ሉቃስ 5 – NASV & NCA

New Amharic Standard Version

ሉቃስ 5:1-39

የመጀመሪያዎቹ ደቀ መዛሙርት ተጠሩ

5፥1-11 ተጓ ምብ – ማቴ 4፥18-22ማር 1፥16-20ዮሐ 1፥40-42

1ሕዝቡ ዙሪያውን እያጨናነቁት የሚያስተምረውን የእግዚአብሔርን ቃል ሲሰሙ፣ ኢየሱስ በጌንሳሬጥ ሐይቅ5፥1 የገሊላ ባሕር ነው አጠገብ ቆሞ ነበር፤ 2በዚህ ጊዜ ሁለት ጀልባዎች በሐይቁ ዳርቻ ቆመው አየ፤ ዓሣ አጥማጆቹ ግን ከጀልባዎቹ ወርደው መረባቸውን ያጥቡ ነበር። 3ከጀልባዎቹም መካከል የስምዖን ወደ ነበረችው ገብቶ፣ ከምድር ጥቂት ፈቀቅ እንዲያደርጋት ለመነው፤ ከዚያም ጀልባዋ ላይ ተቀምጦ ሕዝቡን ያስተምር ጀመር።

4ንግግሩን በጨረሰ ጊዜ ስምዖንን፣ “ወደ ጥልቁ ውሃ ፈቀቅ በልና ዓሣ ለመያዝ መረባችሁን ጣሉ” አለው።

5ስምዖንም መልሶ፣ “መምህር ሆይ፤ ሌሊቱን ሙሉ ስንደክም ዐድረን ምንም አልያዝንም፤ አንተ ካልህ ግን መረቦቹን እጥላለሁ” አለው።

6እንደዚያም ባደረጉ ጊዜ እጅግ ብዙ ዓሣ ያዙ፤ መረባቸውም ይበጣጠስ ጀመር። 7በሌላ ጀልባ የነበሩት ባልንጀሮቻቸው መጥተው እንዲያግዟቸውም በምልክት ጠሯቸው፤ እነርሱም መጥተው ሁለቱን ጀልባዎች በዓሣ ሞሏቸው፣ ጀልባዎቹም መስመጥ ጀመሩ።

8ስምዖን ጴጥሮስም ይህን ባየ ጊዜ በኢየሱስ ጕልበት ላይ ወድቆ፣ “ጌታ ሆይ፤ እኔ ኀጢአተኛ ሰው ነኝና ከእኔ ተለይ” አለው። 9ይህን ያለው እርሱና ከእርሱ ጋር የነበሩት በያዙት ዓሣ ብዛት ስለ ተደነቁ ነው፤ 10ደግሞም የስምዖን ባልንጀሮች የነበሩት የዘብዴዎስ ልጆች፣ ያዕቆብና ዮሐንስም ተደነቁ።

ኢየሱስም ስምዖንን፣ “አትፍራ፤ ከእንግዲህ ሰውን የምታጠምድ ትሆናለህ” አለው። 11እነርሱም ጀልባዎቹን ወደ ምድር ካስጠጉ በኋላ፣ ሁሉን ትተው ተከተሉት።

ለምጻሙ ሰው

5፥12-14 ተጓ ምብ – ማቴ 8፥2-4ማር 1፥40-44

12ኢየሱስ ከከተሞች በአንዱ በነበረበት ጊዜ፣ አንድ ለምጽ የወረሰው5፥12 የግሪኩ ቃል የግድ ከለምጽ ጋር ብቻ የተያያዘ ሳይሆን፣ የተለያዩ የቈዳ በሽታዎችንም ለመግለጽ ጥቅም ላይ ይውላል። ሰው በዚያው ከተማ ነበር፤ ይህ ሰው ኢየሱስን ባየው ጊዜ በፊቱ ተደፋና፣ “ጌታ ሆይ፤ ብትፈቅድ እኮ ልታነጻኝ ትችላለህ” ብሎ ለመነው።

13ኢየሱስም እጁን ዘርግቶ ዳሰሰውና፣ “እፈቅዳለሁ፤ ንጻ!” አለው፤ ወዲያውም ለምጹ ጠፋለት።

14ኢየሱስም፣ “ይህን ለማንም አትናገር፤ ነገር ግን ሄደህ ራስህን ለካህን አሳይ፤ ለእነርሱ ምስክር እንዲሆንም ስለ መንጻትህ ሙሴ ያዘዘውን መሥዋዕት አቅርብ” ሲል አዘዘው።

