መሳፍንት 3 – NASV & HCV

New Amharic Standard Version

መሳፍንት 3:1-31

1በዚህ ጊዜ በከነዓን ላይ በተደረጉት ጦርነቶች ተሳትፈው የማያውቁትን እስራኤላውያን ለመፈተን፣ እግዚአብሔር ባሉበት የተዋቸው ሕዝቦች እነዚህ ናቸው፤ 2ይህን ማድረጉ ቀደም ሲል በጦር ሜዳ ውለው የማያውቁትን የእስራኤል ልጆች የጦርነት ልምድ እንዲያገኙ ለማድረግ ብቻ ነው፤ 3እነዚህም አሕዛብ አምስቱ የፍልስጥኤም ገዦች፣ ከነዓናውያን በሙሉ፣ ሲዶናውያንና ከበኣል አርሞንዔም ተራራ እስከ ሐማት3፥3 ወይም እስከ መግቢያው ድረርስ መግቢያ ባሉት የሊባኖስ ተራሮች የሚኖሩ ኤዊያውያን ነበሩ። 4እነዚህ፣ እግዚአብሔር በሙሴ በኩል ለቀደሙ አባቶቻቸው የሰጠውን ትእዛዞች ማክበር አለማክበራቸውን ለማወቅ መፈተኛ እንዲሆኑ እዚያው የቀሩ ነበሩ።

5ስለዚህ እስራኤላውያን ከከነዓናውያን፣ ከኬጢያውያን፣ ከአሞራውያን፣ ከፌርዛውያን፣ ከኤዊያውያንና ከኢያቡሳውያን ጋር አብረው ኖሩ። 6እስራኤላውያን የእነዚህን ሴቶች ልጆች አገቡ፤ የራሳቸውንም ሴቶች ልጆች ለእነርሱ ወንዶች ልጆች ዳሩ፤ አማልክታቸውንም አመለኩ።

ጎቶንያል

7እስራኤላውያን በእግዚአብሔር ፊት ክፉ ድርጊት ፈጸሙ፤ እግዚአብሔር አምላካቸውንም ረሱ፤ የበኣልንና የአስታሮትን አማልክት አመለኩ። 8እግዚአብሔር በእስራኤላውያን ላይ እጅግ ተቈጣ፤ ስለዚህ ለመስጴጦምያ3፥8 ሰሜን ምዕራብ መስጴጦምያ ነው። ንጉሥ ለኵስርስቴም አሳልፎ ሰጣቸው፤ እስራኤላውያንም ስምንት ዓመት በባርነት ተገዙለት። 9እስራኤላውያን ወደ እግዚአብሔር በጮኹ ጊዜ ግን የካሌብን ታናሽ ወንድም የቄኔዝን ልጅ ጎቶንያልን ታዳጊ አድርጎ አስነሣላቸው። 10የእግዚአብሔር መንፈስ በእርሱ ላይ ወረደ፤ የእስራኤል መስፍን3፥10 ወይም መሪ ሆኖ ወደ ጦርነትም ወጣ። እግዚአብሔር የመስጴጦምያን ንጉሥ ኵስርስቴምን አሳልፎ ስለ ሰጠው ድል አደረገ። 11የቄኔዝ ልጅ ጎቶንያል እስከ ሞተበት ጊዜ ድረስ ምድሪቱ ለአርባ ዓመት ሰላም አገኘች።

ናዖድ

12እስራኤላውያን እንደ ገና በእግዚአብሔር ፊት ክፉ ድርጊት ፈጸሙ፤ ይህን በማድረ ጋቸውም እግዚአብሔር የሞዓብ ንጉሥ ዔግሎን በእስራኤል ላይ እንዲበረታባቸው አደረገ። 13እርሱም አሞናውያንንና አማሌቃውያንን ካስተባበረ በኋላ እስራኤልን ወግቶ የዘንባባ ዛፎች3፥13 ኢያሪኮ ነች ከተማ የሆነችውን ኢያሪኮን ያዙ። 14እስራኤላውያንም ለሞዓብ ንጉሥ ለዔግሎን ዐሥራ ስምንት ዓመት ተገዘሉት።

