ኤርምያስ 33 – NASV & HCV

New Amharic Standard Version

ኤርምያስ 33:1-26

የመመለስ ተስፋ

1ኤርምያስ በዘብ ጠባቂዎች አደባባይ በግዞት ሳለ፣ የእግዚአብሔር ቃል እንዲህ ሲል ዳግመኛ ወደ እርሱ መጣ፤ 2“ምድርን የፈጠራት፣ ያበጃትና የመሠረታት እግዚአብሔር፣ ስሙ እግዚአብሔር የሆነ፣ እርሱ እንዲህ ይላል፤ 3‘ወደ እኔ ጩኽ፤ እኔም እመልስልሃለሁ፤ አንተም የማታውቀውን ታላቅና የማይመረመር ነገር እገልጥልሃለሁ።’ 4የእስራኤል አምላክ እግዚአብሔር ከባቢሎናውያን33፥4 ወይም ከለዳውያን ጋር ባለው ውጊያ፣ ዐፈር በመደልደልና በሰይፍ የሚደረገውን ጥቃት ለመከላከል ስለ ፈረሱት ስለዚህች ከተማ ቤቶችና ስለ ይሁዳ ነገሥታት ቤተ መንግሥት እንዲህ ይላል፤ 5‘እነዚህ በቍጣዬና በመዓቴ በምገድላቸው ሰዎች ሬሳ ይሞላሉ፤ ስለ ክፋቷ ሁሉ ከዚህች ከተማ ፊቴን እሰውራለሁ።

6“ ‘ይሁን እንጂ፣ ፈውስንና ጤንነትን እንደ ገና እሰጣታለሁ፤ ሕዝቤንም እፈውሳለሁ፤ በብዙ ሰላምና በርጋታ እንዲኖሩ አደርጋለሁ። 7የይሁዳን ምርኮና የእስራኤልን ምርኮ እመልሳለሁ፤33፥7 ወይም ይሁዳንና እስራኤልን ከምርኮ እመልሳለሁ ቀድሞ እንደ ነበሩት ሁኔታ አድርጌ አበጃቸዋለሁ፤ 8እኔን ከበደሉበት ኀጢአት ሁሉ አነጻቸዋለሁ፤ በእኔ ላይ ያመፁበትንም ኀጢአታቸውን ሁሉ ይቅር እላለሁ። 9ይህች ከተማ፣ ለእርሷ ያደረግሁትን በጎ ነገር ሁሉ በሚሰሙት የምድር ሕዝቦች ሁሉ ፊት ለዝና፣ ለደስታ፣ ለምስጋናና ለክብር ትሆናለች፤ ከምሰጣትም የተትረፈረፈ ብልጽግናና ሰላም የተነሣ ይፈራሉ፤ ይንቀጠቀጣሉም።’

10እግዚአብሔር እንዲህ ይላል፤ ‘ይህችን ስፍራ፣ “ሰውና እንስሳት የማይኖሩባት ባድማ ናት” ትላላችሁ፤ ነገር ግን ሰውም ሆነ እንስሳ ባልነበሩባቸውና ባድማ በሆኑት በይሁዳ ከተሞችና በኢየሩሳሌም መንገዶች፣ እንደ ገና ድምፅ ይሰማል፤ 11የሐሤትና የደስታ ድምፅ፣ የሙሽራውና የሙሽራዪቱ ድምፅ፣ እንዲሁም፣

“ ‘ “እግዚአብሔር ቸር ነውና፤

ምሕረቱም ለዘላለም ነውና፤

የሰራዊት ጌታ እግዚአብሔርን አመስግኑ፤”

የሚል የምስጋናን መሥዋዕት ይዘው ወደ እግዚአብሔር ቤት የሚመጡ ሰዎች ድምፅ ይሰማል፤ የምድሪቱን ምርኮ ቀድሞ እንደ ነበረ እመልሳለሁና፤’ ይላል እግዚአብሔር

