詩篇 122 – JCB & HCV

Japanese Contemporary Bible

詩篇 122:1-9

122

1エルサレムの主の宮に行こうと

誘われた時のうれしさは忘れられません。

2-3私たちは今、都の雑踏の中に立っています。

4神のおきてに従って、

イスラエル中の主の民がここに集まり、

主を礼拝し、感謝と賛美をささげるのです。

5都の門のそばでは、

裁判官が人々の論争を裁いています。

6エルサレムの平和のために祈ってください。

この都を愛する人々に繁栄がもたらされますように。

7エルサレムの城壁のうちに平和がみなぎり、

宮殿は富み栄えますように。

8この都に住む友、兄弟のために願います。

9主の宮にふさわしい平和で満たされますようにと。

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 122:1-9

स्तोत्र 122

आराधना के लिए यात्रियों का गीत. दावीद की रचना.

1जब यात्रियों ने मेरे सामने यह प्रस्ताव रखा,

“चलो, याहवेह के आवास को चलें,” मैं अत्यंत उल्‍लसित हुआ.

2येरूशलेम, हम तुम्हारे द्वार पर

खड़े हुए हैं.

3येरूशलेम उस नगर के समान निर्मित है,

जो संगठित रूप में बसा हुआ है.

4यही है वह स्थान, जहां विभिन्‍न कुल,

याहवेह के कुल,

याहवेह के नाम के प्रति आभार प्रदर्शित करने के लिए जाया करते हैं

जैसा कि उन्हें आदेश दिया गया था.

5यहीं न्याय-सिंहासन स्थापित हैं,

दावीद के वंश के सिंहासन.

6येरूशलेम की शांति के निमित्त यह प्रार्थना की जाए:

“समृद्ध हों वे, जिन्हें तुझसे प्रेम है.

7तुम्हारी प्राचीरों की सीमा के भीतर शांति व्याप्‍त रहे

तथा तुम्हारे राजमहलों में तुम्हारे लिए सुरक्षा बनी रहें.”

8अपने भाइयों और मित्रों के निमित्त मेरी यही कामना है,

“तुम्हारे मध्य शांति स्थिर रहे.”

9याहवेह, हमारे परमेश्वर के भवन के निमित्त,

मैं तुम्हारी समृद्धि की अभिलाषा करता हूं.