2 ነገሥት 13 – NASV & HCV

New Amharic Standard Version

2 ነገሥት 13:1-25

የእስራኤል ንጉሥ ኢዮአካዝ

1የይሁዳ ንጉሥ የአካዝያስ ልጅ ኢዮአስ በነገሠ በሃያ ሦስተኛው ዓመት፣ የኢዩ ልጅ ኢዮአካዝ በሰማርያ ከተማ በእስራኤል ላይ ነገሠ፤ ዐሥራ ሰባት ዓመትም ገዛ። 2እርሱም የናባጥ ልጅ ኢዮርብዓም እስራኤልን ያሳተበትን ኀጢአት በመከተል በእግዚአብሔር ፊት ክፉ ሥራ ሠራ፤ ከዚህ ድርጊቱም አልተመለሰም። 3የእግዚአብሔር ቍጣ በእስራኤል ላይ ነደደ፤ ስለዚህ የሶርያ ንጉሥ አዛሄልና ልጁ ቤን ሃዳድ በነበሩበት ዘመን ሁሉ አሳልፎ በእጃቸው ሰጣቸው።

4ከዚያም ኢዮአካዝ እግዚአብሔርን ለመነ፤ እግዚአብሔርም የሶርያ ንጉሥ እስራኤልን እንዴት አድርጎ እንዳስጨነቀ አይቷልና ልመናውን ሰማው። 5ስለዚህ እግዚአብሔር ለእስራኤል የሚታደጋቸውን ሰው ሰጠ፤ እነርሱም ከሶርያውያን ጭቈና ተላቀቁ፤ እንደ ቀድሞውም በየድንኳናቸው መኖር ጀመሩ፤ 6ይሁን እንጂ እስራኤልን ከአሳተው ከኢዮርብዓም ቤት ኀጢአት አልተመለሱም፤ በዚያው ገፉበት እንጂ። የአሼራም ምስል ዐምድ13፥6 በዚህ መጽሐፍ ውስጥ ሁሉ ይህ የአሼራን ሴት ጣዖት የሚያመለክት ነው። በሰማርያ መመለኩ ቀጠለ።

7ከኢዮአካዝ ሰራዊት የተረፈው አምሳ ፈረሰኞች፣ ዐሥር ሠረገሎችና ዐሥር ሺሕ እግረኛ ወታደር ብቻ ነው፤ ይህ የሆነበትም ምክንያት የሶርያ ንጉሥ የቀረውን ስለ አጠፋውና እንደ ዐውድማ ብናኝ ስለ አደረገው ነበር።

8ኢዮአካዝ በዘመነ መንግሥቱ ያከናወነው ሌላው ሥራ፣ ያደረገውና የፈጸመውም ሁሉ በእስራኤል ነገሥታት ታሪክ ተጽፎ የሚገኝ አይደለምን? 9ኢዮአካዝ ከአባቶቹ ጋር አንቀላፋ፤ በሰማርያም ተቀበረ። ልጁ ዮአስም በእግሩ ተተክቶ ነገሠ።

የእስራኤል ንጉሥ ዮአስ

10በይሁዳ ንጉሥ በኢዮአስ ዘመን፣ በሠላሳ ሰባተኛው ዓመት፣ የኢዮአካዝ ልጅ ዮአስ በሰማርያ ከተማ በእስራኤል ላይ ነገሠ፤ ዐሥራ ስድስት ዓመትም ገዛ። 11እርሱም በእግዚአብሔር ፊት ክፉ ሥራ ሠራ፤ የናባጥ ልጅ ኢዮርብዓም እስራኤልን ከአሳተበት ኀጢአት ሁሉ አልራቀም፤ በዚያው ገፋበት።

