أعمال 24 – NAV & HCV

Ketab El Hayat

أعمال 24:1-27

المحاكمة أمام فيلكس

1وَبَعْدَ خَمْسَةِ أَيَّامٍ حَضَرَ إِلَى قَيْصَرِيَّةَ وَفْدٌ يَضُمُّ حَنَانِيَّا، رَئِيسَ الْكَهَنَةِ، وَبَعْضَ الشُّيُوخِ، وَمُحَامِياً اسْمُهُ تَرْتُلُّسُ، لِيُقَدِّمُوا الدَّعْوَى لِلْحَاكِمِ ضِدَّ بُولُسَ. 2فَاسْتَدْعَى الْحَاكِمُ بُولُسَ، وَبَدَأَ تَرْتُلُّسُ يُوَجِّهُ إِلَيْهِ الاتِّهَامَ، فَقَالَ:

«إِنَّ مَا تَمَّ لَنَا بِفَضْلِكَ مِنْ سَلامٍ وَافِرٍ وَإِصْلاحَاتٍ انْتَفَعَ بِها شَعْبُنَا بِعِنَايَتِكَ 3يَا سُمُوَّ الْحَاكِمِ فِيلِكْسَ نُرَحِّبُ بِهِ، بِجُمْلَتِهِ وَفِي كُلِّ مَكَانٍ، بِالشُّكْرِ الْجَزِيلِ. 4وَلأَنِّي لَا أُرِيدُ أَنْ أُطِيلَ الْكَلامَ عَلَيْكَ، أَرْجُو أَنْ تَتَلَطَّفَ فَتَسْمَعَ عَرْضاً مُوجَزاً لِدَعْوَانَا: 5وَجَدْنَا هَذَا الْمُتَّهَمَ مُخَرِّباً، يُثِيرُ الْفِتْنَةَ بَيْنَ جَمِيعِ الْيَهُودِ فِي الْبِلادِ كُلِّهَا، وَهُوَ يَتَزَعَّمُ مَذْهَبَ النَّصَارَى. 6فَلَمَّا حَاوَلَ تَدْنِيسَ هَيْكَلِنَا أَيْضاً، قَبَضْنَا عَلَيْهِ وَأَرَدْنَا أَنْ نُحَاكِمَهُ بِحَسَبِ شَرِيعَتِنَا. 7وَلَكِنَّ الْقَائِدَ لِيسِياسَ جَاءَ وَأَخَذَهُ بِالْقُوَّةِ مِنْ أَيْدِينَا، 8ثُمَّ أَمَرَ الْمُدَّعِينَ عَلَيْهِ بِالتَّرَافُعِ أَمَامَكَ. وَتَسْتَطِيعُ الآنَ أَنْ تَتَيَقَّنَ مِنْ صِحَّةِ دَعْوَانَا إِذَا قُمْتَ بِاسْتِجْوَابِهِ فِي هَذَا الأَمْرِ!» 9وَأَيَّدَ الْيَهُودُ أَعْضَاءُ الْوَفْدِ ادِّعَاءَ الْمُحَامِي زَاعِمِينَ أَنَّهُ صَحِيحٌ.

