ኢዩኤል 2 – NASV & HCV

New Amharic Standard Version

ኢዩኤል 2:1-32

የአንበጣ ሰራዊት

1በጽዮን መለከትን ንፉ፤

በቅዱሱ ተራራዬም የማስጠንቀቂያውን ድምፅ አሰሙ።

በምድሪቱ የሚኖሩ ሁሉ ይንቀጥቀጡ፤

የእግዚአብሔር ቀን ቀርቧልና፤

እርሱም በደጅ ነው።

2ይህም የጨለማና የጭጋግ ቀን፣

የደመናና የድቅድቅ ጨለማ ቀን ነው።

የንጋት ብርሃን በተራሮች ላይ እንደሚወጣ፣

ኀያልና ብዙ ሰራዊት ይመጣል፤

ከጥንት እንዲህ ዐይነት ከቶ አልነበረም፤

በሚመጡትም ዘመናት እንዲህ ዐይነት ከቶ አይሆንም።

3በፊታቸው፣ እሳት ይባላል፤

በኋላቸውም ነበልባል ይለበልባል፤

በፊታቸው ምድሪቱ እንደ ዔድን ገነት ናት፤

በኋላቸውም የሚቀረው ባዶ ምድረ በዳ ነው፤

ምንም አያመልጣቸውም።

4መልካቸው እንደ ፈረስ መልክ ነው፤

እንደ ጦር ፈረስም ይጋልባሉ።

5ገለባ እንደሚበላ እንደሚንጣጣ እሳት፣

ለጦርነት እንደ ተዘጋጀ ኀያል ሰራዊት፣

የሠረገሎችን ድምፅ የሚመስል ድምፅ እያሰሙ፣

በተራሮች ጫፍ ላይ ይዘልላሉ።

6በእነርሱ ፊት ሕዝቦች ይርዳሉ፤

የሁሉም ፊት ይገረጣል።

7እንደ ተዋጊዎች ድንገት አደጋ ይጥላሉ፤

እንደ ወታደሮችም ቅጥርን ይዘልላሉ፤

ከመንገዳቸውም ሳይወጡ፣

አቅጣጫ ይዘው ይጓዛሉ።

8እርስ በርሳቸው አይገፋፉም፤

እያንዳንዱ መሥመሩን ጠብቆ ይሄዳል፤

መሥመራቸውን ሳይለቁ፣

መከላከያውን ሰብረው ያልፋሉ።

9ከተማዪቱን ይወርራሉ፤

በቅጥሩም ላይ ይዘልላሉ፤

በቤቶች ላይ ዘልለው ይወጣሉ፤

እንደ ሌባም በመስኮት ይገባሉ።

10ምድር በፊታቸው ትንቀጠቀጣለች፤

ሰማይም ይናወጣል፤

ፀሓይና ጨረቃ ይጨልማሉ፤

ከዋክብትም ከእንግዲህ ወዲያ አያበሩም።

11በሰራዊቱ ፊት፣

እግዚአብሔር ያንጐደጕዳል፤

የሰራዊቱ ብዛት ስፍር ቍጥር የለውም፤

ትእዛዙንም የሚያደርግ እርሱ ኀያል ነው፤

የእግዚአብሔር ቀን ታላቅ፣

እጅግም የሚያስፈራ ነው፤

ማንስ ሊቋቋመው ይችላል?

ልባችሁን ቅደዱ

12“አሁንም ቢሆን፣

በጾም፣ በልቅሶና በሐዘን፣

በፍጹም ልባችሁ ወደ እኔ ተመለሱ” ይላል እግዚአብሔር

13ልባችሁን እንጂ፣

ልብሳችሁን አትቅደዱ፤

ወደ አምላካችሁ ወደ እግዚአብሔር ተመለሱ፤

እርሱ መሓሪና ርኅሩኅ፣

ቍጣው የዘገየና ፍቅሩ የበዛ፣

ክፉ ነገር ከማምጣትም የሚታገሥ ነውና።

14በምሕረቱ ተመልሶ፣

ለአምላካችሁ ለእግዚአብሔር የሚሆነውን፣

የእህል ቍርባንና የመጠጥ ቍርባን እንዲተርፋችሁ፣

በረከቱን ይሰጣችሁ እንደ ሆነ ማን ያውቃል?

