ኤርምያስ 42 – NASV & HCV

New Amharic Standard Version

ኤርምያስ 42:1-22

1የቃሬያን ልጅ ዮሐናንና የሆሻያን ልጅ ያእዛንያን42፥1 የዕብራይስጡና የሰብዓ ሊቃናት ትርጕሞች (43፥2 ይመ) አዛርያ ይላሉ። ጨምሮ፣ የጦር መኰንኖች ሁሉ እንዲሁም ሕዝቡ ሁሉ ከትንሹ እስከ ትልቁ ቀርበው፣ 2ነቢዩ ኤርምያስን እንዲህ አሉት፤ “ቀድሞ ብዙዎች ነበርን አሁን እንደምታየን ግን የቀረነው ጥቂት ነን፤ ስለዚህ እባክህ ልመናችንን ስማ፤ ለዚህ ለተረፈው ሕዝብ ሁሉ ወደ አምላክህ ወደ እግዚአብሔር ጸልይ። 3አምላክህ እግዚአብሔር ወዴት መሄድ እንዳለብንና ምን ማድረግ እንደሚገባን እንዲነግረን ጸልይልን።”

4ነቢዩ ኤርምያስም፣ “ሰምቻችኋለሁ፤ እንዳላችሁት ወደ አምላካችሁ ወደ እግዚአብሔር በርግጥ እጸልያለሁ፤ እግዚአብሔር ያለኝን ሁሉ አንዳች ሳላስቀር እነግራችኋለሁ” አላቸው።

5እነርሱም ኤርምያስን እንዲህ አሉት፤ “እግዚአብሔር አምላክህ በአንተ በኩል የሚለውን ነገር ሁሉ ባናደርግ፣ እግዚአብሔር ራሱ በእኛ ላይ እውነተኛና ታማኝ ምስክር ይሁን። 6አምላካችንን እግዚአብሔርን በመታዘዝ መልካም ይሆንልን ዘንድ ነገሩ ቢስማማንም ባይስማማንም፣ አንተን ወደ እርሱ የምንልክህን አምላካችንን እግዚአብሔርን እንታዘዛለን።”

7ከዐሥር ቀን በኋላ የእግዚአብሔር ቃል ወደ ኤርምያስ መጣ። 8ስለዚህ የቃሬያን ልጅ ዮሐናንንና፣ ከእርሱም ጋር የነበሩትን የጦር መኰንኖች ሁሉ እንዲሁም ሕዝቡን ሁሉ ከትንሽ እስከ ትልቅ ጠርቶ፤ 9እንዲህ አላቸው፤ “ልመናችሁን በፊቱ እንዳቀርብ ወደ እርሱ የላካችሁኝ የእስራኤል አምላክ እግዚአብሔር እንዲህ ይላል፤ 10‘ባመጣሁባችሁ ጥፋት ዐዝኛለሁና፣ በዚህች ምድር ብትቀመጡ እሠራችኋለሁ እንጂ አላፈርሳችሁም፤ እተክላችኋለሁ እንጂ አልነቅላችሁም። 11አሁን የሚያስፈራችሁን የባቢሎንን ንጉሥ አትፍሩ፤ አድናችሁ ዘንድ ከእጁም አስጥላችሁ ዘንድ እኔ ከእናንተ ጋር ነኝና አትፍሩ ይላል እግዚአብሔር12እርሱ እንዲምራችሁና ወደ አገራችሁ እንዲመልሳችሁ እኔ እምራችኋለሁ።’

13“እናንተ ግን፤ ‘በዚህች ምድር አንቀመጥም’ ብትሉና አምላካችሁን እግዚአብሔርን ባትታዘዙ፣ 14ደግሞም፣ ‘ጦርነት ወደማናይበት፣ የመለከት ድምፅ ወደማንሰማበትና ወደማንራብበት ወደ ግብፅ ምድር ሄደን በዚያ እንኖራለን’ ብትሉ፣ 15እንግዲህ የይሁዳ ቅሬታ ሆይ፤ የእግዚአብሔርን ቃል ስሙ፤ የእስራኤል አምላክ የሰራዊት ጌታ እግዚአብሔር እንዲህ ይላል፤ ‘ወደ ግብፅ ለመሄድ ወስናችሁ እዚያ ለመቀመጥ ብትሄዱ፣ 16የፈራችሁት ሰይፍ በዚያ ያገኛችኋል፤ የሠጋችሁበት ራብ እስከ ግብፅ ድረስ ተከትሏችሁ ይመጣል፤ በዚያም ትሞታላችሁ። 17በዚያም ለመኖር ወደ ግብፅ ለመሄድ የወሰኑ ሁሉ በሰይፍ፣ በራብና በቸነፈር በርግጥ ይሞታሉ፤ ከማመጣባቸውም ጥፋት አንድ እንኳ የሚተርፍ ወይም የሚያመልጥ አይገኝም።’ 18የእስራኤል አምላክ የሰራዊት ጌታ እግዚአብሔር እንዲህ ይላል፣ ‘ቍጣዬና መዓቴ በኢየሩሳሌም በሚኖሩት ሁሉ ላይ እንደ ፈሰሰ፣ እንዲሁ ወደ ግብፅ በገባችሁ ጊዜ መዓቴ በእናንተ ላይ ይፈስሳል፤ እናንተም የመነቀፊያና የድንጋጤ፣ የመረገሚያና የመዘባበቻ ምልክት ትሆናላችሁ፤ ይህንም ስፍራ ዳግመኛ አታዩም።’

