ኢሳይያስ 41 – NASV & HCV

New Amharic Standard Version

ኢሳይያስ 41:1-29

የእስራኤል ረዳት

1“ደሴቶች ሆይ፤ በፊቴ ዝም በሉ፤

አሕዛብ ኀይላቸውን ያድሱ፤

ቀርበው ይናገሩ፤

በፍርድም ፊት እንገናኝ።

2“ከምሥራቅ አንዱን ያነሣው፣

በጽድቅም ወደ አገልግሎቱ የጠራው ማን ነው?41፥2 ወይም በእያንዳንዱ ርምጃ ድል የሚያጋጥመው

አሕዛብን አሳልፎ ሰጠው፤

ነገሥታትን በፊቱ አስገዛለት

በሰይፉም እንደ ትቢያ አቦነናቸው፤

በቀስቱም በነፋስ እንደ ተበተነ ገለባ አደረጋቸው።

3አሳደዳቸው፤ ያለ ችግርም ዐልፎ ሄደ፤

እግሩም ቀድሞ ባልረገጠው መንገድ ተጓዘ።

4ይህን የሠራና ያደረገ፣

ትውልድን ከጥንት የጠራ ማን ነው?

እኔ እግዚአብሔር ከፊተኛው፣

ከኋለኛውም ጋር፤ እኔው ነኝ።”

5ደሴቶች አይተው ፈሩ፤

የምድር ዳርቾች ደነገጡ፤

ቀረቡ፤ ወደ ፊትም መጡ።

6እያንዳንዱ ይረዳዳል፤

ወንድሙንም፣ “አይዞህ” ይለዋል።

7ባለ እጅ የወርቅ አንጥረኛውን ያበረታታዋል፤

በመዶሻ የሚያሳሳውም፣

በመስፍ ላይ የሚቀጠቅጠውን ያነቃቃዋል፤

ስለ ብየዳም ሥራው፣ “መልካም ነው” ይለዋል፤

የጣዖቱ ምስል እንዳይወድቅም በምስማር ያጣብቀዋል።

8“አንተ ግን፣ ባሪያዬ እስራኤል፣

የመረጥሁህ ያዕቆብ፣

የወዳጄ የአብርሃም ዘር ሆይ፤

9ከምድር ዳርቻ ያመጣሁህ፣

ከአጥናፍም የጠራሁህ፣

‘አንተ ባሪያዬ ነህ’ ያልሁህ፤

መረጥሁህ እንጂ አልጣልሁህም።

10እኔ ከአንተ ጋር ነኝና አትፍራ፤

አምላክህ ነኝና አትደንግጥ።

አበረታሃለሁ፤ እረዳሃለሁ፤

በጽድቄም ቀኝ እጄ ደግፌ እይዝሃለሁ።

11“እነሆ፤ የተቈጡህ ሁሉ፣

እጅግ ያፍራሉ፤ ይዋረዳሉም፤

የሚቋቋሙህ፣

እንዳልነበሩ ይሆናሉ፤ ይጠፋሉም።

12ጠላቶችህን ብትፈልጋቸው እንኳ፣

አታገኛቸውም፤

የሚዋጉህም፣

እንዳልነበሩ ይሆናሉ።

13እኔ እግዚአብሔር አምላክህ ‘አትፍራ፤

እረዳሃለሁ’

