ዮሐንስ 8 – NASV & NCA

New Amharic Standard Version

ዮሐንስ 8:1-59

በምንዝር የተያዘች ሴት

1ኢየሱስ ግን ወደ ደብረ ዘይት ሄደ። 2በማለዳም በቤተ መቅደስ አደባባይ እንደ ገና ታየ፤ ሕዝቡም በዙሪያው ተሰበሰበ፤ ሊያስተምራቸውም ተቀመጠ። 3የኦሪት ሕግ መምህራንና ፈሪሳውያን በምንዝር የተያዘች ሴት አመጡ፤ በሕዝቡም ፊት አቁመዋት፣ 4ኢየሱስን እንዲህ አሉት፤ “መምህር ሆይ፣ ይህች ሴት ስታመነዝር ተያዘች፤ 5ሙሴም፣ እንደዚች ያሉ ሴቶች በድንጋይ እንዲወገሩ በሕጉ አዝዞናል፤ አንተስ ምን ትላለህ?” 6ይህን ጥያቄ ያቀረቡለት፣ እርሱን የሚከስሱበት ምክንያት ለማግኘት ሲፈትኑት ነው።

ኢየሱስ ግን ጐንበስ ብሎ በጣቱ በምድር ላይ ይጽፍ ጀመር። 7በጥያቄ ሲወተውቱት ቀና ብሎ፣ “ከእናንተ ኀጢአት የሌለበት እርሱ አስቀድሞ ድንጋይ ይወርውርባት” አላቸው። 8እንደ ገናም ጐንበስ ብሎ በምድር ላይ ጻፈ።

9ይህን እንደ ሰሙ፣ ከሽማግሌዎች ጀምሮ አንድ በአንድ ወጡ፤ ሴትዮዋም እዚያው ፊቱ እንደ ቆመች ኢየሱስ ብቻውን ቀረ። 10ኢየሱስም ቀና ብሎ፣ “አንቺ ሴት፣ ሰዎቹ የት ሄዱ? የፈረደብሽ የለምን?” አላት።

11እርሷም፣ “ጌታ ሆይ፤ አንድም የለም” አለች።

ኢየሱስም፣ “እኔም አልፈርድብሽም፤ በይ ሂጂ፤ ከእንግዲህ ግን ኀጢአት አትሥሪ” አላት።8፥11 ብዙ የጥንት ቅጆች ይህ ክፍል (7፥53–8፥11) የላቸውም፤ ወይም በሌላ ስፍራ ወይም በሌሎች ወንጌሎች ያስገቡታል።

የኢየሱስ ምስክርነት እውነት መሆኑ

12ኢየሱስ እንደ ገና ለሰዎቹ፣ “እኔ የዓለም ብርሃን ነኝ፤ የሚከተለኝም የሕይወት ብርሃን ይሆንለታል እንጂ ከቶ በጨለማ አይመላለስም” አላቸው።

13ፈሪሳውያንም፣ “አንተ ስለ ራስህ ስለምትመሰክር ምስክርነትህ ተቀባይነት የለውም” አሉት።

14ኢየሱስም መልሶ እንዲህ አላቸው፤ “እኔ ስለ ራሴ ብመሰክር ከየት እንደ መጣሁና ወዴት እንደምሄድ ስለማውቅ ምስክርነቴ እውነት ነው፤ እናንተ ግን ከየት እንደ መጣሁ ወይም ወዴት እንደምሄድ የምታውቁት ነገር የለም። 15እናንተ እንደ ሰው አስተሳሰብ ትፈርዳላችሁ፤ እኔ በማንም አልፈርድም፤ 16ብፈርድም፣ ከላከኝ ከአብ ጋር እንጂ ብቻዬን ስላልሆንሁ ፍርዴ ትክክል ነው። 17የሁለት ሰዎች ምስክርነት ተቀባይነት እንዳለው በሕጋችሁ ተጽፏል። 18ስለ ራሴ የምመሰክር አንዱ እኔ ነኝ፤ ሌላውም ምስክሬ የላከኝ አብ ነው።”

19ከዚያም፣ “አባትህ የት ነው?” አሉት።

ኢየሱስም፣ “አባቴንም እኔንም አታውቁም፤ እኔን ብታውቁኝ ኖሮ፣ አባቴንም ባወቃችሁ ነበር” ሲል መለሰላቸው። 20ኢየሱስ ይህን የተናገረው በቤተ መቅደሱ ግቢ፣ በግምጃ ቤት አጠገብ ሲያስተምር ነበር፤ ይሁን እንጂ ጊዜው ገና ስላልደረሰ ማንም አልያዘውም።

