고린도전서 12 – KLB & NCA

Korean Living Bible

고린도전서 12:1-31

성령님이 주시는 은혜의 선물

1형제 여러분, 나는 여러분이 영적인 선물에 대하여 모르는 것을 원치 않 습니다.

2여러분이 더 잘 알겠지만 여러분이 이방인이었을 때는 말 못하는 우상에게 이리저리 끌려다녔습니다.

3그러므로 내가 여러분에게 말합니다. 하나님의 영으로 말하는 사람은 예수님을 저주하지 않습니다. 그리고 성령님의 도움 없이는 아무도 예수님을 주님이라고 말할 수 없습니다.

4은혜의 선물은 여러 가지가 있지만 성령님은 한 분이시며

5섬기는 일은 여러 가지가 있지만 주님도 한 분이십니다.

6그리고 해야 할 일은 여러 가지가 있지만 모든 사람 안에서 일하시는 하나님은 한 분이십니다.

7각 사람에게 성령님이 계시는 증거를 주신 것은 모든 사람의 유익을 위해서입니다.

8어떤 사람에게는 성령님이 지혜의 말씀을 주시고 어떤 사람에게는 같은 성령님이 지식의 말씀을,

9어떤 사람에게는 믿음을, 어떤 사람에게는 병 고치는 능력을,

10어떤 사람에게는 기적 행하는 능력을, 어떤 사람에게는 12:10 또는 ‘하나님의 말씀을 전하는’예언하는 능력을, 어떤 사람에게는 영들을 분별하는 능력을, 어떤 사람에게는 여러 가지 방언하는 능력을, 어떤 사람에게는 방언을 통역하는 능력을 주십니다.

11이 모든 것은 같은 한 성령님이 하시는 일입니다. 성령님은 자기가 원하시는 대로 각 사람에게 이런 은혜의 선물을 나누어 주십니다.

한 몸과 많은 지체

12몸은 하나이지만 많은 지체가 있고 몸의 지체가 많아도 그것이 다 한 몸인 것과 같이 그리스도도 그와 같습니다.

13우리는 유대인이든 이방인이든 종이든 자유인이든 모두 한 성령님으로 12:13 또는 ‘침례’세례를 받아 한 몸이 되었고 한 성령님을 모시고 있습니다.

14몸은 한 지체로 되어 있는 것이 아니라 많은 지체로 되어 있습니다.

15만일 발이 “나는 손이 아니므로 몸에 속한 것이 아니다” 라고 말한다 해서 몸에 속하지 않은 것이 아닙니다.

16또 귀가 “나는 눈이 아니므로 몸에 속한 것이 아니다” 라고 말한다 해서 몸에 속하지 않은 것이 아닙니다.

17만일 온 몸이 다 눈이라면 어떻게 들으며 온 몸이 다 귀라면 어떻게 냄새를 맡겠습니까?

18그러나 하나님은 자기가 원하시는 대로 한 몸에 여러 가지 다른 지체를 두셨습니다.

19만일 모두 한 지체뿐이라면 몸은 어디입니까?

20그래서 지체는 많아도 몸은 하나입니다.

21그러므로 눈이 손에게 “너는 내게 필요 없다” 고 하거나 머리가 발에게 “너는 내게 필요 없다” 고 할 수 없습니다.

22몸 가운데 약해 보이는 지체가 오히려 더 필요합니다.

23우리는 몸 가운데서 별로 중요하게 생각되지 않는 부분을 더욱 중요하게 여기고 또 별로 아름답지 못한 부분을 더욱 아름답게 꾸밉니다.

24그러나 아름다운 부분에 대해서는 그럴 필요가 없습니다. 이처럼 하나님께서는 하찮은 부분을 더욱 귀하게 여겨 몸의 조화를 이루게 하셨습니다.

25그래서 몸 안에 분열이 없이 모든 지체가 서로 도와 나갈 수 있게 하신 것입니다.

26만일 한 지체가 고통을 당하면 모든 지체도 함께 고통을 당하고 한 지체가 영광을 받으면 모든 지체도 함께 기뻐합니다.

27여러분은 그리스도의 몸이며 여러분 한 사람 한 사람은 그 몸의 각 지체입니다.

28그리고 하나님은 교회 안에 이런 지체들을 세우셨는데 첫째는 사도요 둘째는 예언자이며 셋째는 교사요 그 다음은 기적을 행하는 사람, 다음은 병 고치는 사람, 남을 돕는 사람, 다스리는 사람, 방언을 하는 사람들입니다.

29모든 사람이 다 사도나 예언자나 교사나 기적을 베푸는 사람은 될 수 없지 않습니까?

30또 모든 사람이 다 병을 고치거나 방언을 하거나 통역할 수도 없지 않습니까?

31여러분은 더욱 큰 은혜의 선물을 사모하십시오. 나는 여러분에게 더 좋은 길을 보여 드리겠습니다.

