूका 20:1-47

यीसू के अधिकार के बारे म सवाल

(मत्ती 21:23-27; मरकुस 11:27-33)

1एक दिन जब यीसू ह मंदिर के अंगना म मनखेमन ला उपदेस देवत रिहिस अऊ सुघर संदेस के परचार करत रिहिस, त मुखिया पुरोहित अऊ कानून के गुरूमन अगुवामन के संग ओकर करा आईन, 2अऊ ओमन यीसू ले पुछिन, “हमन ला बता, कोन अधिकार ले तेंह ए चीजमन ला करत हवस? कोन ह तोला ए अधिकार दे हवय?”

3ओह ओमन ला जबाब देवत कहिस, “मेंह घलो तुमन ले एक सवाल पुछत हंव। मोला बतावव, 4यूहन्ना ला बतिसमा देय के अधिकार स्‍वरग (परमेसर) ले मिले रिहिस कि मनखेमन ले?”

5ओमन आपस म सोच-बिचार करिन अऊ कहिन, “यदि हमन कहन, ‘स्‍वरग ले,’ तब ओह पुछही, ‘तब तुमन काबर ओकर ऊपर बिसवास नइं करेव?’ 6पर यदि हमन कहन, ‘मनखेमन ले,’ त जम्मो मनखे हमन ला पथरा फेंकके मारहीं, काबरकि ओमन बिसवास करथंय कि यूहन्ना ह एक अगमजानी रिहिस।”

7एकरसेति ओमन जबाब दीन, “हमन नइं जानन कि ओह काकर कोति ले रिहिस।”

8तब यीसू ह ओमन ला कहिस, “त मेंह घलो तुमन ला नइं बतावंव कि कोन अधिकार ले मेंह ए चीजमन ला करत हवंव।”

रेगहा म खेत कमइया किसानमन के पटं‍तर

(मत्ती 21:33-46; मरकुस 12:1-12)

9तब यीसू ह मनखेमन ला ए पटं‍तर कहिस, “एक मनखे एक अंगूर के बारी लगाईस, अऊ ओला कुछू किसानमन ला रेगहा म दे दीस अऊ बहुंत दिन बर परदेस चल दीस। 10जब अंगूर के फसल के समय आईस, त ओह अपन एक सेवक ला ओ किसानमन करा पठोईस ताकि ओमन अंगूर के बारी के कुछू फर ओला देवंय। पर किसानमन ओ सेवक ला मारिन-पीटिन अऊ ओला जुछा हांथ वापिस पठो दीन। 11तब ओह दूसर सेवक ला पठोईस, पर किसानमन ओला घलो मारिन-पीटिन; ओकर बेजत्ती करिन अऊ ओला जुछा हांथ वापिस पठो दीन। 12फेर ओह तीसरा सेवक ला पठोईस, अऊ किसानमन ओला घायल करके बारी के बाहिर फटिक दीन।

13तब अंगूर के बारी के मालिक ह कहिस, ‘मेंह का करंव? मेंह अपन मयारू बेटा ला पठोहूं। हो सकथे कि ओमन ह ओकर आदर करंय।’

14पर जब किसानमन मालिक के बेटा ला देखिन, त ओमन आपस म कहिन, ‘एह तो बारी के वारिस ए। आवव, हमन ओला मार डारन, तब ओकर संपत्ति ह हमर हो जाही।’ 15अऊ ओमन ओला अंगूर के बारी ले बाहिर फटिक दीन अऊ ओला मार डारिन।

तब बारी के मालिक ह ओमन के संग का करही? 16ओह आही अऊ ओ किसानमन ला मार डारही अऊ अंगूर के बारी ला आने मन ला दे दिही।”

जब मनखेमन एला सुनिन, त ओमन कहिन, “अइसने कभू झन होवय।”

17यीसू ह ओमन ला देखके कहिस, “तब परमेसर के बचन म लिखे ए बात के का मतलब होथे?

‘जऊन पथरा ला राज-मिस्‍त्रीमन बेकार समझिन,

ओहीच ह कोना के पथरा बन गीस।’20:17 भजन-संहिता 118:22

18जऊन कोनो ओ पथरा ऊपर गिरही, ओह कुटी-कुटी हो जाही, पर जेकर ऊपर ए पथरा ह गिरही, ओह चकनाचूर हो जाही।”

19कानून के गुरू अऊ मुखिया पुरोहित मन ओतकीच बेरा यीसू ला पकड़े के कोसिस करिन, काबरकि ओमन जानत रिहिन कि ओह ए पटं‍तर ला ओमन के बिरोध म कहे हवय। पर ओमन मनखेमन ले डर्राईन।

महाराजा ला लगान पटाय के बारे म सवाल

(मत्ती 22:15-22; मरकुस 12:13-17)

20ओमन यीसू ऊपर नजर रखे रहंय अऊ ओमन भेदियामन ला पठोईन, जऊन मन ईमानदार होय के ढोंग करत रहंय। ओमन ए आसा करत रहंय कि यीसू के मुहूं ले कोनो अइसने बात निकरे, जेकर ले ओला ओमन पकड़ंय अऊ राजपाल के हांथ अऊ अधिकार म सऊंप सकंय। 21एकरसेति ओ भेदियामन यीसू ले पुछिन, “हे गुरू, हमन जानथन कि तेंह ओ बात ला कहिथस अऊ सिखोथस जऊन ह सही ए, अऊ तेंह मुहूं देखके नइं गोठियावस, पर सच्‍चई के संग परमेसर के बात ला सिखोथस। 22हमन ला बता कि महाराजा ला लगान पटाना हमर बर ठीक अय कि नइं?”

