ዘዳግም 22 – NASV & HCV

New Amharic Standard Version

ዘዳግም 22:1-30

1የወንድምህ በሬ ወይም በግ ጠፍቶ ሲባዝን ብታየው፣ ወደ እርሱ መልሰህ አምጣለት እንጂ ዝም ብለህ አትለፈው፤ 2ወንድምህ በአቅራቢያህ ባይኖር፣ ወይም የማን መሆኑን የማታውቅ ከሆነ፣ ባለቤቱ ፈልጎት እስኪመጣ ድረስ፣ ወደ ቤትህ ወስደህ ከአንተ ዘንድ አቈየው፤ ከዚያም መልሰህ ስጠው። 3የወንድምህን አህያ ወይም ልብስ ወይም የጠፋበትን ማናቸውንም ነገር ስታገኝ እንደዚሁ አድርግ፤ በቸልታ አትለፈው።

4የወንድምህ አህያ ወይም በሬ መንገድ ላይ ወድቆ ብታየው፣ በእግሩ እንዲቆምለት ርዳው እንጂ ዐልፈኸው አትሂድ።

5ሴት የወንድ ልብስ አትልበስ፤ ወንድም የሴት ልብስ አይልበስ፤ እንዲህ የሚያደርገውን ሁሉ አምላክህ እግዚአብሔር (ኤሎሂም ያህዌ) ይጸየፈዋልና።

6በመንገድ ስታልፍ፣ አንዲት ወፍ ጫጩቶቿን ወይም ዕንቁላሎቿን የታቀፈችበትን ጐጆ በዛፍ ወይም በመሬት ላይ ብታገኝ፣ እናቲቱን ከነጫጩቶቿ አትውሰድ፤ 7ጫጩቶቿን መውሰድ ትችላለህ፤ እናቲቱን ግን መልካም እንዲሆንልህና ዕድሜህም እንዲረዝም ልቀቃት፤

8አዲስ ቤት በምትሠራበት ጊዜ፣ ከጣራው ላይ ሰው ወድቆ በቤትህ ላይ የደም በደል እንዳታመጣ፣ በጣራው ዙሪያ መከታ አብጅለት።

9በወይን ተክል ቦታህ ውስጥ ሁለት ዐይነት ዘር አትዝራ፤ ይህን ካደረግህ፣ የዘራኸው ሰብል ብቻ ሳይሆን፣ የወይን ፍሬህም ይጠፋል።

10በሬና አህያ በአንድ ላይ ጠምደህ አትረስ።

11ሱፍና በፍታ አንድ ላይ ተፈትሎ የተሠራ ልብስ አትልበስ።

12በምትለብሰው ልብስ ላይ በአራቱ ማእዘኖች ዘርፍ አድርግ።

ጋብቻን በንጽሕና ስለ መጠበቅ

13አንድ ወንድ ሚስት አግብቶ አብሯት ከተኛ በኋላ ቢጠላት፣ 14ስሟንም በማጥፋት፣ “ይህችን ሴት አገባኋት፤ ዳሩ ግን በደረስሁባት ጊዜ ድንግልናዋን አላገኘሁም” ቢል፣ 15የልጂቱ አባትና እናት ድንግልናዋን የሚያረጋግጥ ማስረጃ ይዘው በከተማዪቱ በር ወዳሉት አለቆች ይምጡ። 16የልጂቱም አባት ለአለቆቹ እንዲህ ይበል፤ “ልጄን ለዚህ ሰው ዳርሁለት፤ እርሱ ግን ጠላት፤ 17ስሟንም በማጥፋት፣ ‘ልጅህን ከነድንግልናዋ አላገኘኋትም’ ብሎኛል፤ ነገር ግን የልጄ ድንግልና ማረጋገጫ ይኸውላችሁ፤” ከዚያም ወላጆቿ የደሙን ሸማ በከተማዪቱ አለቆች ፊት ይዘርጉት። 18ከዚያም በኋላ አለቆቹ ሰውየውን ይዘው ይቅጡት፤ 19ይህ ሰው የአንዲት እስራኤላዊት ድንግል ስም አጥፍቷልና አንድ መቶ ሰቅል22፥19 ወደ አንድ ኪሎ ግራም ነው። ብር ያስከፍሉት፤ ገንዘቡንም ለልጂቱ አባት ይስጡት፤ ሴቲቱም ሚስቱ ሆና ትኖራለች፤ በሕይወት ዘመኑ ሁሉ ሊፈታት አይችልም።

20ሆኖም ክሱ እውነት ሆኖ ሴቲቱ ድንግል ለመሆኗ ምንም ማረጋገጫ ማቅረብ ካልተቻለ፣ 21ገና በአባቷ ቤት ሳለች በማመንዘር በእስራኤል ውስጥ ወራዳ ተግባር ፈጽማለችና ወደ አባቷ ቤት ደጃፍ ያምጧት፤ እዚያም የከተማዋ ሰዎች እስክትሞት ድረስ በድንጋይ ይውገሯት። ክፉውን ከመካከልህ ማስወገድ አለብህ።