19“እናንተ የይሁዳ ቅሬታ ሆይ፤ እግዚአብሔር፤ ‘ወደ ግብፅ አትሂዱ’ ብሏችኋል፤ እኔም ዛሬ እንዳስጠነቀቅኋችሁ በርግጥ ዕወቁ፤ 20‘ወደ አምላካችን ወደ እግዚአብሔር ጸልይልን፤ እርሱ ያለህን ሁሉ ንገረን፤ እኛም እንታዘዛለን’ ብላችሁ ወደ አምላካችሁ ወደ እግዚአብሔር በላካችሁኝ ጊዜ ሕይወታችሁን የሚያጠፋ ስሕተት42፥20 ወይም በልባችሁ ስሕተት ሠራችሁ ፈጸማችሁ። 21እነሆ፤ ዛሬ በግልጥ ነገርኋችሁ፤ እናንተ ግን እግዚአብሔር አምላካችሁ ልኮኝ የነገርኋችሁን ሁሉ አሁንም አልታዘዛችሁም፤ 22እንግዲህ ሄዳችሁ ልትኖሩበት በፈለጋችሁት ስፍራ በሰይፍ፣ በራብና በቸነፈር እንደምትሞቱ በርግጥ ዕወቁ።”

Hindi Contemporary Version

येरेमियाह 42:1-22

1तब सारी सेना के सेनापति, कोरियाह का पुत्र योहानन, होशाइयाह का पुत्र येत्सानियाह, तथा प्रजा के साधारण एवं विशिष्ट सभी लोग भविष्यद्वक्ता येरेमियाह से भेंट करने आ गए 2उन्होंने येरेमियाह भविष्यद्वक्ता से आग्रह किया, “हमारा आपसे निवेदन है, कृपया, याहवेह, अपने परमेश्वर से हमारे लिए, अर्थात् उन बचे हुए लोगों के लिए बिनती कीजिए. क्योंकि बहुसंख्यकों में से अब हम मात्र अल्प ही रह गए हैं, यह तो आप स्वयं देख ही रहे हैं. 3आप प्रार्थना कीजिए, कि याहवेह, आपके परमेश्वर हम पर यह प्रकट कर दें, कि अब हमारा क्या करना उपयुक्त होगा तथा हमारा कहां जाना सार्थक होगा.”

4भविष्यद्वक्ता येरेमियाह ने उन्हें उत्तर दिया, “मैंने तुम्हारा प्रस्ताव सुन लिया है. अब देखो, तुम्हारे अनुरोध के अनुसार मैं याहवेह तुम्हारे परमेश्वर से प्रार्थना करूंगा और जो उत्तर मुझे याहवेह की ओर से प्राप्‍त होगा, वह संपूर्ण संदेश मैं तुम पर प्रकट कर दूंगा और उस संदेश का एक भी शब्द मैं तुमसे न छिपाऊंगा.”

5यह सुन उन्होंने येरेमियाह को उत्तर दिया, “याहवेह ही हमारे लिए सत्य एवं विश्वसनीय गवाह हों, यदि हम उस संदेश के अनुरूप पूर्णतः आचरण न करें, जो याहवेह आपके परमेश्वर आपके द्वारा हमें प्रगट करेंगे. 6वह संदेश चाहे हमारे लिए सुखद हो अथवा दुखद, हम याहवेह, हमारे परमेश्वर के संदेश को सुनेंगे, जिनके समक्ष जाने का हम आपसे अनुरोध कर रहे हैं, क्योंकि जब हम याहवेह, हमारे परमेश्वर के आदेश का पालन करें, तब हमारा कल्याण हो.”

