1 ሳሙኤል 5 – NASV & HCV

New Amharic Standard Version

1 ሳሙኤል 5:1-12

ታቦቱ ወደ አሽዶድና ወደ አቃሮን ተወሰደ

1ፍልስጥኤማውያን የእግዚአብሔርን ታቦት ከማረኩ በኋላ፣ ከአቤንኤዘር ወደ አሽዶድ ወሰዱት። 2ከዚያም ወደ ዳጎን ቤተ ጣዖት አግብተው፣ በዳጎን አጠገብ አኖሩት። 3የአሽዶድም ሰዎች በማግስቱም ማለዳ ተነሥተው ሲመለከቱ እነሆ፣ ዳጎን በእግዚአብሔር ታቦት ፊት መሬት ላይ በግንባሩ ተደፍቶ አገኙት። ከዚያም አንሥተው ወደ ቦታው መለሱት። 4በሚቀጥለው ቀን ጧት ተነሥተው ሲመለከቱ፣ ዳጎን በእግዚአብሔር ታቦት ፊት፣ መሬት ላይ በግንባሩ ተደፍቶ ነበር፤ ራሱና እጆቹ ተሰባብረው በደጃፉ ላይ የወደቁ ሲሆን፣ የቀረው ሌላው አካሉ ብቻ ነበር። 5የዳጎን ካህናትም ሆኑ ሌሎች በአሽዶድ ወዳለው የዳጎን ቤተ ጣዖት የሚገቡ ሁሉ እስከ ዛሬ ድረስ እግራቸው ደጃፉን እንዳይረግጥ ተራምደው የሚያልፉት በዚሁ ምክንያት ነው።

6የእግዚአብሔር እጅ በአሽዶድ ሕዝብና በአካባቢዋ ላይ ጠነከረ፤ እርሱም ጥፋት አመጣባቸው፤ በዕባጭም መታቸው5፥6 ዕብራይስጡ ከዚህ ጋር ይስማማል፤ የሰብዓ ሊቃናት የቩልጊት ትርጕም ግን በምድራቸው ላይ ዐይጥ መታየት ጀመረ፤ እንዲሁም ሞትና ጥፋት በከተማዪቱ ዙሪያ ነበር ይላል።7የአሽዶድ ሰዎች ይህን ባዩ ጊዜ፣ “እጁ በእኛና በአምላካችን በዳጎን ላይ ጠንክሯልና የእስራኤል አምላክ ታቦት በእኛ ዘንድ መቈየት የለበትም” አሉ። 8ከዚህ በኋላ የፍልስጥኤማውያንን ገዦች በሙሉ ጠርተው፣ “የእስራኤልን አምላክ ታቦት ምን እናድርገው?” ሲሉ ጠየቁ።

እነርሱም፣ “የእስራኤልን አምላክ ታቦት ወደ ጌት ውሰዱት” አሏቸው። ስለዚህ የእስራኤልን አምላክ ታቦት ወሰዱት።

9ነገር ግን ታቦቱን ወደዚያ ከወሰዱት በኋላ የእግዚአብሔር እጅ በከተማዪቱ ላይ ሆነ፤ ታላቅ መሸበርም አመጣባቸው፤ ሕፃን ሽማግሌ ሳይል ሕዝቡን በዕባጭ መታ5፥9 ወይም ብልታቸውን አሳበጠባቸው10ስለዚህ የእግዚአብሔርን ታቦት ወደ አቃሮን ሰደዱት።

የእግዚአብሔር ታቦት እዚያ ሲገባም፣ የአቃሮን ሕዝብ፣ “የእስራኤልን አምላክ ታቦት ያመጡብን እኛንና ሕዝባችንን ለማስፈጀት ነው” በማለት ጮኹ። 11የእግዚአብሔር እጅ በርትቶባቸው ስለ ነበር፣ ሞት ከተማዪቱን እጅግ አስደንግጧት ነበርና ሕዝቡ የፍልስጥኤማውያንን ገዦች በሙሉ ጠርተው፣ “የእስራኤልን አምላክ ታቦት ከዚህ አርቁልን፤ ወደ ገዛ ስፍራው ይመለስ፤ አለዚያ እኛንም ሕዝባችንንም ይፈጃል” አሉ። 12ያልሞቱትን ደግሞ ዕባጩ ያሠቃያቸው ስለ ነበር፣ የከተማዪቱ ጩኸት እስከ ሰማይ ወጣ።