22አንድ ሰው፣ ከሌላ ሰው ሚስት ጋር ተኝቶ ቢገኝ፣ አብሯት የተኛው ሰውና ሴቲቱ ሁለቱም ይገደሉ፤ ክፉውን ከእስራኤል ማስወገድ አለብህ።

23አንድ ሰው የታጨች ድንግል በከተማ ውስጥ አግኝቶ ከእርሷ ጋር ቢተኛ፣ 24ልጃገረዲቱ በከተማ ውስጥ እያለች አስጥሉኝ ብላ ስላልጮኸች፣ ሰውየውም የሌላን ሰው ሚስት አስገድዶ ስለ ደፈረ፣ ሁለቱንም ወደ ከተማ ደጃፍ ወስዳችሁ እስኪሞቱ ድረስ በድንጋይ ውገሯቸው። ክፉውን ከመካከልህ ማስወገድ አለብህ።

25ነገር ግን አንድ ሰው የታጨችውን ልጃገረድ ከከተማ ውጭ አግኝቶ በማስገደድ ቢደፍራት፣ ይህን ድርጊት የፈጸመው ሰው ብቻ ይገደል። 26በልጃገረዲቱ ላይ ግን ምንም አታድርጉባት፤ ለሞት የሚያበቃ ኀጢአት ምንም አልሠራችም፤ ይህ ዐይነቱ ጕዳይ፣ አደጋ ጥሎ ባልንጀራውን ከሚገድል ሰው አድራጎት ጋር የሚመሳሰል ነው። 27ምክንያቱም ሰውየው የታጨችውን ልጃገረድ ከከተማ ውጭ ስላገኛትና ብትጮኽም እንኳ ለርዳታ የደረሰላት ማንም ሰው ስላልነበር ነው።

28አንድ ሰው ያልታጨች ልጃገረድ አግኝቶ በማስገደድ ቢደርስባትና ቢጋለጡ፣ 29ሰውየው ለልጅቷ አባት አምሳ ሰቅል22፥29 ወደ 0.6 ኪሎ ግራም ነው። ብር ይክፈል፤ ልጃገረዲቱን አስገድዶ ደፍሯታልና፣ እርሷን ማግባት አለበት፤ በሕይወት ዘመኑ ሁሉ ሊፈታት አይችልም።

30አንድ ሰው የአባቱን ሚስት ማግባት የለበትም፤ የአባቱንም መኝታ አያርክስ።

Hindi Contemporary Version

व्यवस्था 22:1-30

1तुम अपने इस्राएली भाई के किसी बैल अथवा भेड़ को भटकते देखकर उसकी उपेक्षा नहीं करोगे. निश्चयतः तुम उसे उसके स्वामी के घर पर छोड़ दोगे. 2यदि वह इस्राएली तुम्हारे निकट नहीं रहता, अथवा यदि तुम उससे परिचित नहीं हो, तब तुम उस पशु को अपने ही घर पर ले आओगे और वह उस समय तक तुम्हारी देखरेख में रहेगा, जब तक उसका स्वामी उसकी खोज करता हुआ तुम्हारे घर तक न आ पहुंचे. तब तुम उसे लौटा दोगे. 3यही तुम उसके गधे के साथ, उसके वस्त्र के साथ, उसकी किसी भी खोई हुई वस्तु के साथ करोगे, जो तुम्हें प्राप्‍त हो गई है. तुम इनकी अनदेखी न करो.

4यदि तुम्हारे किसी स्वदेशी का गधा अथवा बैल मार्ग में गिर पड़ा है, तो तुम उसकी उपेक्षा नहीं करोगे. तुम्हें उन्हें उठाकर खड़ा करने में सहायता करनी ही होगी.

5कोई भी स्त्री-पुरुष के वस्त्र धारण नहीं करेगी और न ही कोई पुरुष स्त्री के; क्योंकि जो कोई यह करता है, याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के लिए घृणित है.

6यदि तुम्हें मार्ग में किसी वृक्ष में अथवा भूमि पर किसी पक्षी का नीड़ मिल जाए, जिसमें उसके चूज़े अथवा अंडे हों, और माता पक्षी उन चूज़ों अथवा अण्डों को सहेजे बैठी हो, 7तुम उस माता पक्षी को उसके चूज़ों से अलग नहीं करोगे, ताकि तुम्हारा भला हो और तुम्हारी उम्र बहुत बढ़ जाए.

8जब तुम नए घर का निर्माण करो, तो तुम अपने लिए छत के लिए एक मुण्डेर ज़रूर बनवाना, जिससे कि तुम खुद पर हत्या का दोष न ले आओ, यदि कोई छत से नीचे आ गिरे.

9अपने अंगूर के बगीचे में तुम दो विभिन्‍न प्रकार के बीजों को नहीं बोओगे, नहीं तो उन दोनों बीजों की समग्र उपज दूषित हो जाएगी.

10अपने हल में तुम बैल और गधे को साथ साथ नहीं जोतोगे.

11तुम ऐसा वस्त्र धारण नहीं करोगे, जो ऊन और सन के मिश्रण से तैयार किया गया है.

