ራእይ 7 – NASV & HCV

New Amharic Standard Version

ራእይ 7:1-17

መቶ አርባ አራት ሺሑ መታተማቸው

1ከዚህ በኋላ አራት መላእክት በአራቱ የምድር ማእዘኖች ቆመው አየሁ፤ እነርሱም ነፋስ በምድር ወይም በባሕር፣ ወይም በማንኛውም ዛፍ ላይ እንዳይነፍስ አራቱን የምድር ነፋሶች ያዙ። 2ከዚያም የሕያው አምላክ ማኅተም ያለው ሌላ መልአክ ከምሥራቅ ሲመጣ አየሁ፤ እርሱም ምድርንና ባሕርን ለመጕዳት ሥልጣን የተሰጣቸውን አራቱን መላእክት በታላቅ ድምፅ እንዲህ አላቸው፤ 3“በአምላካችን አገልጋዮች ግንባር ላይ ማኅተም እስከምናደርግባቸው ድረስ ምድርን ወይም ባሕርን፣ ወይም ዛፎችን አትጕዱ።” 4የታተሙትንም ቍጥር ሰማሁ፤ እነርሱም ከእስራኤል ነገዶች ሁሉ መቶ አርባ አራት ሺሕ ነበሩ፤

5ከይሁዳ ነገድ ዐሥራ ሁለት ሺሕ፣

ከሮቤል ነገድ ዐሥራ ሁለት ሺሕ፣

ከጋድ ነገድ ዐሥራ ሁለት ሺሕ፣

6ከአሴር ነገድ ዐሥራ ሁለት ሺሕ፣

ከንፍታሌም ነገድ ዐሥራ ሁለት ሺሕ፣

ከምናሴ ነገድ ዐሥራ ሁለት ሺሕ፣

7ከስምዖን ነገድ ዐሥራ ሁለት ሺሕ፣

ከሌዊ ነገድ ዐሥራ ሁለት ሺሕ፣

ከይሳኮር ነገድ ዐሥራ ሁለት ሺሕ፣

8ከዛብሎን ነገድ ዐሥራ ሁለት ሺሕ፣

ከዮሴፍ ነገድ ዐሥራ ሁለት ሺሕ፣

ከብንያም ነገድ ዐሥራ ሁለት ሺሕ ታተሙ።

ነጭ ልብስ የለበሱ እጅግ ብዙ ሕዝብ

9ከዚህም በኋላ አየሁ፤ እነሆ፤ በዙፋኑና በበጉ ፊት ማንም ሊቈጥራቸው የማይችል ከሕዝብ፣ ከነገድ፣ ከወገን፣ ከቋንቋም ሁሉ እጅግ ብዙ ሕዝብ ቆመው ነበር፤ እነርሱም ነጭ ልብስ ለብሰው፣ የዘንባባ ዝንጣፊ በእጃቸው ይዘው ነበር። 10በታላቅ ድምፅም እንዲህ ብለው ጮኹ፤

“ማዳን በዙፋኑ ላይ የተቀመጠው፣

የአምላካችንና የበጉ ነው።”

11መላእክቱም ሁሉ በዙፋኑና በሽማግሌዎቹ፣ በአራቱም ሕያዋን ፍጡራን ዙሪያ ቆመው ነበር፤ በዙፋኑ ፊት በግንባራቸው ተደፍተው ለእግዚአብሔር ሰገዱ፤ 12እንዲህም ይሉ ነበር፤

“አሜን፤

ውዳሴና ክብር፣

ጥበብ፣ ምስጋናና፣ ሞገስ፣

ኀይልና ብርታትም፣

ከዘላለም እስከ ዘላለም ድረስ ለአምላካችን ይሁን፤

አሜን።”

13ከዚያም ከሽማግሌዎቹ አንዱ፣ “እነዚህ ነጭ ልብስ የለበሱት እነማን ናቸው? ከወዴትስ መጡ?” አለኝ።

14እኔም፣ “ጌታ ሆይ፤ አንተ ታውቃለህ” አልሁት።

እርሱም እንዲህ አለኝ፤ “እነዚህ ከታላቁ መከራ የመጡ ናቸው፤ ልብሳቸውንም በበጉ ደም ዐጥበው አንጽተዋል። 15ስለዚህ፣

“በእግዚአብሔር ዙፋን ፊት ሆነው፣

ቀንና ሌሊት በመቅደሱ ያገለግሉታል፤

በዙፋኑም ላይ የተቀመጠው ድንኳኑን

በላያቸው ይዘረጋል፤

16ከእንግዲህ ወዲህ አይራቡም፤

ከዚህም በኋላ አይጠሙም፤

ፀሓይ አይመታቸውም፤

ሐሩሩም ሁሉ አያቃጥላቸውም፤

17ምክንያቱም በዙፋኑ መካከል ያለው

በግ እረኛቸው ይሆናል፤

ወደ ሕይወት ውሃ ምንጭም ይመራቸዋል፤

እግዚአብሔር እንባን ሁሉ ከዐይናቸው ያብሳል።”

