ዮሐንስ 7 – NASV & NCA

New Amharic Standard Version

ዮሐንስ 7:1-53

ኢየሱስ የዳስ በዓል ወደሚከበርበት ሄደ

1ከዚህ በኋላ ኢየሱስ፣ በዚያ የነበሩት አይሁድ ሊገድሉት ስለ ፈለጉ፣ በይሁዳ አውራጃ መዘዋወር ትቶ በገሊላ ተዘዋወረ። 2የአይሁድ የዳስ በዓል በተቃረበ ጊዜ ግን፣ 3የኢየሱስ ወንድሞች እንዲህ አሉት፤ “ደቀ መዛሙርትህም ደግሞ የምታደርገውን ታምራት እንዲያዩ፣ ከዚህ ወደ ይሁዳ ሂድ፤ 4ራሱን ሊገልጥ እየፈለገ በስውር የሚሠራ ማንም የለምና። አንተም እነዚህን ነገሮች የምታደርግ ከሆነ፣ ራስህን ለዓለም ግለጥ።” 5የገዛ ወንድሞቹ እንኳ አላመኑበትም ነበር።

6ኢየሱስም እንዲህ አላቸው፤ “ለእኔ ትክክለኛው ጊዜ ገና አልደረሰም፤ ለእናንተ ግን ማንኛውም ጊዜ ምቹ ነው። 7ዓለም እናንተን ሊጠላ አይችልም፤ እኔ ግን፣ አድራጎቱ ክፉ መሆኑን ስለምመሰክርበት ይጠላኛል። 8እናንተ ወደ በዓሉ ሂዱ፤ ለእኔ ትክክለኛው ጊዜ ስላልደረሰ7፥8 አንዳንድ ቅጆች ገና ስላልደረሰ ይላሉ ወደ በዓሉ አልሄድም።” 9ይህን ብሏቸው በገሊላ ቈየ።

10ይሁን እንጂ፣ ወንድሞቹ ወደ በዓሉ ከሄዱ በኋላ፣ እርሱም በግልጥ ሳይሆን በስውር ወደ በዓሉ ሄደ። 11በበዓሉም ላይ አይሁድ፣ “ያ ሰው የት አለ?” እያሉ ይፈልጉት ነበር።

12ስለ እርሱ በሕዝቡ መካከል ብዙ ጕምጕምታ ነበር። አንዳንዶች፣ “ደግ ሰው ነው” አሉ።

ሌሎች ግን፣ “የለም፤ ሕዝቡን የሚያስት ነው” አሉ። 13ይሁን እንጂ አይሁድን ከመፍራት የተነሣ ስለ እርሱ በግልጽ የተናገረ ማንም አልነበረም።

ኢየሱስ በበዓሉ ላይ ተገኝቶ አስተማረ

14በበዓሉም አጋማሽ ኢየሱስ ወደ ቤተ መቅደስ ወጥቶ ያስተምር ጀመር። 15አይሁድም በመደነቅ፣ “ይህ ሰው ሳይማር መጻሕፍትን እንዴት ሊያውቅ ቻለ?” አሉ።

16ኢየሱስም መልሶ እንዲህ አላቸው፤ “የማስተምረው ትምህርት ከራሴ ሳይሆን፣ ከላከኝ የመጣ ነው። 17ማንም የእግዚአብሔርን ፈቃድ ለማድረግ ቢፈልግ፣ የእኔ ትምህርት ከእግዚአብሔር ወይም ከራሴ የመጣ መሆኑን ለይቶ ያውቃል፤ 18ከራሱ የሚናገር፣ ያን የሚያደርገው ለራሱ ክብርን ስለሚሻ ነው፤ ስለ ላከው ክብር የሚሠራ ግን እርሱ እውነተኛ ነው፤ ሐሰትም አይገኝበትም። 19ሙሴ ሕግን አልሰጣችሁምን? ነገር ግን አንዳችሁም ሕጉን አልጠበቃችሁም። ለምን ልትገድሉኝ ትፈልጋላችሁ?”

