詩篇 89 – JCB & HCV

Japanese Contemporary Bible

詩篇 89:1-52

89

1私は主の優しいお心づかいを、いつまでも歌います。

2あなたの愛と恵みと真実は、

永遠に絶えることがありません。

3-4主なる神はこう言われます。

「わたしは、よりすぐったしもべダビデと

厳粛な契約を結んだ。

彼の子孫を永久に王座につけると誓ったのだ。」

5ああ主よ。天はあなたの奇跡をたたえ、

御使いたちは、あなたの真実をたたえます。

6天に、主と並ぶ存在などありえませんから。

最も偉大な御使いでさえ、

主の足もとにも及びません。

7天使の中で最高位の者さえ、

御前では恐れおののきます。

ほかのだれが、主のようにあがめられているでしょうか。

8天の軍勢の神である主よ。

あなたのように権威ある方は一人もいません。

主は真実そのものです。

9海にすさまじい嵐が起こって波が荒れ狂っても、

あなたのひと言で凪いでしまいます。

10傲慢な態度を捨てなかったエジプトは、

あなたの手で切り刻まれました。

あなたの恐るべき腕を見て、敵は逃げて行きました。

11天も地も、万物はあなたの手の中にあります。

いっさいのものを造られたのはあなたなのですから。

12北も南も神がお造りになりました。

タボル山とヘルモン山は、

創造主であるあなたに感謝しています。

13あなたの腕の力は天下に並ぶものがなく、

あなたの栄光ある右の手は、高くあげられています。

14-15あなたの王座を支えているのは、

公平と正義の太い二本の柱です。

あわれみと真実は、いつもおそばに控えています。

喜びに震えるラッパの音を聞く人々は幸せです。

あなたの光の中を歩くことができるからです。

16彼らは、あなたのすばらしい名声と、

完全な正義を知って、一日中喜びに満たされます。

17あなたは彼らの力です。

あなたの恵みが私たちの力の源であるとは、

なんという光栄でしょう。

18私たちを守るのは、ほかならぬ主ご自身です。

この、イスラエルのきよいお方が、

私たちに王をお立てくださいました。

19神は幻の中で、預言者にこう告げました。

「わたしは国民の中から、

一人のすぐれた若者を選んで王とした。

20それは、わたしのしもべダビデだ。

わたしは彼に、きよい油を注いだ。

21わたしは彼をしっかり支えて、強めよう。

22だから彼は、決して敵に優位に立たれたり、

悪者にひけをとったりすることはない。

23わたしは敵を打ち倒し、

彼を憎む者の息の根を止めよう。

24常に彼を守り、祝福し、愛で包もう。

彼はわたしのゆえに、偉大な者となる。

25彼はユーフラテス川から地中海に至るまでを支配する。

26彼はわたしを『あなたはわたしの父、わたしの神、

わたしの救いの岩』と呼ぶだろう。

27わたしは彼を長男として迎え、

地上で最強の王としよう。

28いつまでも愛を注ぎ、常に恵みを与えよう。

彼との間に立てた契約は、決して破棄されはしない。

29彼の跡継ぎは絶えることがなく、

王座は永遠に受け継がれる。

30-32しかし、もし彼の子孫が

わたしのおきてを無視して守らなくなれば、

罰が下ることになる。

33とはいえ、恵みを根こそぎ奪ったり、

約束を破ったりはしない。

34わたしは契約を破りはしない。

前言を翻すようなこともしない。

35-36わたしはダビデに、その王朝はいつまでも続き、

王座も、この世界が続く限り途切れることはない、と誓ったからだ。

きよい神は決してうそをつかない。

37大空にかかる忠実な証人である月のように、

彼の王座はいつまでも続く。」

38このようにおっしゃった神が、

どうして彼を拒絶し、お捨てになるのですか。

なぜ、王として選んでおきながら、

こんなにもお怒りになるのですか。

39あなたは、ダビデとの契約を解消なさったのでしょうか。

その王冠をはく奪しておられるではありませんか。

40あなたは城壁をくずし、

要塞を一つ残らず破壊なさいました。

41行きずりの者たちがその廃墟を物色してあさり、

近隣の者もあざけって見ています。

42あなたは、むしろ敵を勇気づけ、

喜ばせておられるのです。

43戦場では、王の手から剣をたたき落とし、

見殺しになさいました。

44その勢いにとどめを刺し、

その王座をくつがえされました。

45彼を実際の年齢以上に老いさせ、

公衆の面前で恥をかかせられました。

46ああ主よ、いつまでこんな状態が続くのですか。

いつまで顔をそむけて、

燃えさかる怒りを注がれるのですか。

47あなたが人間の一生を、どんなに短く、

むなしいものにお定めになったか

思い起こしてください。

48人はいつまでも生きることはできません。

みな死に果てるのです。

だれが、墓から自分のいのちを救い出せましょう。

49主よ、以前は、

あんなに愛してくださったではありませんか。

かつてダビデに約束された確かな恵みは、

どこへ行ったのでしょう。

50主よ、ごらんください。

人々がこのように私をさげすんでいるのです。

51敵も、神が王として油を注がれたこの私を、

あざけっています。

52しかし、それでもなお、

主は永遠にほめたたえられるべきお方です。

アーメン。アーメン。

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 89:1-52

स्तोत्र 89

एज़्रावंश के एथन का एक मसकील89:0 शीर्षक: शायद साहित्यिक या संगीत संबंधित एक शब्द

