ዘዳግም 26 – NASV & HCV

New Amharic Standard Version

ዘዳግም 26:1-19

ዐሥራትና በኵራት

1አምላክህ እግዚአብሔር (ኤሎሂም ያህዌ) ርስት አድርጎ ወደሚሰጥህ ምድር ስትገባ፣ ስትወርሳትና ስትኖርባት፣ 2አምላክህ እግዚአብሔር (ኤሎሂም ያህዌ) ከሚሰጥህ ምድር ከምትሰበስበው ሰብል ሁሉ፣ በኵራት ወስደህ በቅርጫት ውስጥ አድርገው፤ ከዚያም አምላክህ እግዚአብሔር (ኤሎሂም ያህዌ) ለስሙ ማደሪያ እንዲሆን ወደሚመርጠው ስፍራ ሂድ፤ 3በዚያም ወቅት ለሚያገለግለው ካህን፣ “እግዚአብሔር (ያህዌ) ለእኛ ሊሰጠን ለአባቶቻችን ወደ ማለላቸው ምድር እንደ ገባሁ ዛሬ በአምላክህ በእግዚአብሔር (ኤሎሂም ያህዌ) ፊት እናገራለሁ” በለው። 4ካህኑም ቅርጫቱን ከእጅህ ተቀብሎ፣ በአምላክህ በእግዚአብሔር (ኤሎሂም ያህዌ) መሠዊያ ፊት ለፊት ያስቀምጠዋል። 5አንተም በአምላክህ በእግዚአብሔር (ያህዌ ኤሎሂም) ፊት እንዲህ ብለህ ትናገራለህ፤ “አባቴ ዘላን ሶርያዊ ነበር፤ ከጥቂት ሰዎችም ጋር ወደ ግብፅ ወረደ፤ በዚያም ተቀመጠ፤ ታላቅ፣ ኀያልና ቍጥሩ የበዛ ሕዝብ ሆነ። 6ግብፃውያን ግን ከባድ ሥራ በማሠራት አንገላቱን፤ አሠቃዩንም። 7ከዚያ በኋላ የአባቶቻችን አምላክ (ያህዌ) ወደ ሆነው ወደ እግዚአብሔር (ኤሎሂም) ጮኽን፤ እግዚአብሔርም ጩኸታችንን ሰማ፤ ጕስቍልናችንን፣ ድካማችንንና የተፈጸመብንን ግፍ ተመለከተ። 8ከዚህ የተነሣ እግዚአብሔር (ያህዌ) በብርቱ እጅና በተዘረጋች ክንድ፣ በታላቅ ድንጋጤ፣ በታምራዊ ምልክትና በድንቅ ከግብፅ አወጣን። 9ወደዚህ ስፍራ አመጣን፤ ማርና ወተት የምታፈስሰውን ይህችን ምድር ሰጠን፤ 10አሁንም እግዚአብሔር (ያህዌ) ሆይ፤ እነሆ፤ አንተ የሰጠኸኝን የምድሪቱን በኵራት አምጥቻለሁ።” ቅርጫቱንም በአምላክህ በእግዚአብሔር (ኤሎሂም ያህዌ) ፊት አስቀምጠው፤ በአምላክህ በእግዚአብሔር (ኤሎሂም ያህዌ) ፊት ስገድ። 11ከዚያም አንተ፣ ሌዋዊውና በመካከልህ የሚኖረው መጻተኛ፣ አምላክህ እግዚአብሔር (ኤሎሂም ያህዌ) ለአንተና ለቤትህ በሰጠው በጎ ነገር ሁሉ ደስ ይበላችሁ።