21ኢየሱስም እንደ ገና፣ “እኔ እሄዳለሁ፤ እናንተም ትፈልጉኛላችሁ፤ በኀጢአታችሁም ትሞታላችሁ፤ እኔ ወደምሄድበት ግን ልትመጡ አትችሉም” አላቸው።

22አይሁድም፣ “ ‘እኔ ወደምሄድበት ልትመጡ አትችሉም’ ያለው ራሱን ሊገድል ይሆን?” አሉ።

23እርሱ ግን እንዲህ አላቸው፤ “እናንተ ከታች ናችሁ፤ እኔ ከላይ ነኝ፤ እናንተ ከዚህ ዓለም ናችሁ፤ እኔ ከዚህ ዓለም አይደለሁም። 24በኀጢአታችሁ እንደምትሞቱ ነግሬአችኋለሁ፤ እኔ እርሱ ነኝ8፥24 ወይም ያ ያልሁት እርሱ እኔ ነኝ፤ እንዲሁም 28 ይመ ስላችሁ እኔ እርሱ እንደ ሆንሁ ካላመናችሁ፣ በኀጢአታችሁ ትሞታላችሁና።”

25እነርሱም፣ “ለመሆኑ፣ አንተ ማን ነህ?” አሉት።

ኢየሱስም እንዲህ ሲል መለሰላቸው፤ “እስካሁን የነገርኋችሁ እኔ እርሱ ነኝ፤ 26በእናንተ ላይ ብዙ የምናገረውና ብዙ የምፈርደው ነገር አለኝ፤ ዳሩ ግን የላከኝ ታማኝ ነው፤ ከእርሱም የሰማሁትን ለዓለም እናገራለሁ።”

27እነርሱም ስለ አብ እየነገራቸው እንደ ነበር አላስተዋሉም። 28ስለዚህ ኢየሱስ እንዲህ አለ፤ “የሰው ልጅን ከፍ ከፍ ባደረጋችሁት ጊዜ፣ ያ ያልሁት እርሱ እኔ እንደ ሆንሁና አብ ያስተማረኝን እንደምናገር፣ በራሴም ፈቃድ ምንም እንደማላደርግ ታውቃላችሁ፤ 29የላከኝ እርሱ ከእኔ ጋር ነው፤ ምንጊዜም የሚያስደስተውን ስለማደርግ ብቻዬን አልተወኝም።” 30ይህንም እንደ ተናገረ ብዙዎች በእርሱ አመኑ።

የአብርሃም ልጆች

31ኢየሱስም በእርሱ ያመኑትን አይሁድ እንዲህ አላቸው፤ “በትምህርቴ ብትጸኑ እናንተ በእውነት ደቀ መዛሙርቴ ናችሁ፤ 32እውነትንም ታውቃላችሁ፤ እውነትም ነጻ ያወጣችኋል።”

33እነርሱም መልሰው፣ “እኛ የአብርሃም ልጆች ነን8፥33 በግሪኩ ዘር ይላል፤ 37 ይመ፤ ለማንም ባሪያዎች ሆነን አናውቅም፤ ታዲያ፣ ‘ነጻ ትወጣላችሁ’ እንዴት ትለናለህ?” አሉት።

34ኢየሱስም እንዲህ ሲል መለሰላቸው፤ “እውነት እላችኋለሁ፤ ኀጢአት የሚያደርግ የኀጢአት ባሪያ ነው፤ 35ባሪያ ለዘለቄታ በቤተ ሰቡ ውስጥ አይኖርም፤ ልጅ ግን ምንጊዜም በቤት ይኖራል። 36እንግዲህ ወልድ ነጻ ካወጣችሁ፣ በእውነት ነጻ ትሆናላችሁ። 37የአብርሃም ልጆች መሆናችሁን ዐውቃለሁ፤ ነገር ግን ቃሌን ስለማትቀበሉ ልትገድሉኝ ቈርጣችሁ ተነሥታችኋል። 38እኔ በአባቴ ዘንድ ያየሁትን እናገራለሁ፤ እናንተም ከአባታችሁ የሰማችሁትን ታደርጋላችሁ።”8፥38 ወይም ስለዚህ ከአባታችሁ የሰማችሁትን አድርጉ