23पर यीसू ह ओमन के चाल ला समझ गीस अऊ कहिस, 24“मोला एक ठन सिक्‍का देखावव। एकर ऊपर काकर चेहरा अऊ नांव हवय?”

ओमन कहिन, “महाराजा के।”

25यीसू ह ओमन ला कहिस, “जऊन ह महाराजा के अय, ओला महाराजा ला देवव, अऊ जऊन ह परमेसर के अय, ओेला परमेसर ला देवव।”

26जऊन बात, ओह मनखेमन के आघू म कहिस, ओम ओमन ह ओला फंसाय नइं सकिन। अऊ ओकर जबाब ले चकित होके, ओमन चुप हो गीन।

मरे म ले फेर जी उठे के बारे म सवाल

(मत्ती 22:23-33; मरकुस 12:18-27)

27सदूकीमन कहिथें कि जऊन मन मर गे हवंय, ओमन फेर नइं जी उठंय। ओम के कुछू झन यीसू करा आईन अऊ ओकर ले पुछिन, 28“हे गुरू, मूसा ह हमर बर लिखे हवय कि यदि कोनो मनखे के भाई ह अपन घरवाली के रहत बिगर संतान के मर जावय, त एह जरूरी ए कि ओ मनखे ह अपन भाई के बिधवा ले बिहाव करय अऊ अपन भाई बर संतान पैदा करय। 29एक जगह सात भाईमन रिहिन। बड़े भाई ह एक माईलोगन ले बिहाव करिस अऊ बिगर कोनो लइका के मर गीस। 30तब दूसरा भाई ह ओ माईलोगन ले बिहाव करिस, 31अऊ तब तीसरा भाई ह ओकर ले बिहाव करिस, अऊ इही किसम ले सातों भाई बिगर कोनो संतान के मर गीन। 32आखिर म ओ माईलोगन घलो मर गीस। 33तब ओ दिन जब मरे मनखेमन फेर जी उठहीं, त ओह काकर घरवाली होही, जबकि ओकर ले सात झन बिहाव करे रिहिन?”

34यीसू ह ओमन ला जबाब दीस, “ए जुग के आदमी अऊ माईलोगन मन सादी-बिहाव करथें, 35पर जऊन आदमी अऊ माईलोगन मन ए लइक ठहरथें कि ओमन मरे म ले जी उठंय अऊ ओ जुग म जीयंय; उहां ओमन के बीच म सादी-बिहाव नइं होवय। 36ओमन फेर कभू नइं मरंय; काबरकि ओमन स्वरगदूतमन सहीं होथें। ओमन परमेसर के संतान अंय काबरकि ओमन मरे म ले जी उठे हवंय। 37मरे मन जी उठथें, एला मूसा ह घलो जरत झाड़ी के घटना म बताथे, जिहां ओह परभू ला ‘अब्राहम के परमेसर, अऊ इसहाक के परमेसर, अऊ याकूब के परमेसर,’20:37 निरगमन 3:6 कहिथे20:37 बहुंत पहिली परमेसर ह मूसा ले बरत झाड़ी म ले गोठियाईस, पर ओ झाड़ी ह नास नइं होईस।38एकर मतलब होथे कि ओह मरे मन के नइं, पर जीयत मन के परमेसर अय, काबरकि ओकर बर जम्मो झन जीयत हवंय।”

39कुछू कानून के गुरूमन कहिन, “हे गुरू, तेंह बने कहय!” 40एकर बाद ओमन ओला अऊ कोनो सवाल करे के हिम्मत नइं करिन।

मसीह ह काकर बेटा अय?

(मत्ती 22:41-46; मरकुस 12:35-37)

41तब यीसू ह ओमन ला कहिस, “ओमन कइसने कह सकथें कि मसीह ह दाऊद के संतान अय? 42काबरकि दाऊद ह खुदे भजन-संहिता के किताब म कहिथे:

‘परभू ह मोर परभू ले कहिस:

“मोर जेवनी हांथ अंग बईठ,

43जब तक कि मेंह तोर बईरीमन

ला तोर गोड़ रखे के चउकी नइं बना देवंव।” ’20:43 भजन-संहिता 110:1

44जब दाऊद ह ओला ‘परभू’ कहिथे, तब मसीह ह दाऊद के संतान कइसने हो सकथे?”

45जब जम्मो मनखेमन यीसू के बात ला सुनत रिहिन, त यीसू ह अपन चेलामन ला कहिस, 46“कानून के गुरूमन ले सचेत रहव। ओमन लम्‍बा-लम्‍बा कपड़ा पहिरे एती-ओती घूमना पसंद करथें, अऊ ओमन ला बजार के जगह म जोहार झोंकना, यहूदीमन के सभा घर म सबले बने आसन म बईठना अऊ भोज म आदर के जगह म बईठना बहुंत बने लगथे। 47ओमन बिधवामन के घरमन ला छीन लेथें अऊ देखाय बर लम्‍बा पराथना करथें। अइसने मनखेमन बहुंत कठोर दंड पाहीं।”