1मैं याहवेह के करुणा-प्रेम का सदा गुणगान करूंगा;

मैं पीढ़ी से पीढ़ी

अपने मुख से आपकी सच्चाई को बताता रहूंगा.

2मेरी उद्घोषणा होगी कि आपका करुणा-प्रेम सदा-सर्वदा अटल होगी,

स्वर्ग में आप अपनी सच्चाई को स्थिर करेंगे.

3आपने कहा, “मैंने अपने चुने हुए के साथ एक वाचा स्थापित की है,

मैंने अपने सेवक दावीद से यह शपथ खाई है,

4‘मैं तुम्हारे वंश को युगानुयुग अटल रखूंगा.

मैं तुम्हारे सिंहासन को पीढ़ी से पीढ़ी स्थिर बनाए रखूंगा.’ ”

5याहवेह, स्वर्ग मंडल आपके अद्भुत कार्यों का गुणगान करता है.

भक्तों की सभा में आपकी सच्चाई की स्तुति की जाती है.

6स्वर्ग में कौन याहवेह के तुल्य हो सकता है?

स्वर्गदूतों में कौन याहवेह के समान है?

7जब सात्विक एकत्र होते हैं, वहां परमेश्वर के प्रति गहन श्रद्धा व्याप्‍त होता है;

सभी के मध्य वही सबसे अधिक श्रद्धा योग्य हैं.

8याहवेह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर, कौन है आपके समान सर्वशक्तिमान याहवेह?

आप सच्चाई को धारण किए हुए हैं.

9उमड़ता सागर आपके नियंत्रण में है;

जब इसकी लहरें उग्र होने लगती हैं, आप उन्हें शांत कर देते हैं.

10आपने ही विकराल जल जंतु रहब को ऐसे कुचल डाला मानो वह एक खोखला शव हो;

यह आपका ही भुजबल था, कि आपने अपने शत्रुओं को पछाड़ दिया.

11स्वर्ग के स्वामी आप हैं तथा पृथ्वी भी आपकी ही है;

आपने ही संसार संस्थापित किया और वह सब भी बनाया जो, संसार में है.

12उत्तर दिशा आपकी रचना है और दक्षिण दिशा भी;

आपकी महिमा में ताबोर और हरमोन पर्वत उल्लास में गाने लगते हैं.

13सामर्थ्य आपकी भुजा में व्याप्‍त है;

बलवंत है आपका हाथ तथा प्रबल है आपका दायां हाथ.

14धार्मिकता तथा खराई आपके सिंहासन के आधार हैं;

करुणा-प्रेम तथा सच्चाई आपके आगे-आगे चलते हैं.

15याहवेह, धन्य होते हैं वे, जिन्होंने आपका जयघोष करना सीख लिया है,

जो आपकी उपस्थिति की ज्योति में आचरण करते हैं.

16आपके नाम पर वे दिन भर खुशी मनाते हैं

वे आपकी धार्मिकता का उत्सव मनाते हैं.

17क्योंकि आप ही उनके गौरव तथा बल हैं,

आपकी ही कृपादृष्टि के द्वारा हमारा बल आधारित रहता है.

18वस्तुतः याहवेह ही हमारी सुरक्षा ढाल हैं,

हमारे राजा इस्राएल के पवित्र परमेश्वर के ही हैं.

19वर्षों पूर्व आपने दर्शन में

अपने सच्चे लोगों से वार्तालाप किया था:

“एक योद्धा को मैंने शक्ति-सम्पन्‍न किया है;

अपनी प्रजा में से मैंने एक युवक को खड़ा किया है.

20मुझे मेरा सेवक, दावीद, मिल गया है;

अपने पवित्र तेल से मैंने उसका अभिषेक किया है.

21मेरा ही हाथ उसे स्थिर रखेगा;

निश्चयतः मेरी भुजा उसे सशक्त करती जाएगी.

22कोई भी शत्रु उसे पराजित न करेगा;

कोई भी दुष्ट उसे दुःखित न करेगा.

23उसके देखते-देखते मैं उसके शत्रुओं को नष्ट कर दूंगा

और उसके विरोधियों को नष्ट कर डालूंगा.