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

1 कुरिन्‍थुस 12:1-31

आतमिक बरदान

1हे भाईमन हो, मेंह चाहथंव कि तुमन ओ बरदानमन के बारे म जानव, जऊन ला पबितर आतमा देथे। 2तुमन जान-थव कि जब तुमन आनजात रहेव, त कोनो न कोनो किसम ले तुमन मूरतीमन के परभाव म रहेव अऊ ओमन के पाछू चलत रहेव, जऊन मन कि गोठियाय नइं सकंय। 3एकरसेति, तुमन ए बात ला जान लेवव कि जऊन ह परमेसर के आतमा म होके गोठियाथे, ओह ए नइं कहय, “यीसू ह सरापित ए।” अऊ पबितर आतमा के अगुवई के बिगर कोनो ए नइं कह सकय, “यीसू ह परभू ए।”

4कतको किसम के आतमिक बरदान हवय, पर एकेच पबितर आतमा हवय, जऊन ह ए बरदान देथे। 5कतको किसम के सेवा हवय, पर एकेच परभू ए, जेकर सेवा हमन करथन। 6काम करे के कतको तरिका हवय, पर एकेच परमेसर ह जम्मो काम ला करे के काबिल जम्मो मनखेमन ला बनाथे।

7हर एक मनखे ला जम्मो के भलई करे बर पबितर आतमा के बरदान दिये जाथे। 8एक झन ला पबितर आतमा ह बुद्धि के बात देथे, त ओहीच आतमा ह दूसर ला गियान के बात देथे। 9कोनो ला ओहीच आतमा ह बिसवास, त कोनो ला ओहीच आतमा ले चंगा करे के बरदान मिलथे। 10कोनो ला चमतकार के काम करे के, त कोनो ला अगमबानी करे के, त कोनो ला आतमामन ला परखे के, त कोनो ला अनजान भासा म गोठियाय के अऊ कोनो ला अनजान भासामन के अनुवाद करे के बरदान मिलथे। 11ए जम्मो काम ला एकेच अऊ ओहीच पबितर आतमा ह करथे अऊ ओह जइसने चाहथे, वइसने हर एक मनखे ला ए बरदान बांट देथे।

एक देहें अऊ बहुंते अंग

12जइसने कि देहें ह एक अय अऊ एकर बहुंते अंग हवंय, अऊ ए जम्मो अंग मिलके एकेच देहें बनथे। वइसनेच बात, मसीह के संग घलो अय। 13काबरकि हमन जम्मो झन ला एकेच पबितर आतमा के दुवारा, एकेच देहें होय बर बतिसमा मिलिस – चाहे ओमन यहूदी होवंय या यूनानी, चाहे गुलाम होवंय या सुतंतर मनखे; हमन जम्मो झन ला ओहीच पबितर आतमा दिये गे हवय।

14देहें ह एक अंग ले नइं, फेर बहुंते अंग ले मिलके बने हवय। 15कहूं गोड़ ह कहय, “मेंह हांथ नो हंव, एकरसेति मेंह देहें के नो हंव,” त एकर मतलब ए नइं होवय कि गोड़ ह देहें ले अलग हो जाथे। 16अऊ कहूं कान ह कहय, “मेंह आंखी नो हंव, एकरसेति मेंह देहें के नो हंव,” त एकर मतलब ए नइं होवय कि कान ह देहें ले अलग हो जाथे। 17कहूं जम्मो देहें ह एक ठन आंखी होतिस, त सुने के काम कइसने होतिस? यदि जम्मो देहें ह एक ठन कान होतिस, त फेर सुंघे के काम कइसने होतिस? 18पर परमेसर ह जइसने उचित समझिस, वइसने हर अलग-अलग अंग ला देहें म रखिस। 19कहूं ए जम्मो ह एके ठन अंग होतिन, त फेर देहें ह कहां होतिस? 20पर जइसने कि अंग तो बहुंते हवंय, पर देहें ह एक अय।

21आंखी ह हांथ ला नइं कहे सकय, “मोला तोर जरूरत नइं ए।” अऊ मुड़ ह गोड़ ला नइं कहे सकय, “मोला तोर जरूरत नइं ए।” 22एकर उल्टा, देहें के जऊन अंगमन आने ले कमजोर दिखथें, ओमन ह बहुंत जरूरी अंय, 23अऊ जऊन अंगमन ला हमन कम महत्‍व के समझथन, ओमन ला हमन जादा महत्‍व देथन। अऊ देहें के जऊन अंगमन जादा बने नइं दिखंय, हमन ओमन ला जादा धियान देथन, 24जबकि हमर देहें के सुघर अंगमन ला जादा धियान देके जरूरत नइं ए। पर परमेसर ह देहें के अंगमन ला एक संग जोड़े हवय, अऊ जऊन अंगमन कम महत्‍व के रिहिन, ओमन ला ओह जादा महत्‍व दे हवय, 25ताकि देहें के अंगमन म फूट झन पड़य, पर एकर अंगमन एक-दूसर बर बरोबर चिंता करंय। 26कहूं एक अंग ह दुःख पाथे, त ओकर संग जम्मो अंगमन दुःख पाथें; अऊ कहूं एक अंग के बड़ई होथे, त जम्मो अंगमन ओकर संग खुसी मनाथें।

27अब तुमन मसीह के देहें अव, अऊ तुमन के हर एक एकर अंग अय। 28अऊ परमेसर ह कलीसिया म अलग-अलग मनखेमन ला ठहिराय हवय: पहिली प्रेरितमन ला, दूसरा अगमजानीमन ला, तीसरा गुरूमन, तब चमतकार के काम करइयामन, तब ओमन ला, जऊन मन करा चंगा करे के बरदान हवय, अऊ आने के मदद करइयामन, अऊ तब ओमन ला, जऊन मन ला सासन-परबंध करे के बरदान हवय अऊ आखिरी म नाना किसम के भासा बोलइयामन। 29का जम्मो झन प्रेरित अंय? का जम्मो झन अगमजानी अंय? का जम्मो झन गुरू अंय? का जम्मो झन चमतकार के काम करथें? 30का जम्मो झन करा चंगा करे के बरदान हवय? का जम्मो झन नाना किसम के भासा म गोठियाथें? का जम्मो झन नाना किसम के भासा के अनुवाद करथें। नइं! 31पर तुमन बड़े ले बड़े बरदान पाय के धुन म रहव।

पर अब मेंह तुमन ला सबले उत्तम बात बतावत हंव।