دينونة الأمم
1اقْتَرِبُوا أَيُّهَا الأُمَمُ لِلاسْتِمَاعِ، أَصْغُوا أَيُّهَا الشُّعُوبُ. لِتَسْمَعِ الأَرْضُ وَمِلْؤُهَا، الْمَسْكُونَةُ وَكُلُّ مَا يَخْرُجُ مِنْهَا، 2لأَنَّ الرَّبَّ سَاخِطٌ عَلَى كُلِّ الشُّعُوبِ، وَغَضَبُهُ مُنْصَبٌّ عَلَى جَمِيعِ أَجْنَادِهِمْ. قَضَى عَلَيْهِمْ بِالْفَنَاءِ، وَأَسْلَمَهُمْ إِلَى الذَّبْحِ، 3فَتُطْرَحُ قَتْلاهُمْ وَيَنْتَشِرُ نَتْنُ جِيَفِهِمْ فِي الْفَضَاءِ، وَتَفِيضُ الْجِبَالُ بِدِمَائِهِمْ، 4وَتَنْحَلُّ كُلُّ كَوَاكِبِ السَّمَاءِ، وَتُطْوَى السَّمَاوَاتُ كَدَرْجٍ، وَتَتَسَاقَطُ كُلُّ نُجُومِهَا كَتَسَاقُطِ أَوْرَاقِ الْكَرْمَةِ أَوْ حَبَّاتِ التِّينِ الْمُتَغَضِّنَةِ.
5لأَنَّ سَيْفِي قَدْ تَشَرَّبَ بِالسَّخَطِ فِي السَّمَاءِ، وَهَا هُوَ يَنْزِلُ لِيُعَاقِبَ أَدُومَ، وَيَنْتَقِمَ مِنَ الشَّعْبِ الَّذِي قَضَيْتُ عَلَيْهِ بِالفَنَاءِ. 6لِلرَّبِّ سَيْفٌ مُشْبَعٌ بِالدَّمِ، مَطْلِيٌّ بِالشَّحْمِ، بِدَمِ حُمْلانٍ وَتُيُوسٍ، وَبِشَحْمِ كُلَى كِبَاشٍ، لأَنَّ لِلرَّبِّ ذَبِيحَةً فِي بُصْرَةَ، وَمَذْبَحَةً فِي أَدُومَ. 7وَيَسْقُطُ مَعَهُمُ الْبَقَرُ الْوَحْشِيُّ، وَالْعُجُولُ وَالثِّيرَانُ الْقَوِيَّةُ، فَتَتَشَبَّعُ أَرْضُهُمْ بِالدِّمَاءِ، وَيُخْصِبُ تُرَابُهُمْ بِالشَّحْمِ، 8لأَنَّ لِلرَّبِّ يَوْمَ انْتِقَامٍ، سَنَةَ ثَأْرٍ لِدَعْوَى صِهْيَوْنَ، 9فَتَنْقَلِبُ أَنْهَارُ أَدُومَ إِلَى زِفْتٍ، وَتُرَابُهُمْ إِلَى كِبْرِيتٍ، وَتُصْبِحُ أَرْضُهَا قَاراً مُشْتَعِلاً. 10فَلا تَنْطَفِئُ لَيْلاً وَنَهَاراً، وَيُحَلِّقُ دُخَانُهَا إِلَى الْفَضَاءِ مَدَى الدَّهْرِ، وَتَظَلُّ خَرَاباً جِيلاً بَعْدَ جِيلٍ، فَلا يَعْبُرُ بِها أَحَدٌ إِلَى الأَبَدِ، 11وَلا يَرِثُهَا سِوَى الصُّقُورِ وَالْقَنَافِذِ، وَيَسْكُنُ فِيهَا الْبُومُ وَالْغُرَابُ، وَيَمُدُّ الرَّبُّ عَلَيْهَا خَيْطَ الدَّمَارِ وَمِطْمَارَ الْهَلاكِ، 12وَلا يَجِدُ فِيهَا أَشْرَافُهَا أَثَراً لِلْمَلِكِ، وَيَنْقَرِضُ جَميِعُ رُؤَسَائِهَا. 13يَنْمُو الشَّوْكُ فِي قُصُورِهَا، وَيَزْحَفُ الْعَوْسَجُ عَلَى حُصُونِهَا، فَتُصْبِحُ مَأْوىً لِبَنَاتِ آوَى، وَمَسْكِناً لِلنَّعَامِ. 14وَتَجْتَمِعُ فِيهَا الْوُحُوشُ الْبَرِّيَّةُ مَعَ الذِّئَابِ، وَوَعْلُ الْبَرِّ يَدْعُو صَاحِبَهُ، وَهُنَاكَ تَسْتَقِرُّ وُحُوشُ اللَّيْلِ وَتَجِدُ لِنَفْسِهَا مَلاذَ رَاحَةٍ.
15هُنَاكَ تَعِيشُ الْبُومُ وَتَبِيضُ وَتُفْرِخُ وَتَرْعَى صِغَارَهَا تَحْتَ أَجْنِحَتِهَا، وَهُنَاكَ أَيْضاً تَتَلاقَى الصُّقُورُ بَعْضُهَا بِبَعْضٍ.