15ይሁን እንጂ ስለ እርሱ የሚወራው ወሬ ይበልጥ እየሰፋ ሄደ፤ እጅግ ብዙ ሰዎችም እርሱ የሚናገረውን ለመስማትና ካለባቸው ደዌ ለመፈወስ ይሰበሰቡ ነበር። 16ኢየሱስ ግን ብዙ ጊዜ ወደ ገለልተኛ ስፍራ ወጥቶ ይጸልይ ነበር።

ኢየሱስ ሽባውን ሰው ፈወሰ

5፥18-26 ተጓ ምብ – ማቴ 9፥2-8ማር 2፥3-12

17አንድ ቀን ኢየሱስ እያስተማረ ነበር፤ በዚያም ከገሊላና ከይሁዳ መንደሮች ሁሉ እንዲሁም ከኢየሩሳሌም የመጡ ፈሪሳውያንና የሕግ መምህራን ተቀምጠው ነበር፤ ይፈውስም ዘንድ የጌታ ኀይል ከእርሱ ጋር ነበረ። 18በዚያን ጊዜም፣ ሰዎች አንድ ሽባ በዐልጋ ተሸክመው አመጡ፤ ኢየሱስ ፊት ለማኖርም ወደ ቤት ሊያስገቡት ሞከሩ፤ 19ከሕዝቡም ብዛት የተነሣ ቤቱ ውስጥ ማስገባት ስላቃታቸው፣ ጣራው ላይ ወጥተው የቤቱን ክዳን በመንደል በሽተኛውን ከነዐልጋው በሕዝቡ መካከል ቀጥታ ኢየሱስ ፊት አወረዱት።

20ኢየሱስም እምነታቸውን አይቶ፣ “አንተ ሰው፤ ኀጢአትህ ተሰርዮልሃል” አለው።

21ጸሐፍትና ፈሪሳውያንም፣ “ይህ አምላክን በመዳፈር እንዲህ የሚናገር ማን ነው? ከአንዱ ከእግዚአብሔር በስተቀር ኀጢአትን ሊያስተስረይ ማን ይችላል?” ብለው ያስቡ ጀመር።

22ኢየሱስም ሐሳባቸውን ስለ ተረዳ እንዲህ አላቸው፤ “ለምን በልባችሁ እንዲህ ታስባላችሁ? 23‘ኀጢአትህ ተሰረየችልህ’ ከማለትና ‘ተነሥተህ ሂድ’ ከማለት የትኛው ይቀላል? 24ነገር ግን ይህን ያልሁት የሰው ልጅ በምድር ላይ ኀጢአትን ለማስተስረይ ሥልጣን እንዳለው ታውቁ ዘንድ ነው።” ከዚያም ሽባውን ሰው፣ “ተነሥተህ ዐልጋህን ተሸክመህ ወደ ቤትህ ሂድ እልሃለሁ” አለው። 25እርሱም ወዲያው ተነሥቶ በፊታቸው ቆመ፤ ተኝቶበት የነበረውንም ተሸክሞ፣ እግዚአብሔርን እያመሰገነ ወደ ቤቱ ሄደ። 26በዚህ ጊዜ ሁሉንም መገረም ያዛቸው፤ እግዚአብሔርንም እያመሰገኑ፣ “ዛሬ እኮ ድንቅ ነገር አየን” እያሉ በፍርሀት ተዋጡ።

የሌዊ መጠራት

5፥27-32 ተጓ ምብ – ማቴ 9፥9-13ማር 2፥14-17

27ከዚህ በኋላ ኢየሱስ ከዚያ ወጥቶ ሄደ፤ ሌዊ የተባለ አንድ ቀረጥ ሰብሳቢም በቀረጥ መቀበያው ቦታ ተቀምጦ አየውና፣ “ተከተለኝ” አለው፤ 28እርሱም ሁሉን ትቶ ተነሥቶ ተከተለው።

