ኤርምያስ 46 – NASV & HCV

New Amharic Standard Version

ኤርምያስ 46:1-28

ስለ ግብፅ የተነገረ መልእክት

1ስለ ሕዝቦች ወደ ነቢዩ ወደ ኤርምያስ የመጣው የእግዚአብሔር ቃል ይህ ነው፤

2ስለ ግብፅ፤ በይሁዳ ንጉሥ በኢዮስያስ ልጅ በኢዮአቄም ዘመነ መንግሥት በአራተኛው ዓመት በኤፍራጥስ ወንዝ በከርከሚሽ የባቢሎን ንጉሥ ናቡከደነፆር ባሸነፈው በግብፅ ንጉሥ በፈርዖን ኒካዑ ሰራዊት ላይ የተነገረ መልእክት ይህ ነው፤

3“ትልቁንና ትንሹን ጋሻ አዘጋጁ፤

ለውጊያም ውጡ!

4ፈረሶችን ጫኑ፤

በላያቸውም ተቀመጡ!

የራስ ቍር ደፍታችሁ፣

በየቦታችሁ ቁሙ፤

ጦራችሁን ወልውሉ፤

ጥሩራችሁን ልበሱ!

5ነገር ግን ይህ የማየው ምንድን ነው?

እጅግ ፈርተዋል፤

ወደ ኋላ እያፈገፈጉ ነው፤

ብርቱ ጦረኞቻቸው ተሸንፈዋል፤

ዘወር ብለውም ሳያዩ፣

በፍጥነት እየሸሹ ነው፤

በየቦታውም ሽብር አለ፣”

ይላል እግዚአብሔር

6“ፈጣኑ መሸሽ አይችልም፤

ብርቱውም አያመልጥም፤

በሰሜን በኤፍራጥስ ወንዝ አጠገብ፣

ተሰናክለው ወደቁ።

7“ይህ እንደ አባይ ወንዝ ሙላት የሚዘልለው፣

እንደ ደራሽ ወንዝ የሚፈስሰው ማነው?

8ግብፅ እንደ አባይ ወንዝ ሙላት ይዘልላል፤

እንደ ደራሽ ወንዝ ይወረወራል፤

‘እወጣለሁ፤ ምድርንም እሸፍናለሁ፤

ከተሞችንና ነዋሪዎቻቸውን አጠፋለሁ’ ይላል።

9ፈረሶች ሆይ ዘልላችሁ ውጡ፤ ሠረገሎችም ሸምጥጡ፤

ጋሻ ያነገባችሁ የኢትዮጵያና46፥9 የላይኛው አባይ አካባቢ ነው የፉጥ ሰዎች፣

ቀስት የገተራችሁ የሉድ ጀግኖች፣

እናንተ ብርቱ ጦረኞች ተነሥታችሁ ዝመቱ።

10ያ ቀን ግን የሰራዊት ጌታ የእግዚአብሔር ቀን ነው፤

ጠላቶቹን የሚበቀልበት የበቀል ቀን።

ሰይፍ እስኪጠግብ ድረስ ይበላል፤

ጥማቱም እስኪረካ ድረስ ደም ይጠጣል።

በሰሜን ምድር በኤፍራጥስ ወንዝ አጠገብ፣

የሰራዊት ጌታ እግዚአብሔር መሥዋዕት አዘጋጅቷልና።

11“ድንግሊቱ የግብፅ ሴት ልጅ ሆይ፤

ወደ ገለዓድ ውጪ፤ የሚቀባ መድኀኒትም አምጪ፤

ነገር ግን መድኀኒት የምታበዢው በከንቱ ነው፤

ፈውስ አታገኚም።

12ሕዝቦች ኀፍረትሽን ይሰማሉ፤

ልቅሶሽም ምድርን ይሞላል።

ጦረኛ በጦረኛው ይደናቀፋል፤

ሁለቱም ተያይዘው ይወድቃሉ።”

13የባቢሎን ንጉሥ ናቡከደነፆር መጥቶ ግብፅን እንደሚወጋ፣ እግዚአብሔር ለነቢዩ ለኤርምያስ የተናገረው መልእክት ይህ ነው፤

14“ይህን በግብፅ ተናገር፤ በሚግዶልም አሰማ፤

በሜምፎስና46፥14 ዕብራይስጡ ኖፍ ይላል፤ 19 ይመ። በጣፍናስም እንዲህ ብለህ ዐውጅ፤

‘በቦታችሁ ቁሙ፤ ተዘጋጁም፤

በዙሪያችሁ ያሉትን ሰይፍ ይበላቸዋልና።’

15ጦረኞችህ ለምን ተዘረሩ?