20ሕዝቡም፣ “አንት ጋኔን ያደረብህ! ደግሞ አንተን ማን ሊገድል ይፈልጋል?” አሉት።

21ኢየሱስም መልሶ እንዲህ አላቸው፤ “አንድ ሥራ ብሠራ፣ ሁላችሁም ተገረማችሁ። 22ግዝረት የመጣው ከአባቶች እንጂ ከሙሴ አይደለም፤ ሆኖም ሙሴ ግዝረትን ስለ ሰጣችሁ፣ በሰንበት እንኳ ሕፃን ትገርዛላችሁ። 23የሙሴ ሕግ እንዳይሻር ሕፃን በሰንበት የሚገረዝ ከሆነ፣ የሰውን ሁለንተና በሰንበት ስለ ፈወስሁ ለምን በእኔ ላይ ትቈጣላችሁ? 24የሰውን ፊት በማየት መፍረድ ትታችሁ ቅን ፍርድ ፍረዱ።”

ኢየሱስ፣ እርሱ ክርስቶስ ስለ መሆኑ

25በዚህ ጊዜ በኢየሩሳሌም የነበሩ አንዳንድ ሰዎች እንዲህ አሉ፤ “ሊገድሉት የሚፈልጉት ሰው ይህ አይደለምን? 26ይኸው እርሱ በአደባባይ ይናገራል፤ አንድም ቃል አይናገሩትም፤ ክርስቶስ7፥26 ወይም መሲሑ፤ እንዲሁም 27፡31፡41 እና 42 ይመ ነው ብለው ባለሥልጣኖቹም ተቀብለውት ይሆን? 27ይህ ሰው ግን ከየት እንደ ሆነ እኛ እናውቃለን፤ ክርስቶስ ሲመጣ እኮ ከየት እንደ ሆነ ማንም አያውቅም።”

28ኢየሱስ በቤተ መቅደስ አደባባይ ሲያስተምር ድምፁን ከፍ አድርጎ እንዲህ አለ፤ “አዎን፣ እኔን ታውቁኛላችሁ፤ ከየት እንደ ሆንሁም ታውቃላችሁ። እኔ እዚህ ያለሁት በገዛ ራሴ አይደለም፤ ነገር ግን የላከኝ እርሱ እውነተኛ ነው። እናንተ አታውቁትም፤ 29እኔ ግን ከእርሱ ዘንድ ስለሆንሁ፣ እርሱም ስለ ላከኝ ዐውቀዋለሁ።”

30ስለዚህ ሊይዙት ፈለጉ፤ ነገር ግን ጊዜው ገና ስላልደረሰ ማንም እጁን አላሳረፈበትም፤ 31ሆኖም ከሕዝቡ ብዙዎች በእርሱ አምነው፣ “ታዲያ፣ ክርስቶስ ሲመጣ ይህ ሰው ከሚሠራቸው ታምራዊ ምልክቶች የበለጠ ያደርጋል?” አሉ።

32ፈሪሳውያን፣ ሕዝቡ ስለ እርሱ በጕምጕምታ የሚነጋገረውን ነገር ሰሙ፤ የካህናት አለቆችና ፈሪሳውያንም እንዲይዙት የቤተ መቅደስ ጠባቂዎችን ላኳቸው።

33ኢየሱስም እንዲህ አለ፤ “ከእናንተ ጋር የምቈየው ጥቂት ጊዜ ነው፤ ከዚያም ወደ ላከኝ እሄዳለሁ፤ 34ትፈልጉኛላችሁ፤ ግን አታገኙኝም፤ ወዳለሁበትም ልትመጡ አትችሉም።”

35አይሁድም እርስ በርሳቸው እንዲህ ተባባሉ፤ “ይህ ሰው፣ ልናገኘው የማንችለው ወዴት ለመሄድ ቢያስብ ነው? በግሪኮች መካከል ተበታትነው ወደሚኖሩት ወገኖቻችን ሄዶ ግሪኮችን ሊያስተምር ፈልጎ ይሆን? 36‘ትፈልጉኛላችሁ፤ ግን አታገኙኝም፤’ ደግሞም፣ ‘እኔ ወዳለሁበት ልትመጡ አትችሉም’ ሲል ምን ማለቱ ይሆን?”

37የበዓሉ መጨረሻ በሆነው በታላቁ ቀን፣ ኢየሱስ ቆሞ ከፍ ባለ ድምፅ እንዲህ አለ፤ “ማንም የተጠማ ቢኖር ወደ እኔ ይምጣና ይጠጣ፤ 38በእኔ የሚያምን፣ መጽሐፍ እንዳለ7፥37-38 ወይም ማንም የተጠማ ቢኖር ወደ እኔ ይምጣ፤ 38 በእኔ የሚያምን ይጠጣ የሕይወት ውሃ ምንጭ ከውስጡ ይፈልቃል።” 39ይህን ያለው በእርሱ የሚያምኑ ስለሚቀበሉት መንፈስ ነበር፤ ምክንያቱም ኢየሱስ ገና ስላልከበረ መንፈስ አልተሰጠም ነበር።