12የዐሥራት ዓመት የሆነውን የሦስተኛውን ዓመት ምርት አንድ ዐሥረኛ ለይተህ ካወጣህ በኋላ በየከተሞችህ ውስጥ በልተው እንዲጠግቡ፣ ለሌዋዊው፣ ለመጻተኛው፣ አባት ለሌለውና ለመበለቲቱ ስጣቸው፤ 13ከዚያ በኋላ ለአምላክህ ለእግዚአብሔር (ኤሎሂም ያህዌ) እንዲህ በል፤ “በሰጠኸኝ ትእዛዝ መሠረት የተቀደሰውን ክፍል ከቤቴ አውጥቼ ለሌዋዊው፣ ለመጻተኛው፣ አባት ለሌለውና ለመበለቲቱ ሰጥቻለሁ። ከትእዛዝህ አልወጣሁም፤ አንዱንም አልረሳሁም። 14በሐዘን ላይ ሳለሁ፣ ከተቀደሰው ክፍል ላይ ምንም አልበላሁም፤ ባልነጻሁበትም ጊዜ ከዚሁ ላይ ያነሣሁትም ሆነ ለሙታን ያቀረብሁት ምንም ነገር የለም፤ አምላኬን እግዚአብሔርን (ኤሎሂም ያህዌ) ታዝዣለሁ፤ ያዘዝኸኝንም ሁሉ ፈጽሜአለሁ። 15ከቅዱስ ማደሪያህ ከሰማይ ተመልከት፤ ሕዝብህን እስራኤልንና ለአባቶቻችን በመሐላ ቃል በገባኸው መሠረት፣ ለእኛ የሰጠኸንን ይህችን ማርና ወተት የምታፈስሰውን ምድር ባርክ።”

የእግዚአብሔርን ትእዛዞች ስለ መጠበቅ

16አምላክህ እግዚአብሔር (ኤሎሂም ያህዌ) ይህን ሥርዐትና ሕግ ትጠብቅ ዘንድ ዛሬ ያዝዝሃል፤ አንተም በፍጹም ልብህ፣ በፍጹምም ነፍስህ ትፈጽመው ዘንድ ተጠንቀቅ። 17እግዚአብሔር አምላክህ (ያህዌ ኤሎሂም) እንደ ሆነ በመንገዱም እንደምትሄድ፣ ሥርዐቱን፣ ትእዛዙንና ሕጉን እንደምትጠብቅና እንደምትታዘዝለት በዛሬዪቱ ዕለት ተናግረሃል። 18እግዚአብሔር (ያህዌ) በሰጠህ ተስፋ መሠረት አንተ፣ ሕዝቡና ርስቱ መሆንህን፣ ትእዛዙንም ሁሉ እንደምትጠብቅ በዛሬው ዕለት ተናግሯል። 19ከፈጠራቸው ሕዝቦች ሁሉ በላይ በምስጋና፣ በስም፣ በክብርም ከፍ እንደሚያደርግህና በሰጠውም ተስፋ መሠረት ለአምላክህ ለእግዚአብሔር (ኤሎሂም ያህዌ) ቅዱስ ሕዝብ እንደምትሆን ተናግሯል።

