ኢሳይያስ 56 – NASV & HCV

New Amharic Standard Version

ኢሳይያስ 56:1-12

ለሌሎች የተሰጠ ድነት

1እግዚአብሔር እንዲህ ይላል፤

“ፍትሕን ጠብቁ፤

መልካሙን አድርጉ፤

ማዳኔ በቅርብ ነው፤

ጽድቄም ፈጥኖ ይገለጣልና።

2ሰንበትን ሳያረክስ የሚያከብር፣

ክፉን ከማድረግ እጁን የሚሰበስብ፣ የሚገታ፣

እነዚህን የሚፈጽም ሰው የተባረከ ነው።”

3ወደ እግዚአብሔር የተጠጋ መጻተኛ፣

“እግዚአብሔር በርግጥ ከሕዝቡ ይለየኛል” አይበል፤

ጃንደረባም፣

“እኔ ደረቅ ዛፍ ነኝ” አይበል።

4እግዚአብሔር እንዲህ ይላል፤

“ሰንበቶቼን ለሚያከብሩ ጃንደረቦች፣

ደስ የሚያሰኘኝን ለሚመርጡ፣

ቃል ኪዳኔን፣ ለሚጠብቁ

5በቤተ መቅደሴና በቅጥሮቼ ውስጥ፣

ከወንዶችና ከሴቶች ልጆች የበለጠ፣

መታሰቢያና ስም እሰጣቸዋለሁ፤

ለዘላለም፣

የማይጠፋ ስም እሰጣቸዋለሁ።

6እርሱን ለማገልገል፣

ራሳቸውን ከእግዚአብሔር ጋር ያቈራኙ መጻተኞች፣

የእግዚአብሔርን ስም በመውደድ፣

እርሱንም በማምለክ፣

ሰንበትን ሳያረክሱ የሚያከብሩትን ሁሉ፣

ቃል ኪዳኔንም የሚጠብቁትን፣

7ወደ ተቀደሰው ተራራዬ አመጣቸዋለሁ፤

በጸሎት ቤቴም ውስጥ ደስ አሰኛቸዋለሁ።

የሚቃጠል መሥዋዕታቸውንና ሌሎች መሥዋዕቶቻቸውን፣

በመሠዊያዬ ቢሠዉ እቀበላቸዋለሁ፤

ቤቴ፣ ለሕዝቦች ሁሉ

የጸሎት ቤት ተብሎ ይጠራልና።”

8የተበተኑትን እስራኤል የሚሰበስብ፣

ጌታ እግዚአብሔር እንዲህ ይላል፤

“ከተሰበሰቡት በተጨማሪ፣

ሌሎችን እንደ ገና እሰበስባለሁ።”

በክፉዎች ላይ የእግዚአብሔር ወቀሣ

9እናንት የምድር አራዊት ሁሉ ኑ፤

እናንት የዱር አራዊት ሁሉ ኑና በጥርሳቸሁ ቦጫጭቁ።

10የእስራኤል ጠባቂዎች ዕውሮች ናቸው፤

ዕውቀት የላቸውም፤

ሁሉም ድምፅ የለሽ ውሾች ናቸው፤

መጮኽ አይችሉም፤

ተጋድመው ያልማሉ፤

እንቅልፋሞች ናቸው።

11እጅግ ሲበዛ ሆዳም ውሾች ናቸው፤

ጠገብሁን አያውቁም፤

የማያስተውሉ እረኞች ናቸው፤

ሁሉም በየራሳቸው መንገድ ሄዱ፤

እያንዳንዳቸውም የግል ጥቅማቸውን ፈለጉ።

12እርስ በርሳቸውም፣ “ኑና የወይን ጠጅ እንገባበዝ፤

እስክንሰክር እንጠጣ፤

ነገም ያው እንደ ዛሬ፣

ምናልባትም የተሻለ ቀን ይሆንልናል” ይባባላሉ።

Hindi Contemporary Version

यशायाह 56:1-12

सब राष्ट्रों को आशीष

1याहवेह यों कहते हैं:

“न्याय का यों पालन करो

तथा धर्म के काम करो,

क्योंकि मैं जल्द ही तुम्हारा उद्धार करूंगा,

मेरा धर्म अब प्रकट होगा.

2क्या ही धन्य है वह व्यक्ति जो ऐसा ही करता है,

वह मनुष्य जो इस पर अटल रहकर इसे थामे रहता है,

जो शब्बाथ को दूषित न करने का ध्यान रखता है,

तथा किसी भी गलत काम करने से अपने हाथ को बचाये रखता है.”

3जो परदेशी याहवेह से मिल चुका है,

“यह न कहे कि निश्चय याहवेह मुझे अपने लोगों से अलग रखेंगे.”

खोजे भी यह कह न सके,

“मैं तो एक सुखा वृक्ष हूं.”

4इस पर याहवेह ने कहा है:

“जो मेरे विश्राम दिन को मानते और जिस बात से मैं खुश रहता हूं,

वे उसी को मानते

और वाचा का पालन करते हैं—

5उन्हें मैं अपने भवन में और भवन की दीवारों के भीतर

एक यादगार बनाऊंगा तथा एक ऐसा नाम दूंगा;

जो पुत्र एवं पुत्रियों से उत्तम और स्थिर एवं कभी न मिटेगा.

6परदेशी भी जो याहवेह के साथ होकर

उनकी सेवा करते हैं,

और याहवेह के नाम से प्रीति रखते है,

उसके दास हो जाते है,

और विश्राम दिन को अपवित्र नहीं करते हुए पालते है,

तथा मेरी वाचा पूरी करते हैं—

7मैं उन्हें भी अपने पवित्र पर्वत पर

तथा प्रार्थना भवन में लाकर आनंदित करूंगा.

उनके चढ़ाए होमबलि तथा मेलबलि

ग्रहण करूंगा;

क्योंकि मेरा भवन सभी देशों के लिए

प्रार्थना भवन कहलाएगा.”

8प्रभु याहवेह,

जो निकाले हुए इस्राएलियों को इकट्ठा कर रहे हैं:

“उनका संदेश है कि जो आ चुके हैं,

मैं उनमें औरों को भी मिला दूंगा.”

दुष्टों के प्रति चेतावनी

9हे मैदान के पशुओ,

हे जंगली पशुओ, भोजन के लिए आ जाओ!

10अंधे हैं उनके पहरेदार,

अज्ञानी हैं वे सभी;

वे ऐसे गूंगे कुत्ते हैं,

जो भौंकते नहीं;

बिछौने पर लेटे हुए स्वप्न देखते,

जिन्हें नींद प्रिय है.

11वे कुत्ते जो लोभी हैं;

कभी तृप्‍त नहीं होते.

ऐसे चरवाहे जिनमें समझ ही नहीं;

उन सभी ने अपने ही लाभ के लिए,

अपना अपना मार्ग चुन लिया.

12वे कहते हैं, “आओ,

हम दाखमधु पीकर तृप्‍त हो जाएं!

कल का दिन भी आज के समान,

या इससे भी बेहतर होगा.”