10وَأَشَارَ الْحَاكِمُ إِلَى بُولُسَ أَنْ يُقَدِّمَ دِفَاعَهُ، فَقَالَ: «أَنَا أَعْلَمُ أَنَّكَ تَحْكُمُ فِي قَضَايَا أُمَّتِنَا مُنْذُ سَنَوَاتٍ عَدِيدَةٍ، وَلِذَلِكَ يَسُرُّنِي تَقْدِيمُ دِفَاعِي عَنْ نَفْسِي بِكُلِّ ارْتِيَاحٍ. 11وَيُمْكِنُكَ أَنْ تَتَأَكَّدَ أَنَّهُ لَمْ يَمْضِ عَلَى وُصُولِي إِلَى أُورُشَلِيمَ، لِلْعِبَادَةِ، أَكْثَرُ مِنِ اثْنَيْ عَشَرَ يَوْماً. 12وَلَمْ يَرَنِي أَحَدٌ مِنَ الْيَهُودِ مَرَّةً وَاحِدَةً فِي الْهَيْكَلِ أَوِ الْمَجَامِعِ أُجَادِلُ أَحَداً أَوْ أُحَرِّضُ الشَّعْبَ عَلَى الْفَوْضَى. 13وَهُمْ لَا يَقْدِرُونَ أَنْ يُثْبِتُوا اتِّهَامَهُمْ لِي أَمَامَكَ الآنَ. 14وَلَكِنِّي أَعْتَرِفُ أَمَامَكَ بِأَنِّي أَعْبُدُ إِلهَ آبَائِي بِحَسَبِ الْمَذْهَبِ الَّذِي يَصِفُونَهُ بِأَنَّهُ بِدْعَةٌ، وَأُومِنُ بِكُلِّ مَا كُتِبَ فِي الشَّرِيعَةِ وَكُتُبِ الأَنْبِيَاءِ، 15وَلِي بِاللهِ مَالَهُمْ مِنْ رَجَاءٍ يَنْتَظِرُونَ تَحْقِيقَهُ: وَهُوَ أَنَّ الْقِيَامَةَ سَتَحْدُثُ لِلأَمْوَاتِ، الأَبْرَارِ مِنْهُمْ وَالأَشْرَارِ. 16لِذَلِكَ أَنَا أَيْضاً أُدَرِّبُ نَفْسِي لِكَيْ أَحْيَا دَائِماً بِضَمِيرٍ نَقِيٍّ أَمَامَ اللهِ وَالنَّاسِ. 17وَبَعْدَ غِيَابِ عِدَّةِ سَنَوَاتٍ عَنْ أُورُشَلِيمَ، رَجَعْتُ إِلَيْهَا أَحْمِلُ بَعْضَ التَّبَرُّعَاتِ إِلَى شَعْبِي، وَأُقَرِّبُ تَقْدِمَاتٍ. 18وَبَيْنَمَا كُنْتُ أَقُومُ بِذَلِكَ، رَآنِي فِي الْهَيْكَلِ بَعْضُ يَهُودِ مُقَاطَعَةِ آسِيَّا، وَكُنْتُ قَدْ تَطَهَّرْتُ. لَمْ أَكُنْ وَقْتَئِذٍ وَسْطَ أَيِّ تَجَمُّعٍ، وَلا كُنْتُ أُثِيرُ الْفَوْضَى. 19وَلَوْ كَانَ عِنْدَهُمْ دَلِيلٌ ضِدِّي، لَكَانُوا حَضَرُوا أَمَامَكَ وَشَكَوْنِي حَسَبَ الأُصُولِ. 20وَالآنَ، لِيَذْكُرِ الْحَاضِرُونَ هُنَا الذَّنْبَ الَّذِي وَجَدُوهُ عَلَيَّ عِنْدَمَا حَاكَمُونِي أَمَامَ مَجْلِسِهِمْ، 21غَيْرَ مَا أَعْلَنْتُهُ أَمَامَهُمْ حِينَ قُلْتُ: أَنْتُمْ تُحَاكِمُونَنِي الْيَوْمَ بِسَبَبِ إِيمَانِي بِقِيَامَةِ الأَمْوَاتِ».

22وَكَانَ فِيلِكْسُ يَعْرِفُ عَنْ كَثَبٍ أُمُورَ الطَّرِيقِ، فَلَمَّا سَمِعَ دِفَاعَ بُولُسَ أَرْجَأَ إِصْدَارَ الْحُكْمِ، وَقَالَ لِلْوَفْدِ الْمُدَّعِي: «سَأَحْكُمُ فِي دَعْوَاكُمْ عِنْدَمَا يَحْضُرُ الْقَائِدُ لِيسِيَاسُ». 23ثُمَّ أَمَرَ قَائِدَ الْمِئَةِ بِوَضْعِ بُولُسَ تَحْتَ الْحِرَاسَةِ، عَلَى أَنْ تَكُونَ لَهُ بَعْضُ الْحُرِّيَّةِ، وَأَنْ يُسْمَحَ لأَصْدِقَائِهِ بِزِيَارَتِهِ وَالْقِيَامِ بِخِدْمَتِهِ.

