詩篇 100 – JCB & HCV

Japanese Contemporary Bible

詩篇 100:1-5

100

1大地よ。主に向かって喜びの声を上げなさい。

2喜びをもって主に仕え、

喜びの歌を歌いつつ、神の御前に進み出なさい。

3主が神であるとはどんなことか、

悟ることができるように努めなさい。

主は私たちをお造りになりました。

私たちは神の民、その牧場の羊です。

4感謝の思いも新たに神殿の門をくぐり、

賛美の歌声とともに宮の内庭に入りなさい。

さあ、感謝してほめたたえなさい。

5主はいつも正しく、愛と思いやりに満ち、

いつまでも変わることのない真実を示されるからです。

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 100:1-5

स्तोत्र 100

एक स्तोत्र. धन्यवाद के लिए गीत

1याहवेह के स्तवन में समस्त पृथ्वी उच्च स्वर में जयघोष करे.

2याहवेह की आराधना आनंदपूर्वक की जाए;

हर्ष गीत गाते हुए उनकी उपस्थिति में प्रवेश किया जाए.

3यह समझ लो कि स्वयं याहवेह ही परमेश्वर हैं.

हमारी रचना उन्हीं ने की है, स्वयं हमने नहीं; हम पर उन्हीं का स्वामित्व है.

हम उनकी प्रजा, उनकी चराई की भेड़ें हैं.

4धन्यवाद के भाव में उनके द्वारों में

और स्तवन भाव में उनके आंगनों में प्रवेश करो;

उनकी महिमा को धन्य कहो.

5याहवेह भले हैं; उनकी करुणा सदा की है;

उनकी सच्चाई का प्रसरण समस्त पीढ़ियों में होता जाता है.