16ابْحَثُوا فِي سِفْرِ الرَّبِّ وَاقْرَأُوا: فَكَلِمَةٌ وَاحِدَةٌ لَا يُمْكِنُ أَنْ تَسْقُطَ، إِذْ كُلُّ أَلِيفٍ سَيَجْتَمِعُ بِأَلِيفِهِ، لأَنَّ فَمَ الرَّبِّ قَدْ أَمَرَ، وَرُوحَهُ يَجْمَعُهَا مَعاً. 17فَهُوَ قَدْ أَلْقَى عَلَيْهَا الْقُرْعَةَ، وَيَدُهُ قَدْ وَزَّعَتْهَا بِقِسْطَاسٍ، فَتَرِثُهَا إِلَى الأَبَدِ وَتُقِيمُ فِيهَا جِيلاً بَعْدَ جِيلٍ.
राष्ट्रों के विरोध न्याय
1हे राज्य,
राज्य के लोगो, सुनो!
सारी पृथ्वी के लोगो,
और जो कुछ इसमें है ध्यान से सुनो!
2क्योंकि याहवेह का क्रोध सब जातियों पर
तथा उनके शत्रुओं पर है.
उन्होंने तो इन शत्रुओं को पूरा नष्ट कर दिया है,
उन्होंने इन शत्रुओं को वध के लिए छोड़ दिया है.
3जो मर गये हैं उन्हें बाहर फेंक दिया जाएगा,
उनके शव सड़ जायेंगे;
तथा पर्वत उनके रक्त से गल जाएंगे.
4आकाश के सभी तारे छिप जाएंगे
तथा आकाश कागज़ की नाई लपेट दिया जाएगा;
आकाश के तारे मुरझाई हुई
पत्तियों के समान गिर जायेंगे.
5क्योंकि स्वर्ग में मेरी तलवार पीकर तृप्त हो चुकी है;
अब न्याय के लिए एदोम पर बरसेगी,
उन लोगों पर जिन्हें मैंने नाश के लिए अलग कर दिया है.
6याहवेह की तलवार लहू से भरी है,
यह मेमनों तथा बकरों के रक्त
तथा चर्बी से तृप्त हो चुकी है.
क्योंकि याहवेह ने बोज़राह में यज्ञ बलि अर्पण आयोजित किया है
तथा एदोम देश में एक विशाल संहार.
7जंगली बैलों का भी उन्हीं के साथ संहार हो जाएगा,
तथा पुष्ट सांड़ बछड़े के साथ वध हो जाएंगे.
इस प्रकार उनका देश रक्त से गल जाएगा,
तथा वहां की धूल वसायुक्त हो जाएगी.
8क्योंकि याहवेह द्वारा बदला लेने का दिन तय किया गया है,
यह ज़ियोन के हित में प्रतिफल का वर्ष होगा.
9एदोम की नदियां झरने बन जायेंगी,
तथा इसकी मिट्टी गंधक;
तथा देश प्रज्वलित झरने हो जाएंगे!
10न तो यह दिन में बुझेगी, न रात्रि में;
इसका धुआं सदा ऊपर उठता रहेगा.
पीढ़ी से पीढ़ी तक यह सुनसान पड़ा रहेगा;
कोई भी इसके बाद यहां से होकर नहीं जाएगा.
11हवासिल तथा साही इस पर अपना अधिकार कर लेंगे;
यह उल्लू तथा कौवों का घर हो जाएगा.
याहवेह इसके ऊपर निर्जनता की सीमा-निर्धारण डोर तान देंगे
तथा रिक्तता का साहुल भी.
12वहां ऐसा कोई भी नहीं जिसे वे राजा घोषित करें, वहां के ऊंचे पद वाले
तथा उसके सब शासक किसी के योग्य नहीं हैं.
13गढ़नगर के महलों पर कंटीली झाड़ियां उग जाएंगी,
इसके नगरों में बिच्छू, पौधे तथा झाड़ बढ़ जायेंगे.
यहां सियारों का बसेरा हो जाएगा,
जहां शुतुरमुर्ग घर करेंगे.
14वहां मरुभूमि के प्राणियों,
तथा भेड़ियों का सम्मेलन हुआ करेगा;
जंगली बकरे एक दूसरे को पुकारेंगे
तथा वहां रात के जीव लेट जाएंगे.
15वहां उल्लू अपना घोंसला बनाएगा तथा वहीं वह अंडे देगा,
वहां चूज़े पैदा होंगे तथा वह उन्हें अपने पंखों की छाया में ले लेगा;
तब वहां बाज़ भी एकत्र होंगे.
16याहवेह की पुस्तक से खोज करते हुए पढ़ो:
इनमें से एक भी न हटेगा,
न किसी जोड़े को साथी का अभाव होगा.
क्योंकि स्वयं याहवेह ने कहा है,
तथा उनके आत्मा ने उन्हें एक किया है.
17याहवेह ने उनके लिए पासे फेंके हैं;
स्वयं उन्होंने डोरी द्वारा बांट दिया हैं.
इस पर उनका हक सर्वदा बना रहेगा
एक से दूसरी पीढ़ी तक वे इसमें निवास करते रहेंगे.