29ሌዊም ለኢየሱስ በቤቱ ትልቅ ግብዣ አደረገ፤ ብዙ ቀረጥ ሰብሳቢዎችና ሌሎች ሰዎችም ከእነርሱ ጋር በማእድ ተቀምጠው ነበር። 30ፈሪሳውያንና ጸሐፍታቸውም “ከቀረጥ ሰብሳቢዎችና ‘ከኀጢአተኞች’ ጋር የምትበሉትና የምትጠጡት ለምንድን ነው?” እያሉ በደቀ መዛሙርቱ ላይ አጕረመረሙ።

31ኢየሱስም እንዲህ ሲል መለሰላቸው፤ “በሽተኞች እንጂ ጤነኞች ሐኪም አያስፈልጋቸውም፤ 32እኔም ኀጢአተኞችን ወደ ንስሓ ልመልስ እንጂ ጻድቃንን ልጠራ አልመጣሁም።”

ኢየሱስ ስለ ጾም ተጠየቀ

5፥33-39 ተጓ ምብ – ማቴ 9፥14-17ማር 2፥18-22

33እነርሱም፣ “የዮሐንስ ደቀ መዛሙርት አብዛኛውን ጊዜ ይጾማሉ፤ ይጸልያሉ፤ የፈሪሳውያን ደቀ መዛሙርትም እንደዚሁ ያደርጋሉ፤ የአንተዎቹ ግን ዘወትር ይበላሉ፤ ይጠጣሉ” አሉት።

34ኢየሱስም እንዲህ አላቸው፤ “ሙሽራው አብሯቸው እያለ ዕድምተኞቹ እንዲጾሙ ማድረግ ይቻላልን? 35ነገር ግን ሙሽራው ከእነርሱ የሚወሰድበት ቀን ይመጣል፤ በዚያን ጊዜ ይጾማሉ።”

36ደግሞም እንዲህ ሲል ምሳሌ ነገራቸው፤ “ከአዲስ ልብስ ላይ ዕራፊ ቀድዶ በአሮጌ ልብስ ላይ የሚጥፍ ማንም የለም፤ እንዲህ ቢያደርግ አዲሱን ልብስ ይቀድደዋል፤ አዲሱም እራፊ ለአሮጌው ልብስ አይስማማውም። 37አዲስ የወይን ጠጅም በአሮጌ አቍማዳ ጨምሮ የሚያስቀምጥ ማንም የለም፤ እንዲህ ቢያደርግ አዲሱ የወይን ጠጅ አቍማዳውን ያፈነዳዋል፤ የወይን ጠጁም ይፈስሳል፤ አቍማዳውም ከጥቅም ውጭ ይሆናል። 38ስለዚህ አዲስ የወይን ጠጅ በአዲስ አቍማዳ መጨመር አለበት፤ 39እንግዲህ፣ አሮጌ የወይን ጠጅ ከጠጣ በኋላ፣ አዲሱን የሚሻ ማንም የለም፤ ምክንያቱም፣ ‘አሮጌው የተሻለ ነው’ ስለሚል ነው።”

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

लूका 5:1-39

पहिली चेलामन के बुलाहट

(मत्ती 4:18-22; मरकुस 1:16-20)

1एक दिन यीसू गन्नेसरत झील के तीर म ठाढ़े रहय अऊ परमेसर के बचन सुने बर मनखेमन के भीड़ ह ओकर ऊपर गिरे पड़त रहय। 2ओह दू ठन डोंगा पानी के तीर म देखिस, जऊन ला मछुआरमन छोंड़के अपन जालमन ला धोवत रहंय। 3ओह ओम के एक ठन डोंगा म चघिस, जऊन ह सिमोन के रिहिस अऊ यीसू ह ओला कहिस, “डोंगा ला पानी के तीर ले थोरकन दूरिहा ले चल।” तब यीसू ह डोंगा म बईठ गीस अऊ उहां ले मनखेमन ला उपदेस देवन लगिस।

4जब ओह उपदेस दे चुकिस, त सिमोन ला कहिस, “डोंगा ला गहिरा पानी म ले चल अऊ मछरी पकड़े बर अपन जाल ला डार।”

5सिमोन ह कहिस, “हे मालिक, हमन रात भर बहुंत मिहनत करेन, तभो ले कुछू नइं पायेन। पर तोर कहे म मेंह जाल ला फेर डारत हवंव।”