12“የሰራዊት ጌታ እግዚአብሔር እንዲህ ይላል፤ ‘ሰውም ሆነ እንስሳት በማይኖሩበት በዚህ ባዶ ስፍራ፣ በከተማዎቹም ሁሉ እረኞች መንጎቻቸውን የሚያሳርፉበት እንደ ገና ያገኛሉ። 13በተራራማው አገር፣ በምዕራብ ተራሮች ግርጌና በኔጌብ ባሉ ከተሞች በብንያም አገር፣ በይሁዳ ከተሞች እንዲሁም በኢየሩሳሌም ዙሪያ ባሉ መንደሮች መንጎች እንደ ገና በሚቈጥራቸው ሰው እጅ ሥር ያልፋሉ’ ይላል እግዚአብሔር

14“ ‘ለእስራኤል ቤትና ለይሁዳ ቤት የገባሁትን የተስፋ ቃል የምፈጽምበት ጊዜ ይመጣል’ ይላል እግዚአብሔር

15“ ‘በዚያ ዘመንና በዚያ ጊዜ፣

ከዳዊት ቤት ጻድቅ ቅርንጫፍ አበቅላለሁ፤

በምድሪቱም ፍትሕንና ጽድቅን ያደርጋል።

16በዚያ ዘመን ይሁዳ ይድናል፤

ኢየሩሳሌም በሰላም ትኖራለች፤

የምትጠራበትም ስም፣

እግዚአብሔር ጽድቃችን”

የሚል ይሆናል።’ 17እግዚአብሔር እንዲህ ይላልና፤ ‘ከዳዊት ዘር በእስራኤል ቤት ዙፋን ላይ የሚቀመጥ ሰው ፈጽሞ አይታጣም፤ 18ሌዋውያን ከሆኑት ካህናትም የሚቃጠል መሥዋዕት ለማቅረብ፣ የእህል ቍርባን ለማቃጠልና ሌላውንም መሥዋዕት ለመሠዋት ሁልጊዜ በፊቴ የሚቆም ሰው አይታጣም።’ ”

19የእግዚአብሔር ቃል ወደ ኤርምያስ እንዲህ ሲል መጣ፤ 20እግዚአብሔር እንዲህ ይላል፤ ‘ለቀንና ለሌሊት የወሰንሁትን ሥርዐት በማፋለስ ቀንና ሌሊት በተወሰነላቸው ጊዜ እንዳይፈራረቁ ኪዳኔን ማፍረስ ብትችሉ፣ 21በዚያ ጊዜ ከአገልጋዬ ከዳዊት ጋር የገባሁትን ኪዳን፣ እንዲሁም በፊቴ በክህነት ከሚያገለግሉት ሌዋውያን ጋር የገባሁትን ኪዳን ማፍረስ ይቻላል፤ ዳዊትም ከእንግዲህ በዙፋኑ ላይ የሚነግሥ ዘር አይኖረውም። 22የአገልጋዬን የዳዊትን ዘር እንዲሁም በፊቴ የሚቆሙትን ሌዋውያን እንደማይቈጠሩ እንደ ሰማይ ከዋክብትና እንደማይሰፈር የባሕር አሸዋ አበዛቸዋለሁ።’ ”

23የእግዚአብሔር ቃል ወደ ኤርምያስ እንዲህ ሲል መጣ፤ 24“ይህ ሕዝብ፣ ‘እግዚአብሔር የመረጣቸውን ሁለቱን መንግሥታት33፥24 ወይም ወገን ጥሏል’ እንደሚሉ አላስተዋልህምን? ሕዝቤን ንቀዋል፤ እንደ ሕዝብም አልቈጠሯቸውም። 25እግዚአብሔር እንዲህ ይላል፤ ‘የቀንና የሌሊት ኪዳኔን፣ የሰማይንና የምድርንም ሥርዐት ያጸናሁ እኔ ካልሆንሁ፣ 26የያዕቆብንና የአገልጋዬን የዳዊትን ዘር እጥላለሁ፤ ከልጆቹም በአብርሃም፣ በይስሐቅና በያዕቆብ ዘር ላይ ገዥ እንዲሆኑ አልመርጥም፤ ይህንም የምለው ምርኳቸውን ስለምመልስና33፥26 ወይም ከምርኮ እመልሳቸዋለሁ ስለምራራላቸው ነው።’ ”

