መዝሙር 136 – NASV & HCV

New Amharic Standard Version

መዝሙር 136:1-26

መዝሙር 136

ምስጋና በቅብብሎሽ መዝሙር

1እግዚአብሔርን አመስግኑ፤ ቸር ነውና፤

ምሕረቱ ለዘላለም ነውና።

2የአማልክትን አምላክ አመስግኑ፤

ምሕረቱ ለዘላለም ነውና።

3የጌቶችን ጌታ አመሰግኑ፤

ምሕረቱ ለዘላለም ነውና።

4እርሱ ብቻውን ታላላቅ ታምራትን የሚያደርግ፤

ምሕረቱ ለዘላለም ነውና።

5ሰማያትን በብልኀት የሠራ፤

ምሕረቱ ለዘላለም ነውና።

6ምድርን በውሃ ላይ የዘረጋ፤

ምሕረቱ ለዘላለም ነውና።

7ታላላቅ ብርሃናትን የሠራ፤

ምሕረቱ ለዘላለም ነውና።

8ፀሓይ በቀን እንዲሠለጥን ያደረገ፤

ምሕረቱ ለዘላለም ነውና።

9ጨረቃና ከዋክብት በሌሊት እንዲሠለጥኑ ያደረገ፤

ምሕረቱ ለዘላለም ነው።

10የግብፅን በኵር የመታ፤

ምሕረቱ ለዘላለም ነውና።

11እስራኤልን ከመካከላቸው ያወጣ፤

ምሕረቱ ለዘላለም ነውና።

12በኀያል እጅና በተዘረጋች ክንድ ይህን ያደረገ፤

ምሕረቱ ለዘላለም ነውና።

13የኤርትራን ባሕር136፥13 ዕብራይስጡ ያመሱፍ የሚለው በ15 ከሚገኘው ጭምር የሸንበቆ ባሕር ይለዋል። ለሁለት የከፈለ፤

ምሕረቱ ለዘላለም ነውና።

14እስራኤልን በመካከሉ ያሳለፈ፤

ምሕረቱ ለዘላለም ነውና።

15ፈርዖንንና ሰራዊቱን በኤርትራ ባሕር ያሰጠመ፤

ምሕረቱ ለዘላለም ነውና።

16ሕዝቡን በምድረ በዳ የመራ፤

ምሕረቱ ለዘላለም ነውና።

17ታላላቅ ነገሥታትን የመታ፤

ምሕረቱ ለዘላለም ነውና።

18ኀያላን ነገሥታትን የገደለ፤

ምሕረቱ ለዘላለም ነውና።

19የአሞራውያንን ንጉሥ ሴዎንን የገደለ፤

ምሕረቱ ለዘላለም ነውና።

20የባሳንን ንጉሥ ዐግን የገደለ፤

ምሕረቱ ለዘላለም ነውና።

21ምድራቸውን ርስት አድርጎ የሰጠ፤

ምሕረቱ ለዘላለም ነውና።

22ለባሪያው ለእስራኤል ርስት አድርጎ የሰጠ፤

ምሕረቱ ለዘላለም ነውና።

23በውርደታችን ጊዜ ያሰበን፤

ምሕረቱ ለዘላለም ነውና።

24ከጠላቶቻችን እጅ ያዳነን፤

ምሕረቱ ለዘላለም ነውና።

25ለፍጡር ሁሉ ምግብን የሚሰጥ፤

ምሕረቱ ለዘላለም ነውና።

26የሰማይን አምላክ አመስግኑ፤

ምሕረቱ ለዘላለም ነውና።

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 136:1-26

स्तोत्र 136

1याहवेह का धन्यवाद करो, क्योंकि वे भले हैं,

सनातन है उनकी करुणा.

2परम परमेश्वर के प्रति आभार अभिव्यक्त करो.

सनातन है उनकी करुणा.

3उनके प्रति, जो प्रधानों के प्रधान हैं, आभार अभिव्यक्त करो:

सनातन है उनकी करुणा.

4उनके प्रति, जिनके अतिरिक्त अन्य कोई अद्भुत कार्य कर ही नहीं सकता,

सनातन है उनकी करुणा.

5जिन्होंने अपनी सुबुद्धि से स्वर्ग का निर्माण किया,

सनातन है उनकी करुणा.

6जिन्होंने जल के ऊपर पृथ्वी का विस्तार कर दिया,

सनातन है उनकी करुणा.

7जिन्होंने प्रखर प्रकाश पुंजों की रचना की,

सनातन है उनकी करुणा.

8दिन के प्रभुत्व के लिए सूर्य का,

सनातन है उनकी करुणा.

9रात्रि के लिए चंद्रमा और तारों का;

सनातन है उनकी करुणा.

10उन्हीं के प्रति, जिन्होंने मिस्र देश के पहलौठों की हत्या की,

सनातन है उनकी करुणा.

11और उनके मध्य से इस्राएल राष्ट्र को बाहर निकाल लिया,

सनातन है उनकी करुणा.

12सशक्त भुजा और ऊंची उठी हुई बांह के द्वारा;

सनातन है उनकी करुणा.

13उन्हीं के प्रति, जिन्होंने लाल सागर को विभक्त कर दिया था

सनातन है उनकी करुणा.

14और उसके मध्य की भूमि से इस्राएलियों को पार करवा दिया,

सनातन है उनकी करुणा.

15किंतु फ़रोह और उसकी सेना को सागर ही में डुबो दिया;

सनातन है उनकी करुणा.

16उन्हीं के प्रति, जिन्होंने अपनी प्रजा को बंजर भूमि से पार कराया;

सनातन है उनकी करुणा.

17जिन्होंने प्रख्यात राजाओं की हत्या की,

सनातन है उनकी करुणा.

18जिन्होंने सशक्त राजाओं का वध कर दिया,

सनातन है उनकी करुणा.

19अमोरियों के राजा सीहोन का,

सनातन है उनकी करुणा.

20बाशान के राजा ओग का,

सनातन है उनकी करुणा.

21तथा उनकी भूमि निज भाग में दे दी,

सनातन है उनकी करुणा.

22अपने सेवक इस्राएल को, निज भाग में दे दी,

सनातन है उनकी करुणा.

23उन्हीं के प्रति, जिन्होंने हमारी दुर्दशा में हमारी सुधि ली,

सनातन है उनकी करुणा.

24और हमें हमारे शत्रुओं से मुक्त किया,

सनातन है उनकी करुणा.

25जो सब प्राणियों के आहार का प्रबंध करते हैं,

सनातन है उनकी करुणा.

26स्वर्गिक परमेश्वर के प्रति आभार अभिव्यक्त करो,

सनातन है उनकी करुणा.