እግዚአብሔር ገፍትሮ ስለሚጥላቸው መቆም አይችሉም።

16ደጋግመው ይሰናከላሉ፣

አንዱም በሌላው ላይ ይወድቃል፤

‘ተነሡ እንሂድ፤

ወደ ሕዝባችንና ወደ ትውልድ አገራችን እንመለስ፤

ከጠላትም ሰይፍ እናምልጥ’ ይላሉ።

17በዚያም የግብፅን ንጉሥ ፈርዖንን፣

‘በተሰጠው ዕድል ያልተጠቀመ፣

አለሁ አለሁ ባይ ደንፊ!’ ብለው ይጠሩታል።”

18ስሙ የሰራዊት ጌታ እግዚአብሔር የሆነው ንጉሡ እንዲህ ይላል፤

“በሕያውነቴ እምላለሁ”።

በተራሮች መካከል ያለውን የታቦር ተራራ የሚመስል፣

ባሕርም አጠገብ ያለውን የቀርሜሎስ ተራራ የሚመስል አንድ የሚመጣ አለ።

19እናንተ በግብፅ የምትኖሩ ሆይ፤

በምርኮ ለመወሰድ ጓዛችሁን አሰናዱ፤

ሜምፎስ ፈራርሳ፣

ሰው የማይኖርባት ባድማ ትሆናለችና።

20“ግብፅ ያማረች ጊደር ናት፤

ነገር ግን ተናዳፊ ዝንብ

ከሰሜን ይመጣባታል።

21ቅጥረኞች ወታደሮቿም

እንደ ሠቡ ወይፈኖች ናቸው፤

የሚቀጡበት ጊዜ ስለ ደረሰ፣

ጥፋታቸው ስለ ተቃረበ፣

እነርሱም ወደ ኋላ ተመልሰው በአንድነት ይሸሻሉ፤

በቦታቸውም ጸንተው ሊቋቋሙ አይችሉም።

22ጠላት ገፍቶ ሲመጣባት፣

ግብፅ እንደሚሸሽ እባብ ታፏጫለች፤

ዛፍ እንደሚቈርጡ ሰዎች፣

መጥረቢያ ይዘው ይመጡባታል።

23ጥቅጥቅ ጫካ ቢሆንም፣ ደኗን ይመነጥራሉ፤”

ይላል እግዚአብሔር

“ብዛታቸው እንደ አንበጣ ነው፤

ሊቈጠሩም አይችሉም።

24የግብፅ ሴት ልጅ ለኀፍረት ትጋለጣለች፤

ለሰሜን ሕዝብም ዐልፋ ትሰጣለች።”

25የእስራኤል አምላክ፣ የሰራዊት ጌታ እግዚአብሔር እንዲህ ይላል፤ “በቴብስ46፥25 ወይም ኖእ አምላክ በአሞን ላይ፣ በፈርዖን ላይ፣ በግብፅና በአማልክቷ ላይ፣ በነገሥታቷም ላይ፣ እንዲሁም በፈርዖን በሚታመኑት ላይ ቅጣት አመጣለሁ፤ 26ነፍሳቸውን ለሚሹት ለባቢሎን ንጉሥ ለናቡከደነፆርና ለጦር መኰንኖቹ አሳልፌ እሰጣቸዋለሁ፤ ከጥቂት ጊዜ በኋላ ግን ግብፅ እንደ ቀድሞው ዘመን የሰው መኖሪያ ትሆናለች” ይላል እግዚአብሔር

27“አገልጋዬ ያዕቆብ ሆይ፤ አትፍራ፤

እስራኤል ሆይ፤ አትሸበር፤

አንተን ከሩቅ ስፍራ፣

ዘርህንም ተማርኮ ከሄደበት ምድር አድናለሁ።

ያዕቆብም ተመልሶ በሰላምና በርጋታ ይቀመጣል፤

የሚያስፈራውም አይኖርም።

28አገልጋዬ ያዕቆብ ሆይ፤ አትፍራ፤

እኔ ከአንተ ጋር ነኝና” ይላል እግዚአብሔር

“አንተን የበተንሁበትን ሕዝብ ሁሉ፣

ፈጽሜ ባጠፋም እንኳ፣

አንተን ግን ፈጽሜ አላጠፋህም።

ተገቢውን ቅጣት እሰጥሃለሁ እንጂ፣

ያለ ቅጣት አልተውህም።”