12ዮአስ በዘመነ መንግሥቱ ያከናወነው ሌላ ሥራ፣ ያደረገውና የፈጸመው ሁሉ እንዲሁም በይሁዳ ንጉሥ በአሜስያስ ላይ ያካሄደው ጦርነት ጭምር በእስራኤል ነገሥታት ታሪክ ተጽፎ የሚገኝ አይደለምን? 13ዮአስም ከአባቶቹ ጋር አንቀላፋ፤ ኢዮርብዓም በእግሩ ተተክቶ በዙፋኑ ተቀመጠ። ዮአስም በሰማርያ ከእስራኤል ነገሥታት ጋር ተቀበረ።

14በዚህ ጊዜ ኤልሳዕ ለሞት ባደረሰው ሕመም ታሞ ነበር። የእስራኤልም ንጉሥ ዮአስ ሊጠይቀው ወርዶ አለቀሰለት፤ “ወየው አባቴን! ወየው አባቴን! ወየው የእስራኤል ሠረገሎችና ፈረሰኞች!” እያለም ጮኸ።

15ኤልሳዕም፣ “አንድ ቀስትና ፍላጾች አምጣ” አለው፤ እርሱም አመጣ፤ 16የእስራኤልንም ንጉሥ፣ “ቀስቱን በእጅህ ያዘው” አለው፤ ቀስቱን በያዘውም ጊዜ ኤልሳዕ እጆቹን በንጉሡ እጆች ላይ አኖረ።

17ቀጥሎም፣ “የምሥራቁን መስኮት ክፈት” አለው፤ ከፈተውም፤ ኤልሳዕም፣ “በል አስፈንጥረው” አለው፤ አስፈነጠረውም፤ ከዚያም፣ “የእግዚአብሔር የድል ቀስት! ሶርያ ድል የምትሆንበት ቀስት!” አለ። ኤልሳዕም እንደ ገና “ሶርያውያንንም አፌቅ ላይ ፈጽመህ ድል ታደርጋቸዋለህ” አለው።

18ቀጥሎም፣ “በል ቀስቶቹን ውሰድ” አለው፤ ንጉሡም ወሰደ። ኤልሳዕም፣ “መሬቱን ውጋ” አለው፤ እርሱም ሦስት ጊዜ ወግቶ አቆመ።

19የእግዚአብሔርም ሰው ተቈጣውና፣ “መሬቱን አምስት ወይም ስድስት ጊዜ መውጋት ነበረብህ፤ እንዲህ ብታደርግ ኖሮ ሶርያን ታሸንፍና ፈጽመህ ትደመስሳት ነበር፤ አሁን ግን የምታሸንፈው ሦስት ጊዜ ብቻ ነው” አለው።

20ኤልሳዕ ሞተ፤ ቀበሩትም። በዚህም ጊዜ ሞዓባውያን አደጋ ጣዮች በየዓመቱ በጸደይ ወራት ወደ እስራኤል ምድር እየሰረጉ ይገቡ ነበር።

21አንድ ጊዜ እስራኤላውያን ሰው ሞቶ ሲቀብሩ፣ አንድ የአደጋ ጣይ ቡድን በድንገት አዩ፤ ስለዚህ የሞተውን ሰው ሬሳ ኤልሳዕ መቃብር ውስጥ ጣሉት፤ ሬሳው የኤልሳዕን ዐፅም እንደ ነካም ወዲያውኑ ሰውየው ድኖ በእግሩ ቆመ።

22በኢዮአካዝ ዘመነ መንግሥት ሁሉ፣ የሶርያ ንጉሥ አዛሄል፣ እስራኤልን ያስጨንቃቸው ነበር። 23እግዚአብሔር ግን ራራላቸው፤ ዐዘነላቸው፤ ፊቱን መለሰላቸው፤ ይህም ከአብርሃም፣ ከይስሐቅና ከያዕቆብ ጋር ስለ ገባው ኪዳን ሲል ነው፤ እስከ ዛሬ ድረስ ሊያጠፋቸው አልፈለገም፤ ከፊቱም አላስወገዳቸውም።

