ኢሳይያስ 64 – NASV & HCV

New Amharic Standard Version

ኢሳይያስ 64:1-12

1አቤቱ፤ ሰማያትን ቀድደህ ምነው በወረድህ!

ምነዋ ተራሮች በፊትህ በተናወጡ!

2እሳት ሲለኰስ ጭራሮን እንደሚያቀጣጥል፣

ውሃንም እንደሚያፈላ፣

ስምህ በጠላቶችህ ዘንድ እንዲታወቅ ውረድ፤

መንግሥታትም በፊትህ እንዲንቀጠቀጡ አድርግ።

3እኛ ያልጠበቅነውን አስፈሪ ነገር ባደረግህ ጊዜ፣

አንተ ወረድህ፤ ተራሮችም በፊትህ ተንቀጠቀጡ።

4ከጥንት ጀምሮ፣

በተስፋ ለሚጠባበቁት የሚደርስላቸው፣

እንደ አንተ ያለውን አምላክ ያየ ዐይን፣

ያደመጠ ጆሮ ፈጽሞ አልነበረም።

5በደስታ ቅን ነገር የሚያደርጉትን፣

መንገድህን የሚያስቡትንም ትረዳለህ፤

እኛ ግን በእነርሱ ላይ ሳናቋርጥ ኀጢአት በመሥራታችን፣

እነሆ፤ ተቈጣህ፤

ታዲያ እንዴት መዳን እንችላለን?

6ሁላችን እንደ ረከሰ ሰው ሆነናል፤

የጽድቅ ሥራችን እንደ መርገም ጨርቅ ነው፤

ሁላችን እንደ ቅጠል ረግፈናል፤

ኀጢአታችንም እንደ ነፋስ ጠራርጎናል።

7ማንም በጸሎት ስምህን አይጠራም፤

አንተንም ለመያዝ የሚሞክር የለም፤

ፊትህን ከእኛ ሰውረሃል፤

ስለ ኀጢአታችንም ትተኸናል።

8ይህም ሆኖ፣ እግዚአብሔር ሆይ፤ አንተ አባታችን ነህ፤

እኛ ሸክላዎች፣ አንተም ሸክላ ሠሪ ነህ፤

ሁላችንም የእጅህ ሥራ ነን፤

9እግዚአብሔር ሆይ፤ ከልክ በላይ አትቈጣን፤

ኀጢአታችንንም ለዘላለም አታስብ፤

እባክህ ተለመነን፤ ፊትህን ወደ እኛ መልስ፤

ሁላችንም የአንተ ሕዝብ ነንና።

10የተቀደሱ ከተሞችህ ምድረ በዳ ሆኑ፤

ጽዮን ራሷ እንኳ ምድረ በዳ፣ ኢየሩሳሌምም የተፈታች ሆናለች።

11አባቶቻችን አንተን ያመሰገኑበት የተቀደሰውና የተከበረው ቤተ መቅደሳችን፣

በእሳት ተቃጥሏል፤

ያማሩ ቦታዎቻችንም ሁሉ እንዳልነበር ሆነዋል።

12እግዚአብሔር ሆይ፤ ይህ ሁሉ ሆኖ አትመለስምን?

ዝም ብለህ ከልክ በላይ ትቀጣናለህን?

Hindi Contemporary Version

यशायाह 64:1-12

1भला हो कि आप आकाश को फाड़कर नीचे आ सकते,

कि पर्वत आपके सामने कांप उठे!

2जिस प्रकार आग झाड़ को जला देती है

या जल को उबालती है,

वैसे ही आपके विरोधियों को आपकी प्रतिष्ठा का बोध हो जाता

कि आपकी उपस्थिति से राष्ट्र कांप उठते हैं!

3जब आपने ऐसे भयानक काम किए थे,

तब आप उतर आए थे, पर्वत आपकी उपस्थिति में कांप उठे.

4पूर्वकाल से न तो उन्होंने सुना है,

न ही देखा गया है,

आपके सिवाय हमारे लिए और कोई परमेश्वर नहीं हुआ है,

जो अपने भक्तों की ओर ध्यान दे.

5आप उन्हीं से मिलते हैं जो आनंद से नीतियुक्त काम करते हैं,

जो आपको याद रखते हुए आपके मार्गों पर चलते हैं.

सच है कि आप हमारे पाप के कारण क्रोधित हुए,

और हमारी यह दशा बहुत समय से है.

क्या हमें छुटकारा मिल सकता है?

6हम सभी अशुद्ध मनुष्य के समान हो गये है,

हमारे धर्म के काम मैले चिथडों के समान है;

हम सभी पत्तों के समान मुरझा जाते हैं,

हमारे अधर्म के काम हमें हवा में उड़ा ले जाते हैं.

7ऐसा कोई भी नहीं जो आपके नाम की दोहाई देता है

और जो आपको थामे रहने का प्रयास यत्न से करता है;

क्योंकि आपने हमसे अपना मुंह छिपा लिया

है तथा हमें हमारी बुराइयों के हाथ कर दिया है.

8किंतु अब, याहवेह, हमने आपको पिता समान स्वीकारा है.

हम तो मात्र मिट्टी हैं, आप हमारे कुम्हार;

हम सभी आपके हाथ की रचना हैं.

9इसलिये हे याहवेह, क्रोधित न होईये;

और अनंत काल तक हमारे पापों को याद न रखिए.

हमारी ओर ध्यान दीजिए,

हम सभी आपके अपने ही हैं.

10देखो आपका पवित्र नगर बंजर भूमि हो गया है;

ज़ियोन अब सुनसान है! येरूशलेम उजाड़ पड़ा है.

11हमारा पवित्र एवं भव्य भवन, जहां हमारे पूर्वजों ने आपकी स्तुति की थी,

आग से जला दिया गया है,

हमारी सभी अमूल्य वस्तुएं नष्ट हो चुकी हैं.

12यह सब होते हुए भी, याहवेह, क्या आप अपने आपको रोके रहेंगे?

क्या आप हमें इस दुर्दशा में रहने देंगे?