Hindi Contemporary Version

येरेमियाह 33:1-26

उद्धार की प्रतिज्ञा

1फिर दूसरी बार येरेमियाह को याहवेह का संदेश भेजा गया, इस समय वह पहरे के आंगन में ही बंदी थे. संदेश यह था: 2“पृथ्वी के बनानेवाले याहवेह का संदेश यह है, याहवेह, जिन्होंने पृथ्वी को आकार दिया कि यह स्थापित की जाए, जिनका नाम याहवेह है: 3‘मुझसे प्रतिवेदन करो तो मैं तुम्हें प्रत्युत्तर दूंगा और मैं तुम पर विलक्षण तथा रहस्यमय बात, जो अब तक तुम्हारे लिए अदृश्य हैं, उन्हें प्रकाशित करूंगा.’ 4क्योंकि घेराबंदी ढलानों तथा तलवार के प्रहार से प्रतिरक्षा के उद्देश्य से ध्वस्त कर डाले गए इस नगर के आवासों तथा यहूदिया के राजमहलों के संबंध में इस्राएल के परमेश्वर याहवेह का यह संदेश है. 5जब वे कसदियों से युद्ध के लिए निकलेंगे, कि इन खंडहरों को उन मनुष्यों के शवों से भर दें, जिनका संहार मैंने अपने क्रोध एवं कोप में किया है. इसका कारण है नगरवासियों की दुष्टता के परिणामस्वरूप मेरा उनसे विमुख हो जाना.

6“ ‘तुम देखोगे कि मैं इस देश में स्वास्थ्य तथा चंगाई ले आऊंगा; मैं उन्हें स्वास्थ्य प्रदान करूंगा, तब मैं उन पर भरपूर शांति तथा सत्य प्रकाशित करूंगा. 7मैं यहूदिया तथा इस्राएल की समृद्धि लौटाकर दूंगा तथा उनका पुनर्निर्माण कर उन्हें पूर्ववत रूप दे दूंगा. 8मैं उन्हें उनके सारे पापों से शुद्ध करूंगा, जो उन्होंने मेरे विरुद्ध किया है, मैं उनकी सारी बुराई को क्षमा कर दूंगा, जिनके द्वारा उन्होंने मेरे विरुद्ध विद्रोह किया है. 9सारे राष्ट्र उनके लिए मेरे द्वारा निष्पादित हितकार्यो का उल्लेख सुनेंगे तथा वे उन देशों के लिए मेरे द्वारा बनाये गये सारे हितकार्यों तथा शांति की स्थापना को देख भयभीत हो थरथराएंगे; यह मेरे लिए आनंद, स्तवन एवं प्रताप की प्रतिष्ठा होगी.’

10“याहवेह की वाणी यह है: इस स्थान पर, जिसे तुमने उजाड़-निर्जन तथा पशु-विहीन घोषित कर रखा है, अर्थात् यहूदिया के नगरों में तथा येरूशलेम की गलियों में, जो उजाड़, निर्जन एवं पशु-विहीन है, 11एक बार फिर आनंद का स्वर, उल्लास का कलरव, वर एवं वधू का वार्तालाप तथा उन लोगों की बात सुनी जाएगी, जो कह रहे होंगे,

“सेनाओं के याहवेह के प्रति आभार व्यक्त करो,

क्योंकि सदाशय हैं याहवेह;

क्योंकि सनातन है उनकी करुणा.” तथा उनका भी स्वर, जो याहवेह के भवन में आभार की भेंट लेकर उपस्थित होते हैं.

क्योंकि मैं इस देश की समृद्धि पूर्ववत लौटाकर दूंगा, यह याहवेह की वाणी है.