6जब ओमन अइसने करिन, त जाल म अतकी जादा मछरी फंसिन कि जाल ह चीराय लगिस। 7एकरसेति ओमन अपन संगवारीमन ला जऊन मन दूसर डोंगा म रहंय, इसारा करिन कि ओमन आके मदद करंय; अऊ ओमन आईन अऊ दूनों डोंगा ला मछरी ले अतकी भर लीन कि डोंगामन बुड़न लगिन।

8जब सिमोन पतरस एला देखिस, त ओह यीसू के गोड़ खाल्‍हे गिरिस अऊ कहिस, “हे परभू! मोर करा ले चले जा; मेंह एक पापी मनखे अंव।” 9काबरकि अतकी जादा मछरी फंसे के कारन, ओह अऊ ओकर जम्मो संगीमन अचम्भो करत रिहिन, 10अऊ एहीच दसा जबदी के बेटा याकूब अऊ यूहन्ना के घलो रहय, जऊन मन सिमोन के संगवारी रिहिन। तब यीसू ह सिमोन ला कहिस, “झन डर्रा; अब ले तेंह मनखेमन ला पकड़े करबे।” 11ओमन डोंगामन ला पानी के तीर म लानिन अऊ जम्मो कुछू ला छोंड़के यीसू के पाछू हो लीन।

एक कोढ़ी मनखे

(मत्ती 8:1-4; मरकुस 1:40-45)

12जब यीसू ह एक नगर म रिहिस, त उहां कोढ़ ले भरे एक मनखे आईस। जब ओह यीसू ला देखिस, त मुहूं के भार भुइयां म गिरके ओकर ले बिनती करिस, “हे परभू, यदि तेंह चाहस, त मोला सुध कर सकथस।”

13यीसू ह अपन हांथ ला लमाके ओ मनखे ला छुईस अऊ कहिस, “मेंह चाहत हंव कि तेंह सुध हो जा।” अऊ तुरते ओकर कोढ़ ह गायब हो गीस।

14तब यीसू ह ओला हुकूम दीस, “ए बात कोनो ला झन बताबे, पर जा अऊ अपन-आप ला पुरोहित ला देखा अऊ सुध होय के बारे म मूसा ह जइसने हुकूम दे हवय, वइसने बलिदान चघा, ताकि मनखेमन जान लेवंय कि तेंह बने हो गे हवस।”

15यीसू के बारे म अऊ खबर फइल गीस, अऊ मनखेमन के भीड़ यीसू के बात सुने बर अऊ अपन बेमारी ले बने होय बर आय लगिन। 16पर यीसू ह अक्सर सुनसान जगह म जावय अऊ पराथना करय।

यीसू ह लकवा के मारे मनखे ला बने करथे

(मत्ती 9:1-8; मरकुस 2:1-12)

17एक दिन जब यीसू ह उपदेस देवत रहय, त फरीसीमन अऊ कानून के गुरूमन उहां बईठे रहंय, जऊन मन गलील अऊ यहूदिया प्रदेस के जम्मो गांव ले, अऊ यरूसलेम ले आय रहंय। अऊ परभू के सामरथ बेमरहामन ला बने करे बर यीसू के संग रहय। 18कुछू मनखेमन लकवा के मारे एक मनखे ला खटिया म उठाके लानिन। ओमन ओला घर के भीतर ले जाय के कोसिस करिन ताकि ओला यीसू के आघू म रख सकंय। 19जब ओमन भीड़ के मारे ओला भीतर नइं ले जा सकिन, तब ओमन छानी के ऊपर चघिन अऊ खपरा ला टारके ओमन ओला खटिया म, भीड़ के मांझा म, ठोका यीसू के आघू म उतारिन।

20जब यीसू ह ओमन के बिसवास ला देखिस, त ओह लकवा के मारे मनखे ला कहिस, “संगी, तोर पाप छेमा होईस।”

21फरीसीमन अऊ कानून के गुरूमन अपन-अपन मन म सोचे लगिन, “ए कोन मनखे ए जऊन ह परमेसर के निन्दा करथे? सिरिप परमेसर के छोंड़ अऊ कोन पाप ला छेमा कर सकथे?”