39እነርሱም፣ “አባታችንስ አብርሃም ነው” ብለው መለሱለት።

ኢየሱስም እንዲህ አላቸው፤ “የአብርሃም ልጆችስ ብትሆኑ8፥39 አንዳንድ የጥንት ቅጆች የአብርሃም ልጆች ከሆናችሁ ይላሉ።፣ አብርሃም የሠራውን ትሠሩ ነበር። 40ከእግዚአብሔር ሰምቼ እውነቱን የነገርኋችሁን እኔን ለመግደል ቈርጣችሁ ተነሥታችኋል፤ አብርሃም ግን እንዲህ አላደረገም። 41እናንተ የምታደርጉት አባታችሁ የሚያደርገውን ነው።”

እነርሱም፣ “እኛስ በዝሙት የተወለድን አይደለንም፤ አባታችንም አንዱ እግዚአብሔር ብቻ ነው” ሲሉ መለሱለት።

የዲያብሎስ ልጆች

42ኢየሱስም እንዲህ አላቸው፤ “እግዚአብሔር አባታችሁ ቢሆን ኖሮ፣ እኔ ከእግዚአብሔር ወጥቼ መጥቻለሁና፣ በወደዳችሁኝ ነበር፤ እርሱ ላከኝ እንጂ በገዛ ራሴ አልመጣሁም። 43የምናገረውን ለምን አታስተውሉም? ምክንያቱም ቃሌን መስማት ስለማትችሉ ነው። 44እናንተ የአባታችሁ የዲያብሎስ ናችሁ፤ የአባታችሁንም ፍላጎት ለመፈጸም ትሻላችሁ። እርሱ ከመጀመሪያ ነፍሰ ገዳይ ነበር፤ በእርሱ ዘንድ እውነት ስለሌለ በእውነት አልጸናም፤ እርሱ ሐሰተኛ፣ የሐሰትም አባት በመሆኑ ሐሰትን ሲናገር፣ የሚናገረው ከራሱ አፍልቆ ነው፤ 45እኔ ግን እውነት ስለምናገር አታምኑኝም። 46ከእናንተ ስለ ኀጢአት በማስረጃ ሊከስሰኝ የሚችል አለን? እውነት የምናገር ከሆነ፣ ለምን አታምኑኝም? 47ከእግዚአብሔር የሆነ እግዚአብሔር የሚለውን ይሰማል፤ እናንተ ግን ከእግዚአብሔር ስላልሆናችሁ አትሰሙም።”

ኢየሱስ ስለ ራሱ የተናገረው

48አይሁድም መልሰው፣ “አንተ ሳምራዊ ነህ፤ ደግሞም ጋኔን ዐድሮብሃል ማለታችን ትክክል አይደለምን?” አሉት።

49ኢየሱስም እንዲህ ሲል መለሰላቸው፤ “እኔስ አባቴን አከብረዋለሁ እንጂ ጋኔን አላደረብኝም፤ እናንተ ግን ታዋርዱኛላችሁ። 50እኔ የራሴን ክብር አልፈልግም፤ የሚፈልግ ግን አለ፤ ፈራጁም እርሱ ነው። 51እውነት እላችኋለሁ፤ ማንም ቃሌን ቢጠብቅ፣ ሞትን ፈጽሞ አያይም።”

52አይሁድም እንዲህ አሉት፤ “ጋኔን እንዳለብህ አሁን ዐወቅን፤ አብርሃም ሞተ፤ ነቢያትም እንዲሁ፤ አንተ ግን ማንም ቃልህን ቢጠብቅ ሞትን ፈጽሞ እንደማይቀምስ ትናገራለህ። 53አንተ ከአባታችን ከአብርሃም ትበልጣለህን? እርሱ ሞተ፤ ነቢያቱም እንዲሁ፤ ለመሆኑ አንተ ማን ነኝ ልትል ነው?”

54ኢየሱስም እንዲህ ሲል መለሰ፤ “እኔ ራሴን ባከብር፣ ክብሬ ከንቱ ነው፤ የሚያከብረኝ ግን እናንተ አምላካችን የምትሉት አባቴ ነው። 55እናንተ ባታውቁትም እኔ ዐውቀዋለሁ፤ አላውቀውም ብል፣ እኔም እንደ እናንተው ሐሰተኛ እሆናለሁ። እኔ ግን ዐውቀዋለሁ፤ ቃሉንም እጠብቃለሁ። 56አባታችሁ አብርሃም ቀኔን ለማየት ተስፋ በማድረግ ተደሰተ፤ አየም፤ ሐሤትም አደረገ።”