12तुम अपने बाहरी वस्त्र के चारों कोनों पर फुन्दनों को बनाया करोगे.

नैतिकता संबंधी विधान

13यदि कोई पुरुष विवाह करता, पत्नी से शारीरिक संबंध करता और उससे अलग हो जाता है, 14इसके बाद उस पर निंदनीय कामों का आरोप लगाता है; यहां तक कि वह सार्वजनिक रूप से उस पर ये सारे लांछन भी लगाने लगता है, “मैंने इस स्त्री से विवाह किया मगर संबंध के समय पर मुझे उसमें कुंवारीपन के कोई लक्षण प्राप्‍त न हुए.” 15तब कन्या के माता-पिता कन्या के कुंवारीपन का सबूत लेकर नगर प्रवेश पर नगर पुरनियों के सामने प्रस्तुत करेंगे. 16कन्या का पिता पुरनियों से कहेगा, “मैंने इस पुरुष से अपनी पुत्री का विवाह किया, मगर वह उसे अप्रिय लगने लगी है. 17यह भी देखिए कि वह हमारी पुत्री पर लज्जास्पद लांछन लगा रहा है! वह यहां तक घोषित कर रहा है मुझे आपकी पुत्री में कुंवारीपन का चिह्न प्राप्‍त नहीं हुआ.” मगर यह देखिए: यह है हमारी पुत्री के कुंवारीपन का सबूत. माता-पिता उस वस्त्र को उन पुरनियों के सामने फैला देंगे, 18फिर नगर पुरनिए उस व्यक्ति को प्रताड़ित करेंगे. 19वे उस पुरुष पर चांदी के एक सौ शेकेल का जुर्माना आरोपित करेंगे, जिसे लेकर वे उस कन्या के पिता को सौंप देंगे. कारण यह है कि उस पुरुष ने इस्राएल की उस कुंवारी कन्या को सार्वजनिक रूप से कलंकित किया है. वह आजीवन उसकी पत्नी रहेगी, उनका तलाक कभी न होगा.

20मगर यदि इसके विपरीत उस पुरुष का यह आरोप सत्य साबित हो जाता है, वह कन्या कुंवारी नहीं थी, 21तब वे उस कन्या को उसके पिता के घर के द्वार पर लाएंगे और उस नगर के पुरुष उसको पथराव करके मार डालेंगे, क्योंकि उसने इस्राएल में यह अनाचार किया और अपने पिता के घर में ही वेश्यावृत्ति की है. यह करने के द्वारा तुम अपने बीच से बुराई को दूर कर दोगे.

22यदि कोई पुरुष किसी दूसरे व्यक्ति की पत्नी के साथ संबंध बनाते हुए पाया जाए, तो दोनों ही मृत्यु दंड के योग्य हैं; वह पुरुष, जो उस स्त्री से संबंध बना रहा था और वह स्त्री भी. उस प्रकार तुम इस्राएल में से बुराई को दूर करोगे.

23यदि किसी कुंवारी कन्या जिसकी सगाई हो चुकी है, उससे कोई अन्य पुरुष नगर सीमा के भीतर ही संबंध बनाता है, 24तब तुम उन दोनों को नगर फाटक से बाहर ले जाओगे और दोनों ही को पथराव करके मार दोगे; कन्या का इसलिये कि उसने नगर में होने पर भी सहायता की गुहार नहीं लगाई और पुरुष का इसलिये कि उसने पड़ोसी की स्त्री का शीलभंग किया है. यह करके तुम अपने बीच से अनिष्ट का बहिष्कार कर दोगे.

25मगर इसके विपरीत यदि कोई पुरुष किसी विवाह के लिये वचनबद्ध जवान स्त्री को बाहर खेत में पाकर उसके साथ साथ बलात्कार करता है, तो उस पुरुष को मृत्यु दंड दिया जाए. 26उस कन्या को कोई दंड न दिया जाए; उसने मृत्यु दंड के योग्य कोई अनाचार नहीं किया है. यह स्थिति वैसी है, जिसमें मानो किसी व्यक्ति ने घात लगाकर अपने पड़ोसी की हत्या कर दी हो, 27जब खेत में उसने उस अकेली कुंवारी कन्या को पाया, उसने तो सहायता की गुहार लगाई थी, मगर उसकी रक्षा के लिए वहां कोई भी न था.

28यदि कोई पुरुष ऐसी कुंवारी को पाता है, जिसकी सगाई नहीं हुई है, वह उसे पकड़कर उससे संबंध बनाता है, और यह काम प्रकट हो जाता है, 29तब वह संबंध बनानेवाला व्यक्ति कन्या के पिता को चांदी के पचास शेकेल देगा और वह कन्या उसकी पत्नी हो जाएगी; क्योंकि उस पुरुष ने उसका शीलभंग किया है. वह आजीवन उससे विवाह विच्छेद नहीं कर सकेगा.

30कोई भी पुरुष अपने पिता की पत्नी से विवाह नहीं करेगा; कि वह ऐसा करने के द्वारा अपने पिता के प्रति लज्जा का कारण न हो जाए.