መክብብ 9 – NASV & HCV

New Amharic Standard Version

መክብብ 9:1-18

የሁሉም የመጨረሻ ዕጣ ፈንታ

1ስለዚህ ይህን ሁሉ በልቤ አስቤ እንዲህ አልሁ፤ ጻድቃንና ጠቢባን የሚሠሩትም ሥራ በእግዚአብሔር እጅ ነው፤ ነገር ግን ፍቅር ይሁን ወይም ጥላቻ የሚጠብቀውን ማንም አያውቅም። 2ጻድቃንና ኀጥኣን፣ ደጎችና ክፉዎች9፥2 ሰብዓ ሊቃናት (አቍዊላ) ቨልጌትና ሱርስት እንዲሁ ሲሆኑ፣ ዕብራይስጡ ግን ክፉዎች የሚለው የለም፣ ንጹሓንና ርኩሳን፣ መሥዋዕት የሚያቀርቡና የማያቀርቡ፣ የሁሉም የመጨረሻ ዕጣ ፈንታ አንድ ነው።

ለደጉ ሰው እንደ ሆነው ሁሉ፣

ለኀጢአተኛውም እንዲሁ ነው፤

ለሚምሉት እንደ ሆነው ሁሉ፣

መሐላን ለሚፈሩትም እንዲሁ ነው።

3ከፀሓይ በታች በሁሉም ላይ የሚሆነው ክፋት ይህ ነው፤ የሁሉም የመጨረሻ ዕጣ ፈንታ አንድ ነው። በዚህም ላይ የሰዎች ልብ በክፋት የተሞላ ነው፤ በሕይወት እያሉም በልባቸው ውስጥ እብደት አለ፤ በመጨረሻም ወደ ሙታን ይወርዳሉ። 4በሕያዋን መካከል ያለ ማንኛውም ሰው ተስፋ አለው9፥4 ወይም ታዲያ የሚመረጠው ምንድን ነው? ለሕያዋን ሁሉ ተስፋ አለ፤ በሕይወት ያለ ውሻ ከሞተ አንበሳ ይሻላልና!

5ሕያዋን እንደሚሞቱ ያውቃሉና፤

ሙታን ግን ምንም አያውቁምና፤

መታሰቢያቸው ይረሳል፤

ምንም ዋጋ የላቸውም።

6ፍቅራቸው፣ ጥላቻቸው፣

ቅናታቸውም ከጠፋ ቈይቷል፤

ከፀሓይ በታች በሚሆነው ነገር ሁሉ፣

ፈጽሞ ዕጣ ፈንታ አይኖራቸውም።

7ሂድ፤ ምግብህን በደስታ ብላ፤ ወይንህንም ልብህ ደስ ብሎት ጠጣ፤ ባደረግኸው ነገር እግዚአብሔር ደስ ብሎታልና። 8ዘወትር ልብስህ ነጭ ይሁን፤ ራስህንም ዘወትር በዘይት ቅባ። 9እግዚአብሔር ከፀሓይ በታች በሰጠህ በዚህ ትርጕም የለሽ የሕይወት ዘመን ሁሉ፣ ከንቱ በሆኑትም ቀኖችህ ሁሉ ከምትወድዳት ሚስትህ ጋር ደስ ይበልህ፤ በሕይወትህና ከፀሓይ በታች በምትደክምበት ነገር ሁሉ ይህ ዕድል ፈንታህ ነውና። 10እጅህ የሚያገኘውን ሥራ ሁሉ በሙሉ ኀይልህ ሥራው፤ ልትሄድበት ባለው መቃብር9፥10 በዕብራይስጥ ሲኦል ማለት ነው ውስጥ መሥራትም ሆነ ማቀድ፣ ዕውቀትም ሆነ ጥበብ የለምና።

11ሌላም ነገር ከፀሓይ በታች አየሁ፤

ሩጫ ለፈጣኖች፣

ውጊያም ለኀያላን አይደለም፤

እንጀራ ለጥበበኞች፣

ወይም ባለጠግነት ለብልኆች፣

ወይም ሞገስ ለዐዋቂዎች አይሆንም፤

ጊዜና ዕድል ግን ሁሉን ይገናኛቸዋል።

12ደግሞም የራሱን ጊዜ የሚያውቅ ሰው የለም፤

ዓሦች በክፉ መረብ እንደሚያዙ፣

ወይም ወፎች በወጥመድ እንደሚጠመዱ፣

ሰዎችም ሳያስቡት በሚመጣባቸው፣

በክፉ ጊዜ ይጠመዳሉ።

ጥበብ ከሞኝነት ይበልጣል

13እንዲሁም እጅግ ያስገረመኝን ይህን የጥበብ ምሳሌ ከፀሓይ በታች አየሁ፤ 14ጥቂት ሰዎች የሚኖሩባት አንዲት ትንሽ ከተማ ነበረች፤ አንድ ኀያል ንጉሥም መጣባት፤ ከበባት፤ በላይዋም ትልቅ ምሽግ ሠራባት። 15በዚያችም ከተማ ጥበበኛ የሆነ አንድ ድኻ ሰው ይኖር ነበር፤ በጥበቡም ከተማዋን አዳናት፤ ነገር ግን ያን ድኻ ማንም አላስታወሰውም። 16ስለዚህ፣ “ጥበብ ከኀይል ይበልጣል” አልሁ፤ ሆኖም የድኻው ጥበብ ተንቋል፤ ቃሉም አልተሰማም።