Hindi Contemporary Version

1 शमुएल 5:1-12

फिलिस्तीन के लिए संदूक विपदा का कारण

1तब फिलिस्तीनियों ने परमेश्वर के संदूक को छीनकर उसे एबेन-एज़र से अशदोद को ले गए. 2उन्होंने परमेश्वर के संदूक को दागोन के मंदिर में ले जाकर उसे देवता के पास ही रख दिया. 3तड़के, जब अशदोदवासी जागे, उन्होंने देखा कि याहवेह के संदूक के सामने दागोन भूमि पर मुंह के बल पड़ा हुआ था. तब उन्होंने दागोन को उठाकर दोबारा उसके स्थान पर स्थापित कर दिया. 4जब वे अगले दिन सुबह उठे, उन्होंने देखा कि दागोन दोबारा याहवेह के संदूक के सामने मुंह के बल भूमि पर पड़ा हुआ था. इसके अलावा दागोन का सिर और उसके दोनों हाथ कटे हुए ड्योढ़ी पर पड़े हुए थे-मुंह के बल उसका धड़ समूचा था. 5वही कारण है कि आज तक, न तो दागोन के पुरोहित और न ही कोई भी, जो दागोन के मंदिर में प्रवेश करता है, अशदोद नगर में दागोन के मंदिर की ड्योढ़ी पर पैर नहीं रखता.

6याहवेह ने अशदोद नगरवासियों पर प्रबल प्रहार किया. अशदोद तथा अन्य निकटवर्ती क्षेत्रों में लोगों को गिल्टियों से पीड़ित किया. 7जब अशदोदवासियों ने स्थिति की विवेचना की, वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे, “यह सही नहीं कि इस्राएल के परमेश्वर की मंजूषा हमारे मध्य में रहे, क्योंकि उनके परमेश्वर ने न केवल हम पर, बल्कि हमारे देवता दागोन तक पर प्रहार किया है.” 8इसलिये उन्होंने फिलिस्तीनियों के सभी अगुओं को इकट्ठा किया और उनके सामने इस प्रश्न पर विचार किया गया, “इस्राएल के परमेश्वर के संदूक के विषय में क्या किया जाना सही होगा?”

सबने कहा, “इस्राएल के परमेश्वर के संदूक को गाथ नगर भेज दिया जाना सही होगा.” तो इस्राएल के परमेश्वर के संदूक का स्थान बदलकर गाथ नगर कर दिया गया.

9यह होने पर याहवेह ने उस नगर पर भी वार किया. इससे वहां घोर आतंक फैल गया. याहवेह ने उस नगर के हर एक व्यक्ति पर वार किया, तब उन सभी को गिल्टियां निकल आए. 10तब उन्होंने परमेश्वर के संदूक को एक्रोन नगर भेज दिया,

मगर जब परमेश्वर का संदूक एक्रोन नगर पहुंचा, एक्रोन वासी यह चिल्लाने लगे, “हमें मारने के उद्देश्य से इस्राएल के परमेश्वर का संदूक यहां लाया गया है.” 11तब फिलिस्तीनियों के सभी अगुओं की सभा बुलाई गई और यह प्रस्ताव निकाला गया. “इस्राएल के परमेश्वर का संदूक यहां से बाहर भेज दिया जाए. सही है कि यह उसके निर्धारित स्थान पर जाए, कि यह हमारी और हमारी प्रजा की हत्या न कर सकें.” पूरा नगर मृत्यु के आतंक की चपेट में आ पड़ा था. वहां परमेश्वर उन पर बहुत ही प्रबल प्रहार कर रहे थे. 12जिन लोगों की अभी मृत्यु नहीं हुई थी, उनकी देह गिल्टियों से भरी पड़ी थी. नगर की दोहाई स्वर्ग तक जा पहुंची.