57አይሁድም፣ “ገና አምሳ ዓመት ያልሞላህ፣ አንተ አብርሃምን አይተሃል!” አሉት።

58ኢየሱስም፣ “እውነት እላችኋለሁ፤ አብርሃም ከመወለዱ በፊት እኔ፣ እኔ ነኝ” አላቸው። 59በዚህን ጊዜ ሊወግሩት ድንጋይ አነሡ፤ ኢየሱስ ግን ተሰወረባቸው፤ ከቤተ መቅደስም ወጥቶ ሄደ።

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

यूहन्ना 8:1-59

माईलोगन ह बेभिचार म पकड़े जाथे

1पर यीसू ह जैतून पहाड़ ऊपर गीस। 2अऊ बड़े बिहनियां ओह फेर मंदिर म आईस। उहां जम्मो मनखेमन ओकर चारों खूंट जुर गीन; अऊ ओह बईठके ओमन ला उपदेस देवन लगिस। 3तब कानून के गुरू अऊ फरीसीमन एक माईलोगन ला लानिन, जऊन ह छिनारी म पकड़े गे रिहिस। ओमन ओला ओ जम्मो झन के आघू म ठाढ़ करिन अऊ यीसू ला कहिन, 4“हे गुरू, ए माईलोगन ह छिनारी करत पकड़े गे हवय। 5हमर कानून म, मूसा ह हमन ला हुकूम दे हवय कि अइसने माईलोगन ला पथरा फटिक-फटिक के मार डारव। पर तेंह एकर बारे म का कहिथस?” 6ओमन ए सवाल यीसू ला फंसाय खातिर पुछत रिहिन, ताकि ओमन ला ओकर ऊपर दोस लगाय बर एक बहाना मिल जावय। पर यीसू ह झुकिस अऊ अपन अंगरी ले भुइयां ऊपर लिखे लगिस। 7जब ओमन ओकर ले बार-बार पुछे लगिन, त ओह सीधा ठाढ़ होईस अऊ ओमन ला कहिस, “यदि तुमन के बीच म कोनो बिगर पाप के हवय, त ओही ह ओला पहिली पथरा मारय।” 8अऊ ओह फेर झुकके अपन अंगरी ले भुइयां ऊपर लिखे लगिस।

9जब ओमन एला सुनिन, त जम्मो झन बड़े ले लेके छोटे तक, एक-एक करके उहां ले चल दीन। सिरिप यीसू अऊ ओ माईलोगन जऊन ह ओकर आघू म ठाढ़े रहय, उहां रहि गीन। 10तब यीसू ह सीधा ठाढ़ होईस अऊ ओ माईलोगन ले पुछिस, “हे नारी, ओमन कहां गीन? का कोनो तोला दंड नइं दीन?”

11ओह कहिस, “हे परभू, कोनो नइं।” तब यीसू ह कहिस, “मेंह घलो तोला दंड नइं देवंव। जा अऊ फेर पाप झन करबे।”

यीसू ह संसार के अंजोर ए

12यीसू ह मनखेमन ले फेर कहिस, “मेंह संसार के अंजोर अंव। जऊन कोनो मोर पाछू आही, ओह अंधियार म कभू नइं चलही, पर ओह जिनगी के अंजोर ला पाही।”

13फरीसीमन ओला कहिन, “तेंह अपन गवाही खुद देथस; तोर गवाही सच नो हय।”

14यीसू ह जबाब दीस, “मेंह अपन गवाही खुद देथंव, तभो ले मोर गवाही सच ए काबरकि मेंह जानथंव कि मेंह कहां ले आय हवंव अऊ मेंह कहां जावत हंव। पर तुमन नइं जानव कि मेंह कहां ले आय हवंव अऊ मेंह कहां जावत हंव। 15तुमन अपन मनखे बुद्धि के मुताबिक नियाय करथव; मेंह खुद काकरो नियाय नइं करंव। 16अऊ कहूं मेंह नियाय करंव घलो, त मोर नियाय ह सही ए, काबरकि मेंह एके झन नियाय नइं करंव, पर ददा ह मोर संग रहिथे, जऊन ह मोला पठोय हवय। 17तुम्‍हर खुद के कानून म ए बात लिखे हवय कि दू झन के गवाही ह सच माने जाथे। 18मेंह अपन गवाही खुद देथंव, अऊ मोर आने गवाह ददा ए, जऊन ह मोला पठोय हवय।”