15በጽዮን መለከትን ንፉ፤

ቅዱስ ጾምን ዐውጁ፤

የተቀደሰን ጉባኤ ጥሩ።

16ሕዝቡን ሰብስቡ፤

ጉባኤውን ቀድሱ፤

ሽማግሌዎችን በአንድነት አቅርቡ፤

ሕፃናትን ሰብስቡ፤

ጡት የሚጠቡትንም አታስቀሩ፤

ሙሽራው እልፍኙን ይተው፣

ሙሽሪትም የጫጕላ ቤቷን ትተው።

17በእግዚአብሔር ፊት የሚያገለግሉ ካህናት፣

በመሠዊያውና በቤተ መቅደሱ አደባባይ መካከል ሆነው ያልቅሱ፤

እንዲህም ይበሉ፤ “እግዚአብሔር ሆይ፤ ሕዝብህን አድን፤

ርስትህን በአሕዛብ መካከል መተረቻ፣

መሣቂያና መሣለቂያም አታድርግ፤

ለምንስ በሕዝቦች መካከል፣

‘አምላካቸው ወዴት ነው?’ ይበሉን።”

የእግዚአብሔር መልስ

18እነሆ፤ እግዚአብሔር ስለ ምድሩ ይቀናል2፥18 ወይም ጌታ ቀንቷል ራርቷል

ስለ ሕዝቡም ይራራል።

19እግዚአብሔርም እንዲህ ሲል ይመልስላቸዋል2፥19 ጌታ መለሰለት

“እህል፣ አዲስ የወይን ጠጅና ዘይት፣

እስክትጠግቡ ድረስ እሰጣችኋለሁ፤

የሕዝቦች መዘባበቻ አላደርጋችሁም።

20“የሰሜንን ሰራዊት ከእናንተ አርቃለሁ፤

ፊቱን ወደ ምሥራቁ ባሕር2፥20 የሙት ባሕር ለማለት ነው።

ጀርባውንም ወደ ምዕራቡ ባሕር2፥20 የሜዲትራንያን ባሕር ለማለት ነው። በማድረግ፣

ወደ ደረቀውና ወደ ባድማው ምድር እገፋዋለሁ፤

ግማቱ ይወጣል፤

ክርፋቱም ይነሣል።”

በርግጥ እርሱ ታላቅ ነገር አድርጓል።

21ምድር ሆይ፤ አትፍሪ፤

ደስ ይበልሽ፤ ሐሤትም አድርጊ፤

በርግጥ እግዚአብሔር ታላቅ ነገር አድርጓል።

22የዱር እንስሳት ሆይ፤ አትፍሩ፤

መሰማሪያ መስኮቹ ለምልመዋልና፤

ዛፎቹ ፍሬያቸውን አፍርተዋል፤

የበለሱ ዛፍና የወይኑ ተክልም እጅግ አፍርተዋል።

23የጽዮን ሰዎች ሆይ፤ ደስ ይበላችሁ፤

በአምላካችሁ በእግዚአብሔር ሐሤት አድርጉ፤

የበልግን ዝናብ፣

በጽድቅ ሰጥቷችኋልና2፥23 ወይም ለጽድቅ መምህር

እንደ ቀድሞውም፣

የበልግንና የጸደይን ዝናብ በብዛት ልኮላችኋል።

24ዐውድማዎቹ በእህል ይሞላሉ፤

መጥመቂያ ጕድጓዶችም በአዲስ የወይን ጠጅና በዘይት ተሞልተው ያፈስሳሉ።

25“በመካከላችሁ የሰደድሁት ታላቁ ሰራዊት፣

ትልልቁ አንበጣና ትንንሹ አንበጣ፣

ሌሎች አንበጦችና የአንበጣው መንጋ2፥25 በዚህ ክፍል ስለ አንበጦች የሚገልጹት አራት የዕብራይስጥ ቃላት ትክክለኛ ትርጕም አይታወቅም። የበላውን፣

