ራእይ 5 – NASV & HCV

New Amharic Standard Version

ራእይ 5:1-14

ጥቅልል መጽሐፉና በጉ

1በዙፋኑ ላይ የተቀመጠው በውስጥና በውጭ በኩል የተጻፈበት፣ በሰባት ማኅተም የታሸገ ጥቅልል መጽሐፍ በቀኝ እጁ ይዞ አየሁ። 2አንድ ብርቱ መልአክ በታላቅ ድምፅ፣ “ማኅተሞቹን ለመፍታትና መጽሐፉን ለመክፈት የተገባው ማን ነው?” ብሎ ሲያውጅ አየሁ። 3ነገር ግን በሰማይም ሆነ በምድር፣ ከምድርም በታች መጽሐፉን ለመክፈት ወይም ገልጦ ለመመልከት የሚችል ማንም አልነበረም። 4እኔም መጽሐፉን ለመክፈት ወይም ገልጦ ለመመልከት የተገባው ማንም ባለመኖሩ እጅግ አለቀስሁ። 5ከዚያም ከሽማግሌዎቹ አንዱ፣ “አታልቅስ፤ እነሆ፤ ከይሁዳ ነገድ የሆነው አንበሳ፣ የዳዊት ሥር ድል ነሥቷል፤ እርሱ መጽሐፉን ሊከፍትና ሰባቱንም ማኅተሞች ሊፈታ ይችላል” አለኝ።

6ከዚያም በዙፋኑና በአራቱ ሕያዋን ፍጡራን፣ በሽማግሌዎቹም መካከል የታረደ የሚመስል በግ ቆሞ አየሁ፤ በጉም ሰባት ቀንዶችና ሰባት ዐይኖች ነበሩት፤ እነርሱም ወደ ምድር ሁሉ የተላኩት ሰባቱ የእግዚአብሔር መናፍስት5፥6 ወይም ሰባት ዕጥፍ መንፈስ ናቸው። 7እርሱም መጥቶ በዙፋኑ ላይ ከተቀመጠው ቀኝ እጅ መጽሐፉን ወሰደ። 8መጽሐፉን በወሰደ ጊዜ አራቱ ሕያዋን ፍጡራን፣ ሃያ አራቱ ሽማግሌዎችም በበጉ ፊት በግንባራቸው ተደፉ፤ እያንዳንዳቸውም የቅዱሳን ጸሎት የሆኑትን በገናና ዕጣን የሞላበትን የወርቅ ሙዳይ ይዘው ነበር። 9እንዲህም እያሉ አዲስ መዝሙር ዘመሩ፤

“መጽሐፉን ልትወስድ፣

ማኅተሞቹንም ልትፈታ ይገባሃል፤

ምክንያቱም ታርደሃል፤

በደምህም ከነገድ ሁሉ፣ ከቋንቋ ሁሉ፣

ከወገን ሁሉ፣ ከሕዝብ ሁሉ ሰዎችን ለእግዚአብሔር ዋጅተሃል።

10ለአምላካችንም መንግሥትና ካህናት አድርገሃቸዋል፤

እነርሱም በምድር ላይ ይነግሣሉ።”

11ከዚያም ተመለከትሁ፤ የብዙ መላእክትን ድምፅ ሰማሁ፤ ቍጥራቸውም ሺሕ ጊዜ ሺሕና እልፍ ጊዜ እልፍ ነበረ። እነርሱም በዙፋኑና በሕያዋን ፍጡራኑ፣ በሽማግሌዎቹም ዙሪያ ከብበው ነበር፤ 12በታላቅ ድምፅም እንዲህ ብለው ዘመሩ፤

“የታረደው በግ ኀይልና ባለጠግነት፣

ጥበብና ብርታት፣

ክብርና ሞገስ፣ ምስጋናም፣

ሊቀበል ይገባዋል።”

13ከዚያም በሰማይና በምድር፣ ከምድር በታችና በባሕር፣ በእነርሱ ውስጥ ያሉ ፍጡራንም ሁሉ እንዲህ ብለው ሲዘምሩ ሰማሁ፤

“በዙፋኑ ላይ ለተቀመጠውና ለበጉ፣

ምስጋናና ሞገስ፣ ክብርና ኀይል፣

ከዘላለም እስከ ዘላለም ይሁን!”