24የሶርያ ንጉሥ አዛሄል ሞተ፤ ልጁ ቤን ሃዳድም በእግሩ ተተክቶ ነገሠ። 25ከዚያም የኢዮአካዝ ልጅ ዮአስ፣ አዛሄል ከአባቱ ከኢዮአካዝ እጅ በጦርነት የወሰዳቸውን ከተሞች ከአዛሄል ልጅ ከቤን ሃዳድ አስመልሶ ያዘ። ዮአስ ሦስት ጊዜ ድል አደረገው፤ የእስራኤልንም ከተሞች በዚህ ሁኔታ መልሶ ያዘ።

Hindi Contemporary Version

2 राजा 13:1-25

इस्राएल पर यहोआहाज़ का शासन

1अहज़्याह के पुत्र यहूदिया के राजा योआश के शासनकाल के तेईसवें साल में येहू के पुत्र यहोआहाज़ ने शमरिया में इस्राएल पर शासन करना शुरू किया. उसने सत्रह साल शासन किया. 2उसने वह किया, जो याहवेह की दृष्टि में गलत है और उसने नेबाथ के पुत्र यरोबोअम के पापों का अनुसरण किया, जिन्हें करने के लिए उसने इस्राएल राष्ट्र को भी उकसाया; वह इन पापों से दूर न हुआ. 3फलस्वरूप याहवेह का क्रोध इस्राएल राष्ट्र पर भड़क गया, और याहवेह उन्हें बार-बार अराम के राजा हाज़ाएल के और उसके पुत्र बेन-हदद के अधीन करते रहे.

4इसलिये यहोआहाज़ ने याहवेह से प्रार्थना की और याहवेह ने उसकी बिनती पर ध्यान दिया, क्योंकि उन्होंने इस्राएली प्रजा पर हो रहे अत्याचार को देखा, कि अराम का राजा उन्हें कैसे सता रहा था. 5याहवेह ने इस्राएल राष्ट्र को एक छुड़ाने वाला दिया, फलस्वरूप इस्राएली प्रजा अराम देश के अधिकार से मुक्त हो गई, और वे अपने ही तंबुओं में पहले के समान रहने लगे. 6इतना सब होने पर भी वे यरोबोअम के वंश द्वारा किए जानेवाले पापों से दूर न हुए; वे पाप, जिन्हें करने के लिए उसने इस्राएल को उकसाया था. वे इन पापों में उसका अनुसरण करते रहे. अशेरा देवी की मूर्ति शमरिया नगर में बनी ही रही.

7अब यहोआहाज़ की सेना में पचास घुड़सवारों और दस रथों और दस हज़ार पैदल सैनिकों से ज्यादा बाकी नहीं रह गए; क्योंकि अराम के राजा ने उन्हें नाश कर, रौंदते हुए धूल के समान बना दिया था.

8यहोआहाज़ की उपलब्धियों, उसके द्वारा किए गए बाकी कामों और उसके शौर्य का ब्यौरा इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में दिया गया है. 9यहोआहाज़, हमेशा के लिए अपने पूर्वजों में जा मिला. उन्होंने उसे शमरिया में गाड़ दिया. उसकी जगह पर उसके पुत्र योआश13:9 योआश दूसरा नाम यहोआश ने शासन करना शुरू किया.

इस्राएल पर यहोआश का शासन

10यहूदिया के राजा योआश के शासन के सैंतीसवें साल में यहोआहाज़ का पुत्र यहोआश शमरिया में इस्राएल पर शासन करने लगा और उसने सोलह साल शासन किया. 11उसने वही किया जो याहवेह की दृष्टि में गलत था. वह उन पाप, कामों से दूर न हुआ—वह उन्हीं पापों का अनुसरण करता रहा, जिन्हें नेबाथ के पुत्र यरोबोअम ने इस्राएल को करने के लिए उकसाया था.