15እስራኤላውያን እንደ ገና ወደ እግዚአብሔር ጮኹ፤ እግዚአብሔርም ብንያማዊውን የጌራን ልጅ ግራኙን ናዖድን ነጻ እንዲያወጣቸው አስነሣው። እስራኤላውያን ናዖድን ግብር አስይዘው ወደ ሞዓብ ንጉሥ ወደ ዔግሎን ላኩት። 16እርሱም በሁለት በኩል ስለታም የሆነና አንድ ክንድ ተኩል ርዝመት3፥16 0.5 ሜትር ያህል ነው ያለው ሰይፍ አዘጋጅቶ በልብሱ ውስጥ በቀኝ ጭኑ ላይ አሰረው። 17ግብሩንም ወፍራም ለነበረው ለሞዓብ ንጉሥ ለዔግሎን አቀረበ፤ 18ናዖድም ግብሩን ካቀረበ በኋላ፣ ግብር ተሸክመው የመጡት ሰዎች ተመልሰው እንዲሄዱ አደረገ። 19እርሱ ራሱ ግን ጌልጌላ አጠገብ ድንጋዮች3፥19 በዚህና በቍጥር 26 ላይ ጣዖት ተብሎ ሊተረጐም ይችላል። ተጠርበው ከሚወጡበት አካባቢ ሲደርስ ወደ ኋላ በመመለስ ወደ ንጉሡ ሄዶ፣ “ንጉሥ ሆይ፤ በምስጢር የምነግርህ ነገር አለኝ” አለው።

ንጉሡም፣ “ጸጥታ” ሲል፤ አጠገቡ የነበሩት አገልጋዮች በሙሉ ትተውት ወጡ።

20ንጉሡ ሰገነት ላይ ባለው ነፋሻ ዕልፍኝ3፥20 የዕብራይስጡ ሐረግ ትርጕም በትክክል አይታወቅም። ውስጥ ብቻውን ተቀምጦ ሳለ ናዖድ ቀረብ ብሎ፣ “ከእግዚአብሔር ዘንድ ለአንተ ያመጣሁት መልእክት አለኝ” አለው፤ ንጉሡም ከዙፋኑ ተነሣ። 21ናዖድ ግራ እጁን ሰደድ በማድረግ ሰይፉን ከደበቀበት ከቀኝ ጭኑ መዝዞ በንጉሡ ሆድ ሻጠው። 22እጀታው ሳይቀር ሰይፉ እንዳለ ሆዱ ውስጥ ገባ፤ ስለቱም በጀርባው ወጣ፤ ሞራም ስለቱን ሸፈነው፤ ናዖድ ሰይፉን ስላልነቀለው አንጀቱ ተዘረገፈ። 23ከዚያም በኋላ ናዖድ በዕልፍኙ3፥23 የዕብራስጡ ቃል ትርጕም በትክክል አይታወቅም። መግቢያ ወጣ፤ የዕልፍኙንም በር በንጉሡ ላይ ዘግቶ ቈለፈው።

24ናዖድ ከሄደ በኋላ፣ የንጉሡ አገልጋዮች ሲመጡ፣ የዕልፍኙ በር ተቈልፎ አገኙት፤ እነርሱም፣ “በውስጠኛው ክፍል እየተጸዳዳ ይሆናል” አሉ፤ 25እስኪደክማቸውም ድረስ ጠበቁ፤ ነገር ግን ንጉሡ የዕልፍኙን በሮች ባለመክፈቱ ቍልፍ ወስደው ከፈቱ፤ በዚያም ጌታቸው ሞቶ፣ በወለሉም ላይ ተዘርግቶ አገኙት።

26የንጉሡ አገልጋዮች በዕልፍኙ በር ላይ ቆመው ሲጠባበቁ ናዖድ ርቆ ሄደ፤ ድንጋዮች ተጠርበው በሚወጡበት በኩል ወደ ሴርታይም አመለጠ። 27እዚያም እንደ ደረሰ፣ በኰረብታማው በኤፍሬም ምድር ቀንደ መለከቱን ነፋ፤ እስራኤላውያንም በእርሱ መሪነት ከኰረብታው ላይ አብረውት ወረዱ።