24وَبَعْدَ بِضْعَةِ أَيَّامٍ جَاءَ فِيلِكْسُ وَمَعَهُ زَوْجَتُهُ دُرُوسِلا، وَكَانَتْ يَهُودِيَّةً، فَاسْتَدْعَى بُولُسَ وَاسْتَمَعَ إِلَى حَدِيثِهِ عَنِ الإِيمَانِ بِالْمَسِيحِ يَسُوعَ. 25وَلَمَّا تَحَدَّثَ بُولُسُ عَنِ الْبِرِّ وَضَبْطِ النَّفْسِ وَالدَّيْنُونَةِ الآتِيَةِ ارْتَعَبَ فِيلِكْسُ، وَقَالَ لِبُولُسَ: «اذْهَبِ الآنَ، وَمَتَى تَوَفَّرَ لِيَ الْوَقْتُ أَسْتَدْعِيكَ ثَانِيَةً». 26وَكَانَ فِيلِكْسُ يَأْمُلُ أَنْ يَدْفَعَ لَهُ بُولُسُ بَعْضَ الْمَالِ لِيُطْلِقَهُ، فَأَخَذَ يُكْثِرُ مِنِ اسْتِدْعَائِهِ وَالْحَدِيثِ مَعَهُ. 27وَمَرَّتْ سَنَتَانِ وَبُولُسُ عَلَى هَذِهِ الْحَالِ. وَأَخِيراً تَعَيَّنَ بُورْكِيُوسُ فَسْتُوسُ حَاكِماً خَلَفاً لِفِيلِكْسَ. وَإِذْ أَرَادَ فِيلِكْسُ أَنْ يَكْسِبَ رِضَى الْيَهُودِ تَرَكَ بُولُسَ فِي السِّجْنِ.

Hindi Contemporary Version

प्रेरितों 24:1-27

पौलॉस फ़ेलिक्स के सामने

1पांच दिन बाद महापुरोहित हननयाह पुरनियों तथा तरतुलुस नामक एक वकील के साथ कयसरिया नगर आ पहुंचे और उन्होंने राज्यपाल के सामने पौलॉस के विरुद्ध अपने आरोप प्रस्तुत किए. 2जब पौलॉस को वहां लाया गया, राज्यपाल के सामने तरतुलुस ने पौलॉस पर आरोप लगाने प्रारंभ कर दिए: “आपकी दूरदृष्टि के कारण आपके शासन में लंबे समय से शांति बनी रही है तथा आपके शासित प्रदेश में इस राष्ट्र के लिए आपके द्वारा लगातार सुधार किए जा रहे हैं. 3परमश्रेष्ठ राज्यपाल फ़ेलिक्स, हम इनका हर जगह और हर प्रकार से धन्यवाद करते हुए हार्दिक स्वागत करते हैं. 4मैं आपका और अधिक समय खराब नहीं करूंगा. मैं आपसे यह छोटा सा उत्तर सुनने की विनती करना चाहता हूं.

5“यह व्यक्ति हमारे लिए वास्तव में कष्टदायक कीड़ा साबित हो रहा है. यह एक ऐसा व्यक्ति है, जो विश्व के सारे यहूदियों के बीच मतभेद पैदा कर रहा है. यह एक कुख्यात नाज़री पंथ का मुखिया भी है. 6इसने मंदिर की पवित्रता भंग करने की भी कोशिश की है इसलिये हमने इसे बंदी बना लिया. [हम तो अपनी ही व्यवस्था की विधियों के अनुसार इसका न्याय करना चाह रहे थे. 7किंतु सेनापति लिसियस ने ज़बरदस्ती दखलंदाज़ी कर इसे हमसे छीन लिया 8तथा हमें आपके सामने अपने आरोप प्रस्तुत होने की आज्ञा दी.]24:8 कुछ प्राचीनतम मूल हस्तलेखों में यह पाया नहीं जाता कि आप स्वयं स्थिति की जांच कर इन सभी आरोपों से संबंधित सच्चाईयों को जान सकें.”

9तब दूसरे यहूदियों ने भी आरोप लगाना प्रारंभ कर दिया और इस बात की पुष्टि की कि ये सभी आरोप सही हैं.