Hindi Contemporary Version

येरेमियाह 46:1-28

मिस्र के संबंध नबूवत

1भविष्यद्वक्ता येरेमियाह को याहवेह की ओर से राष्ट्रों से संबंधित प्राप्‍त संदेश:

2मिस्र के संबंध में:

यह मिस्र के राजा फ़रोह नेको की सेना से संबंधित है, जिसे फरात नदी के तट पर कर्कमीश नामक स्थान पर बाबेल के राजा नबूकदनेज्ज़र ने योशियाह के पुत्र यहूदिया के राजा यहोइयाकिम के राज्य-काल के चौथे वर्ष में पराजित किया था:

3“अपनी सभी छोटी-बड़ी ढालों को तैयार कर लो,

और युद्ध के लिए प्रस्थान करो!

4घोड़ों को

सुसज्जित करो!

उन पर बैठ जाओ

और टोप पहन लो!

अपनी बर्छियों पर धार लगा लो

और झिलम धारण कर लो!

5यह मेरी दृष्टि में क्यों आ गया?

वे भयभीत हैं वे पीछे हट रहे हैं,

उनके शूर योद्धा पराजित हो चुके हैं,

और अब वे अपने प्राणों की रक्षा के लिए भाग रहे हैं.

वे तो मुड़कर भी नहीं देख रहे,

आतंक सर्वत्र व्याप्‍त हो चुका है,”

यह याहवेह की वाणी है.

6“न तो द्रुत धावक भागने पाए,

न शूर योद्धा बच निकले.

फरात के उत्तरी तट पर

वे लड़खड़ा कर गिर चुके हैं.

7“यह कौन है, जो बाढ़ के समय की नील नदी के सदृश उफान रहा है,

उस नदी के सदृश जिसका जल महानदों में है?

8मिस्र नील नदी सदृश बढ़ता जा रहा है,

वैसे ही, जैसे नदी का जल उफनता है.

उसने घोषणा कर दी है, ‘मैं उफनकर संपूर्ण देश पर छा जाऊंगी;

निःसंदेह मैं इस नगर को तथा नगरवासियों को नष्ट कर दूंगी.’

9घोड़ो, आगे बढ़ जाओ!

रथो, द्रुत गति से दौड़ पड़ो!

कि शूर योद्धा आगे बढ़ सकें: कूश तथा पूट देश के ढाल ले जानेवाले योद्धा,

तथा लीदिया के योद्धा, जो धनुष लेकर बढ़ रहे हैं.

10वह दिन प्रभु सेनाओं के याहवेह का दिन है—

बदला लेने का दिन, कि वह अपने शत्रुओं से बदला लें.

तलवार तब तक चलेगी, जब तक संतुष्ट न हो जाए,

जब तक उसकी तलवार रक्त पीकर तृप्‍त न हो जाए.

क्योंकि यह नरसंहार प्रभु सेनाओं के याहवेह के लिए

फरात के ऊपरी तट पर स्थित देश में बलि अर्पण होगा.

11“मिस्र की कुंवारी कन्या,

गिलआद जाकर औषधि ले आओ.

निरर्थक ही रहा तुम्हारी औषधियों का संचय करना;

तुम्हारे लिए तो पुनःअच्छे हो जाना निर्धारित ही नहीं है.

12राष्ट्रों ने तुम्हारी लज्जा का समाचार सुन लिया है;

पृथ्वी तुम्हारे विलाप से पूर्ण है.

भागते हुए सैनिक एक दूसरे पर गिरे पड़ रहे हैं;

और दोनों ही एक साथ गिर गये हैं.”

13मिस्र पर बाबेल के राजा नबूकदनेज्ज़र के आक्रमण के विषय में याहवेह ने भविष्यद्वक्ता येरेमियाह को यह संदेश प्रगट किया:

14“यह घोषणा मिस्र में तथा प्रचार मिगदोल में किया जाए;

हां, प्रचार मैमफिस तथा ताहपनहेस में भी किया जाए:

यह कहना: ‘तैयार होकर मोर्चे पर खड़े हो जाओ,

क्योंकि तलवार तुम्हारे निकटवर्ती लोगों को निगल चुकी है.’

15तुम्हारे शूर योद्धा पृथ्वी पर कैसे गिर गए?