ብዬ ቀኝ እጅህን እይዛለሁና።

14አንት ትል ያዕቆብ፣

ታናሽ እስራኤል ሆይ፤

‘አትፍራ እኔ እረዳሃለሁ’ ” ይላል እግዚአብሔር

የሚቤዥህ የእስራኤል ቅዱስ ነው።

15“እነሆ፣ አዲስ

የተሳለና ብዙ ጥርስ ያለው ማሄጃ አደርግሃለሁ፤

ተራሮችን ታሄዳለህ፤ ታደቅቃቸዋለህ፤

ኰረብቶችንም ገለባ ታደርጋቸዋለህ።

16ታበጥራቸዋለህ፤ ነፋስ ጠርጎ ይወስዳቸዋል፤

ዐውሎ ነፋስም ይበትናቸዋል።

አንተ ግን በእግዚአብሔር ደስ ይልሃል፤

በእስራኤል ቅዱስ ሞገስ ታገኛለህ።

17“ድኾችና ችግረኞች ውሃ ይፈልጋሉ፤

ዳሩ ግን ምንም አያገኙም፤

ጕረሯቸው በውሃ ጥም ደርቋል።

ነገር ግን እኔ እግዚአብሔር እመልስላቸዋለሁ፤

እኔ የእስራኤል አምላክ አልተዋቸውም።

18በተራቈቱ ኰረብቶች ላይ ወንዞችን፣

በሸለቆዎች ውስጥ ምንጮችን አፈልቃለሁ።

ምድረ በዳውን የውሃ ኵሬ፣

የተጠማውን ምድር የውሃ ምንጭ አደርጋለሁ።

19በምድረ በዳ፣

ዝግባን፣ ግራርን፣ ባርሰነትንና ወይራን አበቅላለሁ፤

በበረሓ፣ ጥድን፣ አስታንና

ሸውሸዌን በአንድነት እተክላለሁ።

20ስለዚህ ሰዎች ያያሉ፤ ያውቃሉ፤

የእግዚአብሔር እጅ ይህን እንዳደረገ፣

የእስራኤል ቅዱስ እንደ ፈጠረው፣

በአንድነት ይገነዘባሉ፤ ያስተውላሉም።

21“ሙግታችሁን ይዛችሁ ቅረቡ” ይላል እግዚአብሔር

“ማስረጃችሁን አምጡ” ይላል የያዕቆብ ንጉሥ።

22“የሚሆነውን እንዲነግሩን፣

ጣዖቶቻችሁን አምጡ፤

እንድንገነዘብ፣

ፍጻሜአቸውን እንድናውቅ፣

የቀደሙት ነገሮች ምን እንደ ነበሩ ንገሩን፤

ስለሚመጡትም ነገሮች ግለጹልን።

23እናንት አማልክት መሆናችሁን እናውቅ ዘንድ፣

ወደ ፊት ስለሚሆነው ንገሩን፤

እንድንደነግጥ፣ በፍርሀት እንድንዋጥ፣

መልካምም ሆነ ክፉ፣ አንድ ነገር አድርጉ።

24እነሆ፤ እናንት ከምንም የማትቈጠሩ ናችሁ፤

ሥራችሁ ፈጽሞ ዋጋ ቢስ ነው፤

የመረጣችሁም አስጸያፊ ነው።

25“አንዱን ከሰሜን አስነሣሁት፤ እርሱም ይመጣል፤

ከፀሓይ መውጫ የሚመጣው፣ ስሜን የሚጠራ ነው፤

ሸክላ ሠሪ ዐፈር እንደሚረግጥ፣

አለቆችን እንዲሁ እንደ ጭቃ ይረግጣል።

26እኛ እናውቅ ዘንድ ይህን ከመጀመሪያው የተናገረ፣

‘እርሱ ትክክል ነው’ እንልም ዘንድ ቀድሞ የተናገረ ማነው?

ማንም አልተናገረም፤

ቀደም ብሎ የተናገረ የለም፤

ቃላችሁንም የሰማ የለም።

27በመጀመሪያ፣ ‘እነሆ፤ ተመልከቺአቸው’

ብዬ ለጽዮን የተናገርሁ እኔ ነበርሁ፤

ለኢየሩሳሌምም

የምሥራች ነጋሪን ሰጥቻለሁ።

28ተመለከትሁ ማንም አልነበረም፤

ከመካከላቸው አማካሪ የለም፤

ስጠይቅም መልስ የሚሰጥ የለም።

29እነሆ፤ ሁሉም ከንቱ ናቸው፤

ሥራቸውም መና ነው፤

ምስሎቻቸውም ባዶ ነፋስ ናቸው።

Hindi Contemporary Version

यशायाह 41:1-29

इस्राएल का सहायक

1हे द्वीपो, चुप रहकर मेरी सुनो!

देश-देश के लोग, नया बल पायें!

वे पास आकर बात करें;

न्याय के लिए हम एक दूसरे के पास आएं.

2“किसने उसे उकसाया है जो पूर्व में है,

जिसको धर्म के साथ अपने चरणों में बुलाता हैं?

याहवेह उसे देश सौंपते जाते हैं

तथा राजाओं को उसके अधीन करते जाते हैं.

वह उसकी तलवार से उन्हें धूल में,

तथा उसके धनुष से हवा में उड़ती भूसी में बदल देता है.

3वह उनका पीछा करता है तथा एक ऐसे मार्ग से सुरक्षित उनसे आगे निकल जाता है,

जिस पर इससे पहले वह चलकर कभी पार नहीं गया.

4आदिकाल से अब तक

की पीढ़ियों को किसने बुलाया है?

मैं ही याहवेह, जो सबसे पहला

और आखिरी हूं.”

5तटवर्ती क्षेत्रों ने यह देखा तथा वे डर गए;

पृथ्वी कांपने लगी, और पास आ गए.

6हर एक अपने पड़ोसी की सहायता करता है

तथा अपने बंधु से कहता है, “हियाव बांध!”

7इसी प्रकार शिल्पी भी सुनार को हिम्मत दिलाता है,

जो हथौड़े से धातु को समतल बनाकर कील मारता है

और हिम्मत बांधता है.

निहाई पर हथौड़ा चलाता है.

वह टांकों को ठोक ठोक कर कसता है ताकि वह ढीला न रह जाए.

8“हे मेरे दास इस्राएल,

मेरे चुने हुए याकोब,

मेरे मित्र अब्राहाम के वंश,

9तुम्हें जिसे मैं दूर देश से लौटा लाया हूं,

तथा पृथ्वी के दूरतम स्थानों से तुम्हें बुलाकर तुम्हें यह आश्वासन दिया है.

‘तुम मेरे सेवक हो’;

मेरे चुने हुए, मैंने तुम्हें छोड़ा नहीं है.