10राज्यपाल फ़ेलिक्स की ओर से संकेत प्राप्‍त होने पर पौलॉस ने इसके उत्तर में कहना प्रारंभ किया. “इस बात के प्रकाश में कि आप इस राष्ट्र के न्यायाधीश रहे हैं, मैं खुशी से अपना बचाव प्रस्तुत कर रहा हूं. 11आप इस सच्चाई की पुष्टि कर सकते हैं कि मैं लगभग बारह दिन पहले सिर्फ आराधना के उद्देश्य से येरूशलेम गया 12और इन्होंने न तो मुझे मंदिर में, न यहूदी आराधनालय में और न नगर में किसी से वाद-विवाद करते या नगर की शांति भंग करते पाया है और 13न ही वे मुझ पर लगाए जा रहे इन आरोपों को साबित कर सकते हैं. 14हां यह मैं आपके सामने अवश्य स्वीकार करता हूं कि इस मत के अनुसार, जिसे इन्होंने पंथ नाम दिया है, मैं वास्तव में हमारे पूर्वजों के ही परमेश्वर की सेवा-उपासना करता हूं. सब कुछ, जो व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं के लेखों के अनुसार है, मैं उसमें पूरी तरह विश्वास करता हूं. 15परमेश्वर में मेरी भी वह आशा है जैसी इनकी कि निश्चित ही एक ऐसा दिन तय किया गया है, जिसमें धर्मियों तथा अधर्मियों दोनों ही का पुनरुत्थान होगा. 16इसलिए मैं भी परमेश्वर और मनुष्यों दोनों ही के सामने हमेशा एक निष्कलंक विवेक बनाए रखने की भरपूर कोशिश करता हूं.

17“अनेक वर्षों के बीत जाने के बाद मैं अपने समाज के गरीबों के लिए सहायता राशि लेकर तथा बलि चढ़ाने के उद्देश्य से येरूशलेम आया था. 18उसी समय इन्होंने मंदिर में मुझे शुद्ध होने की रीति पूरी करते हुए देखा. वहां न कोई भीड़ थी और न ही किसी प्रकार का शोर. 19हां, उस समय वहां आसिया प्रदेश के कुछ यहूदी अवश्य थे, जिनका यहां आपके सामने उपस्थित होना सही था. यदि उन्हें मेरे विरोध में कुछ कहना ही था तो सही यही था कि वे इसे आपकी उपस्थिति में कहते. 20अन्यथा ये व्यक्ति, जो यहां खड़े हैं, स्वयं बताएं कि महासभा के सामने उन्होंने मुझे किस विषय में दोषी पाया है, 21केवल इस एक बात को छोड़ के, जो मैंने उनके सामने ऊंचे शब्द में व्यक्त किया: ‘मरे हुओं के पुनरुत्थान में मेरी मान्यता के कारण आज आपके सामने मुझ पर मुकद्दमा चलाया जा रहा है.’ ”

22किंतु राज्यपाल फ़ेलिक्स ने, जो इस पंथ से भली-भांति परिचित था, सुनवाई को स्थगित करते हुए घोषणा की, “सेनापति लिसियस के आने पर ही मैं इस विषय में निर्णय दूंगा.” 23उसने शताधिपति को आज्ञा दी कि पौलॉस को कारावास में तो रखा जाए किंतु उन्हें इतनी स्वतंत्रता अवश्य दी जाए कि उनके खास मित्र आकर उनकी सेवा कर सकें.

24कुछ दिनों के बाद फ़ेलिक्स अपनी पत्नी द्रुसिल्ला के साथ वहां आया, जो यहूदी थी. उसने पौलॉस को बुलवाने की आज्ञा दी और उनसे उनके मसीह येशु में विश्वास विषय पर बातें सुनी. 25जब पौलॉस धार्मिकता, संयम तथा आनेवाले न्याय का वर्णन कर रहे थे, फ़ेलिक्स ने भयभीत हो पौलॉस से कहा, “इस समय तो तुम जाओ. जब मेरे पास समय होगा, मैं स्वयं तुम्हें बुलवा लूंगा.” 26फ़ेलिक्स पौलॉस से धनराशि प्राप्‍ति की आशा लगाए हुए था. इसी आशा में वह पौलॉस को बातचीत के लिए बार-बार अपने पास बुलवाता था.

27यही क्रम दो वर्षों तक चलता रहा. तब फ़ेलिक्स के स्थान पर पोर्कियॉस फ़ेस्तुस इस पद पर चुना गया और यहूदियों को प्रसन्‍न करने के उद्देश्य से फ़ेलिक्स ने पौलॉस को बंदी ही बना रहने दिया.