እነዚህ ሁሉ የበሏቸውን ዓመታት ዋጋ እመልስላችኋለሁ።

26እስክትጠግቡ የምትበሉት ብዙ ምግብ ይኖራችኋል፤

ድንቅ ነገሮችን ለእናንተ የሠራውን፣

የአምላካችሁን የእግዚአብሔርን ስም ታመሰግናላችሁ፤

ሕዝቤም ከእንግዲህ ወዲያ አያፍርም።

27ከዚያም እኔ በእስራኤል መካከል እንዳለሁ፣

እኔ አምላካችሁ እግዚአብሔር እንደ ሆንሁ፣

እንደ እኔም ያለ፣ ሌላ እንደሌለ ታውቃላችሁ፤

ሕዝቤም ከእንግዲህ ወዲያ አያፍርም።

የእግዚአብሔር ቀን

28“ከዚህም በኋላ፣

መንፈሴን በሥጋ ለባሽ ሁሉ ላይ አፈስሳለሁ፤

ወንዶችና ሴቶች ልጆቻችሁ ትንቢት ይናገራሉ፤

ሽማግሌዎቻችሁ ሕልም ያልማሉ፤

ጕልማሶቻችሁም ራእይ ያያሉ።

29በእነዚያ ቀናት በወንዶችና በሴቶች ባሪያዎች ላይ እንኳ፣

መንፈሴን አፈስሳለሁ።

30ድንቆችን በሰማያት፣

እንዲሁም በምድር፣

ደምና እሳት፣ የጢስም ዐምድ አሳያለሁ።

31ታላቁና የሚያስፈራው የእግዚአብሔር ቀን ከመምጣቱ በፊት፣

ፀሓይ ትጨልማለች፤

ጨረቃም ወደ ደም ትለወጣለች።

32የእግዚአብሔርን ስም የሚጠራ ሁሉ፣

እርሱ ይድናል፤

እግዚአብሔርም እንዳለው፣

በጽዮን ተራራና በኢየሩሳሌም፣

መድኀኒት ይገኛል፤

ከትሩፋኑም መካከል

እግዚአብሔር የጠራቸው በዚያ ይገኛሉ።”

Hindi Contemporary Version

योएल 2:1-32

टिड्डियों की एक सेना

1ज़ियोन में तुरही फूंको;

मेरे पवित्र पहाड़ी पर खतरे की घंटी बजाओ.

देश में रहनेवाले सबके सब कांपे

क्योंकि याहवेह का दिन आ रहा है.

वह निकट आ गया है—

2वह अंधकार और धुंधलेपन का दिन है,

वह बादलों से भरा अंधकार का दिन है.

जैसे पहाड़ों पर भोर का उजियाला फैलता है

वैसे ही एक बड़ी और शक्तिशाली सेना चली आती है,

ऐसा जो पूर्वकाल में कभी नहीं हुआ है,

और न ही आनेवाले समय में कभी ऐसा होगा.

3उनके सामने आग विनाश करती है,

और उनके पीछे आग की लपटें हैं.

उनके सामने देश एदेन की वाटिका के समान है,

और उनके पीछे, एक उजाड़ मरुस्थल—

किसी का भी उनसे बचना संभव नहीं है.

4उनका स्वरूप घोड़ों जैसा है;

और वे घुड़सवार सेना के जैसे सरपट दौड़ते हैं.