19तब ओमन ओकर ले पुछिन, “तोर ददा कहां हवय?” यीसू ह जबाब देके कहिस, “तुमन न तो मोला जानथव अऊ न ही मोर ददा ला। यदि तुमन मोला जानतेव, त मोर ददा ला घलो जान जातेव।” 20यीसू ह ए बात मंदिर म उपदेस देवत समय उहां कहिस जिहां दान के संदूकमन रखे रहंय। तभो ले ओला कोनो नइं पकड़िन, काबरकि ओकर समय अब तक नइं आय रिहिस।

21यीसू ह फेर ओमन ला कहिस, “मेंह जावत हंव। तुमन मोला खोजहू अऊ अपन पाप म मरहू। जिहां मेंह जावत हंव, उहां तुमन नइं आ सकव।”

22तब यहूदीमन कहिन, “का ओह अपन-आप ला मार डारही, काबरकि ओह कहत हवय, जिहां मेंह जावत हंव, उहां तुमन नइं आ सकव?”

23यीसू ह ओमन ला कहिस, “तुमन खाल्‍हे के अव, अऊ मेंह ऊपर के अंव। तुमन ए संसार के अव, पर मेंह ए संसार के नो हंव। 24एकरसेति मेंह तुमन ला कहेंव कि तुमन अपन पाप म मरहू; यदि तुमन बिसवास नइं करव कि मेंह ओही (मसीह) अंव, त तुमन सही म अपन पाप म मरहू।”

25ओमन ओकर ले पुछिन, “तेंह कोन अस?” यीसू ह जबाब दीस, “मेंह ओही अंव, जऊन ला सुरू ले मेंह तुमन ला कहत आय हवंव। 26मोला तुम्‍हर बारे म बहुंत बात कहना हे, अऊ तुम्‍हर फैसला करना हे; पर जऊन ह मोला पठोय हवय, ओह सच्‍चा ए, अऊ जऊन कुछू मेंह ओकर ले सुने हवंव, ओहीच बात मेंह संसार ला बताथंव।”

27पर ओमन नइं समझिन कि यीसू ह ओमन ला अपन ददा परमेसर के बारे म कहत रिहिस। 28तब यीसू ह कहिस, “जब तुमन मनखे के बेटा ला ऊपर चघाहू, तभे तुमन जानहू कि मेंह कोन अंव, अऊ मेंह अपन-आप ले कुछू नइं करंव, पर जइसने ददा ह मोला सिखोय हवय, ओहीच बात गोठियाथंव। 29जऊन ह मोला पठोय हवय, ओह मोर संग हवय, ओह मोला अकेला नइं छोंड़ दे हवय, काबरकि मेंह हमेसा ओही काम करथंव, जेकर ले ओह खुस होथे।” 30जब ओह ए बात कहिस, त बहुंत मनखेमन ओकर ऊपर बिसवास करिन।

अब्राहम के संतान

31जऊन यहूदीमन यीसू ऊपर बिसवास करे रिहिन, ओमन ला यीसू ह कहिस, “यदि तुमन मोर उपदेस के मुताबिक चलथव, त तुमन सही म मोर चेला अव। 32तब तुमन सत ला जानहू अऊ सत ह तुमन ला सुतंतर करही।”

33ओमन ओला जबाब दीन, “हमन तो अब्राहम के संतान अन अऊ कभू काकरो गुलाम नइं रहेंन। तोर ए कहे के का मतलब ए कि हमन सुतंतर हो जाबो?”

34यीसू ह ओमन ला कहिस, “मेंह तुमन ला सच कहथंव कि जऊन ह पाप करथे, ओह पाप के गुलाम ए। 35गुलाम ह हमेसा घर म नइं रहय, पर बेटा ह हमेसा घर म रहिथे। 36एकरसेति यदि बेटा ह तुमन ला सुतंतर करही, त सही म तुमन सुतंतर हो जाहू। 37मेंह जानथंव कि तुमन अब्राहम के संतान अव। तभो ले तुमन मोला मार डारे चाहत हव, काबरकि मोर बचन बर तुम्‍हर हिरदय म कोनो जगह नइं ए। 38मेंह तुमन ला ओहीच बात कहत हंव, जऊन ला मेंह अपन ददा के इहां देखे हवंव अऊ तुमन ओही करथव, जऊन ला तुमन अपन ददा ले सुने हवव।”