7दस दिन समाप्‍त होते-होते येरेमियाह को याहवेह का संदेश प्राप्‍त हुआ. 8उन्होंने कोरियाह के पुत्र योहानन को, उन सारे सेनापतियों को भी, जो उसके साथ थे तथा सारे साधारण एवं विशिष्ट लोगों की सभा आमंत्रित की. 9और उन्हें संबोधित कर कहा, “याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर का संदेश यह है, उन्हीं याहवेह का, जिनके समक्ष तुमने मुझे अपना निवेदन प्रस्तुत करने का दायित्व सौंपा था: 10‘यदि तुम वास्तव में इस देश में निवास करते रहो, तब मैं तुम्हें समृद्धि प्रदान करूंगा, तुम्हें नष्ट न करूंगा; मैं तुम्हें यहां रोपित करूंगा, अलग नहीं; क्योंकि मैं तुम पर प्रभावी की गई विपत्तियों के विषय में पछताऊंगा. 11बाबेल के राजा से भयभीत न होना, जिससे तुम इस समय भयभीत हो रहे हो. मत हो उससे भयभीत, यह याहवेह की वाणी है, क्योंकि तुम्हारी सुरक्षा के निमित्त मैं तुम्हारे साथ हूं मैं तुम्हें उसकी अधीनता से मुक्त करूंगा. 12मैं तुम्हें अनुकम्पा का अनुदान दूंगा कि वह तुम पर अनुकम्पा करे और तुम्हें तुम्हारी मातृभूमि पर लौटा दे.’

13“किंतु यदि तुम कहो, ‘हम इस देश में निवास नहीं करेंगे,’ अर्थात् तुम याहवेह, अपने परमेश्वर के आदेश का अनुकरण करना अस्वीकार कर दो, 14और यह कहो, ‘नहीं, हम तो मिस्र देश जाएंगे, जहां न तो युद्ध की स्थिति होगी, जहां न नरसिंगा का युद्धनाद सुनना पड़ेगा और न ही जहां भोजन का अभाव रहेगा. हम वहीं निवास करेंगे,’ 15तब यदि स्थिति यह है, तो यहूदिया के बचे हुए लोगो, याहवेह का यह संदेश सुन लो; सेनाओं के याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर की वाणी यह है: ‘यदि तुमने मिस्र देश में प्रवेश करने तथा वहां बस जाने का निश्चय कर ही लिया है, 16तब तो वह तलवार जिससे तुम आतंकित हो, तुम्हें वहां मिस्र देश में जा पकड़ेगी, वह अकाल जिसका तुम्हें डर है, वह तुम्हारे पीछे-पीछे मिस्र देश में जा पहुंचेगा और वहां तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी. 17तब वे सभी, जिन्होंने मिस्र में जाकर बस जाने का निश्चय कर लिया है, वे वहां जाकर तलवार, लड़ाई तथा महामारी को ग्रसित हो ही जाएंगे, और हां, वहां उस विपत्ति से, जो मैं उन पर डालने पर हूं, न तो कोई उत्तरजीवी शेष रहेगा और न ही कोई शरणार्थी.’ 18क्योंकि इस्राएल के परमेश्वर, सेनाओं के याहवेह की वाणी यह है: ‘जिस प्रकार मेरा क्रोध एवं आक्रोश येरूशलेम वासियों पर उंडेला जा चुका है, उसी प्रकार मेरा कोप तुम पर उस अवसर पर उंडेला जाएगा, जब तुम मिस्र देश में प्रवेश करोगे. तब तुम शाप, आतंक के प्रतिरूप, अमंगल तथा उपहास का विषय होकर रह जाओगे; इसके बाद तुम इस स्थान को कभी भी देख न सकोगे.’

19“यहूदिया के बचे हुए लोगो, याहवेह ने तुमसे बात की है, ‘मत जाओ मिस्र देश.’ स्पष्टतः यह समझ लो, कि आज मैंने तुम्हें यह चेतावनी दी है 20छल तो तुमने स्वयं से किया है, क्योंकि स्वयं तुमने ही याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर से बात करने का यह दायित्व मुझे सौंपा था, ‘याहवेह हमारे परमेश्वर से प्रार्थना कीजिए तथा जो कुछ याहवेह हमारे परमेश्वर कहें, वह हमें बता दीजिए, कि हम वैसा ही करें.’ 21यही मैंने आज तुम्हें बता दिया है, किंतु तुमने याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के आदेश का पालन नहीं किया है, उसी को, जिसे तुम्हें बता देने के लिए मुझे याहवेह ने भेजा है. 22इसलिये अब तुम्हारा यह स्पष्टतः समझ लेना उपयुक्त होगा, कि तुम जिस स्थान पर जाने की अभिलाषा कर रहे हो, तुम्हारी मृत्यु वहीं तलवार, अकाल तथा महामारी से ही होनी है.”