40ከሕዝቡ አንዳንዶቹ ቃሉን ሰምተው፣ “ይህ ሰው በርግጥ ነቢዩ ነው” አሉ።

41ሌሎችም፣ “እርሱ ክርስቶስ ነው” አሉ።

ሌሎች ደግሞ እንዲህ አሉ፤ “ክርስቶስ ከገሊላ እንዴት ሊመጣ ይችላል? 42መጽሐፍ፣ ክርስቶስ ከዳዊት ዘር7፥42 ወይም ከዳዊት ቤተ ሰብ፣ ዳዊትም ከኖረበት ከቤተ ልሔም እንደሚመጣ ይናገር የለምን?” 43ስለዚህም በኢየሱስ ምክንያት በሕዝቡ መካከል መለያየት ሆነ፤ 44አንዳንዶቹም ሊይዙት ፈለጉ፤ ነገር ግን ማንም እጁን አላሳረፈበትም።

የአይሁድ መሪዎች አለማመን

45በመጨረሻም የቤተ መቅደስ ጠባቂዎቹ፣ ወደ ካህናት አለቆችና ወደ ፈሪሳውያን ተመልሰው ሄዱ፤ እነርሱም ጠባቂዎቹን፣ “ለምን አላመጣችሁትም?” አሏቸው።

46ጠባቂዎቹም፣ “እንደዚህ ሰው፣ ከቶ ማንም ተናግሮ አያውቅም” ሲሉ መለሱ።

47ፈሪሳውያንም እንዲህ ሲሉ መለሱ፤ “እናንተም ተታላችኋል ማለት ነው? 48ለመሆኑ ከባለሥልጣኖችና ከፈሪሳውያን በእርሱ ያመነ አለ? 49ሕጉን የማያውቅ ይህ ሕዝብ ግን የተረገመ ነው።”

50ከዚህ ቀደም ወደ ኢየሱስ ሄዶ የነበረውና ከእነርሱ አንዱ የሆነው ኒቆዲሞስ እንዲህ አላቸው፤ 51“ሕጋችን፣ አስቀድሞ አንድን ሰው ሳይሰማና ምን እንዳደረገ ሳይረዳ ይፈርድበታልን?”

52እነርሱም፣ “አንተም ደግሞ ከገሊላ ነህን? ነቢይ7፥52 ሁለት የጥንት ቅጆች ነቢዩ ይላሉ። ከገሊላ እንደማይነሣ መርምር፤ ትደርስበታለህ” ብለው መለሱለት።

53ከዚህ በኋላ ሁሉም ወደየቤታቸው ሄዱ።

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

यूहन्ना 7:1-53

यीसू ह मंडप (कुंदरा) तिहार बर यरूसलेम सहर जाथे

1एकर बाद, यीसू ह गलील प्रदेस म एती-ओती गीस। ओह यहूदिया प्रदेस ला नइं जाय चाहत रिहिस, काबरकि यहूदीमन उहां ओला मार डारे बर बाट जोहत रिहिन। 2पर जब यहूदीमन के कुंदरा के तिहार ह लकठा आईस7:2 कुंदरा के तिहार के समय यहूदीमन अंगूर अऊ जैतून के फसल कटई के आनंद मनावंय। ए समय ओमन कुंदरामन म रहंय, जऊन मन पान वाले रूख के डारामन ले बनाय गे रहंय। ओमन अइसने ए बात के सुरता म करंय कि ओमन के पुरखामन चालीस साल तक सुनसान जगह म कइसने रहत रिहिन (लैब्यवस्था 23:33-36; 39-43; ब्यवस्था 16:13-16)।, 3त यीसू के भाईमन ओला कहिन, “तेंह ए जगह ला छोंड़के यहूदिया प्रदेस म चले जा, ताकि जऊन काम तेंह करथस, ओला तोर चेलामन घलो देखंय। 4काबरकि जऊन मनखे ह नांव कमाय चाहथे, ओह गुपत म काम नइं करय। जब तेंह ए काम करथस, त अपन-आप ला संसार के मनखेमन ला देखा।” 5अऊ त अऊ ओकर खुद के भाईमन ओकर ऊपर बिसवास नइं करत रिहिन।

6तब यीसू ह अपन भाईमन ला कहिस, “मोर बर सही समय अभी तक नइं आय हवय। तुम्‍हर बर कोनो घलो समय ह सही ए। 7संसार ह तुम्‍हर ले बईरता नइं कर सकय, पर मोर ले बईरता रखथे, काबरकि मेंह एकर बिरोध म गवाही देथंव कि एकर काममन खराप अंय। 8तुमन ए तिहार म जावव। मेंह अभी ए तिहार म नइं जावंव, काबरकि मोर बर अभी तक सही समय नइं आय हवय।” 9ए कहिके, ओह गलील प्रदेस म रूक गीस।