Hindi Contemporary Version

प्रकाशन 7:1-17

1,44,000 पर मोहर

1इसके बाद मैंने देखा कि चार स्वर्गदूत पृथ्वी के चारों कोनों पर खड़े हुए पृथ्वी की चारों दिशाओं का वायु प्रवाह रोके हुए हैं कि न तो पृथ्वी पर वायु प्रवाहित हो, न ही समुद्र पर और न ही किसी पेड़ पर. 2मैंने एक अन्य स्वर्गदूत को पूर्वी दिशा में ऊपर की ओर आते हुए देखा, जिसके अधिकार में जीवित परमेश्वर की मोहर थी, उसने उन चार स्वर्गदूतों से, जिन्हें पृथ्वी तथा समुद्र को नाश करने का अधिकार दिया गया था, 3ऊंचे शब्द में पुकारते हुए कहा, “न तो पृथ्वी को, न समुद्र को और न ही किसी पेड़ को तब तक नाश करना, जब तक हम हमारे परमेश्वर के दासों के माथे पर मुहर न लगा दें.” 4तब मैंने, जो चिह्नित किए गए थे, उनकी संख्या का योग सुना: 1,44,000. ये इस्राएल के हर एक गोत्र में से थे.

5यहूदाह गोत्र से 12,000,

रियूबेन के गोत्र से 12,000,

गाद के गोत्र से 12,000,

6आशेर के गोत्र से 12,000,

नफताली के गोत्र से 12,000,

मनश्शेह के गोत्र से 12,000,

7शिमओन के गोत्र से 12,000,

लेवी के गोत्र से 12,000,

इस्साखार के गोत्र से 12,000,

8ज़ेबुलून के गोत्र से 12,000,

योसेफ़ के गोत्र से 12,000 तथा

बिन्यामिन के गोत्र से 12,000 चिह्नित किए गए.

सफ़ेद वस्त्रों में विशाल भीड़

9इसके बाद मुझे इतनी बड़ी भीड़ दिखाई दी, जिसकी गिनती कोई नहीं कर सकता था. इस समूह में हर एक राष्ट्र, गोत्र, प्रजाति और भाषा के लोग थे, जो सफ़ेद वस्त्र धारण किए तथा हाथ में खजूर की शाखाएं लिए सिंहासन तथा मेमने के सामने खड़े हुए थे. 10वे ऊंचे शब्द में पुकार रहे थे:

“उद्धार के स्रोत हैं,

सिंहासन पर बैठे,

हमारे परमेश्वर और मेमना.”

11सिंहासन, पुरनियों तथा चारों प्राणियों के चारों ओर सभी स्वर्गदूत खड़े हुए थे. उन्होंने सिंहासन की ओर मुख करके दंडवत होकर परमेश्वर की वंदना की. 12वे कह रहे थे:

“आमेन!

स्तुति, महिमा, ज्ञान,

आभार व्यक्ति, आदर, अधिकार

तथा शक्ति

सदा-सर्वदा हमारे परमेश्वर की है.

आमेन!”

13तब पुरनियों में से एक ने मुझसे प्रश्न किया, “ये, जो सफ़ेद वस्त्र धारण किए हुए हैं, कौन हैं और कहां से आए हैं?”

14मैंने उत्तर दिया, “श्रीमान, यह तो आपको ही मालूम है.”

इस पर उन्होंने कहा, “ये ही हैं वे, जो उस महाक्लेश में से सुरक्षित निकलकर आए हैं. इन्होंने अपने वस्त्र मेमने के लहू में धोकर सफ़ेद किए हैं. 15इसलिये,

“वे परमेश्वर के सिंहासन के सामने उपस्थित हैं

और उनके मंदिर में दिन-रात उनकी आराधना करते रहते हैं;

और वह, जो सिंहासन पर बैठे हैं,

उन्हें सुरक्षा प्रदान करेंगे.

16‘वे अब न तो कभी भूखे होंगे,

न प्यासे.

न तो सूर्य की गर्मी उन्हें झुलसाएगी,’7:16 यशा 49:10

और न कोई अन्य गर्मी.

17क्योंकि बीच के सिंहासन पर बैठा मेमना

उनका चरवाहा होगा;

‘वह उन्हें जीवन के जल के सोतों तक ले जाएगा.’7:17 यशा 49:10

‘परमेश्वर उनकी आंखों से हर एक आंसू पोंछ डालेंगे.’ ”7:17 यशा 25:8