17ሞኞችን ከሚያስተዳድር ገዥ ጩኸት ይልቅ፣

ጠቢብ በዝግታ የሚናገረው ቃል ይደመጣል።

18ጥበብ ከጦር መሣሪያ ይበልጣል፤

ነገር ግን አንድ ኀጢአተኛ ብዙ መልካም ነገርን ያጠፋል።

Hindi Contemporary Version

उद्बोधक 9:1-18

सभी मनुष्य मृत्यु के अधीन

1मैंने सभी कामों में अपना मन लगाया और यह मतलब निकाला कि धर्मी, बुद्धिमान और उनके सारे काम परमेश्वर के हाथ में हैं. मनुष्य को यह मालूम नहीं होता कि उसके सामने क्या होगा; प्रेम या नफ़रत. 2यह सभी के लिए बराबर है. धर्मी और दुष्ट, भले और बुरे, शुद्ध और अशुद्ध, जो बलि चढ़ाता है और जो बलि नहीं चढ़ाता, सभी का अंत एक समान है.

जिस तरह एक भला व्यक्ति है,

उसी तरह एक पापी भी है;

और जिस तरह एक शपथ खानेवाला है,

उसी तरह वह व्यक्ति है जिसके सामने शपथ खाना भय की बात है.

3सूरज के नीचे किए जा रहे हर एक काम में मैंने यही बुराई देखी कि सभी मनुष्यों का एक ही अंत है. मनुष्यों के हृदय बुराई से भरे हैं और उनके पूरे जीवन में पागलपन उनके हृदयों में भरा रहता है. इसके बाद उनकी मृत्यु हो जाती है. 4जो जीवित है उसके लिए आशा है क्योंकि निश्चय ही मरे हुए शेर से जीवित कुत्ता ज्यादा अच्छा है.

5जीवितों को यह मालूम होता है कि उनकी मृत्यु ज़रूर होगी,

मगर मरे हुओं को कुछ भी मालूम नहीं होता;

उन्हें तो कोई ईनाम भी नहीं मिलता,

और जल्द ही उन्हें भुला दिया जाता है.

6इस तरह उनका प्रेम, घृणा और उत्साह खत्म हो गया,

और सूरज के नीचे किए गए किसी भी काम में उनका कोई भाग न होगा.

7इसलिये जाओ और आनंद से भोजन करो और मन में सुख मानकर अंगूर का रस पिया करो क्योंकि पहले ही परमेश्वर तुम्हारे कामों से खुश हैं. 8तुम्हारे कपड़े हमेशा उजले रहें और तुम्हारे सिर पर तेल की कमी न हो. 9सूरज के नीचे परमेश्वर द्वारा दिए गए बेकार के जीवन में अपनी प्यारी पत्नी के साथ खुश रहो, क्योंकि तुम्हारे जीवन का और सूरज के नीचे की गई मेहनत का ईनाम यही है. 10अपने सामने आए हर एक काम को पूरी लगन से करो क्योंकि अधोलोक में जिसकी ओर तुम बढ़ रहे हो, वहां न तो कोई काम या तरकीब, न ज्ञान और न ही बुद्धि है.

11मैंने दोबारा सूरज के नीचे देखा,

कि न तो दौड़ में तेज दौड़ने वाले

और न युद्ध में बलवान ही जीतते हैं,

न बुद्धिमान को भोजन मिलता है

और न ही ज्ञानवान को धन-दौलत

और न ही योग्य को अनुग्रह;

क्योंकि ये समय और संयोग के वश में हैं.

12मनुष्य अपने समय के बारे में नहीं जानता:

जैसे बुरे जाल में फंसी एक मछली के,

और फंदे में फंसे पक्षियों के समान,

वैसे ही मनुष्य बुरे समय में जा फंसेगा

जब यह अचानक ही उस पर आ पड़ेगा.

मूर्खता से बेहतर है बुद्धि

13मैंने सूरज के नीचे बुद्धि का एक और उदाहरण देखा, जिसने मुझे बहुत प्रभावित किया. 14बहुत ही थोड़े लोगों का एक छोटा नगर था इसमें एक बहुत ही सम्मानित राजा आया और उसने इस नगर के विरुद्ध घेराव किया. 15मगर उस नगर के एक साधारण लेकिन बुद्धिमान ने अपनी बुद्धि द्वारा इस नगर को छुड़वा दिया. फिर भी उस सीधे-सादे को किसी ने याद नहीं किया. 16इसलिये मैंने यह कहा, “बुद्धि शक्ति से बढ़कर है.” लेकिन किसी सीधे-सादे की बुद्धि को तुच्छ ही जाना जाता है और उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया जाता.

17मूर्खों के बीच राजा की चिल्लाहट से अकेले में

बुद्धिमान की बातें सुन लेना कहीं ज्यादा अच्छा है.

18युद्ध के शस्त्रों की तुलना में बुद्धि ज्यादा अच्छी है,

मगर एक पापी हर एक अच्छी चीज़ का नाश कर देता है.