5उनके आगे बढ़ने की आवाज रथों के समान है,

वे पहाड़ के चोटियों पर से कूद जाती हैं,

धधकती आग के समान वे ठूठों को भस्म करती जाती हैं,

वे युद्ध के लिए तैयार शक्तिशाली सेना के समान हैं.

6उनके सामने जाति-जाति के लोग भय से पीड़ित हो जाते हैं;

हर एक का चेहरा डर से पीला पड़ जाता है.

7वे योद्धाओं के समान आक्रमण करते हैं;

वे सैनिकों की तरह दीवारों पर चढ़ जाते हैं.

वे सब पंक्तिबद्ध होकर आगे बढ़ते हैं,

और वे अपने क्रम से नहीं हटते हैं.

8वे एक दूसरे को धक्का नहीं देते;

हर एक सीधा आगे बढ़ता है.

वे अपने क्रम को बिना तोड़े

समस्याओं से होकर निकल जाते हैं.

9वे तेजी से शहर में प्रवेश करते हैं;

वे दीवारों के समानांतर दौड़ते हैं.

वे घरों पर चढ़ते हैं;

और वे चोरों के समान खिड़कियों से अंदर जाते हैं.

10उनके सामने पृथ्वी तक कांप उठती है,

आकाश थरथराता है.

सूर्य तथा चंद्रमा धुंधले हो जाते हैं,

और तारे चमकना छोड़ देते हैं.

11याहवेह अपनी सेना के आगे होकर

ऊंची आवाज में आदेश देते हैं;

उनकी सेना की संख्या अनगिनत है,

और वह सेना शक्तिशाली है

जो उनके आदेश का पालन करती है.

याहवेह का यह दिन महान है;

यह भयानक है.

उसे कौन सहन कर सकता है?

मन को फाड़ो

12“फिर भी अब,” याहवेह का कहना है,

“तुम सारे जन उपवास करते

और रोते और विलाप करते मेरे पास लौट आओ.”

13अपने कपड़ों को नहीं,

अपने मन को फाड़ो.

याहवेह, अपने परमेश्वर के पास लौट आओ,

क्योंकि वे अनुग्रहकारी और करुणामय,

क्रोध करने में धीमा और बहुतायत से प्रेम करनेवाले हैं,

विपत्ति भेजने में कोमलता दिखाते हैं.

14कौन जाने? वे अपना विचार छोड़कर कोमलता दिखाएं

और अपने पीछे एक आशीष—

याहवेह तुम्हारे परमेश्वर के लिए

अन्‍नबलि और पेय बलि छोड़ जाएं.

15ज़ियोन में तुरही फूंको,

एक पवित्र उपवास की घोषणा करो,

एक पवित्र सभा का आयोजन करो.

16लोगों को जमा करो,

सभा को पवित्र करो;

अगुओं को एक साथ लाओ,

बच्चों और दूध पीते छोटे बच्चों को

इकट्ठा करो.

दूल्हा अपने कमरे को

और दुल्हन अपने कक्ष को छोड़कर बाहर आएं.

17पुरोहित और याहवेह की सेवा करनेवाले,

मंडप और वेदी के बीच रोएं.

और वे कहें, “हे याहवेह, अपने लोगों पर तरस खाईये.

अपने निज लोगों को जाति-जाति के बीच

उपहास का विषय, एक कहावत मत बनाइए.

वे लोगों के बीच क्यों कहें,

‘कहां है उनका परमेश्वर?’ ”

याहवेह का उत्तर

18तब याहवेह को अपने देश के विषय में जलन हुई

और उन्होंने अपने लोगों पर तरस खाया.

19याहवेह ने उन्हें उत्तर दिया:

“मैं तुम्हारे लिए अन्‍न, नई अंगूर की दाखमधु और जैतून पर्याप्‍त मात्रा में भेज रहा हूं,

कि तुम सब पूरी तरह संतुष्ट हो जाओ;

मैं तुम्हें अन्यजातियों के लिए

फिर कभी हंसी का पात्र नहीं बनाऊंगा.

