詩篇 80 – JCB & HCV

Japanese Contemporary Bible

詩篇 80:1-19

80

1ああ、イスラエルを導く偉大な羊飼いよ。

ケルビムの上の王座におられる神よ。

どうか、私の訴えを聞き入れて、

お力を見せてください。

光り輝くご栄光を現してください。

2さあ、立ち上がり、

どれほど強い力で私たちを救い出してくださるのか、

エフライムやベニヤミンやマナセに

お見せになってください。

3ああ神よ、おそばに戻らせていただきたいのです。

喜びと愛のまなざしを注いでください。

そうでなければ、私たちは救われることがありません。

4天の軍勢の神である主よ、いつまで怒り、

この祈り耳にをふさがれるのですか。

5悲しみと涙が私たちの食べ物なのですか。

6いつまで私たちを、諸国の笑いものとされるのですか。

7天の軍勢の神よ、おそばに戻らせてください。

喜びと愛のまなざしを注いでください。

そうでなければ、私たちは救われることがありません。

8神は私たちをエジプトから、

弱々しいぶどうの木を運ぶようにして連れ出し、

約束の地から異教の民を追い出して、

そこに植えてくださいました。

9土をやわらかく耕してくださったので、

私たちは根を張り、国中に生い茂りました。

10山々も私たちの影でおおわれました。

私たちは杉の大木のように枝を伸ばし、

11地中海からユーフラテス川に至る全土を

埋め尽くしました。

12ところが今になって、

あなたは私たちの石垣を切りくずし、

番人を追い払って、荒らされるままに任せられます。

13森のいのししには周囲を鼻で掘られ、

野獣どもには格好のえじきとしてねらわれています。

14天の軍勢の神よ、お願いですから、

お戻りになって私たちを祝福してください。

天からこの惨状をごらんになり、

あなたのぶどうの木を手入れしてください。

15ご自身で植え、ご自身で育て上げた

子どもを守ってください。

16私たちは敵に切り落とされて焼かれているのです。

その敵があなたのきびしい御顔の前で滅びますように。

17あなたが愛した、お気に入りの息子を強めてください。

18もう二度と、私たちはあなたを捨てたりしません。

私たちを再び生かし、

あなたへの信頼を回復させてください。

19天の軍勢の神である主よ、

おそばに連れ戻してください。

私たちに向けられる御顔が、

喜びと愛で明るく輝きますように。

そうでなければ、私たちは救われることがありません。

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 80:1-19

स्तोत्र 80

संगीत निर्देशक के लिये. “वाचा की कुमुदिनी” धुन पर आधारित. आसफ की रचना. एक स्तोत्र.

1इस्राएल के चरवाहे, हमारी सुनिए, आप ही हैं,

जो योसेफ़ की अगुवाई भेड़ों के वृन्द की रीति से करते हैं.

आप, जो करूबों के मध्य विराजमान हैं,

प्रकाशमान हों! 2एफ्राईम, बिन्यामिन तथा मनश्शेह

के सामने अपने सामर्थ्य को प्रगट कीजिए;

और हमारी रक्षा कीजिए.

3परमेश्वर, हमें हमारी पूर्व स्थिति प्रदान कीजिए;

हम पर अपना मुख प्रकाशित कीजिए,

कि हमारा उद्धार हो जाए.

4याहवेह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर,

कब तक आपकी प्रजा की प्रार्थनाओं के प्रति,

आपका कोप भीतर ही भीतर सुलगता रहेगा?

5आपने आंसुओं को उनका आहार बना छोड़ा है;

आपने उन्हें विवश कर दिया है, कि वे कटोरे भर-भर आंसू पिएं.

6आपने हमें अपने पड़ोसियों के लिए विवाद का कारण बना दिया है,

हमारे शत्रु हमारा उपहास करते हैं.

7सर्वशक्तिमान परमेश्वर, हमें हमारी पूर्व स्थिति प्रदान कर दीजिए;

हम पर अपना मुख प्रकाशित कीजिए,

कि हमारा उद्धार हो जाए.

8मिस्र देश से आप एक द्राक्षालता ले आए;

आपने जनताओं को काटकर इसे वहां रोप दिया.

9आपने इसके लिए भूमि तैयार की,

इस लता ने जड़ पकड़ी और इसने समस्त भूमि आच्छादित कर दी.

10इसकी छाया ने तथा मजबूत देवदार की शाखाओं ने,

पर्वतों को ढंक लिया था.

11वह अपनी शाखाएं समुद्र तक,

तथा किशलय नदी तक फैली हुई थी.

12आपने इसकी सुरक्षा की दीवारें क्यों ढाह दीं,

कि आते जाते लोग इसके द्राक्षा तोड़ते जाएं?

13जंगली सूअर इसे निगल जाते,

तथा मैदान के पशु इसे अपना आहार बनाते हैं.

14सर्वशक्तिमान परमेश्वर, हम आग्रह करते हैं, आप लौट आइए!

स्वर्ग से दृष्टिपात कीजिए!

और इस ओर ध्यान दीजिए,

15और इस द्राक्षालता की हां उस पौधे की जिसे आपके दायें हाथ ने लगाया है,

तथा उस पुत्र को देखिए, जिसे आपने स्वयं सशक्त बनाया है.

16आपकी इस द्राक्षालता को काट डाला गया है, इसे अग्नि में भस्म कर दिया गया है;

आपकी फटकार-मात्र आपकी प्रजा को नष्ट करने के लिए काफ़ी है.

17उस पुरुष पर आपके दायें हाथ का आश्वासन स्थिर रहे, जो आपके दायें पक्ष में उपस्थित है,

वह मनुष्य का पुत्र जिसे आपने अपने लिए तैयार किया है.

18तब हम आपसे दूर न होंगे;

हमें जिलाइए, हम आपके ही नाम को पुकारेंगे.

19याहवेह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर, हमें पुनर्स्थापित कीजिए;

अपना मुख हम पर प्रकाशित कीजिए

कि हम सुरक्षित रहेंगे.