10पर जब यीसू के भाईमन तिहार मनाय बर चल दीन, त ओह घलो गीस, पर ओह खुले आम नइं जाके गुपत ढंग ले उहां गीस। 11तिहार के बखत यहूदीमन ओला खोजत रिहिन अऊ ए पुछत रिहिन, “ओ मनखे ह कहां हवय?” 12मनखेमन के भीड़ म ओकर बारे म बहुंत कानाफूसी होवत रहय। कुछू मनखेमन कहत रिहिन, “ओह बने मनखे ए।” पर कुछू मनखेमन कहंय, “नइं, ओह मनखेमन ला धोखा देथे।” 13पर यहूदीमन के डर के कारन, यीसू के बारे म कोनो मनखे खुले आम कुछू नइं कहत रिहिन।

तिहार के बखत यीसू ह उपदेस देथे

14जब तिहार के आधा समय बीत गे, तब यीसू ह मंदिर म जाके उपदेस देवन लगिस। 15यहूदीमन अचम्भो करके कहन लगिन, “बिगर पढ़े ए मनखे ह अतेक जादा कइसने जानथे?”

16यीसू ह ओमन ला जबाब दीस, “जऊन उपदेस मेंह देवत हंव, ओह मोर खुद के नो हय। एह ओकर करा ले आथे, जऊन ह मोला पठोय हवय। 17यदि कोनो परमेसर के ईछा म चले बर चाहथे, त ओह जान डारही कि मोर उपदेस ह परमेसर कोति ले आथे या फेर मेंह अपन खुद के अधिकार ले गोठियावत हंव। 18जऊन ह अपन खुद के अधिकार ले गोठियाथे, ओह अपन खुद के महिमा चाहथे, पर जऊन ह अपन पठोइया के महिमा चाहथे, ओह सच्‍चा मनखे ए, अऊ ओम कुछू भी गलत बात नइं ए। 19का मूसा ह तुमन ला कानून नइं देय हवय? तभो ले तुमन ले एको झन घलो ओ कानून ला नइं मानय। तुमन काबर मोला मार डारे के कोसिस करत हव?”

20भीड़ के मनखेमन ओला जबाब दीन, “तोर म परेत आतमा हवय। कोन ह तोला मार डारे के कोसिस करथे?” 21यीसू ह ओमन ला कहिस, “मेंह एक ठन अचरज के काम करेंव, अऊ तुमन जम्मो झन अचम्भो करत हव। 22मूसा ह तुमन ला खतना करे के हुकूम दीस, (असल म एह मूसा करा ले नइं आईस, पर एह पुरखामन ले चले आवत हवय), अऊ तुमन बिसराम के दिन म घलो लइका के खतना करथव। 23यदि बिसराम के दिन म एक लइका के खतना करे जा सकथे, अऊ मूसा के कानून ह नइं टूटय, त तुमन मोर ऊपर काबर नराज होवत हव कि मेंह बिसराम के दिन म एक मनखे ला बेमारी ले पूरा-पूरी ठीक कर दे हवंव? 24मुहूं देखके नियाय झन करव। पर सही-सही नियाय करव।”

का यीसू ह मसीह अय?

25तब यरूसलेम के कुछू मनखेमन कहन लगिन, “का एह ओ मनखे नो हय, जऊन ला मनखेमन मार डारे बर खोजत हवंय? 26ओह इहां हवय अऊ खुल्लम-खुल्ला गोठियावत हवय, अऊ ओमन ओला कुछू नइं कहत हवंय। हो सकथे कि अधिकारीमन सही म जान गे हवंय कि एहीच ह मसीह अय? 27पर हमन तो जानथन कि ए मनखे ह कहां के अय; जब मसीह ह आही, त कोनो ला पता नइं चलही कि ओह कहां के अय।”

28तब यीसू ह मंदिर म उपदेस देवत पुकारके कहिस, “तुमन मोला जानथव अऊ तुमन ए घलो जानथव कि मेंह कहां के अंव। मेंह इहां खुद नइं आय हवंव, पर जऊन ह मोला पठोय हवय, ओह सच्‍चा ए। तुमन ओला नइं जानव। 29पर मेंह ओला जानथंव काबरकि मेंह ओकर करा ले आय हवंव अऊ ओह मोला पठोय हवय।”

30तब ओमन ओला पकड़े के कोसिस करिन, पर कोनो ओकर ऊपर हांथ नइं लगाईन, काबरकि ओकर समय ह अब तक नइं आय रिहिस। 31तभो ले भीड़ म ले बहुंत झन ओकर ऊपर बिसवास करिन। ओमन कहिन, “जब मसीह ह आही, त का ओह ए मनखे ले बड़के अचरज के चिन्‍हां देखाही?”