12“सेनाओं के याहवेह का संदेश यह है: ‘इस स्थान पर, जो निर्जन, उजाड़ एवं पशु-विहीन हो गया है, इसके सारे नगरों में ऐसे चरवाहों का निवास हो जाएगा, जो यहां अपने पशुओं को विश्राम करवाते देखे जाएंगे. 13पर्वतीय क्षेत्र के नगरों में, तराई के नगरों में, नेगेव के नगरों में, बिन्यामिन के प्रदेश में, येरूशलेम के उपनगरों में तथा यहूदिया के नगरों में भेड़-बकरियां पुनः उसके हाथों के नीचे से आगे जाएगी, जो उनकी गणना करता है,’ यह याहवेह की वाणी है.

14“ ‘तुम यह देखोगे, वे दिन आ रहे हैं,’ यह याहवेह की वाणी है, ‘जब मैं अपनी उस प्रतिज्ञा को पूर्ण करूंगा, जो मैंने इस्राएल के वंश तथा यहूदाह के वंश के संबंध में की थी.

15“ ‘तब उस समय उन दिनों में

मैं दावीद के वंश से एक धर्मी शाखा को अंकुरित करूंगा;

वह पृथ्वी पर वही करेगा जो न्याय संगत एवं यथोचित होगा.

16तब उन दिनों में यहूदिया संरक्षित रखा जाएगा

तथा येरूशलेम सुरक्षा में निवास करेगा.

उन दिनों उसकी पहचान होगी:

याहवेह हमारी धार्मिकता है.’

17क्योंकि याहवेह की वाणी है: ‘दावीद के राज सिंहासन के लिए प्रत्याशी का अभाव कभी न होगा, 18लेवी पुरोहितों को मेरे समक्ष होमबलि अर्पण के लिए, अन्‍नबलि होम के लिए तथा नियमित रूप से बलि तैयार करने के लिए किसी उपयुक्त व्यक्ति का अभाव न होगा.’ ”

19येरेमियाह को याहवेह का यह संदेश प्राप्‍त हुआ: 20“यह याहवेह का कहना है: ‘यदि तुम दिन एवं रात्रि से स्थापित की गई मेरी वाचा को इस प्रकार तोड़ सको, कि दिन और रात्रि अपने-अपने निर्धारित समय पर प्रकट न हों, 21तब तो मेरे सेवक दावीद से स्थापित की गई मेरी वाचा भी भंग की जा सकेगी और इसका परिणाम यह होगा, कि उसके सिंहासन पर विराजमान हो राज्य-काल करने के लिए उसके कोई पुत्र न रहेगा और न मेरी सेवा के निमित्त कोई लेवी पुरोहित. 22जिस प्रकार आकाश के तारे अगण्य तथा सागर तट की रेत अपार है, उसी प्रकार मैं अपने सेवक दावीद के वंशजों को तथा लेवियों को, जो मेरी सेवा करते हैं, आवर्धन कर उन्हें असंख्य कर दूंगा.’ ”

23तब याहवेह का यह संदेश येरेमियाह को भेजा गया: 24“क्या तुमने ध्यान दिया है कि इन लोगों ने क्या-क्या कहा है. वे कह रहे हैं, ‘जिन दो गोत्रों को याहवेह ने मनोनीत किया था, उन्हें याहवेह ने परित्यक्त छोड़ दिया है’? वे मेरी प्रजा से घृणा कर रहे हैं, उनकी दृष्टि में अब वे राष्ट्र रह ही नहीं गए हैं. 25याहवेह की वाणी यह है: ‘यदि दिन एवं रात्रि से संबंधित मेरी वाचा भंग होना संभव है, यदि आकाश एवं पृथ्वी के नियमों में अनियमितता संभव है, 26तो मैं भी याकोब तथा दावीद मेरे सेवक के वंशजों का परित्याग कर दूंगा; मैं भी दावीद के एक वंशज को, अब्राहाम, यित्सहाक तथा याकोब के वंशजों पर शासन करने के लिए नहीं चुनूंगा. किंतु मैं उनकी समृद्धि लौटा दूंगा तथा उन पर अनुकम्पा करूंगा.’ ”