詩篇 63 – JCB & HCV

Japanese Contemporary Bible

詩篇 63:1-11

63

ダビデの賛歌。ユダの荒野に潜伏している時の作。

1ああ神よ。いったいどこにおられるのですか。

一滴の水もない、からからの荒れ地で、

私は必死になって神を慕い求めています。

2神の聖所へ行ってお力とご栄光を拝したいと、

どれほど願っていることでしょう。

3私にとって、あなたの愛と恵みは、

いのちよりも大切なのです。

ああ、あなたはなんとすばらしいお方でしょう。

4生きている限り、私はあなたをほめたたえ、

両手を上げて祈ります。

5こうして、ついには身も心も満ち足りるのです。

私は喜びにあふれて賛美します。

6私は夜、横になったまま、

7今までどれほどあなたに助けていただいたかを

思い巡らします。

そうして、御翼の下にいこいながら、

夜通し喜びにひたるのです。

8あなたのふところに飛び込めば、

右の手でしっかり抱きしめていただけます。

9一方、私のいのちをつけねらう者どもは、

地獄の底に突き落とされるのです。

10彼らは剣に倒れ、野獣のえじきとなるでしょう。

11しかしこの私は、神に抱かれて

喜びにあふれます。

神に信頼する者は歓声を上げ、

うそつきどもは、黙り込むのです。

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 63:1-11

स्तोत्र 63

दावीद का एक स्तोत्र. जब वह यहूदिया प्रदेश के निर्जन प्रदेश में था.

1परमेश्वर, आप मेरे अपने परमेश्वर हैं,

अत्यंत उत्कटतापूर्वक मैं आपके सान्‍निध्य की कामना करता हूं;

सूखी और प्यासी भूमि में,

जहां जल है ही नहीं,

मेरा प्राण आपके लिए प्यासा

एवं मेरी देह आपकी अभिलाषी है.

2आपके पवित्र स्थान में मैंने आपका दर्शन किया है,

कि आपके सामर्थ्य तथा तेज को निहारूं.

3इसलिये कि आपका करुणा-प्रेम मेरे जीवन की अपेक्षा कहीं अधिक श्रेष्ठ है,

मेरे होंठ आपके स्तवन करते रहेंगे.

4मैं आजीवन आपका धन्यवाद करता रहूंगा,

आपकी महिमा का ध्यान करके मैं अपने हाथ उठाऊंगा.

5होंठों पर गीत और मुख से स्तुति के वचनों

से मेरे प्राण ऐसे तृप्‍त हो जाएंगे, जैसे उत्कृष्ट भोजन से.

6जब मैं बिछौने पर होता हूं, तब आपका स्मरण करता हूं;

मैं रात्रि के प्रहरों में आपके विषय में चिंतन करता रहूंगा.

7क्योंकि आप ही मेरे सहायक हैं,

आपके पंखों की छाया मुझे गीत गाने के लिए प्रेरित करती है.

8मैं आपके निकट रहना चाहता हूं;

आपका दायां हाथ मुझे संभाले रहता है.

9जो मेरे प्राणों के प्यासे हैं, उनका विनाश निश्चित है;

वे पृथ्वी की गहराई में समा जाएंगे.

10वे तलवार से घात किए जाने के लिए सौंप दिए जाएंगे,

कि वे सियारों का आहार बन जाएं.

11परंतु राजा तो परमेश्वर में उल्‍लसित रहेगा;

वे सभी, जिन्होंने परमेश्वर में श्रद्धा रखी है, उनका स्तवन करेंगे,

जबकि झूठ बोलने वालों के मुख चुप कर दिए जाएंगे.