32फरीसीमन मनखेमन ला यीसू के बारे म अइसने कानाफूसी करत सुनिन, त मुखिया पुरोहित अऊ फरीसी मन यीसू ला पकड़े बर मंदिर के सिपाहीमन ला पठोईन।

33तब यीसू ह कहिस, “मेंह तुम्‍हर संग सिरिप थोरकन समय तक हवंव, तब मेंह ओकर करा चले जाहूं, जऊन ह मोला पठोय हवय। 34तुमन मोला खोजहू, पर नइं पाहू, अऊ जिहां मेंह हवंव, उहां तुमन नइं आ सकव।”

35यहूदीमन एक-दूसर ले कहिन, “ए मनखे ह कहां जाही कि हमन ओला नइं पाबो? का एह हमर ओ मनखेमन करा जाही, जऊन मन यूनानीमन के बीच म तितिर-बितिर होके रहिथें, अऊ यूनानीमन ला घलो उपदेस दिही? 36ओकर ए कहे के का मतलब ए, ‘तुमन मोला खोजहू, पर मोला नइं पाहू, अऊ जिहां मेंह हवंव, उहां तुमन नइं आ सकव?’ ”

37तिहार के आखिरी दिन जऊन ह सबले जादा महत्‍व के दिन रिहिस, यीसू ह ठाढ़ होईस अऊ चिचियाके कहिस, “कहूं कोनो पीयासन हवय, त ओह मोर करा आके पीयय। 38जऊन ह मोर ऊपर बिसवास करथे, परमेसर के बचन के मुताबिक ओकर हिरदय ले जीयत पानी के झरना बहे लगही।” 39यीसू ह एला ओ पबितर आतमा के बारे म कहिस, जऊन ह यीसू ऊपर बिसवास करइयामन ला बाद म मिलने वाला रिहिस। ओ समय तक पबितर आतमा ह नइं दिये गे रिहिस, काबरकि यीसू ह अब तक अपन महिमा म नइं पहुंचे रिहिस।

40ओकर ए बात ला सुनके कुछू मनखेमन कहिन, “सही म ए मनखे ह ओ अगमजानी ए, जऊन ह अवइया रिहिस।”

41आने मन कहिन, “एह मसीह अय।” पर कुछू अऊ मनखेमन कहिन, “गलील प्रदेस ले मसीह ह कइसने आ सकथे? 42का परमेसर के बचन म ए नइं लिखे हवय कि मसीह ह दाऊद के बंस अऊ बैतलहम गांव ले आही, जिहां दाऊद रहत रिहिस?” 43ए किसम ले यीसू के कारन मनखेमन म मतभेद हो गीस। 44ओम ले कुछू झन ओला पकड़े चाहत रिहिन, पर कोनो ओकर ऊपर हांथ नइं डारिन।

यहूदी अगुवामन के अबिसवास

45आखिर म, मंदिर के सिपाहीमन मुखिया पुरोहित अऊ फरीसीमन करा वापिस चल दीन। तब ओमन मंदिर के सिपाहीमन ले पुछिन, “तुमन यीसू ला पकड़के काबर नइं लानेव?”

46सिपाहीमन जबाब दीन, “जऊन किसम ले ए मनखे ह गोठियाथे, वइसने आज तक कोनो नइं गोठियाय हवय।”

47फरीसीमन ओमन ला कहिन, “का ओह तुमन ला घलो भरमा दीस? 48का अधिकारी या फरीसीमन ले कोनो ओकर ऊपर बिसवास करे हवंय? 49नइं न! पर ए भीड़ के मनखे जऊन मन कानून के बारे म कुछू नइं जानंय, ओमन सरापित अंय।”

50निकुदेमुस जऊन ह यीसू करा पहिली गे रिहिस अऊ अगुवामन ले एक झन रिहिस, ओमन ला कहिस, 51“हमर कानून के मुताबिक, हमन कोनो मनखे ला दोसी नइं ठहरा सकन, जब तक कि पहिली ओकर बात ला नइं सुन लेवन अऊ ए नइं जान लेवन कि ओह का करे हवय?”

52ओमन कहिन, “का तेंह घलो गलील प्रदेस के अस? परमेसर के बचन म खोज, त तेंह पाबे कि गलील प्रदेस ले कोनो अगमजानी नइं आवय।”

53तब ओमन जम्मो झन अपन-अपन घर चल दीन।