20“मैं उत्तर के उपद्रवी झुंड को तुमसे दूर भगा दूंगा,

और उसे एक सूखा और बंजर देश कर दूंगा;

उसका पूर्वी भाग मृत सागर

और पश्चिमी भाग भूमध्य-सागर में डूब जाएगा.

और उसकी दुर्गंध ऊपर जाएगी;

उसकी गंध उठती रहेगी.”

निःसंदेह याहवेह ने महान कार्य किए हैं!

21हे यहूदिया देश, मत डरो;

खुश और आनंदित हो.

निःसंदेह याहवेह ने महान कार्य किए हैं!

22हे जंगली जानवरों, मत डरो,

क्योंकि निर्जन जगह के चरागाह हरे-भरे हो रहे हैं.

पेड़ों में फल लग रहे हैं;

अंजीर का पेड़ और अंगूर की लता भरपूर उपज दे रही हैं.

23ज़ियोन के लोगों, खुश हो,

याहवेह, अपने परमेश्वर में आनंदित हो,

क्योंकि उन्होंने तुम्हें शरद ऋतु की बारिश दी है

क्योंकि वे विश्वासयोग्य हैं.

उन्होंने तुम्हारे लिये बहुत वर्षा दी है,

पहले के समान शरद और वसन्त ऋतु की वर्षा दी है.

24खलिहान अन्‍न से भर जाएंगे;

कुंडों में अंगूर की दाखमधु और तेल की इतनी अधिकता होगी कि वे भरकर उछलने लगेंगे.

25“मैं तुम्हारे उन सब वर्षों की उपज की भरपायी कर दूंगा जिसे टिड्डियों ने खा लिया था—

बड़े टिड्डी और छोटे टिड्डी,

दूसरे टिड्डी और टिड्डियों का झुंड—

मेरी बड़ी सेना जिसे मैंने तुम्हारे बीच भेजा था.

26तुम्हारे पास खाने के लिए भोजन वस्तु और तुम पेट भर खाओगे,

और तुम याहवेह, अपने परमेश्वर के नाम की स्तुति करोगे,

जिसने तुम्हारे लिये अद्भुत काम किए हैं;

मेरे लोग फिर कभी लज्जित नहीं होंगे.

27तब तुम जानोगे कि इस्राएल में हूं,

और यह कि मैं याहवेह तुम्हारा परमेश्वर हूं,

और यह भी कि मेरे अतिरिक्त और कोई परमेश्वर नहीं है;

मेरे लोग फिर कभी लज्जित नहीं होंगे.

याहवेह का दिन

28“और उसके बाद,

मैं अपना आत्मा सब लोगों पर उंडेलूंगा.

तुम्हारे बेटे और बेटियां भविष्यवाणी करेंगे,

तुम्हारे बुज़ुर्ग लोग स्वप्न देखेंगे,

तुम्हारे जवान दर्शन देखेंगे.

29मैं उन दिनों में अपने दास, और दासियों,

पर अपना आत्मा उंडेल दूंगा,

30मैं ऊपर आकाश में अद्भुत चमत्कार

और नीचे पृथ्वी पर लहू,

आग और धुएं के बादल के अद्भुत चिह्न दिखाऊंगा.

31याहवेह के उस वैभवशाली और भयानक दिन के

पूर्व सूर्य अंधेरा

और चंद्रमा लहू समान हो जाएगा.

32और हर एक, जो प्रभु को पुकारेगा,

उद्धार प्राप्‍त करेगा.

क्योंकि छुटकारे की जगह

ज़ियोन पर्वत तथा येरूशलेम होगी,

जैसे कि याहवेह ने कहा है,

और तो और बचने वालों में वे लोग भी होंगे

जिन्हें याहवेह बुलाएंगे.