24मेरी सच्चाई तथा मेरा करुणा-प्रेम उस पर बना रहेगा,

मेरी महिमा उसकी कीर्ति को ऊंचा रखेगी.

25मैं उसे समुद्र पर अधिकार दूंगा,

उसका दायां हाथ नदियों पर शासन करेगा.

26वह मुझे संबोधित करेगा, ‘आप मेरे पिता हैं,

मेरे परमेश्वर, मेरे उद्धार की चट्टान.’

27मैं उसे अपने प्रथमजात का पद भी प्रदान करूंगा,

उसका पद पृथ्वी के समस्त राजाओं से उच्च होगा—सर्वोच्च.

28उसके प्रति मैं अपना करुणा-प्रेम सदा-सर्वदा बनाए रखूंगा,

उसके साथ स्थापित की गई मेरी वाचा कभी भंग न होगी.

29मैं उसके वंश को सदैव सुस्थापित रखूंगा,

जब तक आकाश का अस्तित्व रहेगा, उसका सिंहासन भी स्थिर बना रहेगा.

30“यदि उसकी संतान मेरी व्यवस्था का परित्याग कर देती है

तथा मेरे अधिनियमों के अनुसार नहीं चलती,

31यदि वे मेरी विधियों को भंग करते हैं

तथा मेरे आदेशों का पालन करने से चूक जाते हैं,

32तो मैं उनके अपराध का दंड उन्हें लाठी के प्रहार से

तथा उनके अपराधों का दंड कोड़ों के प्रहार से दूंगा;

33किंतु मैं अपना करुणा-प्रेम उसके प्रति कभी कम न होने दूंगा

और न मैं अपनी सच्चाई का घात करूंगा.

34मैं अपनी वाचा भंग नहीं करूंगा

और न अपने शब्द परिवर्तित करूंगा.

35एक ही बार मैंने सदा-सर्वदा के लिए अपनी पवित्रता की शपथ खाई है,

मैं दावीद से झूठ नहीं बोलूंगा;

36उसका वंश सदा-सर्वदा अटल बना रहेगा

और उसका सिंहासन मेरे सामने सूर्य के समान सदा-सर्वदा ठहरे रहेगा;

37यह आकाश में विश्वासयोग्य साक्ष्य होकर,

चंद्रमा के समान सदा-सर्वदा ठहरे रहेगा.”

38किंतु आप अपने अभिषिक्त से अत्यंत उदास हो गए,

आपने उसकी उपेक्षा की, आपने उसका परित्याग कर दिया.

39आपने अपने सेवक से की गई वाचा की उपेक्षा की है;

आपने उसके मुकुट को धूल में फेंक दूषित कर दिया.

40आपने उसकी समस्त दीवारें तोड़ उन्हें ध्वस्त कर दिया

और उसके समस्त रचों को खंडहर बना दिया.

41आते जाते समस्त लोग उसे लूटते चले गए;

वह पड़ोसियों के लिए घृणा का पात्र होकर रह गया है.

42आपने उसके शत्रुओं का दायां हाथ सशक्त कर दिया;

आपने उसके समस्त शत्रुओं को आनंद विभोर कर दिया.

43उसकी तलवार की धार आपने समाप्‍त कर दी

और युद्ध में आपने उसकी कोई सहायता नहीं की.

44आपने उसके वैभव को समाप्‍त कर दिया

और उसके सिंहासन को धूल में मिला दिया.

45आपने उसकी युवावस्था के दिन घटा दिए हैं;

आपने उसे लज्जा के वस्त्रों से ढांक दिया है.

46और कब तक, याहवेह? क्या आपने स्वयं को सदा के लिए छिपा लिया है?

कब तक आपका कोप अग्नि-सा दहकता रहेगा?

47मेरे जीवन की क्षणभंगुरता का स्मरण कीजिए,

किस व्यर्थता के लिए आपने समस्त मनुष्यों की रचना की!

48ऐसा कौन सा मनुष्य है जो सदा जीवित रहे, और मृत्यु को न देखे?

ऐसा कौन है, अपने प्राणों को अधोलोक के अधिकार से मुक्त कर सकता है?

49प्रभु, अब आपका वह करुणा-प्रेम कहां गया,

जिसकी शपथ आपने अपनी सच्चाई में दावीद से ली थी?

50प्रभु, स्मरण कीजिए, कितना अपमान हुआ है आपके सेवक का,

कैसे मैं समस्त राष्ट्रों द्वारा किए गए अपमान अपने हृदय में लिए हुए जी रहा हूं.

51याहवेह, ये सभी अपमान, जो मेरे शत्रु मुझ पर करते रहे,

इनका प्रहार आपके अभिषिक्त के हर एक कदम पर किया गया.

52याहवेह का स्तवन सदा-सर्वदा होता रहे!

आमेन और आमेन.