12यहोआश के बाकी कामों का, उसकी सारी उपलब्धियों का, उसकी वीरता का, यहूदिया के राजा अमाज़्याह से उसके युद्ध, इन सभी का ब्यौरा इस्राएल के राजाओं की इतिहास की पुस्तक में दिया गया है. 13यहोआश हमेशा के लिए अपने पूर्वजों में जा मिला, और यरोबोअम उसके सिंहासन पर बैठा. यहोआश शमरिया में इस्राएल के राजाओं के साथ गाड़ा गया.

14इस समय एलीशा ऐसे बीमार पड़े कि वे मरने पर थे. इस्राएल का राजा यहोआश उनसे भेंटकरने गया. वह उनके सामने जाकर रोते हुए कहने लगा, “मेरे पिता, मेरे पिता! और इस्राएल के रथों और उसके घुड़सवारों!”

15एलीशा ने उसे कहा, “एक धनुष लो और बाण भी.” राजा ने वैसा ही किया. 16तब एलीशा ने इस्राएल के राजा को आदेश दिया, “धनुष पर अपना हाथ रखो.” उसने धनुष पर अपना हाथ रखा. तब एलीशा ने अपना हाथ राजा के हाथ के ऊपर रख दिया.

17तब एलीशा ने आदेश दिया, “पूर्व की ओर की खिड़की खोल दो.” उसने वह खिड़की खोल दी. तब एलीशा ने आदेश दिया, “बाण छोड़ो!” उसने बाण छोड़ा. एलीशा ने कहा, “याहवेह का विजय बाण! हां, अराम देश पर जय का बाण. तुम अफेक में अरामियों से तब तक युद्ध करोगे, जब तक तुम उन्हें खत्म न कर दो.”

18एलीशा ने दोबारा कहा, “बाण उठाओ.” उसने बाण उठाए. तब एलीशा ने इस्राएल के राजा को आदेश दिया, “भूमि को निशाना बनाकर वार करो!” राजा ने भूमि पर तीन वार किए और रुक गया. 19इस पर परमेश्वर के जन ने उस पर गुस्सा करते हुए कहा, “तुम्हें पांच या छः वार तो करने थे, तभी तुम अराम को ऐसा मारते कि उनका अंत होकर ही रहता. अब तो तुम अराम को सिर्फ तीन बार ही हरा सकोगे.”

20एलीशा की मृत्यु हो गई और उन्होंने उन्हें गाड़ दिया.

हर साल वसन्त ऋतु में मोआबी लुटेरों का एक दल उस क्षेत्र पर हमला किया करता था. 21एक अवसर पर, जब किसी व्यक्ति की देह को गाड़ा जा रहा था, लोगों ने लुटेरों के दल को आते देखा. उस व्यक्ति की देह को जल्दी ही एलीशा की कब्र में फेंक दिया. जैसे ही शव ने एलीशा की अस्थियों से छुआ, वह व्यक्ति जीवित हो अपने पैरों पर खड़ा हो गया.

22यहोआहाज़ के पूरे शासनकाल में अराम का राजा हाज़ाएल इस्राएल को सताता ही रहा. 23मगर याहवेह उन पर कृपालु थे, उन पर उनकी करुणा बनी थी. अब्राहाम, यित्सहाक और याकोब से अपनी वाचा के कारण याहवेह उनकी ओर हुए. उन्होंने उन्हें खत्म न होने दिया और न ही उन्हें अब तक अपने सामने से दूर ही किया.

24अराम के राजा हाज़ाएल की मृत्यु के बाद उसका पुत्र बेन-हदद उसकी जगह पर शासन करने लगा. 25इस समय यहोआहाज़ के पुत्र यहोआश ने हाज़ाएल के पुत्र बेन-हदद से वे सारे नगर वापस ले लिए, जो उसने युद्ध में उसके पिता यहोआहाज़ से छीन लिए थे. यहोआश ने उसे तीन बार हराया और ये इस्राएली नगर वापस ले लिए.