पुनः खड़े होना उनके लिए असंभव हो गया है, क्योंकि उन्हें याहवेह ने ही भूमि पर पटका है.

16फिर बार-बार वे पृथ्वी पर गिराए जा रहे हैं;

भागते हुए वे एक दूसरे पर गिराए जा रहे हैं.

तब उन्होंने कहा, ‘चलो उठो, हम लौट चलें

हम अपने उत्पीड़क की तलवार से दूर अपने लोगों में,

अपने देश लौट चलें.’

17वहां वे चिल्लाते रहे,

‘मिस्र का राजा आवाज मात्र है;

उसने सुअवसर को हाथ से निकल जाने दिया है.’

18“जिनका नाम है सेनाओं के याहवेह, जो राजा है, उनकी वाणी है,

मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूं,

यह सुनिश्चित है कि जो पर्वतों में ताबोर-सदृश प्रभावशाली,

अथवा सागर तट के कर्मेल पर्वत सदृश है, वह आएगा.

19मिस्र में निवास कर रही पुत्री,

बंधुआई में जाने के लिए सामान तैयार कर लो,

क्योंकि मैमफिस का उजड़ जाना निश्चित है

और इसका दहन कर दिया जाएगा तथा यहां कोई भी निवासी न रह जाएगा.

20“मिस्र एक सुंदर कलोर है,

किंतु उत्तर की ओर से एक गोमक्खी आ रही है

वह बढ़ी चली आ रही है.

21मिस्र में निवास कर रहे भाड़े के सैनिक

पुष्ट हो रहे बछड़ों के सदृश हैं.

वे सभी एक साथ मुड़कर भाग गए हैं,

उनके पैर उखड़ गए हैं,

क्योंकि उनके विनाश का दिन उन पर आ पड़ा है,

उनके दंड का समय.

22और उसके भागने की ध्वनि रेंगते हुए

सर्प के सदृश हो रही है;

क्योंकि वे सेना के सदृश आगे बढ़ रहे हैं,

और वे उसके समक्ष कुल्हाड़ी लिए हुए लक्कड़हारे के समान पहुंचे जाते हैं.

23उन्होंने मिस्र के वन को नष्ट कर दिया है,”

यह याहवेह की वाणी है,

“इसमें कोई संदेह नहीं कि उसका अस्तित्व मिट ही जाएगा,

यद्यपि इस समय वे टिड्डियों-सदृश असंख्य हैं, अगण्य हैं.

24मिस्र की पुत्री को लज्जा का सामना करना पड़ रहा है,

उसे उत्तर की ओर से आए हुए लोगों के अधीन कर दिया गया है.”

25सेनाओं के याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर का संदेश है: “यह देख लेना, मैं थेबेस के अमोन को तथा फ़रोह और मिस्र को उनके देवताओं एवं राजाओं के साथ दंड देने पर हूं, हां, फ़रोह तथा उन सबको, जो उस पर भरोसा किए हुए हैं. 26मैं उन्हें उनके अधीन कर दूंगा, जो उनके प्राण लेने पर तैयार हैं—हां, बाबेल के राजा नबूकदनेज्ज़र तथा उसके अधिकारियों के अधीन. किंतु कुछ समय बाद यह देश पहले जैसा बस जाएगा,” यह याहवेह की वाणी है.

27“किंतु तुम, याकोब, मेरे सेवक;

तुम भयभीत न होना; इस्राएल, तुम हताश न हो जाना.

तुम्हारी बंधुआई के दूर देश में से,

मैं तुम्हें एवं तुम्हारे वंशजों को विमुक्त करूंगा.

तब याकोब लौट आएगा और शांतिपूर्वक सुरक्षा में ऐसे निवास करेगा,

कि उसे कोई भी भयभीत न कर सकेगा.

28याकोब, मेरे सेवक, भयभीत न होओ,

यह याहवेह का आश्वासन है,

क्योंकि मैं तुम्हारे साथ हूं.

क्योंकि मैं उन सभी राष्ट्रों का पूर्ण विनाश कर दूंगा

जहां-जहां मैंने तुम्हें बंदी किया था,

फिर भी मैं तुम्हारा पूरा विनाश नहीं करूंगा.

तुम्हें दी गई मेरी ताड़ना सही तरीके से होगी;

यह न समझ लेना कि मैं तुम्हें दंड दिए बिना ही छोड़ दूंगा.”