Hindi Contemporary Version

व्यवस्था 26:1-19

प्रथम उपज भेंट

1इसके बाद, यह होगा कि जब तुम उस देश में प्रवेश करोगे, जो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें मीरास-स्वरूप प्रदान कर रहे हैं, तुम उसका अधिग्रहण करोगे और उसमें बस जाओगे, 2तब तुम उस स्थान पर, जिसे याहवेह तुम्हारे परमेश्वर अपनी प्रतिष्ठा के लिए चुनेंगे, उस देश की सारी प्रथम उपज का एक अंश एक टोकरी में लेकर जाओगे. 3तुम उस समय पदासीन पुरोहित की उपस्थिति में जाकर कहोगे, “याहवेह, मेरे परमेश्वर के सामने आज मैं यह घोषित कर रहा हूं, कि मैंने उस देश में प्रवेश कर लिया है, जिसे प्रदान करने की प्रतिज्ञा याहवेह ने मेरे पूर्वजों से की थी.” 4तब वह पुरोहित तुम्हारे हाथ से वह टोकरी लेकर याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर की वेदी के सामने रख देगा. 5तुम याहवेह, अपने परमेश्वर के सामने उत्तर में कहोगे: “मेरे पूर्वज अस्थिरवासी अरामी जाति के थे. वे मिस्र देश में प्रवासी रहे, वहां अल्प संख्यक थे, मगर वहां विशाल, मजबूत और असंख्यक राष्ट्र हो गए. 6लेकिन मिस्रवासियों ने हमारे साथ बुरा व्यवहार किया और अत्याचार पूरा हो गया. हम पर कठोर श्रम लाद दिया गया. 7तब हमने अपने पूर्वजों के परमेश्वर याहवेह की दोहाई दी, और याहवेह ने हमारी सुन ली. उन्होंने हमारे अत्याचार और श्रम पीड़ा पर दृष्टि की. 8तब याहवेह ने हमें मिस्र देश से अपनी मजबूत, बढ़ाई हुई भुजा, भयंकर आतंक, चिन्ह और चमत्कारों के द्वारा निर्गत किया. 9वह हमें इस स्थान पर ले आए हैं, हमें यह देश प्रदान कर दिया है, ऐसा देश, जिसमें दूध और शहद की बहुतायत है; 10अब देखिए, याहवेह, आपके द्वारा दी इस भूमि की पहली उपज मैं यहां ले आया हूं.” तुम याहवेह, अपने परमेश्वर के सामने यह प्रस्तुत कर दोगे और तुम याहवेह, अपने परमेश्वर का स्तवन करोगे. 11तुम, वह लेवीगोत्रज और वह परदेशी, जो तुम्हारे बीच रह रहा है, याहवेह तुम्हारे परमेश्वर द्वारा दी सारी उत्तम वस्तुओं के लिए अपने परिवार के साथ उल्लास मनाओगे.

12जब तृतीय साल में, जो दसवें अंश का साल है, तुम अपना समग्र दसवां अंश दे चुको, तब तुम यह उस लेवी को, उस प्रवासी को, अनाथ, और विधवा को दे दोगे, जिससे वे तुम्हारे साथ नगर में इसका उपभोग करते हुए संतुष्ट रह सकें. 13याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर की उपस्थिति में तुम्हारे वचन ऐसे हों: “मैंने आपके आदेश के अनुरूप अपने घर में से पवित्र अंश लेकर मुझे दिए गए आपके आदेश के अनुसार लेवियों, यहां प्रवास कर रहे विदेशियों, अनाथों और विधवाओं को दे दिया है. न तो मैंने आपके आदेशों की आज्ञा टाली है, न ही उन्हें भुलाया है 14मैंने इसका उपभोग न तो विलाप की स्थिति में किया है, न मैंने अशुद्धता की अवस्था में इसको छुआ है, और न मैंने इसमें से कुछ किसी मरे हुए को समर्पित किया है. मैंने शब्दश; याहवेह अपने परमेश्वर के आदेश का पालन किया है. 15अपने पवित्र निवास स्थान स्वर्ग से दृष्टि कीजिए और अपनी प्रजा इस्राएल को और उस भूमि को, जो आपने हमारे पूर्वजों को अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार प्रदान की है, जिसमें दूध और शहद की बहुतायत है, समृद्धि प्रदान कीजिए.”

परमेश्वर के नियमों का पालन

16आज याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें यह आदेश दे रहे हैं कि तुम इन नियमों और आदेशों का पालन करो; तब तुम्हें पूरे हृदय और पूरे प्राणों से इनके पालन करने के विषय में सावधानी रखनी ही होगी. 17आज तुमने यह घोषणा कर दी है कि याहवेह ही तुम्हारे परमेश्वर हैं और यह भी कि तुम उनके द्वारा दी गई नीतियों का पालन करोगे; उनकी आज्ञाओं, उनके आदेशों और उनके नियमों का पालन करोगे और उन्हीं की सुनोगे. 18आज याहवेह ने तुम्हें अपनी प्रजा, अपना कीमती धन घोषित कर दिया है, तुमसे की गई अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार और यह कि ज़रूरी है कि तुम उसके सारे आदेशों का पालन करो. 19और यह कि वह तुम्हें उन सभी जनताओं से, जो उनके द्वारा स्थापित किए गए हैं, उच्चतर बनाए रखेंगे, स्तुति के लिए कीर्ति के लिए और सम्मान के लिए और तुम याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के लिए पवित्र प्रजा हो जाओगे; जैसा खुद उन्होंने कहा है.