39ओमन यीसू ला कहिन, “हमर ददा (पुरखा) तो अब्राहम ए।” तब यीसू ह कहिस, “यदि तुमन अब्राहम के संतान होतेव, त तुमन अब्राहम के सहीं काम घलो करतेव। 40पर अब तुमन मोर सहीं मनखे ला मार डारे चाहथव, जऊन ह परमेसर ले सुने सच बात तुमन ला बता दीस। अब्राहम ह अइसने नइं करिस। 41तुमन ओ काम करत हव, जऊन ला तुम्‍हर ददा करथे।” ओमन ओला कहिन, “हमन बेभिचार ले नइं जनमे हवन। हमर सिरिप एके झन ददा हवय, अऊ ओह खुद परमेसर ए।”

सैतान के संतान

42यीसू ह ओमन ला कहिस, “यदि परमेसर ह तुम्‍हर ददा होतिस, त तुमन मोर ले मया करतेव, काबरकि मेंह परमेसर म ले आय हवंव अऊ अब इहां हवंव। मेंह अपन खुद होके नइं आय हवंव, पर ओही ह मोला पठोय हवय। 43तुमन मोर बात ला काबर नइं समझव? एकरसेति कि जऊन बात मेंह कहथंव, ओला सह नइं सकव। 44तुमन तो अपन ददा सैतान के अव, अऊ तुमन अपन ददा के ईछा ला पूरा करे चाहथव। ओह तो सुरूच ले हतियारा रिहिस। ओह सच के रसता म नइं चलिस, काबरकि ओम सच हवेच नइं। जब ओह लबारी गोठियाथे, त ओह अपन आदत के मुताबिक गोठियाथे, काबरकि ओह लबरा ए अऊ लबारी के ददा ए। 45पर मेंह सच कहिथंव, तुमन मोर ऊपर बिसवास नइं करव। 46का तुमन ले कोनो मोला पापी ठहरा सकथे? यदि मेंह सच कहत हंव, तब तुमन मोर ऊपर काबर बिसवास नइं करव? 47जऊन ह परमेसर के अय, ओह परमेसर के बात ला सुनथे। तुमन परमेसर के नो हव, एकरसेति तुमन ओकर बात ला नइं सुनव।”

यीसू अऊ अब्राहम

48यहूदीमन ओला जबाब दीन, “का हमन सही नइं कहिथन कि तेंह एक सामरी मनखे अस, अऊ तोर म परेत आतमा हवय।”

49यीसू ह कहिस, “मोर म परेत आतमा नइं ए; पर मेंह अपन ददा के आदर करथंव, अऊ तुमन मोर निरादर करथव। 50मेंह अपन महिमा नइं चाहंव, पर परमेसर ह मोर महिमा करे चाहथे अऊ ओही ह नियाय करथे। 51मेंह तुमन ला सच कहथंव, यदि कोनो मोर बात ला मानही, त ओह कभू नइं मरही।”

52तब यहूदीमन ओला कहिन, “अब हमन सही म जान डारेन कि तोर म परेत आतमा हवय। अब्राहम ह मर गीस अऊ अगमजानीमन घलो मर गीन; पर तेंह कहिथस कि यदि कोनो तोर बात ला मानही, त ओह कभू नइं मरय। 53का तेंह हमर पुरखा अब्राहम ले बड़े अस? ओह मर गीस, अऊ अगमजानीमन घलो मर गीन। तेंह अपन-आप ला का समझथस?”

54यीसू ह जबाब दीस, “यदि मेंह अपन-आप के महिमा करंव, त मोर महिमा के कुछू मतलब नो हय। पर मोर ददा ह मोर महिमा करथे, जऊन ला तुमन अपन परमेसर कहिथव। 55तुमन ओला नइं जानव, पर मेंह ओला जानथंव। यदि मेंह कहंव कि मेंह ओला नइं जानंव, त मेंह घलो तुम्‍हर सहीं लबरा ठहरहूं, पर मेंह ओला जानथंव अऊ ओकर बात ला मानथंव। 56तुम्‍हर पुरखा अब्राहम ह मोर दिन ला देखे के आसा म आनंद मनाईस, अऊ ओह एला देखिस अऊ खुस होईस।”

57यहूदीमन ओला कहिन, “तेंह अभी तो पचास साल के घलो नइं होय हवस, अऊ तेंह कइसने कह सकथस कि तेंह अब्राहम ला देखे हवस।”

58यीसू ह ओमन ला कहिस, “मेंह तुमन ला सच कहथंव, अब्राहम के जनम होय के पहिली ले मेंह हवंव।” 59एला सुनके, ओमन यीसू ला मार डारे बर पथरा उठाईन; पर यीसू ह लुका के मंदिर ले निकर गीस।