22यीसू ह ओमन के मन के बात ला जानत रिहिस। ओह ओमन ले पुछिस, “तुमन ए बात अपन मन म काबर सोचत हव? 23का कहना सरल ए? ए कहना, ‘तोर पाप छेमा होईस’, कि ए कहना, ‘उठ अऊ चल फिर।’ 24तुमन ए बात ला जान लेवव कि मनखे के बेटा ला ए धरती म पाप छेमा करे के अधिकार हवय।” ओह लकवा के मारे मनखे ला कहिस, “मेंह तोला कहत हंव, उठ अऊ अपन खटिया उठाके घर जा5:24 यीसू ह अपन बर “मनखे के बेटा” नांव के उपयोग करथे अऊ एहीच नांव के उपयोग दानिएल अगमजानी घलो मसीह बर करे हवय (दानिएल 7:13)।।” 25तुरते ओह ओमन के आघू म उठिस अऊ जऊन खटिया म ओह पड़े रिहिस, ओला उठाईस अऊ परमेसर के इस्तुति करत अपन घर चल दीस। 26तब ओ जम्मो झन चकित हो गीन अऊ परमेसर के महिमा करिन। ओमन म डर हमा गीस अऊ ओमन कहे लगिन, “हमन आज चमतकार होवत देखे हवन।”

यीसू ह लेवी ला बलाथे

(मत्ती 9:9-13; मरकुस 2:13-17)

27एकर बाद, यीसू ह बाहिर निकरिस अऊ लेवी नांव के एक झन लगान लेवइया ला अपन नाका म बईठे देखिस। यीसू ह ओला कहिस, “मोर पाछू चले आ।” 28लेवी ह उठिस अऊ जम्मो कुछू ला छोंड़के यीसू के पाछू हो लीस।

29तब लेवी ह यीसू बर अपन घर म एक बड़े भोज के आयोजन करिस, अऊ लगान लेवइया अऊ आने पहुनामन के एक बड़े भीड़ ह ओमन के संग म खावत रिहिस। 30पर फरीसी अऊ कानून के गुरू मन यीसू के चेलामन ले ए कहिके सिकायत करन लगिन, “तुमन लगान लेवइया अऊ पापी मन संग काबर खाथव अऊ पीथव?”

31यीसू ह ओमन ला जबाब दीस, “भला-चंगा मनखेमन ला डाक्टर के जरूरत नइं होवय, पर बेमरहामन ला होथे। 32मेंह धरमीमन ला नइं, पर पापीमन ला पछताप करे बर बलाय आय हवंव।”

उपास के बारे म सवाल

(मत्ती 9:14-17; मरकुस 2:18-22)

33ओमन यीसू ले कहिन, “यूहन्ना बतिसमा देवइया के चेलामन अक्सर उपास रखथें अऊ पराथना करथें, अऊ अइसने फरीसीमन के चेलामन घलो करथें, पर तोर चेलामन खावत-पीयत रहिथंय।”

34यीसू ह जबाब दीस, “का तुमन बरातीमन ले, जब तक दुल्‍हा ह ओमन के संग हवय, उपास करा सकथव? 35पर ओ समय आही, जब दुल्‍हा ह ओमन ले अलग करे जाही, तब ओमन ओ दिनमन म उपास करहीं।”

36यीसू ह ओमन ला ए पटं‍तर घलो सुनाईस, “कोनो मनखे नवां ओन्ढा ला चीरके ओकर खाप ला जुन्ना ओन्ढा म नइं सिलय। कहूं ओह अइसने करथे, त नवां ओन्ढा ह चीरा जाही अऊ नवां ओन्ढा के खाप जुन्ना ओन्ढा म नइं लगही। 37अऊ कोनो मनखे अंगूर के नवां मंद ला चमड़ा के जुन्ना थैली म नइं भरय। कहूं ओह अइसने करथे, त नवां मंद ह ओ थैली ला चीर दिही, अऊ मंद ह ढर जाही अऊ थैली ह बरबाद हो जाही। 38नवां मंद ला चमड़ा के नवां थैली म भरना चाही। 39कोनो मनखे अंगूर के जुन्ना मंद पीये के बाद, नवां मंद पीये नइं चाहय। ओह कहिथे, ‘जुन्ना मंद ही बने हवय।’ ”