14አራቱ ሕያዋን ፍጡራንም፣ “አሜን!” አሉ፤ ሽማግሌዎቹም በግምባራቸው ተደፍተው ሰገዱ።

Hindi Contemporary Version

प्रकाशन 5:1-14

पुस्तक तथा मेमना

1जो सिंहासन पर बैठे थे, उनके दाएं हाथ में मैंने एक पुस्तक देखी, जिसके पृष्ठों पर दोनों ओर लिखा हुआ था, तथा जो सात मोहरों द्वारा बंद की हुई थी. 2तब मैंने एक शक्तिशाली स्वर्गदूत को देखा, जो ऊंचे शब्द में यह घोषणा कर रहा था, “कौन है वह, जिसमें यह योग्यता है कि वह इन मोहरों को तोड़ सके तथा इस पुस्तक को खोल सके?” 3न तो स्वर्ग में, न पृथ्वी पर और न ही पृथ्वी के नीचे कोई इस योग्य था कि इस पुस्तक को खोल या पढ़ सके. 4मेरी आंखों से आंसू बहने लगे क्योंकि कोई भी ऐसा योग्य न निकला, जो इस पुस्तक को खोल या पढ़ सके. 5तब उन पुरनियों में से एक ने मुझसे कहा, “बंद करो यह रोना! देखो, यहूदाह गोत्र का वह सिंह, दावीद वंश का मूल विजयी हुआ है कि वही इन सात मोहरों को तोड़े. वही इस पुस्तक को खोलने में सामर्थ्यी है.”

6तब मैंने एक मेमने को, मानो जिसका वध बलि के लिए कर दिया गया हो, सिंहासन, चारों प्राणियों तथा पुरनियों के बीच खड़े हुए देखा, जिसके सात सींग तथा सात आंखें थी, जो सारी पृथ्वी पर भेजे गए परमेश्वर की सात आत्मा हैं. 7मेमने ने आगे बढ़कर, उनके दाएं हाथ से, जो सिंहासन पर विराजमान थे, इस पुस्तक को ले लिया. 8जब उसने पुस्तक ली तो चारों प्राणी तथा चौबीसों प्राचीन उस मेमने के सामने नतमस्तक हो गए. उनमें से प्रत्येक के हाथ में वीणा तथा धूप—पवित्र लोगों की प्रार्थनाओं—से भरे सोने के बर्तन थे. 9वे यह नया गीत गा रहे थे:

“आप ही पुस्तक लेकर

इसकी मोहरें खोलने के योग्य हैं.

आपका वध बलि के लिए किया गया,

तथा आपने अपने लहू द्वारा हर एक गोत्र,

भाषा, जन तथा राष्ट्रों से मनुष्यों को परमेश्वर के लिए मोल लिया है.

10आपने उन्हें परमेश्वर की प्रजा बनाया तथा परमेश्वर की सेवा के लिए

पुरोहित ठहराया है. वे इस पृथ्वी पर राज्य करेंगे.”

11तब मैंने अनेकों स्वर्गदूतों का शब्द सुना, ये स्वर्गदूत अनगिनत थे—हज़ारों और हज़ारों. ये स्वर्गदूत सिंहासन, चारों प्राणियों तथा पुरनियों के चारों ओर खड़े हुए थे. 12वे स्वर्गदूत ऊंचे शब्द में यह गा रहे थे:

“वह मेमना, जिसका वध किया गया,

सामर्थ्य, वैभव, ज्ञान, शक्ति, आदर,

महिमा और स्तुति का अधिकारी है.”

13इसी प्रकार मैंने सारी सृष्टि—स्वर्ग में, इस पृथ्वी पर तथा इस पृथ्वी के नीचे, समुद्र तथा उसमें बसी हुई हर एक वस्तु को यह कहते सुना:

“मेमने का तथा उनका, जो सिंहासन पर बैठे हैं,

स्तुति, आदर, महिमा तथा प्रभुता,

सदा-सर्वदा रहे.”

14चारों प्राणियों ने कहा, “आमेन” तथा पुरनियों ने दंडवत होकर आराधना की.