10इसलिये मत डरो, मैं तुम्हारे साथ हूं;

इधर-उधर मत ताको, क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर मैं हूं.

मैं तुम्हें दृढ़ करूंगा और तुम्हारी सहायता करूंगा;

मैं तुम्हें अपने धर्ममय दाएं हाथ से संभाले रखूंगा.

11“देख जो तुझसे क्रोधित हैं

वे लज्जित एवं अपमानित किए जाएंगे;

वे जो तुमसे झगड़ा करते हैं

नाश होकर मिट जायेंगे.

12तुम उन्हें जो तुमसे विवाद करते थे खोजते रहोगे,

किंतु उन्हें पाओगे नहीं.

जो तुम्हारे साथ युद्ध करते हैं,

वे नाश होकर मिट जाएंगे.

13क्योंकि मैं याहवेह तुम्हारा परमेश्वर हूं,

जो तुम्हारे दाएं हाथ को थामे रहता है

जो तुम्हें आश्वासन देता है, मत डर;

तुम्हारी सहायता मैं करूंगा.

14हे कीड़े समान याकोब,

हे इस्राएली प्रजा मत डर,

तुम्हारी सहायता मैं करूंगा,” यह याहवेह की वाणी है.

इस्राएल के पवित्र परमेश्वर तेरे छुड़ानेवाले हैं.

15“देख, मैंने तुम्हें छुरी वाले

उपकरण समान बनाया है.

तुम पर्वतों को कूट-कूट कर चूर्ण बना दोगे,

तथा घाटियों को भूसी का रूप दे दोगे.

16तुम उन्हें फटकोगे, हवा उन्हें उड़ा ले जाएगी,

तथा आंधी उन्हें बिखेर देगी.

किंतु तुम याहवेह में खुश होगे

तुम इस्राएल के पवित्र परमेश्वर पर गर्व करोगे.

17“जो दीन तथा दरिद्र हैं वे जल की खोज कर रहे हैं,

किंतु जल कहीं नहीं;

प्यास से उनका गला सूख गया है.

मैं याहवेह ही उन्हें स्वयं उत्तर दूंगा;

इस्राएल का परमेश्वर होने के कारण मैं उनको नहीं छोड़ूंगा.

18मैं सूखी पहाड़ियों से नदियों को बहा दूंगा,

घाटियों के मध्य झरने फूट पड़ेंगे.

निर्जन स्थल जल ताल हो जाएगा,

तथा सूखी भूमि जल का सोता होगी.

19मरुस्थल देवदार, बबूल, मेंहदी,

तथा जैतून वृक्ष उपजाने लगेंगे.

मैं मरुस्थल में सनौवर,

चिनार तथा चीड़ के वृक्ष उगा दूंगा,

20कि वे देख सकें

तथा इसे समझ लें,

कि यह याहवेह के हाथों का कार्य है,

तथा इसे इस्राएल के पवित्र परमेश्वर ही ने किया है.”

21याहवेह कहता है,

“अपनी बात कहो.”

अपना मुकदमा लड़ो,

“यह याकोब के राजा का आदेश है.

22वे देवताएं आएं, तथा हमें बताएं,

कि भविष्य में क्या होनेवाला है.

या होनेवाली घटनाओं के बारे में भी बताएं.

23उन घटनाओं को बताओ जो भविष्य में होने पर हैं,

तब हम मानेंगे कि तुम देवता हो.

कुछ तो करो, भला या बुरा,

कि हम चकित हो जाएं तथा डरें भी.

24देखो तुम कुछ भी नहीं हो

तुम्हारे द्वारा किए गए काम भी व्यर्थ ही हैं;

जो कोई तुम्हारा पक्ष लेता है वह धिक्कार-योग्य है.

25“मैंने उत्तर दिशा में एक व्यक्ति को चुना है, वह आ भी गया है—

पूर्व दिशा से वह मेरे नाम की दोहाई देगा.

वह हाकिमों को इस प्रकार रौंद डालेगा, जिस प्रकार गारा रौंदा जाता है,

जिस प्रकार कुम्हार मिट्टी को रौंदता है.

26क्या किसी ने इस बात को पहले से बताया था, कि पहले से हमें मालूम हो,

या पहले से, किसी ने हमें बताया कि, ‘हम समझ सकें और हम कह पाते की वह सच्चा है?’

कोई बतानेवाला नहीं,

कोई भी सुननेवाला नहीं है.

27सबसे पहले मैंने ही ज़ियोन को बताया कि, ‘देख लो, वे आ गए!’

येरूशलेम से मैंने प्रतिज्ञा की मैं तुम्हें शुभ संदेश सुनाने वाला दूत दूंगा.

28किंतु जब मैंने ढूंढ़ा वहां कोई नहीं था,

उन लोगों में कोई भी जवाब देनेवाला नहीं था,

यदि मैं कोई प्रश्न करूं, तो मुझे उसका उत्तर कौन देगा.

29यह समझ लो कि वे सभी अनर्थ हैं!

व्यर्थ हैं उनके द्वारा किए गए काम;

उनके द्वारा बनाई गई मूर्तियां केवल वायु एवं खोखली हैं.”