28እርሱም፣ “ጠላታችሁን ሞዓብን እግዚአብሔር በእጃችሁ አሳልፎ ስለ ሰጣችሁ ተከተሉኝ” በማለት አዘዛቸው፤ እነርሱም ተከትለውት ወረዱ፤ ከዚያም ከዮርዳኖስ ወደ ሞዓብ የሚያሻግሩትን መልካዎች በመያዝ አንድም ሰው እንዳያልፍ ከለከሉ። 29በዚያን ጊዜ ብርቱና ኀይለኛ የሆኑ ዐሥር ሺሕ ሞዓባውያንን ገደሉ፤ አንድም ሰው አላመለጠም። 30በዚያን ቀን ሞዓብ በእስራኤል ድል ሆነች፤ ምድሪቱም ለሰማንያ ዓመት ሰላም አገኘች።

ሰሜጋር

31ከናዖድ በኋላ ስድስት መቶ ፍልስጥኤማውያንን በበሬ መንጃ የገደለው የዓናት ልጅ ሰሜጋር ተነሣ፤ እርሱም እንደዚሁ ደግሞ እስራኤልን አዳነ።

Hindi Contemporary Version

प्रशासक 3:1-31

1उन जनताओं को याहवेह ने नहीं हटाया कि याहवेह इनके द्वारा इस्राएल की नयी पीढ़ी को, जो कनान के किसी भी युद्ध में शामिल नहीं हुए थे, परख सके, 2और उन्हें युद्ध की कला में शिक्षित किया जा सके, जिन्हें इसके पहले युद्ध का कोई अनुभव न हो सका था. 3वे जनता ये थे: फिलिस्तीनी, (जिनका शासन पांच नगरों में बंट कर हो रहा था), बाल-हरमोन पर्वत से लेकर लबो-हामाथ तक लबानोन पर्वत पर रह रहे सभी कनानी, सीदोनी तथा हिव्वी. 4ये सभी इस्राएल को परखने के लिए रखे गए थे, कि यह स्पष्ट हो जाए, कि वे याहवेह के आदेशों, जो उनके पुरखों को याहवेह ने मोशेह के द्वारा दिए थे, उनका पालन करते हैं या नहीं.

5इस्राएल के वंशज कनानी, हित्ती, अमोरी, परिज्ज़ी, हिव्वी तथा यबूसियों के बीच रहते रहे. 6वे उनकी बेटियों को अपनी पत्नी बनाने के लिए ले लेते थे, तथा अपनी बेटियों को उनके बेटों को दे दिया करते थे, तथा उनके देवताओं की सेवा-उपासना भी करते थे.

ओथनीएल

7इस्राएल वंशजों ने वह किया, जो याहवेह की नज़र में बुरा था. उन्होंने याहवेह, अपने परमेश्वर को भुलाकर, बाल तथा अशेरा की सेवा-उपासना करना शुरू कर दिया. 8याहवेह का क्रोध इस्राएल के विरुद्ध भड़क उठा. इस कारण याहवेह ने उन्हें मेसोपोतामिया के राजा कूशन-रिशाथईम के हाथों में बेच दिया. इस्राएल वंशज आठ साल कूशन-रिशाथईम के दासत्व में रहे.

पहले प्रशासक द्वारा इस्राएल का छुटकारा

9मगर जब इस्राएल वंशजों ने याहवेह की दोहाई दी, याहवेह ने इस्राएल वंशजों के लिए एक छुड़ानेवाले का उदय किया, कि वह इस्राएल वंशजों को छुड़ाए: कालेब के छोटे भाई केनज़ के पुत्र ओथनीएल को. 10याहवेह का आत्मा उस पर उतरा, और उसने इस्राएल पर शासन किया. जब वह युद्ध के लिए आगे बढ़ा, याहवेह ने मेसोपोतामिया के राजा कुशान-रिशाथईम को उसके अधीन कर दिया. फलस्वरूप, कूशन-रिशाथईम ओथनीएल के अधीन हो गया. 11इसके बाद देश में चालीस सालों तक शांति बनी रही, फिर केनज़ के पुत्र ओथनीएल की मृत्यु हो गई.

एहूद

12एक बार फिर इस्राएल के वंशजों ने वह किया, जो याहवेह की नज़र में गलत था. इस कारण याहवेह ने इस्राएल के विरुद्ध मोआब के राजा एगलोन की शक्ति बढ़ा दी, क्योंकि उन्होंने वह किया था, जो याहवेह की नज़र में गलत था. 13एगलोन ने अम्मोन के वंशजों तथा अमालेक के वंशजों से मित्रता कर ली. उसने हमला कर इस्राएल को हरा दिया तथा खजूर वृक्षों के नगर3:13 खजूर वृक्षों के नगर अर्थात् येरीख़ो को अपने वश में कर लिया. 14इस्राएल के वंशज अठारह वर्ष मोआब के राजा एगलोन के दासत्व में रहे.

15तब इस्राएल के वंशजों ने याहवेह की दोहाई दी, और याहवेह ने उनके लिए एक छुड़ानेवाले का उदय किया, बिन्यामिन के वंशज गेरा का पुत्र एहूद का. वह बांए हाथ से काम करता था. इस्राएलियों ने उसी के द्वारा मोआब के राजा एगलोन को कर की राशि भेजी थी. 16एहूद ने अपने लिए दोधारी तलवार बना रखी थी, जिसकी लंबाई लगभग आधा मीटर थी. इसे उसने अपने बाहरी वस्त्र के भीतर दाईं जांघ पर बांध रखा था. 17उसने मोआब के राजा एगलोन को कर राशि भेंट की. एगलोन बहुत ही मोटा व्यक्ति था. 18जब एहूद उसे कर राशि भेंट कर चुका, उसने उन सभी व्यक्तियों को भेज दिया, जो उसके साथ आए थे. 19एहूद स्वयं गिलगाल की मूर्तियों के पास पहुंचने के बाद वहां से लौट आया और राजा को कहा, “महाराज, मुझे आपको एक गुप्‍त संदेश देना है.”

राजा ने आदेश दिया, “शांति!” तब सभी सेवक कमरे से बाहर चले गए.

20एहूद राजा के निकट गया. राजा इस समय छत पर बने अपने ठण्ड़े कमरे में अकेला बैठा हुआ था. एहूद ने राजा से कहा, “मुझे परमेश्वर की ओर से आपके लिए भेजा हुआ एक संदेश देना है.” सो राजा अपने आसन से उठ खड़ा हुआ. 21एहूद ने अपने बाएं हाथ से दाईं जांघ पर बंधी हुई तलवार निकाली और राजा के पेट में भोंक दी. 22फ़लक के साथ मुठिया भी भीतर चली गई और चर्बी ने फ़लक को ढक लिया. एहूद ने एगलोन के पेट से तलवार बाहर नहीं निकाली. पेट में से मल बाहर निकल आया. 23एहूद बाहर बरामदा में चला गया, उसने अपने पीछे छत के कमरे के दरवाजे बंद कर दिए और ताला लगा दिया.

24जब वह जा चुका, राजा के सेवक आए और उन्होंने देखा कि दरवाजे पर ताला लगा हुआ है, उन्होंने सोचा, “महाराज ठण्ड़े कमरे में आराम कर रहे होंगे.” 25वे लोग इतनी देर तक इंतजार करते-करते व्याकुल हो गए. फिर भी जब छत के कमरे का दरवाजा न खुला, उन्होंने चाबी लेकर दरवाजा खोला तो देखा कि उनका स्वामी भूमि पर मरा पड़ा हुआ था.

26यहां, जब वे इंतजार कर रहे थे, एहूद निकल भागा. वह मूर्तियों के पास से निकलकर सईरा जा पहुंचा. 27वहां उसने एफ्राईम के पहाड़ी प्रदेश में तुरही फूंका. इस्राएल के वंशज पहाड़ी इलाके से उसका पीछा करते हुए नीचे आए और वह उनका अगुआ बन गया.

28उसने घोषणा की, “मेरे पीछे चले आओ, क्योंकि याहवेह ने तुम्हारे शत्रु मोआबियों को तुम्हारे अधीन कर दिया है.” सो वे उसके साथ गए और जाकर यरदन के घाटों को, जो मोआब के परे थे, अपने अधीन कर लिया और किसी को भी पार जाने न दिया. 29उस समय उन्होंने लगभग दस हज़ार मोआबियों को मार डाला. ये सभी हष्ट-पुष्ट पुरुष थे. इनमें से एक भी बचकर निकल न सका. 30इस प्रकार उस दिन इस्राएल ने मोआब को अपने अधीन कर लिया. इसके बाद देश में अस्सी साल तक शांति बनी रही.

शमगर

31एहूद के बाद अनात के पुत्र शमगर ने बैलों को हांकने की छड़ी का प्रयोग कर छः सौ फिलिस्तीनियों को मार डाला और इस प्रकार उसने भी इस्राएल को छुटकारा दिलाया.